परिचय: गिरे को खरबूजे का ज़रर, इस कहावत का उपयोग उन स्थितियों में किया जाता है जहां पहले से ही बुरे हाल में फंसे व्यक्ति को और अधिक परेशानी या मुसीबत का सामना करना पड़ता है। ‘खरबूजे का ज़रर’ यहाँ उस अतिरिक्त समस्या का प्रतीक है जो पहले से ही मुसीबत में फंसे व्यक्ति को और भी गिरा देती है।
अर्थ: कहावत का मतलब है कि जब कोई पहले से ही मुश्किल में हो और उस पर और भी मुसीबतें आ पड़ें, तो उसकी स्थिति और भी बदतर हो जाती है।
उपयोग: इस कहावत का प्रयोग तब होता है जब व्यक्ति पहले से ही कठिनाइयों में घिरा हो और उसके ऊपर और भी समस्याएँ आ जाएँ।
उदाहरण:
-> मान लीजिए, एक किसान पहले से ही सूखे की मार झेल रहा हो और उसके बाद उसकी फसलों में कीट प्रकोप हो जाए, तो कहा जा सकता है कि “गिरे को खरबूजे का ज़रर”।
समापन: यह कहावत हमें यह बताती है कि कभी-कभी जीवन में बुरी स्थितियाँ और भी खराब हो सकती हैं। “गिरे को खरबूजे का ज़रर” कहावत हमें यह सिखाती है कि हमें जीवन की कठिनाइयों का सामना धैर्य और संयम से करना चाहिए।
गिरे को खरबूजे का ज़रर कहावत पर कहानी:
एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में ‘सुधीर’ नाम का एक किसान रहता था। सुधीर के पास एक छोटा सा खेत था, जिसमें वह अपनी मेहनत से फसल उगाता था। एक वर्ष, उसके गाँव में भयंकर सूखा पड़ा और सुधीर की फसल सूख गई। उसने बहुत कोशिश की, लेकिन फसल को बचा नहीं पाया। उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई।
सुधीर ने सोचा कि वह अपनी बची हुई बचत से कुछ मुर्गियाँ खरीदेगा और पोल्ट्री फार्मिंग शुरू करेगा। उसने अपनी सारी बचत से मुर्गियाँ खरीदी और उनकी देखभाल शुरू की। लेकिन, कुछ ही समय बाद, गाँव में बीमारी फैल गई और उसकी सभी मुर्गियाँ मर गईं। इससे सुधीर की स्थिति और भी खराब हो गई।
गाँव के लोग यह देखकर कहने लगे, “सुधीर के साथ तो ‘गिरे को खरबूजे का ज़रर’ वाली बात हो गई। पहले सूखे से फसल बर्बाद हुई और अब मुर्गियाँ भी चली गईं।”
सुधीर ने इस स्थिति से सीख ली और नए सिरे से काम शुरू किया। वह समझ गया कि जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन हार मानने की बजाय संघर्ष करना और आगे बढ़ना ही वास्तविक साहस है।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि “गिरे को खरबूजे का ज़रर” कहावत का अर्थ है कि कभी-कभी बुरी स्थितियाँ और भी बदतर हो सकती हैं, लेकिन हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और संकट का सामना करना चाहिए।
शायरी:
गिरे को और गिराती है दुनिया की रीत,
खरबूजे का ज़रर है जिंदगी की ये प्रीत।
जब टूटे दिल किसी का, तो दुनिया यूँ हँसती है,
गिरे को और गिराने में, ये कैसी मस्ती है।
जिसकी किस्मत में हो अंधेरा, उसे और अंधेरे में धकेला जाता है,
गिरे को खरबूजे का ज़रर, इसी को कहा जाता है।
दुनिया के इस मेले में, अकेले ही चलना सीख,
गिरे पर न कर वार तू, ये ज़िंदगी की सीख।
जब गिरे कोई तो देना हाथ, न कि और गिराओ,
जिंदगी है सफर यहाँ, सबको साथ ले चलो।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of गिरे को खरबूजे का ज़रर – Gire ko Kharbuje ka jarr Proverb:
Introduction: This proverb is often used in contexts where an individual already in a bad situation faces even more trouble or distress. ‘Gire ko Kharbuje ka jarr’ symbolizes that additional problem which further worsens the condition of someone already in trouble.
Meaning: The proverb means that when someone is already in a difficult situation and then faces more troubles, their condition becomes even worse.
Usage: The proverb is used when a person surrounded by difficulties encounters even more problems.
Examples:
-> For instance, if a farmer is already suffering from drought and then his crops are attacked by pests, it can be said, “Gire ko Kharbuje ka jarr.”
Conclusion: This proverb teaches us that sometimes life’s situations can get worse. “Gire ko Kharbuje ka jarr” advises us to face life’s challenges with patience and composure.
Story of Gire ko Kharbuje ka jarr Proverb in English:
Once upon a time, in a small village, there lived a farmer named ‘Sudhir’. Sudhir owned a small piece of land where he cultivated crops with great effort. One year, a severe drought hit his village, and Sudhir’s crops dried up. Despite his best efforts, he couldn’t save his crops, and his financial situation worsened drastically.
Sudhir thought of using his remaining savings to buy some chickens and start poultry farming. He invested all his savings in purchasing the chickens and began taking care of them. However, soon after, a disease spread in the village, and all his chickens died. This further deteriorated Sudhir’s situation.
Seeing this, the villagers commented, “Sudhir is facing the situation of ‘Gire ko Kharbuje ka jarr’. First, the drought ruined his crops, and now his chickens are gone.”
Sudhir learned from this situation and started anew. He realized that life is full of challenges, but the real courage lies in struggling and moving forward, not in giving up.
This story teaches us that the proverb “Gire ko Kharbuje ka jarr” means that sometimes bad situations can get even worse, but we should not lose courage and should face difficulties head-on.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.
FAQs:
क्या इस कहावत का उपयोग व्यापार में किया जा सकता है?
हाँ, यह कहावत व्यापारिक परिस्थितियों में उत्तमता बनाए रखने के लिए किए जाने वाले सुधार को संकेतित कर सकती है।
गिरे को खरबूजे का ज़रर का विपरीत मतलब क्या हो सकता है?
विपरीत मतलब हो सकता है कि अगर कोई अवसर मिलता है तो उसका सही समय पर उपयोग नहीं किया जाता।
इस कहावत का सामाजिक संदेश क्या है?
इसका सामाजिक संदेश है कि हमें अवसरों का सही समय पर सही तरीके से उपयोग करना चाहिए।
गिरे को खरबूजे का ज़रर का अन्य रूप क्या हो सकता है?
यह कहावत किसी भी सामाजिक या राजनीतिक संदर्भ में अनुकूल रूप से बदला जा सकता है।
गिरे को खरबूजे का ज़रर का क्या विज्ञानिक संदेश हो सकता है?
यह कहावत विज्ञानिक दृष्टिकोण से किसी भी फैलाव के साथ जुड़ा हो सकता है और सही समय पर उपयोग करने का महत्व बता सकता है।
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