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टंटा विष की बेल है, अर्थ, प्रयोग(Tanta vish ki bel hai)

परिचय: “टंटा विष की बेल है” एक प्रचलित हिंदी कहावत है, जो झगड़ों और विवादों के नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डालती है।

अर्थ: इस कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि झगड़े या विवाद विष की बेल के समान हैं, जो जहरीले होते हैं और जिनका अंततः हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यह कहावत यह भी बताती है कि विवाद से किसी को भी लाभ नहीं होता, बल्कि इससे सिर्फ नुकसान ही होता है।

उपयोग: यह कहावत तब प्रयोग की जाती है जब किसी झगड़े या विवाद के दीर्घकालिक और विनाशकारी परिणामों पर चर्चा करनी हो।

उदाहरण:

-> मान लीजिए, दो पड़ोसियों के बीच छोटी सी बात को लेकर विवाद हो जाता है, जिससे उनके बीच दुश्मनी पनपने लगती है। इससे न केवल उन दोनों के बीच तनाव बढ़ता है, बल्कि उनके परिवारों और समुदाय पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस स्थिति में “टंटा विष की बेल है” कहावत उपयुक्त होती है।

समापन: “टंटा विष की बेल है” कहावत हमें यह सिखाती है कि विवाद और झगड़ों से बचना चाहिए, क्योंकि इनका परिणाम अक्सर हानिकारक होता है। यह हमें शांति और सौहार्द की ओर प्रेरित करती है, और यह दर्शाती है कि समझौता और सहयोग ही दीर्घकालिक संबंधों और सामुदायिक सद्भाव का आधार है।

Hindi Muhavare Quiz

टंटा विष की बेल है कहावत पर कहानी:

एक छोटे गाँव में विकास और सुरेंद्र नाम के दो पड़ोसी रहते थे। दोनों के बीच पहले से ही छोटी-मोटी नोंक-झोंक होती रहती थी, लेकिन एक दिन उनके बीच का विवाद एक बड़े झगड़े में बदल गया।

सुरेंद्र ने अपने घर के सामने एक नया पेड़ लगाया, जिसकी छाया विकास के घर की ओर आती थी। विकास को यह बात नागवार गुज़री और उन्होंने सुरेंद्र से उस पेड़ को हटाने के लिए कहा। सुरेंद्र ने इनकार कर दिया, जिससे विकास क्रोधित हो गए और उन्होंने उस पेड़ को काटने की धमकी दे दी।

इस घटना ने दोनों के बीच तनाव को बढ़ा दिया। दिन-रात उनके बीच कहासुनी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा। इस झगड़े ने न केवल उनके आपसी संबंधों को खराब किया, बल्कि गाँव के शांत वातावरण को भी प्रभावित किया।

एक दिन, गाँव के बुजुर्गों ने इस विवाद को सुलझाने की पहल की। उन्होंने विकास और सुरेंद्र को समझाया कि उनका झगड़ा “टंटा विष की बेल है” और इससे किसी को भी लाभ नहीं होगा। उन्होंने उन्हें बताया कि इससे उनका अपना ही नुकसान होगा।

बुजुर्गों की सलाह से प्रेरित होकर, विकास और सुरेंद्र ने अपने मतभेदों को दूर करने का निर्णय लिया। उन्होंने समझा कि आपसी समझ और सहयोग से ही सच्ची खुशी और शांति मिलती है।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि झगड़े और विवाद से सिर्फ हानि ही होती है। आपसी समझ और संवाद से ही समस्याओं का समाधान संभव है और यही वास्तविक समाज की नींव है।

शायरी:

विवाद की बेल में, खो जाता है चैन,

झगड़े का जहर, सबको बनाता है हैरान।

टंटा विष की बेल, सजाए ना गुलिस्तां,

शांति के फूलों से, बेहतर है वहां।

बातों की चुभन में, छिपा है दर्द गहरा,

खामोशी से सीखो, बयां होता है सबेरा।

झगड़े की आग में, जलता है सुकून,

सुलह की राह में, मिलती है राहत जून।

संग्राम की राह में, कोई विजयी नहीं,

माफी और प्यार में, जीत होती सबसे बड़ी।

याद रखो, झगड़े में, सब कुछ होता है खोया,

शांति की छाया में, जीवन खिलता है सोया।

 

टंटा विष की बेल है शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of टंटा विष की बेल है – Tanta vish ki bel hai Proverb:

Introduction: “Tanta vish ki bel hai” is a popular Hindi proverb that highlights the negative effects of fights and disputes.

Meaning: The literal meaning of this proverb is that fights or disputes are like a vine of poison, which are toxic and ultimately have harmful effects. It suggests that nobody benefits from disputes; they only cause damage.

Usage: This proverb is used when discussing the long-term and destructive outcomes of a fight or dispute.

Examples:

-> For instance, a small disagreement between two neighbors escalates into a feud, leading to tension not only between them but also affecting their families and the community. In this scenario, the proverb “Tanta vish ki bel hai” is appropriate.

Conclusion: The proverb “टंटा विष की बेल है” teaches us to avoid conflicts and disputes as they often result in harm. It encourages us towards peace and harmony, showing that compromise and cooperation are the foundations of long-term relationships and community well-being.

Story of Tanta vish ki bel hai Proverb in English:

In a small village, there lived two neighbors named Vikas and Surendra. They often had minor disputes, but one day, their disagreement turned into a major fight.

Surendra planted a new tree in front of his house, whose shade fell on Vikas’s house. Vikas disliked this and asked Surendra to remove the tree. Surendra refused, which angered Vikas, and he threatened to cut down the tree.

This incident escalated the tension between them. Constant arguments and accusations became a daily occurrence, negatively impacting not only their relationship but also the peaceful atmosphere of the village.

One day, the village elders decided to resolve the dispute. They explained to Vikas and Surendra that their fight was like a “poisonous vine,” benefiting no one and only causing harm. They advised that the dispute would only lead to their loss.

Inspired by the elders’ advice, Vikas and Surendra decided to resolve their differences. They realized that true happiness and peace come from mutual understanding and cooperation.

This story teaches us that disputes and fights only result in loss. Resolving problems through mutual understanding and dialogue is the foundation of a harmonious society.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

कहावत “टंटा विष की बेल है” से हमें क्या सीखने को मिलता है?

इस कहावत से हमें यह सीखने को मिलता है कि झगड़े और विवाद से बचना चाहिए क्योंकि वे अनेक समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

क्या यह कहावत व्यक्तिगत विकास और सुधार के लिए भी महत्वपूर्ण है?

हां, यह कहावत व्यक्तिगत विकास के संदर्भ में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विवादों से दूर रहने और सकारात्मक संबंध बनाने की ओर इशारा करती है।

इस कहावत का सामाजिक या राजनीतिक संदर्भ में क्या महत्व है?

सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ में, यह कहावत यह सिखाती है कि विवाद और टंटे समाज और राजनीति में अस्थिरता और नकारात्मकता ला सकते हैं।

क्या इस कहावत का उपयोग संघर्ष समाधान में किया जा सकता है?

जी हां, इस कहावत का उपयोग संघर्ष समाधान की प्रक्रिया में किया जा सकता है ताकि लोग विवादों के परिणामों को समझें और उनसे बचने के लिए प्रयास करें।

“टंटा विष की बेल है” कहावत का नैतिक शिक्षा में क्या योगदान है?

इस कहावत का नैतिक शिक्षा में बड़ा योगदान है, क्योंकि यह शांति, सहयोग, और विवादों से दूर रहने के महत्व को सिखाती है।

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