गिरे को खरबूजे का ज़रर, अर्थ, प्रयोग(Gire ko Kharbuje ka jarr)
परिचय: गिरे को खरबूजे का ज़रर, इस कहावत का उपयोग उन स्थितियों में किया जाता है जहां पहले से ही
परिचय: गिरे को खरबूजे का ज़रर, इस कहावत का उपयोग उन स्थितियों में किया जाता है जहां पहले से ही
परिचय: “बोए पेड़ बबूल का आम कहाँ से होए” यह हिंदी की एक प्रसिद्ध कहावत है, जो कर्म और उसके
परिचय: “ऊँट को निगल लिया और दुम को हिचके” यह हिंदी की एक प्रसिद्ध कहावत है, जिसका प्रयोग अक्सर उन
परिचय: “चोर चोर मौसेरे भाई” एक लोकप्रिय हिंदी मुहावरा है जिसका प्रयोग अक्सर उन स्थितियों में किया जाता है जहां
परिचय: “तुम्हारे मुंह में घी-शक्कर” यह कहावत आशीर्वाद या शुभकामनाओं के रूप में प्रयोग की जाती है। प्राचीन समय से
परिचय: आटे के साथ घुन भी पिसता है, यह कहावत एक प्राचीन लोकोक्ति है जिसका प्रयोग आमतौर पर उन परिस्थितियों
परिचय: “ठेस लगे, बुद्धि बढ़े” यह कहावत जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों के सकारात्मक पहलू को दर्शाती है। यह हमें
परिचय: “आ पड़ोसन लड़ें” यह कहावत अक्सर उस स्थिति में प्रयोग की जाती है जब किसी घटना या समस्या पर
परिचय: “आदमी पानी का बुलबुला है” यह कहावत मानव जीवन की नश्वरता और अनिश्चितता को दर्शाती है। यह हमें यह
परिचय: “अपनी पगड़ी अपने हाथ” यह कहावत स्वतंत्रता और आत्म-निर्भरता के महत्व को दर्शाती है। इसमें ‘पगड़ी’ का प्रयोग प्रतिष्ठा
परिचय: अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है, इस कहावत का प्रयोग अक्सर उस स्थिति में किया जाता है
परिचय: “बुढि़या मरी तो मरी, आगरा तो देखा” यह हिंदी भाषा की एक लोकप्रिय कहावत है, जिसका प्रयोग अक्सर उस
परिचय: “लिखे ईसा पढ़े मूसा” यह हिंदी भाषा की एक प्रसिद्ध कहावत है, जिसका अक्सर तब प्रयोग होता है जब
परिचय: “अंडा सिखावे बच्चे को कि चीं-चीं मत कर” एक प्रचलित हिंदी कहावत है। इस कहावत का प्रयोग अक्सर उन
परिचय: “अंधा क्या चाहे, दो आंखें” – यह हिंदी में एक प्रसिद्ध कहावत है, जो सामान्यतः मानवीय इच्छाओं और जरूरतों
परिचय: अन्त भले का भला, यह कहावत जीवन के विभिन्न पहलुओं में लागू होती है, जहाँ अंतिम परिणाम की सकारात्मकता,
परिचय: “अंधा सिपाही कानी घोड़ी, विधि ने खूब मिलाई जोड़ी” एक प्रचलित हिंदी कहावत है, जिसका उपयोग अक्सर उन परिस्थितियों
परिचय: “अंधा बांटे रेवड़ी, फिर-फिर अपने को ही दे” यह हिंदी की एक प्रसिद्ध कहावत है, जिसका प्रयोग अक्सर उन
परिचय: “एक ही थैले के चट्टे-बट्टे” यह कहावत उन लोगों या चीजों के बारे में कही जाती है जो बाहरी
परिचय: “बीमार की रात पहाड़ बराबर” यह हिंदी भाषा की एक प्रचलित कहावत है। यह कहावत बीमारी या कष्ट के