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सावन के अंधे को सब हरा-ही-हरा दिखाई देता है अर्थ, प्रयोग (Savan ke andhe ko sab hi hara-hi-hara dikhai deta hai)

“सावन के अंधे को सब हरा-ही-हरा दिखाई देता है” एक लोकप्रिय हिंदी कहावत है, जिसका प्रयोग अक्सर उन परिस्थितियों में किया जाता है जहाँ लोग किसी विशेष स्थिति या व्यक्ति की एकतरफा या सीमित दृष्टि से आंकलन करते हैं।

परिचय: कहावत “सावन के अंधे को सब हरा-ही-हरा दिखाई देता है” का प्रयोग तब होता है जब कोई व्यक्ति या समूह किसी चीज़ के प्रति पक्षपाती या एकतरफा नजरिया रखता है। इस कहावत का आधार यह है कि सावन (वर्षा ऋतु) के दौरान हरियाली इतनी अधिक होती है कि एक अंधे व्यक्ति को भी सब कुछ हरा ही दिखाई देता है, यानी कि उसकी दृष्टि सीमित होती है।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि जब कोई व्यक्ति अपने पूर्वाग्रहों या एकतरफा सोच के कारण केवल एक ही प्रकार की चीज़ देख पाता है और अन्य पहलुओं को नजरअंदाज कर देता है।

प्रयोग: यह कहावत अक्सर उन स्थितियों में इस्तेमाल होता है जहाँ किसी की सोच में निष्पक्षता की कमी होती है, या जहाँ वे केवल अपने नजरिये से ही सब कुछ देखते हैं।

उदाहरण:

-> राजनीतिक चर्चाओं में अक्सर लोग “सावन के अंधे” की तरह होते हैं, जहाँ वे केवल अपनी पसंद की पार्टी की अच्छाइयाँ देखते हैं।

-> जब कुसुम अपने बच्चे की बात करती है, तो उसे “सावन के अंधे” की तरह केवल उसके अच्छे गुण ही दिखाई देते हैं।

निष्कर्ष: “सावन के अंधे को सब हरा-ही-हरा दिखाई देता है” कहावत हमें यह सिखाता है कि एकतरफा नजरिया या पूर्वाग्रह के कारण हम वास्तविकता के विभिन्न पहलुओं को नहीं देख पाते हैं। यह हमें निष्पक्ष और व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा देता है।

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सावन के अंधे को सब हरा-ही-हरा दिखाई देता है कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गांव में सुरेंद्र नाम का एक किसान रहता था। सुरेंद्र को अपने खेतों और फसलों पर बहुत गर्व था। उसके खेत हमेशा हरे-भरे और लहलहाते रहते थे। वह अपनी फसलों की देखभाल में इतना मगन रहता था कि उसे आस-पास की दुनिया का कोई ख्याल ही नहीं रहता था।

एक बार सावन के महीने में उसके गांव में अकाल पड़ गया। चारों तरफ पानी की कमी के कारण सभी खेत सूख गए, लेकिन सुरेंद्र के खेत हरे-भरे बने रहे क्योंकि उसने अपने खेतों के लिए अलग से पानी की व्यवस्था की थी। उसे देखकर गांव के लोग हैरान थे। सुरेंद्र अपनी फसलों की हरियाली में इतना खो गया था कि उसे गांव के बाकी हिस्सों की सूखी और बंजर जमीन का बिलकुल भी एहसास नहीं हुआ।

गांव के सरपंच ने एक दिन सुरेंद्र को बुलाया और कहा, “सुरेंद्र, तुम्हारे खेत हरे-भरे हैं, लेकिन क्या तुमने गांव के अन्य हिस्सों की स्थिति देखी है? सब जगह सूखा पड़ा है।”

सुरेंद्र ने जब गांव का चक्कर लगाया तो उसे अपनी भूल का एहसास हुआ। उसने सरपंच से कहा, “मैंने तो सिर्फ अपने खेतों की हरियाली देखी थी, मुझे लगा सब जगह हरियाली ही हरियाली है। मैं ‘सावन के अंधे’ की तरह बस एक ही चीज देख पा रहा था।”

इसके बाद, सुरेंद्र ने अपने पड़ोसियों की मदद करने का निश्चय किया और अपने खेतों की व्यवस्था का इस्तेमाल करके पूरे गांव की मदद की।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि “सावन के अंधे को सब हरा-ही-हरा दिखाई देता है” यानी कि हमें कभी भी एकतरफा दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए और हमेशा अपने आस-पास के समग्र परिस्थितियों का भी ध्यान रखना चाहिए।

शायरी:

बारिश का मौसम आया, सावन की हरियाली में,

अंधे ने भी हर रंग को, हरा ही बस पहचाना है।

दिलों में प्रीत की बातें, कहीं प्यार की खामोशी,

फिर भी सबको अपना ही, सच हरा-हरा नजर आता है।

सियासत की इन गलियों में, हर शख्स है सावन का अंधा,

हर झूठ में सच का चेहरा, हरा-ही-हरा नजर आता है।

दुनिया की इस भीड़ में, हर कोई अपनी राह चलता,

पर हर राह में अपना ही, सपना हरा-हरा नजर आता है।

कहते हैं दिल की आँखों से, हर रंग अलग दिखता है,

पर सावन के अंधे को, हर ओर हरियाली ही नजर आता है।

इस जहान में रंग बहुत हैं, हर एक का अपना मायने,

पर ‘सावन के अंधे’ को, हरा-ही-हरा सजीव नजर आता है।

 

सावन के अंधे को सब हरा-ही-हरा दिखाई देता है शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of सावन के अंधे को सब हरा-ही-हरा दिखाई देता है – Savan ke andhe ko sab hi hara-hi-hara dikhai deta hai Idiom:

The Hindi proverb “सावन के अंधे को सब हरा-ही-हरा दिखाई देता है” is a popular phrase often used in situations where people assess a particular situation or person from a one-sided or limited perspective.

Introduction: The proverb “सावन के अंधे को सब हरा-ही-हरा दिखाई देता है” is used when an individual or group holds a biased or one-sided view towards something. The basis of this proverb is that during the monsoon (Sawan), the greenery is so prevalent that even a blind person would perceive everything as green, indicating their limited vision.

Meaning: This proverb means that when a person, due to their prejudices or one-sided thinking, can only see one aspect of something and ignores other facets.

Usage: This phrase is often used in situations where there is a lack of impartiality in someone’s thinking, or where they view everything from only their perspective.

Example:

-> In political discussions, people often act like “blind in Sawan,” where they only see the good in the party they favor.

-> When Kusum talks about her child, she sees only his good qualities, like the “blind in Sawan.”

Conclusion: The proverb “सावन के अंधे को सब हरा-ही-हरा दिखाई देता है” teaches us that a one-sided view or bias prevents us from seeing the various aspects of reality. It inspires us to adopt a fair and comprehensive perspective.

Story of ‌‌Savan ke andhe ko sab hi hara-hi-hara dikhai deta hai Proverb in English:

In a small village lived a farmer named Surendra, who took great pride in his fields and crops. His fields were always lush and thriving. He was so engrossed in taking care of his crops that he barely paid any attention to the world around him.

Once, during the month of Sawan (monsoon), a drought struck his village. All the fields around dried up due to a lack of water, but Surendra’s fields remained green because he had arranged a separate water supply for them. The villagers were astonished to see this. Surendra was so lost in the greenery of his crops that he failed to notice the dry and barren land in the rest of the village.

One day, the village head called Surendra and said, “Surendra, your fields are flourishing, but have you seen the condition of the rest of the village? Everywhere else is suffering from drought.”

When Surendra toured the village, he realized his mistake. He said to the headman, “I only saw the greenery of my fields and thought it was green everywhere. I was like ‘blind in Sawan,’ only able to see one thing.”

After this, Surendra decided to help his neighbors and used his field’s water system to assist the whole village.

This story teaches us the lesson of the proverb “सावन के अंधे को सब हरा-ही-हरा दिखाई देता है,” meaning we should never adopt a one-sided perspective and always be aware of the broader circumstances around us.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

क्या इस कहावत का संबंध केवल सावन के मौसम से है?

नहीं, यह कहावत सावन के मौसम का एक रूपकात्मक उपयोग करती है लेकिन इसका अर्थ किसी भी संदर्भ में लागू होता है।

क्या इस कहावत का कोई साहित्यिक संदर्भ है?

हाँ, इस कहावत का उपयोग भारतीय साहित्य और कविताओं में किया गया है, जहां इसे व्यक्ति के सीमित दृष्टिकोण को दर्शाने के लिए उपयोग किया गया है।

इस कहावत को व्यावहारिक जीवन में कैसे लागू किया जा सकता है?

इसे व्यावहारिक जीवन में लागू करने के लिए, हमें विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने और स्वीकार करने की जरूरत है, ताकि हम चीजों को केवल एक ही नजरिए से न देखें।

क्या इस कहावत का आधुनिक समय में भी महत्व है?

हां, आधुनिक समय में भी इस कहावत का बहुत महत्व है, खासकर जब विविधता और विभिन्न परिप्रेक्ष्यों को समझना महत्वपूर्ण है।

इस कहावत का विद्यालय और शिक्षा में क्या योगदान है?

विद्यालय और शिक्षा में यह कहावत छात्रों को विभिन्न विचारों और दृष्टिकोणों को समझने और स्वीकार करने के महत्व को सिखाती है, जिससे वे अधिक समग्र और बहुमुखी समझ विकसित कर सकें।

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