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उसी की जूती उसी का सिर, अर्थ, प्रयोग (Usi ki Jooti usi ka sir)

परिचय: “उसी की जूती उसी का सिर” एक प्रचलित हिंदी कहावत है, जो धोखाधड़ी या चालाकी के खिलाफ एक मजबूत संदेश देती है।

अर्थ: इस कहावत का मूल अर्थ यह है कि जब कोई व्यक्ति दूसरों को धोखा देने की कोशिश करता है, तो अक्सर वह खुद ही उस धोखे का शिकार हो जाता है। यह बताती है कि अपने ही जाल में फंसने का खतरा होता है।

उपयोग: यह कहावत तब प्रयोग में लाई जाती है जब किसी को यह समझाना होता है कि दूसरों को धोखा देना अंततः स्वयं के लिए हानिकारक होता है।

उदाहरण:

-> मान लीजिए, एक व्यापारी ने अपने प्रतिस्पर्धी को नुकसान पहुंचाने के लिए एक चाल चली, लेकिन अंत में उसी चाल के कारण उसका व्यापार नुकसान में चला गया। इस स्थिति में कहा जा सकता है, “उसी की जूती उसी का सिर।”

समापन: “उसी की जूती उसी का सिर” कहावत हमें सिखाती है कि धोखाधड़ी या चालाकी आखिरकार खुद को ही नुकसान पहुंचाती है। यह हमें प्रेरित करती है कि हमें सदैव सत्य और ईमानदारी के पथ पर चलना चाहिए और दूसरों के साथ धोखाधड़ी से बचना चाहिए।

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उसी की जूती उसी का सिर कहावत पर कहानी:

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में प्रेमचंद्र नाम का एक चालाक व्यापारी रहता था। प्रेमचंद्र हमेशा दूसरों को चकमा देकर अपने व्यापार में लाभ कमाने की कोशिश करता।

गाँव में एक और व्यापारी था, सुरेंद्र, जो बहुत ही ईमानदार और सज्जन था। प्रेमचंद्र ने सुरेंद्र को नीचा दिखाने और उसके ग्राहकों को अपने पास खींचने के लिए एक चाल चली। उसने गाँववालों में फैलाया कि सुरेंद्र के उत्पाद नकली और घटिया होते हैं।

शुरुआत में तो प्रेमचंद्र की यह चाल कामयाब हुई और उसके व्यापार में इजाफा होने लगा। लेकिन, एक दिन प्रेमचंद्र के एक ग्राहक ने उसके उत्पादों में गड़बड़ी पाई और उसकी शिकायत पूरे गाँव में फैल गई। इससे प्रेमचंद्र की सारी चालाकियाँ सामने आ गईं और उसके व्यापार पर भारी असर पड़ा।

अंत में, प्रेमचंद्र को समझ आया कि उसने जो बोया था, वही काट रहा है। गाँववालों ने भी प्रेमचंद्र के बारे में सोचना बदल दिया और सुरेंद्र की ईमानदारी की प्रशंसा की। प्रेमचंद्र ने इस घटना से सीख ली और फिर कभी धोखाधड़ी का सहारा नहीं लिया।

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि “उसी की जूती उसी का सिर” – यानी जो दूसरों के साथ धोखाधड़ी करता है, वह अंत में खुद ही उसका शिकार बनता है। ईमानदारी और सत्यनिष्ठा ही जीवन का सही मार्ग है।

शायरी:

चालाकी से जो बोया जाता है, वही अंत में खुद को घेर लेता है,

“उसी की जूती उसी का सिर” कहता है जीवन का सफर।

धोखे की राहों पर चलकर, क्या मिलता है इंसान को,

अंत में अपने ही जाल में, फंसता है वो बेजान सो।

जिस बाग में धोखे की कलियाँ, वहां खुशबू नहीं आती,

जिन हाथों से छल किया, वही हाथ कभी नहीं मुस्काती।

सीख लें हम इस कहावत से, जीवन की राह में,

ईमानदारी से चलें हमेशा, बने रहें सच्चाई के साथ में।

जीवन की इस रंगीन बाज़ी में, जब खुद से खेला जाता है,

“उसी की जूती उसी का सिर”, यही सच्चाई बताता है।

 

उसी की जूती उसी का सिर शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of उसी की जूती उसी का सिर – Usi ki Jooti usi ka sir Proverb:

Introduction: “Usi ki Jooti usi ka sir” is a popular Hindi proverb that conveys a strong message against deceit and cunning.

Meaning: The core meaning of this proverb is that when a person attempts to deceive others, they often end up being victimized by their own deceit. It signifies the risk of being ensnared in one’s own trap.

Usage: This proverb is used to explain that deceiving others ultimately harms oneself.

Examples:

-> For instance, a businessman who plotted against his competitor to cause harm, ended up facing losses in his own business due to that very plot. In this situation, one might say, “Usi ki Jooti usi ka sir.”

Conclusion: The proverb “Usi ki Jooti usi ka sir” teaches us that deceit or cunning ultimately harms the perpetrator. It encourages us to always follow the path of truth and honesty and to avoid deceitful practices with others.

Story of Usi ki Jooti usi ka sir Proverb in English:

Introduction:

“उसी की जूती उसी का सिर” is a well-known Hindi proverb that serves as a caution against deceit and cunningness.

Meaning:

The proverb essentially means that when a person tries to deceive others, they often end up being victimized by their own deceit. It illustrates the risk of falling into one’s own trap.

Story:

Once in a small village lived a cunning merchant named Premchandra. Premchandra always tried to profit in his business by deceiving others. Another merchant in the village, Surendra, was very honest and kind. Premchandra, wanting to undermine Surendra and attract his customers, spread rumors that Surendra’s products were fake and of poor quality.

Initially, Premchandra’s scheme worked, and his business began to flourish. However, one day, a customer discovered a flaw in Premchandra’s products, and the complaint spread throughout the village. This exposed all of Premchandra’s deceits, significantly impacting his business.

Eventually, Premchandra realized that he was reaping what he had sown. The villagers changed their opinion about him and praised Surendra’s honesty. Premchandra learned from this incident and never resorted to deceit again.

Conclusion:

This story teaches us the meaning of “उसी की जूती उसी का सिर” – whoever deceives others ultimately becomes a victim of their own deceit. Honesty and integrity are the right paths in life.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

क्या इस कहावत में नैतिक शिक्षा निहित है?

हां, इस कहावत में नैतिक शिक्षा निहित है कि व्यक्ति को अपने कर्मों के परिणामों के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए।

इस कहावत का समकालीन समाज पर क्या प्रभाव है?

समकालीन समाज में यह कहावत लोगों को अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेने और गलतियों से सीखने की प्रेरणा देती है।

यह कहावत किस प्रकार के व्यवहार को दर्शाती है?

यह कहावत ऐसे व्यवहार को दर्शाती है जहां व्यक्ति को अपने गलत कामों के लिए खुद ही दंड भोगना पड़ता है।

इस कहावत का बच्चों को शिक्षा देने में क्या महत्व है?

बच्चों को शिक्षा देने में इस कहावत का महत्व यह है कि इससे बच्चों को अपने कार्यों के प्रति जिम्मेदार बनने का संदेश मिलता है।

यह कहावत किन परिस्थितियों में उपयुक्त नहीं होती?

जब किसी व्यक्ति को उसके अपराध के लिए अनुचित रूप से दंडित किया जाता है या जब परिस्थितियां उसके नियंत्रण से बाहर होती हैं, तब यह कहावत उपयुक्त नहीं होती।

इस कहावत का नैतिक और सामाजिक संदर्भ क्या है?

नैतिक और सामाजिक संदर्भ में, इस कहावत का अर्थ है कि समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अपने कार्यों के लिए जवाबदेह होना चाहिए और गलतियों की सजा उन्हें ही भुगतनी चाहिए।

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