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सूप बोले तो बोले, चलनी भी बोले जिसमें 72 छेद अर्थ, प्रयोग(Soop bole to bole, Chalni bhi bole jisme 72 ched)

परिचय: यह कहावत दो रसोई के उपकरणों, सूप (एक प्रकार का छलनी जिसका उपयोग अनाज को साफ करने के लिए किया जाता है) और चलनी (एक प्रकार की जालीदार प्लेट जिसमें छेद होते हैं) के बारे में है। सूप चलनी को उसके 72 छेदों के लिए उलाहना देता है, जबकि खुद में भी एक बड़ा छेद होता है।

अर्थ: इस कहावत का गहरा अर्थ यह है कि अक्सर लोग दूसरों की कमियों को तो आसानी से देख लेते हैं, परंतु वे अपनी खुद की कमियों से अनजान रहते हैं। यह आत्म-विश्लेषण की कमी और दूसरों की आलोचना करने की प्रवृत्ति पर प्रकाश डालता है।

प्रयोग: इस कहावत का उपयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति दूसरों की गलतियों पर उंगली उठाता है, जबकि वह खुद भी समान या बड़ी गलतियाँ कर रहा हो।

उदाहरण:

मान लीजिए, एक व्यक्ति जो खुद अक्सर देर से ऑफिस पहुंचता है, अगर वह अपने सहकर्मी को एक बार देर से आने पर टोके, तो उसे कहा जा सकता है – “सूप बोले तो बोले, चलनी भी बोले जिसमें 72 छेद।”

निष्कर्ष: यह कहावत हमें यह सिखाती है कि हमें पहले अपनी कमियों को सुधारना चाहिए और फिर दूसरों की आलोचना करने से पहले अपने आप को देखना चाहिए। यह आत्म-सुधार और आत्म-समीक्षा के महत्व पर जोर देता है।

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सूप बोले तो बोले, चलनी भी बोले जिसमें 72 छेद मुहावरा पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में दो पड़ोसी रहते थे, विनीत और सुधीर। विनीत एक किसान था और सुधीर एक धोबी। विनीत अपने खेत में कड़ी मेहनत करता, लेकिन अक्सर उसके खेत में पानी नहीं रहता था क्योंकि उसकी नहर में एक बड़ा छेद था। उधर, सुधीर अपने कपड़े धोते समय हमेशा जल्दी में रहता था, इसलिए उसके कपड़ों में अक्सर दाग रह जाते थे।

एक दिन, विनीत ने देखा कि सुधीर के धोए हुए कपड़ों में दाग हैं। उसने सुधीर को टोकते हुए कहा, “सुधीर, तुम अपने काम में कितने लापरवाह हो! देखो, कपड़ों में दाग रह गए हैं।” सुधीर ने विनीत की बात सुनी और मुस्कुराया। वह विनीत के खेत की ओर इशारा करते हुए बोला, “विनीत भैया, आपके खेत में पानी नहीं रुकता क्योंकि नहर में बड़ा छेद है। पहले उसे तो ठीक करो।”

इस पर विनीत थोड़ा शर्मिंदा हुआ और समझ गया कि उसने गलती की है। वह बोला, “तुम सही कह रहे हो सुधीर, मुझे पहले अपनी गलतियों को सुधारना चाहिए।”

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि “सूप बोले तो बोले, चलनी भी बोले जिसमें 72 छेद”, यानी हमें दूसरों की कमियों पर टिप्पणी करने से पहले खुद की कमियों को सुधारना चाहिए। इससे हम न केवल एक बेहतर इंसान बनते हैं, बल्कि दूसरों के प्रति सहानुभूति और समझदारी भी दिखाते हैं।

शायरी:

चलनी से कहा सूप ने, ‘तेरे छेद कम नहीं’,

खुद में झांक सूप भूला, उसका खुद का गम नहीं।

बातों में तीखापन है, दिल में है चुभन सी,

देख खुद की खामियां, पहले तू रुबरू हो ले।

हर एक की जुबान पे, दूजे का नाम है,

अपने गिरेबां में झांक, क्या तेरा काम है?

दुनिया की इस भीड़ में, हर किसी की बात निराली,

‘सूप बोले तो बोले’, चलनी में भी तो हैं छेद हज़ारों।

इस दुनिया में हर कोई, खुद को समझे साफ,

ना जाने कितने छेद हैं, हर एक की दास्ताँ में।

 

सूप बोले तो बोले, चलनी भी बोले जिसमें 72 छेद शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of सूप बोले तो बोले, चलनी भी बोले जिसमें 72 छेद – Soop bole to bole, Chalni bhi bole jisme 72 ched Idiom:

Introduction: This idiom is about two kitchen utensils, a ‘सूप’ (a kind of sieve used for cleaning grains) and a ‘चलनी’ (a kind of perforated plate with holes). The sieve criticizes the colander for having 72 holes, while it itself has a big hole.

Meaning: The deeper meaning of this idiom is that people often easily see the flaws in others, but remain unaware of their own. It highlights the lack of self-analysis and the tendency to criticize others.

Usage: This idiom is used when someone points out the mistakes of others, while they themselves are making the same or bigger mistakes.

Example:

-> For instance, if a person who often arrives late at the office criticizes a colleague for being late once, it can be said to them, “सूप बोले तो बोले, चलनी भी बोले जिसमें 72 छेद।” (The sieve might speak, but so does the colander with 72 holes).

Conclusion: This proverb teaches us that we should first rectify our own shortcomings before criticizing others. It emphasizes the importance of self-improvement and self-review.

Story of ‌‌Soop bole to bole, Chalni bhi bole jisme 72 ched Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived two neighbors, Vineet and Sudhir. Vineet was a farmer, and Sudhir was a washerman. Vineet worked hard in his fields, but often there was no water in his fields because there was a big hole in his canal. Meanwhile, Sudhir, always in a hurry while washing clothes, often left stains on them.

One day, Vineet noticed stains on Sudhir’s washed clothes. He reproached Sudhir, saying, “Sudhir, you are so careless in your work! Look, there are stains on the clothes.” Sudhir heard Vineet and smiled. Pointing towards Vineet’s field, he said, “Brother Vineet, water doesn’t stay in your field because there’s a big hole in the canal. You should fix that first.”

Vineet felt a bit embarrassed and realized his mistake. He said, “You are right, Sudhir. I should first correct my own mistakes.”

This story teaches us the lesson of “सूप बोले तो बोले, चलनी भी बोले जिसमें 72 छेद”, meaning we should rectify our own shortcomings before commenting on others’ flaws. By doing so, we not only become better individuals but also show empathy and understanding towards others.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या “चलनी भी बोले जिसमें 72 छेद” का कोई विशेष मतलब है?

इसका अर्थ होता है कि व्यक्ति की बातें ऐसी होती हैं जैसे चलनी में होले होते हैं, जिससे बहुत सी बातें बाहर आती हैं.

इस मुहावरे में “सूप बोले तो बोले” का क्या अर्थ है?

यहाँ “सूप बोले तो बोले” का अर्थ है कि व्यक्ति जो कुछ भी बोलता है, वह बिना किसी संकोच के और सीधे तौर पर बोलता है।

क्या है मुहावरा “सूप बोले तो बोले, चलनी भी बोले जिसमें 72 छेद” का अर्थ?

इस मुहावरे का अर्थ होता है कि व्यक्ति जो कुछ भी कहता है, उसकी बातों में बहुत सी बातें छुपी होती हैं जो सीधे-सीधे नहीं कहता।

इस मुहावरे का प्रयोग किस प्रकार की स्थितियों में हो सकता है?

यह मुहावरा उन स्थितियों में प्रयुक्त हो सकता है जब कोई व्यक्ति अपने विचारों को सीधे रूप से नहीं बता रहा हो, बल्कि उसकी बातों में कई अर्थ छुपे हो।

क्या यह मुहावरा किसी विशेष स्थिति को दर्शाता है?

हाँ, यह मुहावरा व्यक्ति के बोलने की शैली को बयान करता है, जिसमें बहुत से रहस्य होते हैं और उसकी बातों में कई अर्थ छुपे होते हैं।

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