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जोगी जोगी लड़ पड़े, खप्पड़ का नुकसान, अर्थ, प्रयोग(Jogi jogi lad pade, Khappad ka nuksan)

परिचय: “जोगी जोगी लड़ पड़े, खप्पड़ का नुकसान” एक प्रचलित हिंदी कहावत है, जिसका अर्थ है कि जब बड़े लोग या शक्तिशाली व्यक्ति आपस में लड़ते हैं, तो हानि छोटे और कमजोर लोगों को होती है। यहाँ ‘जोगी’ शक्तिशाली व्यक्तियों का प्रतीक हैं, और ‘खप्पड़’ (भिक्षापात्र) कमजोर या निर्दोष लोगों का।

अर्थ: इस कहावत का मूल भाव यह है कि शक्तिशाली लोगों के झगड़े में अक्सर निर्दोष और कमजोर लोग पीस जाते हैं। यह एक सामाजिक विडंबना को दर्शाता है जहाँ बड़े लोगों की लड़ाई में छोटे लोगों को नुकसान होता है।

उपयोग: यह कहावत तब प्रयोग की जाती है जब दो शक्तिशाली गुटों या व्यक्तियों के बीच के विवाद में छोटे और निर्दोष लोग प्रभावित होते हैं। इसका उपयोग राजनीति, सामाजिक विवाद, या यहाँ तक कि पारिवारिक झगड़ों में भी होता है।

उदाहरण:

-> अगर दो बड़ी कंपनियां आपस में मुकदमेबाजी में लग जाएं, तो इसका नुकसान उनके कर्मचारियों और ग्राहकों को होता है, जिन्हें इस झगड़े का कोई सीधा लेना-देना नहीं होता।

समापन: “जोगी जोगी लड़ पड़े, खप्पड़ का नुकसान” कहावत हमें बताती है कि शक्ति के द्वंद्व में अक्सर कमजोर और निर्दोष लोगों की क्षति होती है। यह हमें इस बात का सचेत करती है कि हमें अपने विवादों और कार्यों में सावधानी बरतनी चाहिए ताकि निर्दोष लोग प्रभावित न हों।

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जोगी जोगी लड़ पड़े, खप्पड़ का नुकसान कहावत पर कहानी:

एक समय की बात है, दो राज्यों के राजा आपस में शक्तिशाली और प्रतिद्वंद्वी थे। उनके राज्यों के बीच एक छोटा सा गाँव पड़ता था, जिसके लोग शांति और सादगी से अपना जीवन यापन करते थे।

एक दिन, दोनों राजाओं के बीच एक छोटी सी बात पर विवाद हो गया। विवाद बढ़ता गया और अंततः युद्ध में बदल गया। दोनों राजाओं ने अपनी-अपनी सेनाएँ तैयार कीं और युद्ध के लिए आमने-सामने आ गए।

युद्ध का मैदान वही छोटा सा गाँव बना, जो दोनों राज्यों के बीच में पड़ता था। गाँव वाले इस युद्ध में फंस गए। उनके खेत बर्बाद हो गए, घर तबाह हो गए, और अनेक निर्दोष लोगों की जानें चली गईं।

इस युद्ध में गाँव वालों को बहुत नुकसान हुआ, जबकि उनका इस विवाद में कोई हाथ नहीं था। उन्होंने महसूस किया कि “जोगी जोगी लड़ पड़े, खप्पड़ का नुकसान” कहावत उनकी स्थिति पर सटीक बैठती है।

इस कहानी के माध्यम से हमें यह सिख मिलती है कि जब शक्तिशाली लोग आपस में लड़ते हैं, तो अक्सर निर्दोष और कमजोर लोगों को ही हानि होती है। इसलिए, शक्ति के संतुलन और न्याय के प्रति सजग रहना चाहिए, ताकि निर्दोष लोग पीड़ित न हों।

शायरी:

जोगी जोगी में जब जंग होती है,

खप्पड़ की किस्मत में दंग होती है।

बड़ों की लड़ाई में, छोटे का क्या कसूर,

खप्पड़ की तकदीर में, बस टूटने का सुरूर।

शक्ति के खेल में, निर्दोष क्यों रोते हैं,

जोगियों की लड़ाई में, खप्पड़ ही क्यों टूटते हैं।

जब तक सियासत का ये खेल चलेगा,

खप्पड़ का हर दिन, बस यूँ ही मलेगा।

बड़े लोगों की जंग में, छोटों का क्या हाल,

खप्पड़ की कहानी में, छुपा हर जोगी का कमाल।

जोगी जोगी में जब तक बैर होता रहेगा,

खप्पड़ अपनी किस्मत पे आंसू बहाएगा।

 

जोगी जोगी लड़ पड़े, खप्पड़ का नुकसान शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of जोगी जोगी लड़ पड़े, खप्पड़ का नुकसान – Jogi jogi lad pade, Khappad ka nuksan Proverb:

Introduction: “Jogi jogi lad pade, Khappad ka nuksan” is a prevalent Hindi proverb, meaning that when powerful people or elders fight, the poor and weak suffer the losses. Here, ‘Jogi’ symbolizes powerful individuals, and ‘Khappar’ (begging bowl) represents the weak or innocent people.

Meaning: The proverb’s essence is that innocent and weaker individuals often get crushed in the disputes of powerful people. It illustrates a social irony where the small people suffer in the fights of the mighty.

Usage: This proverb is used when small and innocent people are affected by the disputes between two powerful groups or individuals. It’s applicable in politics, social disputes, and even family feuds.

Examples:

-> If two large companies engage in litigation, their employees and customers, who have no direct involvement in the dispute, suffer the consequences.

Conclusion: The proverb “जोगी जोगी लड़ पड़े, खप्पड़ का नुकसान” tells us that the weak and innocent often suffer in the power struggle. It alerts us to be cautious in our disputes and actions so that innocent people are not affected.

Story of Jogi jogi lad pade, Khappad ka nuksan Proverb in English:

Once upon a time, there were two powerful and rival kings of neighboring states. Between their realms lay a small village, where people lived peacefully and simply.

One day, a minor dispute arose between the two kings. The dispute escalated and eventually turned into a war. Both kings prepared their armies and confronted each other for battle.

The battlefield turned out to be that very small village, situated between the two states. The villagers got caught in this war. Their fields were destroyed, homes were ruined, and many innocent lives were lost.

The villagers suffered greatly in this war, though they had no part in the dispute. They realized that the proverb “जोगी जोगी लड़ पड़े, खप्पड़ का नुकसान” accurately described their situation.

This story teaches us that when powerful people fight among themselves, it is often the innocent and weak who suffer. Therefore, one must be mindful of the balance of power and justice, so that innocent people do not become victims.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

इस कहावत का सामाजिक जीवन में क्या महत्व है?

सामाजिक जीवन में यह कहावत यह सिखाती है कि विवादों और संघर्षों में अक्सर निर्दोष लोग या समूह प्रभावित होते हैं।

इस कहावत का व्यापार और अर्थशास्त्र में क्या महत्व है?

व्यापार और अर्थशास्त्र में, इस कहावत का महत्व यह है कि प्रतिस्पर्धा या संघर्ष के दौरान अक्सर तृतीय-पक्ष या उपभोक्ता प्रभावित होते हैं।

इस कहावत का शिक्षा क्षेत्र में क्या महत्व है?

शिक्षा क्षेत्र में, यह कहावत यह बताती है कि शिक्षकों या संस्थानों के बीच के मतभेदों में अक्सर छात्रों का नुकसान होता है।

इस कहावत का राजनीतिक संदर्भ में क्या महत्व है?

राजनीतिक संदर्भ में, यह कहावत यह इंगित करती है कि पार्टियों या नेताओं के बीच के विवादों में अक्सर आम जनता या राष्ट्रीय हित प्रभावित होते हैं।

क्या इस कहावत का वैश्विक समस्याओं पर कोई प्रभाव पड़ता है?

हाँ, वैश्विक समस्याओं में यह कहावत यह दर्शाती है कि वैश्विक नेताओं या देशों के बीच के संघर्ष में अक्सर पर्यावरण, शांति, और मानवता प्रभावित होती है।

इस कहावत को आत्म-विकास और निजी जीवन में कैसे लागू किया जा सकता है?

आत्म-विकास और निजी जीवन में, यह कहावत हमें सिखाती है कि हमारे निजी संघर्षों या विवादों का प्रभाव हमारे रिश्तों, करियर, और खुद की भलाई पर पड़ सकता है।

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