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ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर, अर्थ, प्रयोग (Okhli mein sir diya to mooslon ka kya dar)

परिचय: हिंदी की प्रसिद्ध कहावत “ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर” एक ऐसा वाक्यांश है, जो जीवन की एक महत्वपूर्ण सीख देता है। इसका अर्थ है कि जब कोई व्यक्ति किसी कठिनाई या चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हो जाता है, तो फिर उसे उससे जुड़े खतरों या कठिनाइयों का डर नहीं होता।

अर्थ: इस कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि जब आप ओखली (एक प्रकार का कूटने का उपकरण) में सिर रख देते हैं, तो फिर मूसल (कूटने का औजार) से डरने की क्या आवश्यकता है। यह कहावत उस स्थिति को दर्शाती है जब कोई संकल्प लेकर किसी चुनौती का सामना करता है और उसके परिणामों से नहीं डरता।

उपयोग: यह कहावत अक्सर उन परिस्थितियों में प्रयोग की जाती है जहां किसी को बड़ा निर्णय लेना होता है और उसे इस बात का पूरा विश्वास होता है कि वह आने वाली किसी भी कठिनाई का सामना कर सकता है।

उदाहरण:

-> मान लीजिए, कोई व्यक्ति अपनी नौकरी छोड़कर अपना व्यवसाय शुरू करने जा रहा है। इस स्थिति में वह व्यक्ति इस कहावत का प्रयोग कर सकता है, यह दर्शाने के लिए कि वह व्यवसाय में होने वाले जोखिमों से डरता नहीं है।

समापन: इस प्रकार, “ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर” कहावत हमें यह सिखाती है कि जीवन में किसी भी बड़े लक्ष्य या सपने को पूरा करने के लिए जब हम दृढ़ संकल्प और साहस के साथ आगे बढ़ते हैं, तो हमें उस राह में आने वाली किसी भी कठिनाई का डर नहीं होता। यह हमें आत्मविश्वास और साहस के साथ कदम उठाने की प्रेरणा देती है।

Hindi Muhavare Quiz

ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर कहावत पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में विशाल नाम का एक युवक रहता था। विशाल बहुत ही साहसी और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति था। उसका सपना था कि वह अपना खुद का व्यवसाय शुरू करे।

एक दिन, विशाल ने अपने दोस्तों को बताया कि वह अपनी नौकरी छोड़कर एक नया व्यापार शुरू करने जा रहा है। उसके दोस्त चिंतित हो गए और कहने लगे, “विशाल, यह बहुत बड़ा जोखिम है। अगर तुम्हारा व्यवसाय नहीं चला तो?”

विशाल मुस्कुराया और बोला, “जब मैंने ओखली में सिर देने का निर्णय लिया है, तो मूसलों का क्या डर? मैं जानता हूँ कि चुनौतियाँ होंगी, पर मैं तैयार हूँ।”

विशाल ने अपना व्यवसाय शुरू किया। शुरुआत में, उसे कई मुश्किलें आईं, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसका साहस और दृढ़ निश्चय उसे आगे बढ़ाता रहा। धीरे-धीरे, उसका व्यवसाय फलने-फूलने लगा।

गाँव वाले विशाल की सफलता देखकर आश्चर्यचकित थे। उन्होंने विशाल से पूछा, “तुमने इतनी मुश्किलों का सामना कैसे किया?”

विशाल ने कहा, “जब इंसान अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होता है, तो उसे किसी भी चुनौती का डर नहीं होता। मैंने जोखिम उठाया क्योंकि मुझे अपने सपनों पर विश्वास था।”

इस कहानी के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि “ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर” कहावत का अर्थ है कि जब हम एक बार किसी कठिन पथ पर चल पड़ते हैं, तो हमें उस पथ की कठिनाइयों से डरना नहीं चाहिए। साहस और दृढ़ निश्चय ही हमें आगे बढ़ाते हैं।

शायरी:

जो चल पड़े हैं मंजिल की और, उन्हें राह की क्या चिंता,

ओखली में सिर दिया जब, तो मूसलों से क्या डरना।

हर बाधा पर विजय पाई, जब इरादे हों पक्के,

चुनौतियों का सामना कर, लिख देते हैं अपनी तकदीर के पन्ने।

दिल में जज्बा, आँखों में सपने, कदम बढ़ाए बेखौफ हमने,

ओखली में सिर दिया तो क्या, जीत हमारी है मुकम्मल यहाँ।

सफर में धूप की क्या मजाल, कि डाले हम पर साया,

जो चुनी है राह हमने, उस पर चलेंगे हम निर्भय, निराला।

मुश्किलों की चादर ओढ़, चलते गए हम अनजाने रास्तों पर,

ओखली का सफर तय कर, मंजिल को बनाया हमने अपना घर।

 

ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर – Okhli mein sir diya to mooslon ka kya dar Proverb:

Introduction: The famous Hindi proverb “ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर” is a phrase that imparts an important life lesson. It means that when a person is prepared to face a difficulty or challenge, they need not fear the associated risks or hardships.

Meaning: The literal meaning of this proverb is that when you place your head in the mortar (a type of grinding tool), there is no need to fear the pestle (the grinding implement). This proverb illustrates the situation when someone makes a resolution to face a challenge and is not afraid of its consequences.

Usage: This proverb is often used in situations where someone has to make a big decision and is fully confident that they can face any difficulties that come their way.

Examples:

-> Suppose someone is leaving their job to start their own business. In this situation, the person can use this proverb to demonstrate that they are not afraid of the risks involved in the business.

Conclusion: Thus, the proverb “ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर” teaches us that when we move forward with determination and courage to achieve any big goal or dream in life, we should not fear any difficulties that may come on our path. It inspires us to take steps with confidence and bravery.

Story of Okhli mein sir diya to mooslon ka kya dar Proverb in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a young man named Vishal. Vishal was very brave and determined. He dreamed of starting his own business.

One day, Vishal told his friends that he was going to quit his job and start a new business. His friends became worried and said, “Vishal, this is a big risk. What if your business doesn’t work out?”

Vishal smiled and said, “When I have decided to put my head in the mortar, why should I fear the pestle? I know there will be challenges, but I am prepared.”

Vishal started his business. In the beginning, he faced many difficulties, but he did not give up. His courage and determination kept him going. Gradually, his business began to thrive.

The villagers were astonished by Vishal’s success. They asked him, “How did you face all these difficulties?”

Vishal replied, “When a person is dedicated to their goal, they do not fear any challenges. I took the risk because I believed in my dreams.”

Through this story, we learn that the proverb “ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर” means that once we embark on a difficult path, we should not fear the hardships of that path. Courage and determination are what propel us forward.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

इस कहावत का संबंध किन जीवन के पहलुओं से है?

यह कहावत निर्णय लेने, साहसिक कार्यों, और चुनौतियों का सामना करने जैसे जीवन के पहलुओं से संबंधित है।

क्या यह कहावत नकारात्मक परिस्थितियों में भी लागू होती है?

हाँ, यह कहावत नकारात्मक परिस्थितियों में भी लागू हो सकती है, जहां व्यक्ति को अपने निर्णयों और कार्यों के परिणामों का सामना करना पड़ता है।

क्या इस कहावत का उपयोग केवल व्यावसायिक संदर्भ में किया जा सकता है?

नहीं, इस कहावत का उपयोग व्यावसायिक संदर्भ के साथ-साथ व्यक्तिगत, शैक्षिक, और सामाजिक संदर्भों में भी किया जा सकता है।

क्या इस कहावत का अर्थ यह है कि एक बार फैसला करने के बाद हमें अपने निर्णय पर कायम रहना चाहिए?

हाँ, इस कहावत का एक अर्थ यह भी है कि एक बार फैसला करने के बाद हमें अपने निर्णय पर दृढ़ रहना चाहिए और उसके परिणामों का सामना करना चाहिए।

इस कहावत का उपयोग करने के लिए क्या स्थितियाँ होनी चाहिए?

इस कहावत का उपयोग तब किया जा सकता है जब कोई व्यक्ति किसी जोखिम भरे निर्णय या कार्य में पहले ही प्रवेश कर चुका हो और उसे चुनौतियों या कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा हो।

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