Budhimaan

Home » Kahavaten » उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पै होय, अर्थ, प्रयोग(Uttam vidya lijiye, jadapi neech pei hoy)

उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पै होय, अर्थ, प्रयोग(Uttam vidya lijiye, jadapi neech pei hoy)

परिचय: “उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पै होय” यह कहावत हमें ज्ञान के महत्व और उसके स्रोत की परवाह न करने का संदेश देती है।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि अगर किसी छोटे या नीच स्थान से भी उत्तम विद्या या ज्ञान मिले, तो उसे अवश्य ग्रहण करना चाहिए। ज्ञान की महत्ता उसके स्रोत से नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता से होती है।

उपयोग: यह कहावत तब काम आती है जब हमें यह समझाना होता है कि ज्ञान कहीं से भी प्राप्त हो, उसका मूल्य उसकी उपयोगिता और महत्व में होता है।

उदाहरण:

-> मान लीजिए, एक अनुभवी व्यक्ति को एक युवा से किसी नई तकनीक के बारे में ज्ञान मिलता है। यहां, युवा का स्थान नीच माना जा सकता है, लेकिन ज्ञान उत्तम है।

समापन: “उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पै होय” कहावत हमें सिखाती है कि ज्ञान की प्राप्ति के लिए किसी भी आयु या स्थान का विचार नहीं करना चाहिए। ज्ञान का मूल्य उसकी उपयोगिता और सार्थकता में है, न कि उसके स्रोत में। इसलिए, हमें हमेशा खुले दिमाग से ज्ञान ग्रहण करने की आदत डालनी चाहिए।

इस पोस्ट के माध्यम से उपरोक्त कहावत का सारगर्भित विवेचन किया गया है, जो पाठकों को ज्ञान के प्रति एक खुले और समावेशी दृष्टिकोण की ओर प्रेरित करता है।

Hindi Muhavare Quiz

उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पै होय कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में प्रेमचंद्र नामक एक बुजुर्ग विद्वान रहते थे। उन्हें गाँव में सबसे ज्यादा ज्ञानी माना जाता था। एक दिन गाँव में एक युवा लड़का आया, जिसका नाम था अनुभव। अनुभव बहुत ही सामान्य परिवार से था, लेकिन उसे प्राचीन ग्रंथों का गहरा ज्ञान था।

प्रेमचंद्र ने जब अनुभव को गाँव के बच्चों को शिक्षा देते हुए देखा, तो वे आश्चर्यचकित हुए। उन्होंने सोचा, यह युवा लड़का इतना ज्ञान कैसे रख सकता है? लेकिन जब उन्होंने अनुभव के विचारों को सुना, तो वे प्रभावित हो गए। प्रेमचंद्र ने अपनी सोच बदल ली और अनुभव से ज्ञान प्राप्त करने लगे।

एक दिन, गाँव में एक बड़ा समारोह हुआ, जहां प्रेमचंद्र को आदर से बुलाया गया। जब उनसे ज्ञान की बातें पूछी गईं, तो उन्होंने कहा, “मैंने जो ज्ञान प्राप्त किया है, वह अनुभव से ही मिला है। ‘उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पै होय’। हमें किसी के छोटे होने या बड़े होने पर नहीं, बल्कि ज्ञान की महत्ता पर ध्यान देना चाहिए।”

इस घटना से गाँववालों ने भी यह सीखा कि ज्ञान का कोई उम्र या स्थान नहीं होता। वे सभी अनुभव की इज्जत करने लगे और उससे ज्ञान प्राप्त करने लगे।


इस कहानी के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती और हमें हर जगह से सीखने की कोशिश करनी चाहिए, चाहे वह ज्ञान किसी भी उम्र या सामाजिक स्थान से आए।

शायरी:

ज्ञान की बातें हों चाहे किसी भी जुबां में,

उठाओ पन्ने जिंदगी के, हर इक कहानी में।

छोटे-बड़े का भेद नहीं, ज्ञान की राह में,

जिसके पास हो ज्ञान, वही बने मेरी पनाह में।

उम्र का तकाज़ा नहीं, ज्ञान में जो बहता है,

वो ज्ञानी है जो अपने शब्दों में जिंदगी कहता है।

उत्तम विद्या जो मिले, चाहे जिस डगर से,

उसे अपनाओ दिल से, चाहे आए वो मजदूर या नगर से।

ज्ञान की बारिश में भीगो, चाहे आए वो कहीं से,

जिंदगी के स्कूल में हर पल है नई सीख यहीं से।

 

उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पै होय शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पै होय – Uttam vidya lijiye, jadapi neech pei hoy Proverb:

Introduction: The Hindi proverb “Uttam vidya lijiye, jadapi neech pei hoy” conveys the message about the importance of knowledge and not being concerned about its source.

Meaning: This proverb means that if excellent knowledge or wisdom is available from a lesser or humble source, it should definitely be embraced. The significance of knowledge lies not in its source but in its quality.

Usage: This proverb is used to explain that the value of knowledge lies in its utility and importance, regardless of where it comes from.

Examples:

-> For instance, an experienced person gains knowledge about a new technology from a youngster. Here, the youngster’s position might be considered lower, but the knowledge is valuable.

Conclusion: The proverb “Uttam vidya lijiye, jadapi neech pei hoy” teaches us not to consider age or status in acquiring knowledge. The value of knowledge is in its usefulness and relevance, not in its origin. Therefore, we should always cultivate the habit of receiving knowledge with an open mind.

This post provides a detailed discussion of the aforementioned proverb, encouraging readers to adopt an open and inclusive perspective towards knowledge.

Story of Uttam vidya lijiye, jadapi neech pei hoy Proverb in English:

In a small village, there lived an elderly scholar named Premchandra, who was regarded as the most knowledgeable in the village. One day, a young boy named Anubhav arrived in the village. Anubhav, from a very ordinary family, possessed deep knowledge of ancient scriptures.

When Premchandra saw Anubhav teaching the village children, he was astonished. He wondered how such a young boy could possess so much knowledge. However, upon hearing Anubhav’s thoughts, he was impressed. Premchandra changed his mindset and began to acquire knowledge from Anubhav.

During a grand ceremony in the village, where Premchandra was respectfully invited, he was asked about his wisdom. He replied, “The knowledge I have acquired is from Anubhav. ‘उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पै होय’. We should focus on the importance of knowledge, not on the age or status of the person imparting it.”

This incident taught the villagers that knowledge has no age or place. They all began to respect Anubhav and sought knowledge from him.

This story teaches us that knowledge knows no bounds and we should always strive to learn, regardless of the age or social status of the source of knowledge.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या यह कहावत हमें यह सिखाती है कि शिक्षा का मूल्य क्यों है?

हाँ, यह कहावत हमें यह बताती है कि शिक्षा हमें ऊचे स्तर पर ले जा सकती है, चाहे हमारी स्थिति जैसी भी हो।

क्या यह मुख्य रूप से व्यक्तिगत उन्नति पर बल देती है?

हाँ, इसका मुख्य संदेश है कि अगर हम प्रयासशील हैं और उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं, तो हम नीचे की स्थिति से ऊपर उठ सकते हैं।

क्या यह कहावत यह बताती है कि अच्छा ज्ञान किसी भी परिस्थिति में उपयुक्त है?

हाँ, यह कहावत हमें यह सिखाती है कि उच्च ज्ञान हमें हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है

क्या इसका अर्थ है कि यदि कोई नीचे है, तो वह उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकता?

नहीं, इसका मतलब यह नहीं है कि नीचे होने वाले को उच्च शिक्षा का अधिकार नहीं है, बल्कि यह बताती है कि उच्च शिक्षा से व्यक्ति उच्च स्थान पर पहुंच सकता है।

क्या इसका अर्थ है कि शिक्षा सभी को समान रूप से उपलब्ध होनी चाहिए?

हाँ, यह कहावत हमें यह बताती है कि शिक्षा सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध होनी चाहिए, चाहे उनकी स्थिति जैसी भी हो।

हिंदी कहावतों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

टिप्पणी करे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Budhimaan Team

Budhimaan Team

हर एक लेख बुधिमान की अनुभवी और समर्पित टीम द्वारा सोख समझकर और विस्तार से लिखा और समीक्षित किया जाता है। हमारी टीम में शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ और अनुभवी शिक्षक शामिल हैं, जिन्होंने विद्यार्थियों को शिक्षा देने में वर्षों का समय बिताया है। हम सुनिश्चित करते हैं कि आपको हमेशा सटीक, विश्वसनीय और उपयोगी जानकारी मिले।

संबंधित पोस्ट

"गुरु और शिष्य की अद्भुत कहानी", "गुरु गुड़ से चेला शक्कर की यात्रा", "Budhimaan.com पर गुरु-शिष्य की प्रेरणादायक कहानी", "हिन्दी मुहावरे का विश्लेषण और अर्थ"
Hindi Muhavare

गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया अर्थ, प्रयोग (Guru gud hi raha, chela shakkar ho gya)

परिचय: “गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया” यह हिन्दी मुहावरा शिक्षा और गुरु-शिष्य के संबंधों की गहराई को दर्शाता है। यह बताता है

Read More »
"गुड़ और मक्खियों का चित्रण", "सफलता के प्रतीक के रूप में गुड़", "Budhimaan.com पर मुहावरे का सार", "ईर्ष्या को दर्शाती तस्वीर"
Hindi Muhavare

गुड़ होगा तो मक्खियाँ भी आएँगी अर्थ, प्रयोग (Gud hoga to makkhiyan bhi aayengi)

परिचय: “गुड़ होगा तो मक्खियाँ भी आएँगी” यह हिन्दी मुहावरा जीवन के एक महत्वपूर्ण सत्य को उजागर करता है। यह व्यक्त करता है कि जहाँ

Read More »
"गुरु से कपट मित्र से चोरी मुहावरे का चित्रण", "नैतिकता और चरित्र की शुद्धता की कहानी", "Budhimaan.com पर नैतिकता की महत्वता", "हिन्दी साहित्य में नैतिक शिक्षा"
Hindi Muhavare

गुरु से कपट मित्र से चोरी या हो निर्धन या हो कोढ़ी अर्थ, प्रयोग (Guru se kapat mitra se chori ya ho nirdhan ya ho kodhi)

परिचय: “गुरु से कपट, मित्र से चोरी, या हो निर्धन, या हो कोढ़ी” यह हिन्दी मुहावरा नैतिकता और चरित्र की शुद्धता पर जोर देता है।

Read More »
"गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे मुहावरे का चित्रण", "मानवीय संवेदनशीलता को दर्शाती छवि", "Budhimaan.com पर सहयोग की भावना", "हिन्दी मुहावरे का विश्लेषण"
Hindi Muhavare

गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे अर्थ, प्रयोग (Gud na de to gud ki-si baat to kare)

परिचय: “गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे” यह हिन्दी मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करता है जब कोई व्यक्ति यदि किसी चीज़

Read More »
"गुड़ खाय गुलगुले से परहेज मुहावरे का चित्रण", "हिन्दी विरोधाभासी व्यवहार इमेज", "Budhimaan.com पर मुहावरे की समझ", "जीवन से सीखने के लिए मुहावरे का उपयोग"
Hindi Muhavare

गुड़ खाय गुलगुले से परहेज अर्थ, प्रयोग (Gud khaye gulgule se parhej)

परिचय: “गुड़ खाय गुलगुले से परहेज” यह हिन्दी मुहावरा उन परिस्थितियों का वर्णन करता है जहां व्यक्ति एक विशेष प्रकार की चीज़ का सेवन करता

Read More »
"खूब मिलाई जोड़ी इडियम का चित्रण", "हिन्दी मुहावरे एक अंधा एक कोढ़ी का अर्थ", "जीवन की शिक्षा देते मुहावरे", "Budhimaan.com पर प्रकाशित मुहावरे की व्याख्या"
Hindi Muhavare

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी अर्थ, प्रयोग (Khoob milai jodi, Ek andha ek kodhi)

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी, यह एक प्रसिद्ध हिन्दी मुहावरा है जिसका प्रयोग अक्सर उन परिस्थितियों में किया जाता है जहां दो व्यक्ति

Read More »

आजमाएं अपना ज्ञान!​

बुद्धिमान की इंटरैक्टिव क्विज़ श्रृंखला, शैक्षिक विशेषज्ञों के सहयोग से बनाई गई, आपको भारत के इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने ज्ञान को जांचने का अवसर देती है। पता लगाएं कि आप भारत की विविधता और समृद्धि को कितना समझते हैं।