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जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवास, अर्थ, प्रयोग (Jaisa oont lamba, Waisa gadha khawas)

“जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवास” यह एक प्रचलित हिंदी कहावत है, जिसका प्रयोग आमतौर पर तब किया जाता है जब दो समान प्रकार के मूर्ख या अयोग्य व्यक्ति एक साथ आते हैं।

परिचय: इस कहावत का प्रयोग भारतीय समाज में आम है, और यह उन स्थितियों को व्यक्त करती है जहां दो व्यक्ति, जिनकी क्षमताएँ और बुद्धिमत्ता सीमित होती हैं, एक साथ मिल जाते हैं।

अर्थ: कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि जिस प्रकार ऊँट लंबा होता है और गधा खवास (सेवक) होता है, उसी प्रकार जब दो मूर्ख या कम बुद्धि वाले व्यक्ति एक साथ आते हैं, तो उनका संगम और भी हास्यास्पद या निरर्थक होता है।

उपयोग: यह कहावत तब प्रयोग में लाई जाती है जब दो समान रूप से अक्षम या मूर्ख लोग एक साथ कोई कार्य कर रहे होते हैं, और इससे स्थिति और भी बदतर बन जाती है।

उदाहरण:

-> मान लीजिए, दो व्यक्ति जो किसी काम में बिल्कुल भी दक्ष नहीं हैं, वे एक साथ मिलकर वही काम करने की कोशिश करते हैं। नतीजतन, उनका प्रयास व्यर्थ जाता है और वे हास्य का विषय बन जाते हैं। इस स्थिति में यह कहावत प्रयोग में लाई जा सकती है।

समापन: “जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवास” कहावत के माध्यम से यह समझाया जाता है कि जब दो समान प्रकार के अक्षम व्यक्ति एक साथ आते हैं, तो परिणाम अक्सर अनुत्पादक और हास्यास्पद होता है। इस कहावत का उद्देश्य यह दर्शाना है कि किसी भी कार्य को करने से पहले सोच-समझकर और योग्यता के आधार पर निर्णय लेना चाहिए।

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जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवास कहावत पर कहानी:

एक गाँव में दो दोस्त रहते थे, अभय और अनुभव। दोनों ही अपनी-अपनी दुनिया में मस्त और थोड़े भोले-भाले थे। अभय को गाने का शौक था, लेकिन उसकी आवाज बहुत बेसुरी थी। अनुभव को डांस करना पसंद था, पर उसके पैर हमेशा गलत दिशा में चलते थे।

एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला लगा। अभय और अनुभव ने सोचा कि यह मेला उनके प्रतिभा दिखाने का सुनहरा अवसर है। उन्होंने मिलकर एक गीत और नृत्य की प्रस्तुति की योजना बनाई।

मेले के दिन, अभय और अनुभव ने अपनी प्रस्तुति दी। अभय का गाना सुनकर लोगों ने कान बंद कर लिए, और अनुभव का डांस देखकर वे हंसने लगे। उनकी प्रस्तुति गाँव वालों के लिए हास्य का विषय बन गई।

वहाँ खड़े एक बुजुर्ग ने कहा, “यह तो ‘जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवास’ वाली बात हो गई। जब दो अयोग्य लोग एक साथ आते हैं, तो परिणाम ऐसा ही होता है।”

अभय और अनुभव को इस घटना से यह सीख मिली कि केवल उत्साह से काम नहीं चलता, काम करने के लिए कौशल और योग्यता भी जरूरी है। इस कहानी के माध्यम से “जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवास” कहावत का अर्थ स्पष्ट होता है कि जब दो अयोग्य व्यक्ति एक साथ काम करते हैं, तो उनके प्रयासों से अधिकतर हास्यास्पद या निरर्थक परिणाम ही निकलते हैं।

शायरी:

जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवास,

दो मूर्ख मिलें जब, होता बवाल खास।

एक की बेसुरी तान, दूजे का गलत नाच,

संग मिलकर जब चलें, बनता है हास्य का राज।

हर बात में उनकी, दिखती है अजब कहानी,

जैसे दो बिन पतवार की, नाव हो बीच पानी।

जग हंसाई करते हैं, जब ये मिल जाते साथ,

अपनी मस्ती में रहते, बेखबर जग की बात।

इनके किस्से सुनकर, हर कोई यही कहे,

जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवास बने।

 

जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवास शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवास – Jaisa oont lamba, Waisa gadha khawas Proverb:

“जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवास” is a common Hindi proverb typically used when two similarly inept or foolish people come together.

Introduction: This proverb is commonly used in Indian society to describe situations where two individuals with limited abilities and intelligence come together.

Meaning: The literal meaning of the proverb is that just as a camel is tall and a donkey is a servant, similarly, when two foolish or less intelligent people come together, their combination becomes even more ridiculous or meaningless.

Usage: This proverb is employed when two equally incompetent or foolish people work together on a task, and as a result, the situation worsens.

Examples:

-> Suppose two individuals, who are not skilled in any work, try to do a task together. Consequently, their effort turns out to be futile, and they become a subject of ridicule. In this situation, this proverb can be applied.

Conclusion: Through the proverb “Jaisa oont lamba, Waisa gadha khawas,” it is explained that when two similarly incapable individuals come together, the outcome is often unproductive and laughable. The proverb aims to show that before undertaking any task, one should think carefully and make decisions based on competence.

Story of Jaisa oont lamba, Waisa gadha khawas Proverb in English:

In a village, there lived two friends, Abhay and Anubhav, both of whom were carefree and somewhat naive. Abhay was fond of singing, but his voice was very off-key. Anubhav liked to dance, but his feet always moved in the wrong direction.

One day, a big fair was organized in the village. Abhay and Anubhav thought this fair was a golden opportunity to showcase their talents. They planned to perform a song and dance together.

On the day of the fair, Abhay and Anubhav gave their performance. Hearing Abhay’s song, people covered their ears, and seeing Anubhav’s dance, they started laughing. Their performance became a subject of ridicule for the villagers.

An elderly person standing there said, “This is just like the saying ‘जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवास.’ When two inept people come together, this is the result you get.”

From this incident, Abhay and Anubhav learned that mere enthusiasm is not enough; skill and competence are also necessary for accomplishing a task. Through this story, the meaning of the proverb “जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवास” becomes clear: when two incompetent individuals work together, their efforts usually lead to laughable or meaningless outcomes.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

इस कहावत का प्रयोग किस प्रकार की स्थितियों में किया जाता है?

इस कहावत का प्रयोग तब किया जाता है जब हमें यह दर्शाना हो कि छोटे और कमजोर लोग भी किसी कार्य या संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

क्या इस कहावत का उपयोग सामाजिक समरसता में किया जा सकता है?

हाँ, इस कहावत का उपयोग सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने में किया जा सकता है, जिससे हर व्यक्ति की भूमिका को समझा जा सके।

इस कहावत का शिक्षा क्षेत्र में क्या महत्व है?

शिक्षा क्षेत्र में इस कहावत का महत्व है कि यह छात्रों को सिखाती है कि हर व्यक्ति, चाहे उसका स्थान कितना भी छोटा क्यों न हो, महत्वपूर्ण होता है।

इस कहावत का नैतिक शिक्षा में क्या महत्व है?

नैतिक शिक्षा में इस कहावत का महत्व है कि यह हमें सिखाती है कि हर व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए, चाहे वह किसी भी स्थान पर हो।

क्या इस कहावत का उपयोग व्यक्तिगत विकास में किया जा सकता है?

हाँ, इस कहावत का उपयोग व्यक्तिगत विकास में किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति समझ सकता है कि हर किसी की अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

इस कहावत के माध्यम से क्या संदेश मिलता है?

इस कहावत के माध्यम से यह संदेश मिलता है कि हमें हर व्यक्ति के योगदान को समझना और उसकी सराहना करनी चाहिए, चाहे वह किसी भी स्थान पर हो।

हिंदी कहावतों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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