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खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी अर्थ, प्रयोग (Khoob milai jodi, Ek andha ek kodhi)

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी, यह एक प्रसिद्ध हिन्दी मुहावरा है जिसका प्रयोग अक्सर उन परिस्थितियों में किया जाता है जहां दो व्यक्ति या वस्तुएँ एक दूसरे के लिए अत्यधिक अनुपयुक्त होते हैं या जिनका मिलन असामान्य या विचित्र प्रतीत होता है। इस मुहावरे का अर्थ है कि दो ऐसे व्यक्ति जो स्वयं में दोषी या अक्षम हैं, जब एक साथ आते हैं तो वे एक दूसरे के लिए पूरक नहीं बल्कि और भी अधिक अनुपयुक्त साबित होते हैं।

परिचय: “खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी” मुहावरा सामाजिक और व्यक्तिगत संबंधों में विडंबना और असंगति को दर्शाता है। यह हमें यह सिखाता है कि कैसे कुछ संयोजन वास्तव में अवांछनीय परिणाम ला सकते हैं।

अर्थ: इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है कि जब एक अंधा और एक कोढ़ी व्यक्ति एक साथ आते हैं तो वे एक दूसरे की सहायता करने के बजाय अधिक समस्याएँ पैदा करते हैं। यहाँ “अंधा” और “कोढ़ी” शब्दों का प्रयोग व्यक्तिगत अक्षमताओं या दोषों को दर्शाने के लिए किया गया है।

प्रयोग: यह मुहावरा आलोचनात्मक संदर्भ में प्रयोग किया जाता है, जब दो व्यक्ति या वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिनका एक साथ होना नकारात्मक या अवांछित परिणाम लाता है।

उदाहरण:

-> जब एक आलसी व्यक्ति और एक अनुशासनहीन व्यक्ति एक समूह में काम करते हैं, तो उनका समूह “खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी” कहलाता है क्योंकि वे दोनों मिलकर समूह के प्रदर्शन को नीचे ले जाते हैं।

-> जब दो विरोधी विचारधारा वाले नेता एक ही पार्टी में आ जाते हैं, तो लोग कहते हैं कि “खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी”, क्योंकि उनका साथ आना पार्टी के लिए अधिक समस्याएँ खड़ी करता है।

निष्कर्ष: “खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि कैसे कुछ संयोजन, भले ही वे अनोखे या असामान्य प्रतीत हों, वास्तव में हानिकारक या अनुपयोगी हो सकते हैं। यह मुहावरा हमें सही संयोजनों का चयन करने की आवश्यकता की ओर संकेत करता है, ताकि हम अधिक सकारात्मक और उत्पादक परिणाम प्राप्त कर सकें।

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी मुहावरा पर कहानी:

एक गाँव में दो अजीबोगरीब दोस्त रहते थे, जिनका नाम था विकास और अनुज। विकास बहुत ही चालाक और होशियार था लेकिन उसमें एक दोष था – वह किसी की भी बात नहीं सुनता था, अपने मन की ही करता था। दूसरी ओर, अनुज था जो कि बहुत ही मेहनती और लगनशील था, परंतु उसे निर्णय लेने में हमेशा समस्या आती थी। वह हमेशा दूसरों पर निर्भर रहता था अपने निर्णय के लिए।

गाँववाले उन्हें देखकर कहते, “खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी।” इसका मतलब था कि दोनों ही अपने-अपने तरीके से अक्षम थे और एक साथ मिलकर भी वे कोई उत्तम परिणाम नहीं दे पा रहे थे।

एक बार उन्होंने सोचा कि वे गाँव के बाहर एक बड़ा खेत खरीदेंगे और वहाँ पर खेती करेंगे। विकास के पास बहुत सारी योजनाएँ थीं और अनुज उन्हें मेहनत से लागू करने के लिए तैयार था। लेकिन जब खेती शुरू करने का समय आया, तो उनकी योजनाएँ और मेहनत विफल हो गई। विकास ने बिना किसी की सलाह लिए खेती के लिए गलत फसलों का चुनाव किया और अनुज ने बिना किसी सोच-विचार के उसका अनुसरण किया।

जब फसल का समय आया, तो उन्हें बहुत नुकसान हुआ। विकास की चालाकी और अनुज की मेहनत के बावजूद, उनकी अक्षमताओं ने उन्हें विफल कर दिया। गाँववाले फिर से कहने लगे, “देखा, हमने कहा था ना – खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी।”

इस घटना से विकास और अनुज को समझ में आया कि सिर्फ योजनाएँ बनाना और मेहनत करना ही काफी नहीं है। सही निर्णय लेना और सही समय पर सही कार्य करना भी जरूरी है। उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा और आगे चलकर बेहतर निर्णय लेने लगे।

इस कहानी के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि दो व्यक्ति या वस्तुएँ, जो अपने आप में अक्षम होते हैं, जब एक साथ आते हैं, तो उनका संयोजन और भी अधिक अनुपयुक्त हो सकता है। यह हमें यह भी बताता है कि सही संयोजन और सही निर्णय कितने महत्वपूर्ण हैं।

शायरी:

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी,
इस दुनिया में भाई, हर किसी को है कुछ न कुछ खोना पड़ी।

एक ने देखा नहीं दुनिया को, एक ने छू के महसूस किया,
जिंदगी के इस सफर में, हर किसी का अपना ही एक फसाना लिखा।

एक ढूंढता रहा रोशनी अंधेरों में, एक ने दर्द को गले लगाया,
दोनों ने सिखाया हमें, जिंदगी जीने का अपना-अपना तरीका बताया।

जब भी मिलते हैं दो राही, अपनी-अपनी किस्मत के साथ,
कहते हैं लोग उन्हें, “खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी” की बात।

पर इस मिलन में भी एक सबक है, एक गहराई है,
कि हर किसी की कमज़ोरी में भी, एक अद्भुत ताकत छुपी आई है।

तो आओ, हम भी सीखें, इस जोड़ी से, जिंदगी के कुछ असली मायने,
कि दोस्ती और प्यार में, छिपे होते हैं, सबसे बड़े जीवन के सपने।

जिंदगी की इस राह में, जब भी आए कोई भी मोड़,
याद रखना, ‘खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी’ की यह कोड़।

क्योंकि हर जोड़ी में होता है, एक अनोखा संदेश छुपा,
जिंदगी और मोहब्बत का, एक खूबसूरत पैगाम रखा।

 

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी – Khoob milai jodi, Ek andha ek kodhi Idiom:

A perfect match indeed, one blind and the other with leprosy, is a famous Hindi idiom often used in situations where two individuals or objects are highly unsuitable for each other or their union appears unusual or bizarre. The meaning of this idiom is that two individuals who are flawed or incapable in themselves, when come together, prove to be not complementary but even more unsuitable for each other.

Introduction: The idiom “Khoob milai jodi, Ek andha ek kodhi” illustrates irony and inconsistency in social and personal relationships. It teaches us how certain combinations can indeed bring about undesirable outcomes.

Meaning: The literal meaning of this idiom is that when a blind person and a person with leprosy come together, they create more problems for each other rather than helping. Here, the words “blind” and “leprosy” are used to represent personal disabilities or flaws.

Usage: This idiom is used in a critical context, when two individuals or objects, being together, bring negative or unwanted outcomes.

Example:

-> When a lazy person and an undisciplined person work in a group, their group is called “A perfect match indeed, one blind and the other with leprosy” because together they bring down the performance of the group.

-> When two leaders with opposing ideologies join the same party, people say, “A perfect match indeed, one blind and the other with leprosy,” because their coming together creates more problems for the party.

Conclusion: The idiom “Khoob milai jodi, Ek andha ek kodhi” teaches us how certain combinations, although they may seem unique or unusual, can actually be harmful or unproductive. This idiom points us towards the need for choosing the right combinations to achieve more positive and productive outcomes.

Story of ‌‌Khoob milai jodi, Ek andha ek kodhi Idiom in English:

In a village lived two odd friends, named Vikas and Anuj. Vikas was very clever and intelligent, but he had one flaw – he never listened to anyone else and always did what he wanted. On the other hand, Anuj was very hardworking and diligent, but he always had trouble making decisions. He was always dependent on others for his decisions.

The villagers, observing them, would say, “A perfect match indeed, one blind and the other with leprosy.” This meant that both were incapable in their own ways and together, they were not able to produce any good results.

Once, they thought of buying a large farm outside the village and farming there. Vikas had many plans, and Anuj was ready to implement them with hard work. But when the time came to start farming, their plans and hard work failed. Vikas chose the wrong crops for farming without consulting anyone, and Anuj followed him without any thought.

When the time for harvest came, they faced huge losses. Despite Vikas’s cunning and Anuj’s hard work, their incapacities led them to failure. The villagers again said, “See, we told you – A perfect match indeed, one blind and the other with leprosy.”

This incident made Vikas and Anuj realize that just making plans and working hard is not enough. Making the right decisions and taking the right actions at the right time is also necessary. They learned from their mistakes and started making better decisions moving forward.

This story teaches us that two individuals or objects, who are incapable on their own, when come together, their combination can be even more unsuitable. It also tells us how important the right combination and the right decisions are.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

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