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List of Heritage Sites of India

भारत की सांस्कृतिक धरोहर – भारत अपनी सांस्कृतिक, प्राचीन और प्राकृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। इस धरोहर की पहचान और महत्व को पहचानते हुए, UNESCO ने कई स्थलों को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया है। इस लेख में हम उन सभी महत्वपूर्ण स्थलों का वर्णन करेंगे, जिन्हें उनकी अद्वितीयता और महत्व के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है।

भारतीय उपमहाद्वीप में ऐतिहासिक समय से ही सांस्कृतिक और प्राकृतिक संपदा का अद्वितीय संगम होता आया है। चाहे वह प्राचीन गुफा मंदिर हों, या अद्वितीय जैव विविधता से भरपूर राष्ट्रीय उद्यान, यह सभी भारतीय संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के अद्वितीय संगम को प्रकट करते हैं।

इस लेख का उद्देश्य उन सभी स्थलों को प्रकट करना है, जिन्हें UNESCO ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्रदान की है। हर स्थल की अपनी एक अद्वितीय कहानी है, जो भारतीय इतिहास और सांस्कृतिक प्रम्परा की गहराई को प्रकट करती है।

सांस्कृतिक धरोहर स्थल:

आगरा किला: आगरा किला, 16वीं शताब्दी में मुग़ल सम्राट अकबर द्वारा निर्मित हुआ। इसका निर्माण 1565 में प्रारंभ होकर 1573 में सम्पन्न हुआ था।यह विराट किला भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। 1983 में यह किला यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल हुआ।

अजंता की गुफाएं: अजंता की गुफाएं 2वीं शताब्दी से 6वीं शताब्दी तक बनाई गई थीं। इन गुफाओं की निर्माण कार्य मौर्य और गुप्त सम्राटों के शासनकाल में किया गया। यह गुफाएं बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा प्रार्थना और ध्यान के लिए निर्मित हुई थीं। 1983 में अजंता की गुफाएं यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल हो गई। प्राचीन बौद्ध पाषाण गृह और मठ, जिनमें मोनोलिथिक चित्रकला है।

एलोरा की गुफाएं: एलोरा की गुफाएं 6वीं से 10वीं शताब्दी में निर्मित हुई थीं। यह गुफाएं राष्ट्रकूट और चालुक्य वंश के राजा-राजवादों द्वारा निर्माण करवाई गई थीं। इनमें तीन धर्मों – हिंदू, जैन और बौद्ध – की संस्कृति का प्रतिनिधित्व है।
1983 में एलोरा की गुफाएं यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में सम्मिलित की गई।यहां बौद्ध, हिन्दू, और जैन पाषाण गृह और मठ हैं।

ताज महल: ताज महल 1632 में शुरू होकर 1653 में पूरा हुआ था।
यह भव्य स्मारक मुग़ल सम्राट शाहजहाँ द्वारा अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया गया था। ताज महल को सफेद संगमरमर से बनाया गया है और यह इस्लामी वास्तुकला का श्रेष्ठ उदाहरण है। 1983 में ताज महल को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किया गया।

महाबलिपुरम की स्मारक समूह: महाबलिपुरम की स्मारक समूह भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित हैं। महाबलिपुरम की स्मारक समूह का निर्माण 7वीं और 8वीं शताब्दी में पल्लव राजा नरसिंहवर्मा प्रथम द्वारा करवाया गया था। ये स्मारक पल्लव शैली में ताज़ा चट्टानों को काटकर बनाये गए हैं। महाबलिपुरम की प्राचीन संस्कृति और वास्तुकला को प्रकट करते हुए, यहाँ के मंदिर समुद्र के किनारे स्थित हैं। 1984 में महाबलिपुरम की स्मारक समूह को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया।

सूर्य मंदिर, कोणार्क : सूर्य मंदिर, कोणार्क भारत के ओडिशा राज्य में स्थित है। सूर्य मंदिर, कोणार्क का निर्माण 13वीं शताब्दी में गंग वंशीय राजा नरसिंहदेव प्रथम द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर भारतीय वास्तुकला की अद्वितीय उपलब्धि है और सूर्य भगवान को समर्पित है। इसे ‘भारतीय स्थापत्य कला का शिखर समझा जाता है, जिसमें सूर्य की रथ की आकृति में निर्माण हुआ है।
1984 में सूर्य मंदिर, कोणार्क को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।

गोवा की गिरजाघर और मठ : गोवा की गिरजाघर और मठ भारत के गोवा राज्य में स्थित हैं। ये धार्मिक स्थल 16वीं और 17वीं शताब्दी में पुर्तगालीयों द्वारा निर्मित किए गए थे। इसका निर्माण पुर्तगालीय साम्राज्यकाल में उनके मिशनरियों और राजा-रानियों द्वारा किया गया था। 1986 में गोवा की गिरजाघर और मठ को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। ये स्थल उनकी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं।

हंपी की स्मारक समूह: हंपी की स्मारक समूह कर्नाटक राज्य के विजयनगर नगर में स्थित है। यह स्थल 14वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य द्वारा निर्मित किया गया था। इसका निर्माण विजयनगर सम्राटों द्वारा कराया गया था।
1986 में हंपी की स्मारक समूह को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। यह स्थल अपनी अद्वितीय वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।

खजुराहो स्मारक समूह: खजुराहो स्मारक समूह मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में स्थित है। यह स्मारक 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच निर्मित किया गया था इसका निर्माण चंदेल राजा द्वारा कराया गया था। 1986 में खजुराहो के स्मारक समूह को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। इस स्थल की प्राचीन और अद्वितीय वास्तुकला की स्थापत्य कला को पूरी दुनिया में सराहा जाता है।

पत्तदकल के स्मारक: पत्तदकल के स्मारक कर्नाटक राज्य में स्थित हैं। ये स्मारक 7वीं और 8वीं शताब्दी में निर्मित हुए थे। इसका निर्माण चालुक्य राजवंश द्वारा कराया गया था। 1987 में पत्तदकल के स्मारकों को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। यहाँ की संगीतमय और वास्तुकला की अद्वितीयता को आज भी प्रशंसा की जाती है।

एलेफंटा गुफाएं: एलेफंटा गुफाएं महाराष्ट्र के मुंबई नगर के पास स्थित हैं।
यह गुफाएं 5वीं और 6वीं शताब्दी में निर्मित हुईं। इसका निर्माण चालुक्य और राष्ट्रकूट राजवंश द्वारा कराया गया था। 1987 में एलेफंटा गुफाएं को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। यहाँ की मूर्तिकला और अद्वितीय गुफा संरचना दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

महान जीवन चोल मंदिर: महान जीवन चोल मंदिर तामिलनाडु राज्य में स्थित हैं।
यह मंदिर 11वीं और 12वीं शताब्दी में निर्मित हुए थे। इसका निर्माण चोल राजा राजेंद्र चोल और राजा राजराजा चोल द्वारा कराया गया था। 1987 में महान जीवन चोल मंदिर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।
यह मंदिर चोल वास्तुकला की अद्वितीयता और उनकी शैली का प्रतीक है।

सांची में बौद्ध स्मारक : सांची में बौद्ध स्मारक मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। इस स्मारक का निर्माण मौर्य सम्राट अशोक द्वारा लगभग 3वीं शताब्दी ईसा पूर्व में कराया गया था। यह स्मारक बौद्ध धर्म के प्रसार और महत्व को प्रकट करता है।
1989 में सांची के बौद्ध स्मारक को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की मान्यता प्राप्त हुई। यह स्मारक स्तूप, तोरण और उसकी अन्य मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।

हुमायूं का मकबरा, दिल्ली: हुमायूं का मकबरा दिल्ली में स्थित है।
इस मकबरे का निर्माण 1565-1572 ईसवी के बीच हुआ था। यह भव्य स्मारक हुमायूं की विधवा बेगम हाजी बेगम (अल्सो ज्ञात अकबराबादी बेगम के रूप में) द्वारा बनवाया गया था। 1993 में हुमायूं का मकबरा को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की मान्यता प्राप्त हुई। इस मकबरे की वास्तुकला मुघल शैली की उत्कृष्टता को प्रकट करती है।

कुतुब मीनार और इसके स्मारक, दिल्ली: कुतुब मीनार भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में शुरू हुआ था, और यह सुलतान कुतुब-उद-दीन ऐबक द्वारा शुरू किया गया था। इसके निर्माण में मुख्यत: कुतुब-उद-दीन ऐबक और उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1993 में कुतुब मीनार और इसके आस-पास के स्मारकों को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की मान्यता प्राप्त हुई। कुतुब मीनार भारतीय इतिहास और वास्तुकला में एक महत्वपूर्ण स्मारक माना जाता है।

भारतीय पहाड़ी रेल (1999,2005,2008): भारतीय पहाड़ी रेल भारत के विभिन्न पहाड़ी प्रदेशों में स्थित है। इसमें शामिल रेलवे लाइनें 19वीं और 20वीं शताब्दी में निर्मित हुईं। यह रेलवे लाइनें अंग्रेजी शासनकाल में ब्रिटिश इंजीनियर्स द्वारा निर्मित की गई थीं। 2008 में भारतीय पहाड़ी रेल (दार्जिलिंग, नीलगिरी और कालका-शिमला) को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की मान्यता प्राप्त हुई। इस पहाड़ी रेल को इसकी अद्वितीय इंजीनियरिंग और ऐतिहासिक महत्व के लिए सम्मानित किया गया है।

बोधगया में महाबोधि मंदिर संग्रहालय: महाबोधि मंदिर संग्रहालय भारत के बिहार राज्य के बोधगया नगर में स्थित है। यह मंदिर पहली बार सम्राट अशोक द्वारा लगभग 260 ईसा पूर्व बनवाया गया था। महाबोधि मंदिर को 2002 में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया। इस मंदिर का निर्माण भगवान बुद्ध के साक्षात्कार की जगह को चिह्नित करने के लिए किया गया था। महाबोधि मंदिर संग्रहालय में बुद्ध और उनके शिष्यों से संबंधित अनेक प्राचीन और मूल्यवान स्मारिकाएं संरक्षित हैं।

भीमबेटका के पाषाण आवास: भीमबेटका के पाषाण आवास मध्य प्रदेश राज्य के रैसेन जिले में स्थित हैं। इन पाषाण आवासों की उत्पत्ति पूरा-पूरा 30,000 वर्ष पूर्व की मानी जाती है। भीमबेटका की गुफाएँ प्राचीन मानव सभ्यता के लोगों द्वारा निवास के रूप में इस्तेमाल की जाती थीं। 2003 में ये पाषाण आवास यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में माने गए थे। यहाँ की गुफाओं में चित्रित चित्र और चिह्न प्राचीन मानव सभ्यता की झलकियाँ प्रदान करते हैं।

चंपानेर-पावागढ़ पुरातात्विक उद्यान: चंपानेर-पावागढ़ पुरातात्विक उद्यान गुजरात राज्य में स्थित है। यह स्थल 8वीं से 14वीं शताब्दी के बीच विकसित हुआ था। इस ऐतिहासिक स्थल की स्थापना चौहान वंश के राजा वनराज चावड़ा द्वारा की गई थी। 2004 में यह उद्यान यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया। चंपानेर-पावागढ़ में मस्जिदें, मंदिर और किले जैसी विभिन्न पुरातात्विक संरचनाएँ हैं जो इस स्थल की सांस्कृतिक धरोहर को प्रकट करती हैं।

लाल किला संग्रहालय: लाल किला संग्रहालय दिल्ली के लाल किला के परिसर में स्थित है। यह महल 17वीं शताब्दी में, 1638 में निर्माण प्रारंभ हुआ था। मुग़ल सम्राट शाहजहाँ द्वारा इसे बनवाया गया था। 2007 में लाल किला यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया। इस संग्रहालय में मुग़ल कालीन संस्कृति और विरासत के अनमोल धरोहर को प्रदर्शित किया गया है।

जंतर मंतर, जयपुर: जंतर मंतर, राजस्थान के जयपुर शहर में स्थित है। यह विशेष खगोलीय यंत्रों का संग्रह है, जिसे 1734 में निर्माण प्रारंभ हुआ था। महाराजा जय सिंह द्वितीय द्वारा इसे बनवाया गया था। 2010 में जंतर मंतर यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया। यहाँ के यंत्र आज भी सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों की स्थितियों का निरीक्षण करने के लिए प्रयुक्त होते हैं।

राजस्थान के पहाड़ी किले: राजस्थान के पहाड़ी किले राजस्थान राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। ये किले 8वीं से 19वीं शताब्दी के बीच निर्मित हुए थे। मौर्य, गुप्त, गुर्जर-प्रतिहार, परमार, कछ्वाहा, मारवार और मेवाड़ जैसे विभिन्न राजवंशों ने इन्हें निर्माण करवाया। 2013 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। इन किलों में चित्तौड़गढ़, कुम्भलगढ़, राठौड़गढ़, जैसलमेर और आमेर जैसे प्रमुख किले शामिल हैं।

रानी-की-वाव: रानी-की-वाव पटान, गुजरात में स्थित है। यह वाव 11वीं शताब्दी में रानी उदयमती द्वारा उसके पति भीमदेव I की याद में निर्मित करवाई गई थी। इसका निर्माण सोलंकी वंश के राजाओं के अधीन हुआ था। 2014 में रानी-की-वाव को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। यह वाव अपनी संरचना, संस्कृति और उसकी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।

नालंदा महाविहार (नालंदा विश्वविद्यालय) पुरातात्विक स्थल: नालंदा महाविहार बिहार में स्थित है। इसका निर्माण 5वीं शताब्दी में हुआ था। यह महाविहार गुप्त वंश के राजाओं द्वारा संचालित होता रहा था। 2016 में नालंदा महाविहार को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। यह स्थल प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की महत्वपूर्ण विरासत के रूप में माना जाता है।

अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर: अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर गुजरात राज्य में स्थित है। यह शहर 1411 में सुलतान अहमद शाह द्वारा बसाया गया था। इसका नामकरण सुलतान अहमद शाह के नाम पर हुआ था। 2017 में अहमदाबाद को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। यह भारतीय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

मुंबई के विक्टोरियन गॉथिक और आर्ट डेको समूह: मुंबई के विक्टोरियन गॉथिक और आर्ट डेको समूह महाराष्ट्र राज्य में स्थित हैं। यह स्थापत्य शैली 19वीं और 20वीं शताब्दी में विकसित हुई थी। इस स्मारक समूह को अनेक शिल्पकारों और वास्तुकारों ने मिल कर निर्मित किया। 2018 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। यह समूह मुंबई के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करता है।

जयपुर शहर, राजस्थान (2019): जयपुर शहर भारत के राजस्थान राज्य में स्थित है। यह शहर 18वीं शताब्दी में, 1727 में स्थापित हुआ था। जयपुर को महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने बनवाया था। 2019 में जयपुर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। इस शहर की वास्तुकला और योजना उसके ऐतिहासिक महत्व को प्रकट करती है।

प्राकृतिक धरोहर स्थल:

  • काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (1985): एकहूंठी गैंड की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला स्थल।
  • मानस वन्यजीवन अभयारण्य (1985): असम में स्थित जीव विविधता से भरपूर स्थल।
  • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (1985): प्रवासी पक्षियों के लिए शीतकालीन ठहराव क्षेत्र।
  • सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान (1987): विश्व का सबसे बड़ा मंग्रोव जंगल और बांग्लादेश बाघ का घर।
  • नंदा देवी और फूलों की घाती राष्ट्रीय उद्यान (1988,2005): उत्तराखंड के ऊंचे हिमालय में स्थित।
  • पश्चिमी घाट (2012): जीवन और वनस्पति की अनगिनत प्रजातियों के लिए जाना जाता है।
  • महान हिमालय राष्ट्रीय उद्यान (2014): हिमाचल प्रदेश में जीव विविधता से भरपूर स्थल।

मिश्रित धरोहर स्थल:

  1. खंगचेंदजोंगा राष्ट्रीय उद्यान (2016): सिक्किम में स्थित, प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व।

अंत में, यह कहना महत्वपूर्ण है कि भारत की धरोहर सिर्फ इसकी प्राचीनता और विविधता की मापदंडों को प्रकट करने वाली नहीं है, बल्कि यह विश्व के समुदाय को एक साझा इतिहास और सांस्कृतिक समृद्धि की ओर भी इंगीत करती है। इन स्थलों की संरक्षण और संवर्धन की जरूरत है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इसके अद्वितीयता और महत्व को समझ सकें। हर धरोहर स्थल एक जीवंत साक्षी है भारतीय सभ्यता और संस्कृति का, जो हमें अपनी मूलभूत संस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं के प्रति गर्वित होने का कारण प्रदान करता है।

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