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खेती पाती बीनती और घोड़े की तंग, अपने हाथ सम्भालिये चाहें लाख लोग होय संग, अर्थ, प्रयोग(Kheti pati beenti hai aur ghode ki tang, Apne haath sambhaliye chahe lakh log hoye sang)

परिचय: “खेती पाती बीनती और घोड़े की तंग, अपने हाथ सम्भालिये चाहें लाख लोग होय संग” यह हिंदी की एक प्रसिद्ध कहावत है, जिसका अर्थ है कि किसी भी कार्य को अपने हाथों में रखना और उसे खुद संभालना बेहतर होता है, भले ही आपके पास कितने भी सहायक क्यों न हों।

अर्थ: इस कहावत का मुख्य अर्थ है कि महत्वपूर्ण कार्यों में व्यक्तिगत ध्यान और जिम्मेदारी आवश्यक है। यह बताती है कि चाहे आपके साथ कितने भी लोग क्यों न हों, लेकिन अंतिम जिम्मेदारी और सावधानी आपकी ही होती है।

उपयोग: यह कहावत उन स्थितियों में उपयोगी होती है जहां व्यक्तिगत संलग्नता और प्रतिबद्धता महत्वपूर्ण होती है, जैसे कि व्यवसाय, पारिवारिक उत्तरदायित्व, या किसी परियोजना में।

उदाहरण:

-> मान लीजिए एक व्यापारी अपने व्यवसाय की जिम्मेदारी अपने कर्मचारियों पर पूरी तरह छोड़ देता है और खुद उसमें ध्यान नहीं देता, तो संभव है कि व्यवसाय में कुछ कमियाँ या गलतियाँ हो जाएँ। इस स्थिति में कहा जा सकता है, “खेती पाती बीनती और घोड़े की तंग, अपने हाथ सम्भालिये चाहें लाख लोग होय संग।”

समापन: यह कहावत हमें सिखाती है कि हमें अपने कार्यों और जिम्मेदारियों में व्यक्तिगत रूप से सक्रिय और जागरूक रहना चाहिए। सहायकों पर निर्भरता कम करके और खुद की जिम्मेदारी लेकर हम बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

Hindi Muhavare Quiz

खेती पाती बीनती और घोड़े की तंग, अपने हाथ सम्भालिये चाहें लाख लोग होय संग कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में ‘सुभाष’ नाम का एक किसान रहता था। सुभाष के पास खेती के लिए बहुत सारी जमीन थी और उसकी मदद के लिए कई मजदूर भी थे। लेकिन सुभाष खुद अपने खेतों की देखभाल नहीं करता था। वह सारा काम मजदूरों पर छोड़ देता और खुद आराम किया करता था।

एक दिन, सुभाष के खेत में एक बड़ी समस्या आ गई। खेतों में खरपतवार बढ़ गए थे और फसलें खराब होने लगी थीं। मजदूरों ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की, लेकिन उन्हें खेती की बारीकियों का पूरा ज्ञान नहीं था।

गाँव के एक बुजुर्ग ने सुभाष को समझाया, “सुभाष, तुम्हारे पास इतने मजदूर हैं, लेकिन खेती की असली समझ तो तुम्हारे पास है। ‘खेती पाती बीनती और घोड़े की तंग, अपने हाथ सम्भालिये चाहें लाख लोग होय संग।’ तुम्हें खुद अपने खेतों की देखभाल करनी चाहिए।”

सुभाष ने बुजुर्ग की बात मानी और खुद अपने खेतों में काम करने लगा। उसने खरपतवार हटाए, फसलों की सही देखभाल की, और जल्द ही उसके खेत हरे-भरे हो गए। सुभाष ने समझा कि खुद की जिम्मेदारी और प्रयास से ही अच्छे परिणाम मिलते हैं।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अपने काम को खुद संभालना और उसमें व्यक्तिगत रूप से लगे रहना महत्वपूर्ण है, चाहे हमारे पास कितने भी सहायक क्यों न हों।

शायरी:

खेती की बातें हों, या जिंदगी के रास्ते,

अपने हाथों में ही, छुपा हर एक वास्ते।

चाहे लाखों हों संग, या हो तन्हाई,

‘खेती पाती बीनती’, सच है ये भाई।

घोड़े की तंग संभाले, हर कदम पर ध्यान दे,

जिंदगी की राह में, खुद की मेहनत का रंग दे।

कठिनाइयों का सामना, अपने बल पर कर,

जीत का जश्न मना, खुद की ताकत पर कर।

हर मुश्किल से गुजर, अपनी मंजिल पा ले,

‘खेती पाती बीनती’, इस सच को अपना ले।

चाहे लाखों हों संग, या हो अकेलापन,

अपने हाथों में है, तेरे जीवन का अरमान।

 

खेती पाती बीनती और घोड़े की तंग, अपने हाथ सम्भालिये चाहें लाख लोग होय संग शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of खेती पाती बीनती और घोड़े की तंग, अपने हाथ सम्भालिये चाहें लाख लोग होय संग – Kheti pati beenti hai aur ghode ki tang, Apne haath sambhaliye chahe lakh log hoye sang Proverb:

Introduction: “Kheti pati beenti hai aur ghode ki tang, Apne haath sambhaliye chahe lakh log hoye sang” is a famous Hindi proverb, meaning that it is better to keep any task in your own hands and manage it yourself, even if you have many assistants.

Meaning: The main essence of this proverb is that personal attention and responsibility are crucial in important tasks. It conveys that no matter how many people you have around, the ultimate responsibility and caution are yours.

Usage: This proverb is useful in situations where personal engagement and commitment are important, such as in business, family responsibilities, or a project.

Examples:

-> For instance, if a businessman completely delegates the responsibility of his business to his employees and does not pay attention himself, there may be some shortcomings or mistakes in the business. In such a situation, it can be said, “Kheti pati beenti hai aur ghode ki tang, Apne haath sambhaliye chahe lakh log hoye sang।”

Conclusion: This proverb teaches us to be actively and consciously involved in our tasks and responsibilities. By reducing dependency on assistants and taking responsibility ourselves, we can achieve better results.

Story of Kheti pati beenti hai aur ghode ki tang, Apne haath sambhaliye chahe lakh log hoye sang Proverb in English:

Once upon a time in a small village, there lived a farmer named ‘Subhash’. Subhash owned a lot of land for farming and had many laborers to help him. However, Subhash himself did not take care of his fields. He would leave all the work to the laborers and relax himself.

One day, a significant problem arose in Subhash’s fields. Weeds had overgrown, and the crops were getting spoiled. The laborers tried their best, but they did not have complete knowledge of the intricacies of farming.

An elder of the village explained to Subhash, “Subhash, you have so many laborers, but the real understanding of farming is with you. ‘Kheti pati beenti hai aur ghode ki tang, Apne haath sambhaliye chahe lakh log hoye sang.’ You should take care of your fields yourself.”

Subhash heeded the elder’s advice and started working in his fields. He removed the weeds, took proper care of the crops, and soon his fields were lush and green again. Subhash realized that good results come from personal responsibility and effort.

This story teaches us that it is essential to manage our work ourselves and stay personally involved, no matter how many helpers we have.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

खेती, पाती, बीनती, और घोड़े के साथ संबंध कैसे हैं?

यह कहावत सार्थकता में नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य हमें स्वयं के प्रति जिम्मेदारी और स्वाधीनता की अहमियत बताना है।

इस कहावत में खेती और पाती का क्या मतलब है?

खेती और पाती के द्वारा अधिकारिता और आत्मनिर्भरता की बात की जा रही है, जिससे जीवन को स्वतंत्रता से जी सके।

घोड़े की तंग को सम्भालने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

घोड़े की तंग को सम्भालने के लिए हमें सतर्क और कुशलता से काम करना चाहिए ताकि हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें।

इस कहावत से कौन-कौन सी सीखें निकाली जा सकती हैं?

यह कहावत हमें यह सिखाती है कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें अपने आत्मनिर्भर क्षमताओं का उपयोग करना चाहिए।

क्या इस कहावत का अनुसरण करना आसान है?

नहीं, इसका अनुसरण करना आसान नहीं है, क्योंकि हमें अपने कार्यों को सम्भालने के लिए सावधानी और समर्पण की आवश्यकता है।

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