परिचय: “बोए पेड़ बबूल का आम कहाँ से होए” यह हिंदी की एक प्रसिद्ध कहावत है, जो कर्म और उसके परिणामों की अहमियत को बताती है।
अर्थ: इस कहावत का सामान्य अर्थ यह है कि जो कुछ हम बोते हैं, वही हमें मिलता है। यदि हम बबूल का पेड़ लगाएंगे, तो आम की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? इसी तरह, अगर हम गलत कार्य करते हैं, तो हमें अच्छे परिणामों की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
उपयोग: इस कहावत का प्रयोग अक्सर तब किया जाता है जब किसी को यह समझाना होता है कि उनके कर्मों के अनुरूप ही परिणाम मिलते हैं।
उदाहरण:
-> मान लीजिए, एक व्यक्ति ने अपने जीवन में गलत काम किए और बाद में उसे इसका पछतावा हुआ। ऐसी स्थिति में कहा जा सकता है, “बोए पेड़ बबूल का आम कहाँ से होए”।
समापन: इस कहावत से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमारे कर्म ही हमारे जीवन के परिणाम निर्धारित करते हैं। यह हमें प्रेरित करती है कि हमें अपने कर्मों को सोच-समझकर चुनना चाहिए और यह समझना चाहिए कि हर कार्य का एक परिणाम होता है।
बोए पेड़ बबूल का आम कहाँ से होए कहावत पर कहानी:
एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में ‘मुनीश’ नाम का एक किसान रहता था। मुनीश एक ईमानदार और मेहनती किसान था, लेकिन उसका पड़ोसी ‘सुभाष’ बहुत चालाक और लालची था।
एक दिन मुनीश ने अपने खेत में आम के पेड़ लगाने का निर्णय लिया। उसने बहुत ध्यान और प्यार से आम के बीज बोए और उनकी देखभाल की। दूसरी तरफ, सुभाष ने सोचा कि वह मुनीश से कम मेहनत में अधिक फल प्राप्त कर सकता है। उसने अपने खेत में बबूल के पेड़ लगा दिए, सोचकर कि वह भी आम प्राप्त कर सकता है बिना किसी मेहनत के।
समय के साथ मुनीश के आम के पेड़ बड़े हो गए और उनमें सुंदर और मीठे आम लगे। गाँव वाले मुनीश की मेहनत की प्रशंसा करने लगे। इस बीच, सुभाष के बबूल के पेड़ों में कांटे ही कांटे उग आए और कोई फल नहीं लगा। सुभाष को अपनी गलती का एहसास हुआ।
गाँव के बुजुर्ग ने सुभाष से कहा, “बेटा, जैसा बीज बोओगे, वैसा ही फल पाओगे। तुमने बबूल बोया है, तो आम कैसे प्राप्त करोगे? याद रखो, ‘बोए पेड़ बबूल का आम कहाँ से होए’।”
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमारे कर्म ही हमारे परिणाम निर्धारित करते हैं। सही और अच्छे कर्म करने पर ही हमें अच्छे परिणाम मिलते हैं।
शायरी:
बोए थे बबूल खुद अपने हाथों से,
ख्वाब में थे आम की मीठी बातों से।
ज़िन्दगी ने फिर ये सिखलाया है,
जैसा करोगे, वैसा ही पाओगे, यही राहत का पैगाम लाया है।
कर्मों का फल भी वैसा ही होता है,
जैसे बीज जो बोया, वैसा ही फूल खिलता है।
‘बोए पेड़ बबूल का’, सोच समझ बोओ,
आम की उम्मीद में कहीं वक्त न खो दो।
गलती का अहसास जब होता है,
तब जीवन का सही पाठ समझ में आता है।
खुद से सवाल करो, फिर खुद से ही जवाब दो,
‘बोए पेड़ बबूल का’, ये गीत गुनगुनाओ।
जिंदगी के इस सफर में सीख लो ये बात,
कर्म ही है सच्चाई, यही है सबसे बड़ी बात।
‘बोए पेड़ बबूल का’, ज़िन्दगी का सबक समझो,
अच्छे कर्म करो, फिर देखो जीवन कैसे खिलता है।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of बोए पेड़ बबूल का आम कहाँ से होए – Boye ped babul ka aam kahan se hoye Proverb:
Introduction: The Hindi proverb “Boye ped babul ka aam kahan se hoye” illustrates the often-seen conflicting relationships in society. It is used when there is animosity with a person but friendship or relations with another member of their family.
Meaning: “बोए पेड़ बबूल का आम कहाँ से होए” is a famous Hindi proverb that highlights the importance of actions and their consequences.
Usage: This proverb is often used to remind someone that their actions determine the outcomes they receive.
Examples:
-> For instance, if a person has done wrong in their life and later regrets it, it can be said, “Boye ped babul ka aam kahan se hoye.”
Conclusion: This proverb teaches us that our actions define the results in our lives. It motivates us to carefully choose our actions and understand that every action has a consequence.
Story of Boye ped babul ka aam kahan se hoye Proverb in English:
Once upon a time, in a small village, there lived a farmer named Raju. Raju was honest and hardworking, but his neighbor, Shyam, was cunning and greedy.
One day, Raju decided to plant mango trees in his field. He sowed the mango seeds with great care and nurtured them lovingly. On the other hand, Shyam thought he could reap more fruits with less effort than Raju. He planted babool (acacia) trees in his field, thinking he could also harvest mangoes without putting in much work.
As time passed, Raju’s mango trees grew and bore beautiful and sweet mangoes. The villagers started praising Raju for his hard work. Meanwhile, Shyam’s babool trees grew only thorns and bore no fruits. Shyam realized his mistake.
An elder in the village said to Shyam, “Son, you reap what you sow. You planted babool, so how can you expect mangoes? Remember, ‘One cannot expect mangoes from a tree of babool.'”
This story teaches us that our actions determine our outcomes. Only through right and good deeds can we expect favorable results.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
बोए पेड़ बबूल का आम क्या सिखाता है?
यह कहावत हमें यह सिखाती है कि सफलता के लिए मेहनत और धैर्य का आवश्यकता होती है, जैसे कि बबूल के पेड़ का आम बोने जाने के बावजूद समय लगता है।
इस कहावत का उपयोग कहाँ हो सकता है?
यह कहावत उस स्थिति में उपयोगी हो सकती है जब किसी को संघर्ष का सामना करना पड़ता है और सफलता के लिए संघर्ष करना होता है।
क्या इसका और कोई अर्थ है?
जी हां, इसका अर्थ है कि कभी-कभी कोई चीज़ होने में समय लगता है, परंतु उसका परिणाम सकारात्मक होता है।
इस कहावत का इतिहास क्या है?
इसका सटीक इतिहास नहीं है, लेकिन यह भारतीय लोकोक्ति और कहावतों का हिस्सा है।
क्या यह कहावत केवल किसी क्षेत्र में ही लागू होती है?
नहीं, यह कहावत जीवन के विभिन्न पहलुओं में लागू हो सकती है, जैसे कि कर्मयोग, सफलता, और संघर्ष।
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