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टेर-टेर के रोवे, अपनी लाज खोवे, अर्थ, प्रयोग (Ter-ter ke rove, Apni laj khove)

“टेर-टेर के रोवे, अपनी लाज खोवे” यह हिंदी कहावत व्यक्तिगत समस्याओं को बार-बार और सबके सामने व्यक्त करने के परिणामों को दर्शाती है। इस कहावत के माध्यम से, हम समझते हैं कि अपनी समस्याओं को हर किसी के सामने जाहिर करना कैसे व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को कम कर सकता है।

परिचय: इस कहावत में, ‘टेर-टेर के रोना’ का अर्थ है बार-बार और हर जगह अपनी समस्याओं को व्यक्त करना, और ‘अपनी लाज खोना’ का अर्थ है अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा या सम्मान को खो देना।

अर्थ: कहावत का तात्पर्य यह है कि जो व्यक्ति अपनी समस्याओं को हर किसी के सामने लगातार प्रकट करता है, वह अंततः अपनी विश्वसनीयता और सम्मान खो देता है।

उपयोग: इस कहावत का प्रयोग व्यक्तिगत समस्याओं को सार्वजनिक रूप से बार-बार बताने की प्रवृत्ति और इसके नकारात्मक परिणामों को समझाने के लिए किया जाता है।

उदाहरण:

-> मान लीजिए, एक व्यापारी जो बार-बार अपने व्यापार में हुए नुकसान की बात हर किसी से करता है, लोग उसके प्रति सहानुभूति की बजाय अविश्वास और उपेक्षा का भाव रखने लगते हैं।

समापन: यह कहावत हमें यह सिखाती है कि अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को सबके सामने बार-बार बताने से न केवल व्यक्ति अपना सम्मान खोता है, बल्कि उसकी विश्वसनीयता पर भी प्रश्न उठता है। इसलिए, व्यक्तिगत समस्याओं को विवेकपूर्ण तरीके से साझा करना और उन्हें निजी रखना महत्वपूर्ण है।

Hindi Muhavare Quiz

टेर-टेर के रोवे, अपनी लाज खोवे कहावत पर कहानी:

एक छोटे से शहर में अभय नाम का एक व्यापारी रहता था। अभय ने हाल ही में अपने व्यवसाय में कुछ नुकसान उठाया था। वह इस बात को लेकर बहुत परेशान था और हर जगह, चाहे वह सामाजिक सभाएँ हों या दोस्तों के साथ बैठकें, वह अपने नुकसान की कहानी सबको सुनाता रहता।

शुरू में तो लोग उसे सहानुभूति दिखाते और उसकी मदद करने की कोशिश करते, लेकिन जब उसने बार-बार और हर जगह यही राग अलापना शुरू किया, तो लोग उससे ऊबने लगे। उन्हें लगने लगा कि अभय सिर्फ ध्यान खींचने और सहानुभूति पाने के लिए ऐसा कर रहा है।

“टेर-टेर के रोवे, अपनी लाज खोवे” – यह कहावत अभय की स्थिति पर बिल्कुल सटीक बैठती थी। उसकी बातों में अब लोगों को विश्वास नहीं रहा और उसका सम्मान भी कम होने लगा। धीरे-धीरे, अभय को भी यह एहसास हो गया कि उसकी इस आदत ने उसकी व्यक्तिगत और व्यावसायिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाया है।

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि व्यक्तिगत समस्याओं को बार-बार सबके सामने रखने से उसकी गंभीरता कम हो जाती है और इससे व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा पर भी असर पड़ता है। अपनी समस्याओं को समझदारी से और विवेकपूर्ण तरीके से साझा करना महत्वपूर्ण होता है।

शायरी:

टेर-टेर के रोवे, अपनी लाज खोवे,
हर दर्द को बाहर लाने से, क्या पावे?

जिसने दर्द को छुपाया, वही समझदार कहलाया,
जो बात-बात पर रोया, उसने अपनी ही कदर खोया।

गम की गलियों में आवाज ना दो,
दुनिया को हर जख्म की खबर ना दो।

दिल के दर्द को दिल में ही रखो,
अपने गम को यूँ सरेआम ना बखो।

जो दर्द को आँखों में छुपा ले,
वही इस जहान में सच्चा खिलाड़ी कहलाए।

 

टेर-टेर के रोवे, अपनी लाज खोवे शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of टेर-टेर के रोवे, अपनी लाज खोवे – Ter-ter ke rove, Apni laj khove Proverb:

The Hindi proverb “Ter-ter ke rove, Apni laj khove” illustrates the consequences of repeatedly and publicly expressing personal problems. Through this proverb, we understand how showcasing one’s issues to everyone can diminish personal reputation and credibility.

Introduction: In this proverb, ‘crying out repeatedly (टेर-टेर के रोना)’ means to express one’s problems everywhere, and ‘losing one’s dignity (अपनी लाज खोना)’ refers to losing social respect or honor.

Meaning: The essence of the proverb is that a person who constantly reveals their problems to everyone eventually loses their credibility and respect.

Usage: This proverb is used to describe the tendency of people to repeatedly make their personal issues public and the negative consequences that follow.

Examples:

-> Imagine a businessman who constantly talks about his business losses to everyone. Instead of sympathy, people begin to feel distrust and disregard towards him.

Conclusion: This proverb teaches us that repeatedly sharing personal problems publicly not only causes a person to lose respect but also raises questions about their credibility. Therefore, it is important to share personal issues discreetly and keep them private.

Story of Ter-ter ke rove, Apni laj khove Proverb in English:

In a small town, there lived two merchants named Vikas and Abhay. Vikas’s business was in competition with Abhay’s father, and there was a business rivalry between the two. However, the relationship between Abhay and Vikas was quite different.

Abhay, who had come to assist his father in business, developed a personal relationship with Vikas. The two young businessmen shared several common interests, and their friendship was growing stronger day by day.

In Vikas’s heart, the business animosity he held was towards Abhay’s father, not towards Abhay. Vikas once said, “Though I have business enmity with Abhay’s father, my relationship with Abhay is different. ‘Baap se bair, poot se sagai.'”

This story teaches us that relationships are often paradoxical, and different relationships can exist with various members of the same family. The proverb also tells us that each relationship has its own importance and feelings towards one person should not extend to another.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

क्या इस कहावत का शाब्दिक अर्थ लिया जाता है?

इस कहावत का उपयोग प्रतीकात्मक रूप में होता है, और इसका शाब्दिक अर्थ नहीं लिया जाता। यह व्यक्ति की गरिमा के नुकसान के बारे में बात करती है।

“टेर-टेर के रोवे, अपनी लाज खोवे” कहावत का महत्व क्या है?

इस कहावत का महत्व यह है कि यह हमें यह सिखाती है कि लगातार शिकायत करने से हम अपनी गरिमा खो सकते हैं और हमें समस्याओं का सामना संयम और समझदारी से करना चाहिए।

इस कहावत का उपयोग समाज में कैसे किया जा सकता है?

समाज में इस कहावत का उपयोग लोगों को यह सिखाने के लिए किया जा सकता है कि अत्यधिक विलाप या शिकायत से उनकी गरिमा पर प्रभाव पड़ सकता है और इससे बचना चाहिए।

क्या इस कहावत का शिक्षाप्रद महत्व है?

हां, इस कहावत का शिक्षाप्रद महत्व यह है कि यह हमें यह सिखाती है कि संयम रखना और अपनी समस्याओं का समाधान ढूँढना बेहतर है बजाय उन्हें बार-बार दोहराने के।

इस कहावत का विद्यालय और शिक्षा में क्या उपयोग हो सकता है?

विद्यालय और शिक्षा में इस कहावत का उपयोग छात्रों को आत्म-सम्मान के महत्व और चुनौतियों का सामना करने की उचित तरीकों को समझाने में किया जा सकता है।

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