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जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती, अर्थ, प्रयोग (Joo ke dar se gudri nahi fenki jaati)

परिचय: “जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती” हिंदी की एक प्रसिद्ध कहावत है। इस कहावत का उपयोग अक्सर उस स्थिति में किया जाता है जब किसी को सामान्य कष्ट या हानि के डर से अपने कार्य या जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटना चाहिए।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि छोटी-मोटी परेशानियों या डर के कारण अपने महत्वपूर्ण कार्य या जिम्मेदारियों को छोड़ना नहीं चाहिए। जूँ का डर मामूली होता है और गुदड़ी यानी कंबल को फेंकना उसका अनुपातहीन प्रतिक्रिया है।

उपयोग: यह कहावत तब इस्तेमाल की जाती है जब किसी को यह समझाना होता है कि छोटी-छोटी बाधाओं या डर से विचलित न होकर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहना चाहिए।

उदाहरण:

-> मान लीजिए, एक विद्यार्थी परीक्षा के तनाव के कारण पढ़ाई छोड़ने का विचार कर रहा है। ऐसे में उसे यह कहावत याद दिलाई जा सकती है कि “जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती” यानी छोटी-मोटी परेशानियों के कारण बड़े लक्ष्य से पीछे नहीं हटना चाहिए।

समापन: इस कहावत के माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में आने वाली छोटी-छोटी बाधाओं से घबराने की बजाय, उनका सामना करना और अपने पथ पर दृढ़ता से चलते रहना चाहिए। यह कहावत हमें यह भी सिखाती है कि किसी भी कठिनाई का समाधान त्याग या पलायन में नहीं, बल्कि साहस और धैर्य से होता है।

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जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में अनुज नाम का एक किसान रहता था। अनुज के पास एक छोटा सा खेत था, जिसमें वह अपनी पूरी मेहनत और लगन से काम करता। एक साल, गाँव में अचानक एक बड़ी समस्या आ गई। उसके खेत में छोटे-छोटे कीट आ गए, जिन्होंने फसलों को नुकसान पहुँचाना शुरू कर दिया।

गाँव के अन्य किसानों ने तो यह देखकर हार मान ली और अपनी फसलों को बर्बाद होते हुए छोड़ दिया। लेकिन अनुज ने हार नहीं मानी। उसने सोचा, “जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती।” उसने अपनी मेहनत और लगन को दुगुना कर दिया और कीटनाशकों का इस्तेमाल करके अपनी फसलों को बचाने का प्रयास किया।

अनुज की कड़ी मेहनत और धैर्य का परिणाम सुखद रहा। उसकी फसलें बच गईं और अच्छी पैदावार हुई। उसके इस प्रयास को देखकर गाँव के अन्य किसानों ने भी प्रेरणा ली और अगले वर्ष से वे भी छोटी-मोटी समस्याओं का सामना करने लगे।

अनुज की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि छोटी-छोटी बाधाओं के कारण हमें अपने महत्वपूर्ण कार्यों या लक्ष्यों से पीछे नहीं हटना चाहिए। बल्कि, धैर्य और संघर्ष के साथ उनका सामना करना चाहिए।

शायरी:

जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती,
संघर्षों से बचकर जीवन नहीं जी जाती।
हर मुश्किल में छिपा है एक सबक नया,
जीत उसी की होती, जो लड़ता है भया।

जिंदगी की राहों में काँटे भी मिलेंगे,
हर मोड़ पर नई चुनौतियाँ खिलेंगे।
मगर जो चलता रहा, हौसले से नहीं डिगा,
मंजिल उसी की होती, जो न थका न झुका।

जीवन के सागर में, तूफानों का डर नहीं,
हर लहर से कह दो, हमें हार का असर नहीं।
हर छोटी बाधा, जीत का पैगाम बन जाती,
जूँ के डर से गुदड़ी, आखिर कब फेंकी जाती।

रुकावटें आएंगी, रास्तों में कांटे बिछेंगे,
मगर जो हिम्मत न हारे, उसके कदम नहीं रुकेंगे।
जीवन की इस डगर में, हर कदम पर इम्तिहान है,
जान है तो जहान है, यही तो इंसान की पहचान है।

 

जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती – Joo ke dar se gudri nahi fenki jaati Proverb:

Introduction: “Joo ke dar se gudri nahi fenki jaati” is a popular Hindi proverb used in situations where a person should not abandon their work or responsibilities due to fear of minor troubles or losses.

Meaning: The proverb means that one should not give up on important tasks or responsibilities due to small problems or fears. The fear of lice is minor, and throwing away a blanket or quilt (gudri) in response to it is a disproportionate reaction.

Usage: This proverb is used when someone needs to be reminded not to be perturbed by small obstacles or fears, and to stay focused on their goal.

Examples:

-> Consider a student who is thinking of quitting studies due to the stress of exams. In this case, the proverb “जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती” can be reminded, meaning one should not back down from their larger goal due to minor troubles.

Conclusion: This proverb teaches us that instead of being frightened by the small obstacles that arise in life, we should face them and continue steadfastly on our path. It also conveys that the solution to difficulties lies not in abandonment or escape, but in courage and patience.

Story of Joo ke dar se gudri nahi fenki jaati Proverb in English:


In a small village, there lived a farmer named Anuj. Anuj owned a small farm where he worked diligently and passionately. One year, a big problem struck the village. Small pests invaded his crops, causing damage.

Other farmers in the village gave up upon seeing this and left their crops to be destroyed. However, Anuj refused to concede defeat. He thought to himself, “One should not discard the quilt just because of the fear of lice.” He redoubled his efforts and used pesticides to save his crops.

Anuj’s hard work and patience paid off. His crops were saved and yielded a good harvest. Inspired by his endeavor, other farmers in the village also began to face minor problems head-on in the following years.

Anuj’s story teaches us that we should not back down from our significant tasks or goals due to minor obstacles. Instead, we should face them with patience and perseverance.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

इस कहावत का प्रयोग किस प्रकार की स्थितियों में किया जाता है?

यह कहावत तब प्रयोग की जाती है जब छोटी समस्या के कारण किसी बड़े या महत्वपूर्ण निर्णय को रद्द नहीं किया जाना चाहिए।

इस कहावत का व्यावसायिक जीवन में क्या महत्व है?

व्यावसायिक जीवन में इस कहावत का महत्व है कि छोटी समस्याओं के आधार पर बड़े और महत्वपूर्ण फैसलों को नहीं बदला जाना चाहिए।

क्या इस कहावत का उपयोग संबंधों में किया जा सकता है?

हाँ, इस कहावत का उपयोग संबंधों में भी किया जा सकता है, जहां छोटी बातों को नजरअंदाज करके बड़ी तस्वीर को देखा जाना चाहिए।

इस कहावत का व्यक्तिगत जीवन में क्या महत्व है?

व्यक्तिगत जीवन में इस कहावत का महत्व यह है कि छोटी समस्याओं को बड़े फैसलों में बाधा नहीं बनने देना चाहिए।

क्या यह कहावत समझदारी से समस्याओं का सामना करने की बात करती है?

हाँ, यह कहावत समझदारी से समस्याओं का सामना करने और उन्हें सुलझाने की बात करती है।

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