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सिर पर कफन बांधना, अर्थ, प्रयोग(Sir par kafan bandhna)

परिचय: हिंदी भाषा में ‘सिर पर कफन बांधना’ एक प्रमुख मुहावरा है, जिसका अर्थ होता है किसी व्यक्ति की पूरी तरह से समर्पण भावना, बलिदान और त्याग की भावना।

अर्थ: ‘सिर पर कफन बांधना’ मुहावरे का अर्थ है किसी महत्वपूर्ण लक्ष्य या कारण के लिए जीवन की सम्पूर्ण समर्पण और त्याग की भावना। इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति को उसकी मूल्यवान वस्तुओं, स्थितियों या जीवन का त्याग करने की तैयारी होती है।

उदाहरण:

-> जब राजा सुरेंद्र ने अपनी सम्पूर्ण संपत्ति, राज्य और परिवार को त्याग दिया, तो उसे कहा गया कि उसने ‘सिर पर कफन बांध लिया’।

-> जब कोई सेना का जवान अपने देश के लिए लड़ने जाता है, जानकर कि वह वापस नहीं आ सकता, तो कहा जाता है कि उसने ‘सिर पर कफन बांध लिया’।

विवेचना: जब किसी व्यक्ति में अपार त्याग, समर्पण और बलिदान की भावना होती है, तो उसे ‘सिर पर कफन बांधना’ माना जाता है। यह मुहावरा उस अद्वितीय समर्पण की भावना को प्रकट करता है, जो केवल महान आत्माओं में होती है।

निष्कर्ष: ‘सिर पर कफन बांधना’ एक ऐसा मुहावरा है, जो हमें त्याग, समर्पण और बलिदान की असीम भावना की ओर मार्गदर्शन करता है। हमें चाहिए कि हम इस मुहावरे के वास्तविक अर्थ को समझें और अपने जीवन में उसे अपनाएं।

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सिर पर कफन बांधना मुहावरा पर कहानी:

अनुभव और अखिल दो मित्र मित्र थे जो गाँव में साथ में बड़े हुए थे। जब वे बड़े हो गए, तब गाँव की एक बड़ी समस्या सामने आई। गाँव का जल स्रोत सूख चुका था और पानी की घातक कमी हो रही थी।

अनुभव ने सोचा कि वह शहर जाएगा और वहाँ काम करके पैसा कमाकर गाँव में पानी के लिए बोरवेल खुदवाएगा। वहीं अखिल ने ठान लिया कि वह गाँव में ही रहकर समस्या का समाधान ढूंढेगा।

अखिल का यह निर्णय उसके परिवार और दोस्तों के लिए अच्छा नहीं लगा। उसे समझाया गया कि यह एक बहुत बड़ी और मुश्किल लड़ाई होगी, और उसे शहर जाकर कुछ और करना चाहिए। लेकिन अखिल ने सभी को जवाब दिया, “मैंने सिर पर कफन बांध लिया है। मुझे अपने गाँव के लिए यह करना है।”

दिन-रात अखिल ने काम किया। वह नदियों, झीलों और अन्य जल स्रोतों के बारे में पढ़ा। वह अपने गाँव के अन्य लोगों को भी साथ में लेकर पानी संकट का समाधान ढूंढने में जुट गया।

महीनों बाद, अखिल की मेहनत रंग लाई। उसने एक पुराने जल स्रोत को पुनः स्थापित किया और गाँव के लिए पानी की समस्या का समाधान पाया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि ‘सिर पर कफन बांधना’ का मतलब है किसी लक्ष्य को पाने के लिए पूरी तरह से समर्पित हो जाना, चाहे उसमें कितनी भी मुश्किलें क्यों न हो।

शायरी:

सिर पर कफन बाँध लिया है हमने,

ज़िंदगी की इस राहत में कोई ग़म नहीं।

आँधियों से लड़ने का इरादा रखा है,

मोहब्बत में जीने की इस आदत में कोई कमी नहीं।

 

सिर पर कफन बांधना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of सिर पर कफन बांधना – Sir par kafan bandhna Idiom:

Introduction: The idiom ‘Sir par kafan bandhna’ translates to a wholehearted surrender and the feeling of sacrifice for a crucial purpose or cause. This phrase is employed when someone is ready to forsake their invaluable belongings, situations, or even their life.

Meaning: The idiom ‘Sir par kafan bandhna’ translates to a wholehearted surrender and the feeling of sacrifice for a crucial purpose or cause. This phrase is employed when someone is ready to forsake their invaluable belongings, situations, or even their life.

Usage:

-> For instance, when King Surendra relinquished all his wealth, kingdom, and family, it was said that he had ‘tied the shroud on his head.’

-> Similarly, when a soldier goes into battle for his country, fully aware he might not return, it’s expressed that he has ‘tied the shroud on his head.’

Discussion: When someone showcases an overwhelming spirit of sacrifice, dedication, and selflessness, they are believed to have ‘tied the shroud on their head’. This idiom highlights that unique sentiment of dedication found only among the noblest of souls.

Conclusion: The phrase ‘Sir par kafan bandhna’ is a guiding beacon, emphasizing the boundless emotions of sacrifice, devotion, and martyrdom. It’s pivotal for us to grasp the genuine essence of this idiom and imbibe it in our lives.

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Story of ‌‌सिर पर कफन बांधना – Sir par kafan bandhna Idiom:

Anubhav and Akhil were two friends who grew up together in a village. As they matured, the village faced a significant challenge. The village’s water source had dried up, leading to a dire shortage of water.

Anubhav decided to move to the city to earn money, intending to use the funds to dig a borewell in the village to address the water crisis. On the other hand, Akhil resolved to stay in the village and seek a solution locally.

Akhil’s decision did not sit well with his family and friends. They advised him that this would be a massive and challenging battle and suggested he should venture to the city to do something else. But Akhil responded, “I have tied the shroud on my head. I have to do this for my village.”

Day and night, Akhil worked. He researched rivers, lakes, and other water sources. He also rallied other villagers to join him in his quest to find a solution to the water crisis.

After months of relentless effort, Akhil’s hard work bore fruit. He managed to revive an old water source, providing a solution to the village’s water woes.

This story teaches us that ‘tying the shroud on one’s head’ signifies complete dedication to achieving a goal, regardless of the challenges that come with it.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का कोई साकारात्मक रूप होता है?

नहीं, “सिर पर कफन बांधना” का कोई साकारात्मक अर्थ नहीं होता है, यह केवल व्यावहारिक अर्थ में प्रयुक्त होता है।

क्या यह मुहावरा केवल शोक या बुरी स्थिति को दर्शाने के लिए ही प्रयुक्त होता है?

जी हां, यह मुहावरा अधिकतर शोक या बुरी स्थिति को दर्शाने के लिए ही प्रयुक्त होता है।

क्या इस मुहावरे के अलावा कोई सम्बंधित मुहावरा है?

हां, “कफन ओढ़कर चलना” एक सम्बंधित मुहावरा है, जिसका अर्थ भी लगभग समान होता है।

इस मुहावरे का उपयोग कितने साल के बच्चों तक समझाया जा सकता है?

यह मुहावरा सामान्यत: 10 साल के बच्चों तक समझाया जा सकता है, क्योंकि इसका अर्थ सामान्य होता है और साधारण भाषा में स्पष्ट होता है।

क्या यह मुहावरा किसी संस्कृत श्लोक या ग्रंथ से आया है?

नहीं, इस मुहावरे का किसी विशेष श्लोक या ग्रंथ से कोई ऐतिहासिक आधार नहीं होता, यह सामान्य उपयोग का हिस्सा है।

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