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अंधा बांटे रेवड़ी फिर-फिर अपने को ही दे, अर्थ, प्रयोग(Andha bante revdi fir-fir apne ko hi de)

परिचय: “अंधा बांटे रेवड़ी, फिर-फिर अपने को ही दे” यह हिंदी की एक प्रसिद्ध कहावत है, जिसका प्रयोग अक्सर उन स्थितियों के लिए किया जाता है जहाँ कोई व्यक्ति बिना उचित न्याय या समझ के फैसले करता है।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि एक अंधा व्यक्ति रेवड़ी (एक प्रकार की मिठाई) बांट रहा है, लेकिन बार-बार अनजाने में खुद को ही दे रहा है। यह उन परिस्थितियों को दर्शाता है जहाँ निर्णय लेने वाले की अज्ञानता या पक्षपात के कारण अन्याय होता है।

उपयोग: यह कहावत तब प्रयोग की जाती है जब किसी संस्था या व्यक्ति द्वारा निष्पक्षता की कमी के कारण गलत निर्णय लिए जाते हैं, खासकर जब संसाधनों, सम्मान या अवसरों का वितरण हो।

उदाहरण:

-> किसी कंपनी में प्रमोशन के समय, यदि मैनेजर अपने पसंदीदा कर्मचारियों को ही बार-बार प्रमोट करता है, भले ही वे योग्य न हों, तो कहा जा सकता है कि “मैनेजर तो अंधा बांटे रेवड़ी, फिर-फिर अपने को ही दे रहा है।”

समापन: इस कहावत के माध्यम से यह सिखाया जाता है कि निष्पक्षता और न्याय का महत्व होता है। यह उन स्थितियों की आलोचना करती है जहां अज्ञानता या पक्षपात के कारण गलत निर्णय लिए जाते हैं, जिससे अन्य योग्य व्यक्तियों को नुकसान होता है। यह हमें निष्पक्ष और समझदारी से निर्णय लेने की प्रेरणा देती है।

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अंधा बांटे रेवड़ी फिर-फिर अपने को ही दे कहावत पर कहानी:

एक छोटे से शहर में विशाल नाम का एक सरकारी अधिकारी रहता था। विशाल की जिम्मेदारी थी सरकारी योजनाओं और लाभों का निष्पक्ष वितरण करना। लेकिन विशाल ने इस जिम्मेदारी का उपयोग सिर्फ अपने परिवार और नजदीकी लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए किया। वह अक्सर योजनाओं का लाभ उन्हें ही दिया करता था, जो उसके निजी हित में थे।

इसका परिणाम यह हुआ कि जिन लोगों को वास्तव में इन योजनाओं की आवश्यकता थी, वे वंचित रह गए। शहर के लोग इस बात से बहुत नाखुश थे, लेकिन विशाल के पद और प्रभाव के कारण कोई भी खुलकर विरोध नहीं कर पा रहा था।

एक दिन, एक बुजुर्ग व्यक्ति ने विशाल से मुलाकात की और कहा, “विशाल जी, आपका यह तरीका ‘अंधा बांटे रेवड़ी, फिर-फिर अपने को ही दे’ जैसा है। आप सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें दे रहे हैं जिन्हें इसकी जरूरत नहीं है, और जिन्हें सच में जरूरत है, वे वंचित रह जा रहे हैं।”

विशाल ने बुजुर्ग की बातें सुनी और गहराई से विचार किया। उसे अपनी गलतियों का एहसास हुआ। उसने फैसला किया कि वह आगे से निष्पक्षता से काम करेगा और सभी को समान रूप से योजनाओं का लाभ पहुंचाएगा।

इसके बाद, विशाल ने सभी योग्य लोगों को समान रूप से योजनाओं का लाभ दिया और शहर के लोगों की जिंदगी में सकारात्मक परिवर्तन लाया। विशाल की इस नई सोच और कार्यशैली ने उसे शहर के लोगों का सम्मान और विश्वास दिलाया।

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि निष्पक्षता और न्यायसंगत वितरण कितना महत्वपूर्ण है, खासकर जब बात सरकारी योजनाओं और समुदाय के हित की हो।

शायरी:

अंधा बांटे रेवड़ी, अपने को ही दे बार-बार,

जीवन की इस चाल में, है न्याय का अधिकार।

जिसकी आँखों में न हो फर्क की पहचान,

वो कैसे बांटे दुनिया को, इंसाफ का जहान।

अपने हित की खातिर, जब अंधा बन जाता है,

सच्चाई की राह में, वो खुद ही भटक जाता है।

रेवड़ी की इस बांट में, जहाँ नहीं इंसाफ का ख्याल,

वहाँ दिलों में उठती है, न्याय की एक उजाल।

अंधा बांटे रेवड़ी, और खुद ही मुस्कुराए,

न्याय की इस दुनिया में, सच का दीपक जलाए।

 

अंधा बांटे रेवड़ी, फिर-फिर अपने को ही दे शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of अंधा बांटे रेवड़ी फिर-फिर अपने को ही दे – Andha bante revdi fir-fir apne ko hi de Proverb:

Introduction: “Andha bante revdi fir-fir apne ko hi de” is a famous Hindi proverb often used in situations where a person makes decisions without proper justice or understanding.

Meaning: The proverb means that a blind person is distributing ‘Rewri’ (a type of sweet), but unknowingly keeps giving it to themselves repeatedly. It represents situations where injustice occurs due to the ignorance or bias of the decision-maker.

Usage: This proverb is used when an institution or individual makes incorrect decisions due to a lack of impartiality, especially during the distribution of resources, honors, or opportunities.

Examples:

-> In a company, if a manager consistently promotes only their favorite employees, regardless of their merit, it can be said that “The manager is like a blind person distributing sweets, giving repeatedly to themselves.”

Conclusion: This proverb teaches the importance of fairness and justice. It criticizes situations where incorrect decisions are made due to ignorance or bias, causing harm to other deserving individuals. It inspires us to make decisions impartially and wisely.

Story of Andha bante revdi fir-fir apne ko hi de Proverb in English:

In a small town, there lived a government officer named Vishal. His duty was to distribute government schemes and benefits impartially. However, Vishal used this responsibility to favor only his family and close associates. He often allocated the benefits of the schemes to those who were in his personal interest.

As a result, those who genuinely needed these schemes were deprived. The townspeople were unhappy with this, but nobody openly opposed Vishal due to his position and influence.

One day, an elderly person met Vishal and said, “Vishal, your method is like ‘Andha bante revdi fir-fir apne ko hi de.’ You are giving the benefits of government schemes to those who do not need them, and those who really need them are being neglected.”

Vishal listened to the elderly man and reflected deeply. He realized his mistakes and decided to work impartially from then on, distributing the benefits of the schemes equally to all.

Following this, Vishal provided the benefits of the schemes equally to all deserving people, bringing positive changes in the lives of the townspeople. Vishal’s new approach and work style earned him the respect and trust of the people in the town.

This story teaches us the importance of fairness and just distribution, especially when it comes to government schemes and the welfare of the community.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

क्या इस कहावत का उपयोग केवल समस्याएं हल करने के संदर्भ में होता है?

नहीं, इसका उपयोग विभिन्न परिस्थितियों में सही समय पर सही निर्णय लेने की भी सलाह देने के लिए भी हो सकता है।

इस कहावत में ‘अंधा’ का प्रतीक क्या है?

अंधा’ यहां अक्सर उन लोगों को दर्शाता है जो अपनी समस्याओं का समाधान नहीं ढूंढ पा रहे होते।

क्या यह कहावत जीवन में साझेदारी की महत्वपूर्णता को बताती है?

हाँ, यह कहावत जीवन में साझेदारी की महत्वपूर्णता को समझाती है और दूसरों के साथ मिलकर आगे बढ़ने की सीख देती है।

क्या इस कहावत का अर्थ है कि हमें अपनी कठिनाईयों को दूसरों के साथ साझा करना चाहिए?

हाँ, यह कहावत बताती है कि हमें अपनी कठिनाईयों को दूसरों के साथ साझा करना चाहिए ताकि सहायता मिल सके।

क्या इस कहावत का उपयोग समस्या के हल निकालने के लिए समृद्धि बढ़ाने के लिए किया जा सकता है?

हाँ, इस कहावत का उपयोग समस्या को हल करने के लिए समृद्धि बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।

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