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उतावला सो बावला, धीरा सो गंभीरा अर्थ, प्रयोग (Utawala so bawla, Dhira so gambhira)

“उतावला सो बावला, धीरा सो गंभीरा” एक प्रसिद्ध हिंदी कहावत है, जिसका उपयोग आमतौर पर व्यक्ति की जल्दबाजी और शांत चित्त व्यवहार की तुलना करने के लिए किया जाता है।

परिचय: “उतावला सो बावला, धीरा सो गंभीरा” यह कहावत हमें यह सिखाती है कि जल्दबाजी में किए गए काम अक्सर गलत होते हैं और विचार-विमर्श करके किए गए निर्णय हमेशा उत्तम होते हैं।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि जो व्यक्ति उतावला होता है, वह अक्सर अविचारी और असंयमित होता है, जबकि जो व्यक्ति धैर्यवान होता है, वह गंभीर और सोच-समझकर काम करने वाला होता है।

प्रयोग: इस कहावत का प्रयोग उन परिस्थितियों में किया जाता है जहां किसी को यह समझाना हो कि जल्दबाजी में किए गए निर्णय या काम अक्सर गलत होते हैं।

उदाहरण:

मान लीजिए एक छात्र परीक्षा की तैयारी के लिए अंतिम समय पर पढ़ाई करता है और परीक्षा में अच्छे अंक नहीं ला पाता। इस स्थिति में कहा जा सकता है कि “उतावला सो बावला, धीरा सो गंभीरा”।

निष्कर्ष: इस कहावत का महत्व यह है कि यह हमें धैर्य और सोच-समझकर काम करने की महत्वता को समझाती है। यह हमें बताती है कि जीवन में धैर्य और संयमित व्यवहार हमेशा लाभप्रद होता है। इसलिए, हमें हर काम में जल्दबाजी करने के बजाय धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए।

Hindi Muhavare Quiz

उतावला सो बावला, धीरा सो गंभीरा कहावत पर कहानी:

एक बार की बात है, एक गाँव में दो भाई अनुभव और अभय रहते थे। अनुभव हमेशा उतावला रहता था और अभय बहुत धीर-गंभीर था। दोनों खेती का काम करते थे।

एक बार फसल की बुआई का समय आया। अनुभव ने जल्दी-जल्दी में बिना मौसम और मिट्टी की सही जानकारी लिए बीज बो दिए। उसने सोचा कि जल्दी बोएगा तो जल्दी ही फसल भी आ जाएगी। उधर, अभय ने पहले मौसम की जानकारी ली, मिट्टी की जांच की, और फिर सोच-समझकर बीज बोए।

कुछ महीनों बाद फसल का समय आया। अनुभव की फसल अच्छी नहीं हुई क्योंकि उसने उतावलेपन में सही तरीके से बीज नहीं बोए थे। वहीं, अभय की फसल बहुत अच्छी हुई और उसने अच्छा मुनाफा कमाया।

अनुभव को तब समझ में आया कि “उतावला सो बावला, धीरा सो गंभीरा”। उसे एहसास हुआ कि जल्दबाजी में किए गए काम अक्सर गलत होते हैं और धैर्य एवं सोच-समझकर किया गया काम हमेशा बेहतर परिणाम देता है।

इस घटना के बाद अनुभव ने अपने आचरण में बदलाव किया और धीरज से काम लेने लगा। और इस तरह, दोनों भाइयों ने इस कहावत का सही अर्थ समझा और अपने जीवन में उतारा।

शायरी:

जल्दबाजी में जो चलते हैं, अक्सर राह में खो जाते हैं,

“उतावला सो बावला”, यह सबक जीवन में सिखाते हैं।

धीरज की चादर ओढ़, जो गंभीरता से बढ़ते हैं,

“धीरा सो गंभीरा”, उनके कदम नहीं लड़खड़ाते हैं।

उतावलेपन में अक्सर, इंसान गलतियाँ कर बैठता है,

धीरज में ही छुपा, वो राज जो सफलता के रास्ते खोलता है।

जो थाम लेते हैं धैर्य को, वही तो जीत की बाजी मारते हैं,

उतावलेपन के बादलों से निकल, वे सूरज की तरह चमकते हैं।

हर उतावला कदम, अक्सर गिरावट की ओर ले जाता है,

पर धीरज से चलने वाला, हमेशा आसमान छू पाता है।

इसलिए कहते हैं, धीरज से ही बड़े काम होते हैं,

“उतावला सो बावला, धीरा सो गंभीरा”, ये सबक हमें सिखाते हैं।

 

उतावला सो बावला, धीरा सो गंभीरा शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of उतावला सो बावला, धीरा सो गंभीरा – Utawala so bawla, Dhira so gambhira Proverb:

“उतावला सो बावला, धीरा सो गंभीरा” is a famous Hindi proverb commonly used to compare impulsive behavior with calm and composed conduct.

Introduction: The proverb “उतावला सो बावला, धीरा सो गंभीरा” teaches us that actions done in haste often result in mistakes, whereas decisions made after thoughtful deliberation are always better.

Meaning: The meaning of this proverb is that a person who is hasty tends to be thoughtless and impulsive, while a patient person is serious and deliberate in their actions.

Usage: This proverb is used in situations where it is necessary to explain that decisions or actions made in haste are often wrong.

Example:

For instance, consider a student who starts studying for an exam at the last minute and fails to achieve good grades. In this situation, it can be said, “उतावला सो बावला, धीरा सो गंभीरा”.

Conclusion: The importance of this proverb is that it teaches us the significance of patience and thoughtful action. It tells us that patience and a measured approach in life are always beneficial. Therefore, we should exercise patience and wisdom in all our actions instead of rushing through them.

Story of ‌‌Utawala so bawla, Dhira so gambhira Proverb in English:

Once upon a time, in a village, there lived two brothers, Anubhav and Abhay. Anubhav was always hasty, while Abhay was calm and composed. Both were involved in farming.

When the time came for sowing the crop, Anubhav hastily sowed the seeds without proper knowledge of the season and soil. He thought that sowing early would yield an early harvest. On the other hand, Abhay first gathered information about the season, tested the soil, and then sowed the seeds thoughtfully.

Months later, when the crops were ready, Anubhav’s harvest was not good because he had sown the seeds hastily without proper care. Meanwhile, Abhay’s crop turned out to be excellent, and he earned a good profit.

It was then that Anubhav realized the meaning of “उतावला सो बावला, धीरा सो गंभीरा” (The hasty acts foolishly, the patient acts wisely). He understood that work done in haste often leads to mistakes, whereas patience and thoughtful actions always yield better results.

After this incident, Anubhav changed his behavior and started to work patiently. Thus, both brothers learned the true meaning of this proverb and applied it in their lives.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

इस कहावत का उपयोग किन परिस्थितियों में किया जा सकता है?

इस कहावत का उपयोग उन परिस्थितियों में किया जा सकता है जहाँ धैर्य और सोच-समझकर कार्य करने की आवश्यकता हो।

क्या इस कहावत का संबंध केवल व्यक्तिगत विकास से है?

नहीं, यह कहावत व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ समूह और सामाजिक संदर्भों में भी लागू होती है।

इस कहावत को व्यावहारिक जीवन में कैसे लागू किया जा सकता है?

इसे व्यावहारिक जीवन में लागू करने के लिए, हमें धैर्य और सोच-समझकर काम करने की आवश्यकता को समझना होगा और अपने निर्णयों में इसे अपनाना होगा।

इस कहावत का विद्यालय और शिक्षा में क्या योगदान है?

विद्यालय और शिक्षा में यह कहावत छात्रों को धैर्य और सोच-समझकर कार्य करने की आवश्यकता को समझाने में मदद करती है, ताकि वे बेहतर निर्णय ले सकें और सफलता प्राप्त कर सकें।

क्या इस कहावत का आधुनिक समय में भी महत्व है?

हां, आधुनिक समय में भी इस कहावत का बहुत महत्व है, विशेषकर तेज़ी से बदलते परिवेश में जहां धैर्य और सोच-समझ कर काम करने की बहुत आवश्यकता होती है।

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