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जो सुख छज्जू के चौबारे में, सो न बलख बुखारे में, अर्थ, प्रयोग(Jo sukh chajju de chubare mein, So na balakh bukhare mein)

परिचय: जो सुख छज्जू के चौबारे में, सो न बलख बुखारे में, यह कहावत अपने घर के सुख और आनंद की महत्वता को रेखांकित करती है। इसमें छज्जू के चौबारे का प्रतीकात्मक अर्थ है – अपना घर और बलख बुखारे का अर्थ है – विदेश या पराया स्थान।

अर्थ: इस कहावत का सीधा अर्थ है कि जो आनंद और संतोष व्यक्ति को अपने घर में मिलता है, वह दुनिया के किसी भी अन्य स्थान पर नहीं मिल सकता। यह कहावत घर के महत्व को दर्शाती है और यह भी सिखाती है कि घर का सुख बाहरी दुनिया की किसी भी चमक-दमक से बढ़कर है।

उपयोग: यह कहावत अक्सर तब प्रयोग में लाई जाती है, जब किसी व्यक्ति को यह समझाना होता है कि विदेश या बाहरी स्थानों में जाने का आकर्षण भले ही हो, परंतु अपने घर का आनंद सर्वोपरि है। यह विचार विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण होता है जब लोग बाहरी सफलता और संपत्ति के पीछे भागते हैं, अपने घर और परिवार को नजरअंदाज करते हैं।

उदाहरण:

-> मान लीजिए एक व्यक्ति विदेश में नौकरी करता है और वहां उसे सभी सुविधाएं और ऐश्वर्य मिलता है, परंतु वह अपने घर और परिवार को याद करता है। इस स्थिति में, यह कहावत प्रासंगिक होती है क्योंकि इससे यह समझ आता है कि घर का सुख और आत्मीयता किसी भी बाहरी सुख से बड़ी है।

समापन: इस प्रकार, “जो सुख छज्जू के चौबारे में, सो न बलख बुखारे में” कहावत हमें यह शिक्षा देती है कि घर का सुख और आत्मीयता अनुपम और अतुलनीय है। यह हमें याद दिलाती है कि हमारा असली सुख और संतुष्टि अपने परिवार और घर में ही निहित है, न कि बाहरी दुनिया की चकाचौंध में।

Hindi Muhavare Quiz

जो सुख छज्जू के चौबारे में, सो न बलख बुखारे में कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में अभय नामक एक युवक रहता था। उसके सपने बड़े थे और वह हमेशा विदेश में जाकर काम करने का सपना देखता था।

अभय ने कड़ी मेहनत की और एक दिन उसे विदेश में नौकरी का अवसर मिला। वह बहुत खुश हुआ और अपने परिवार से विदाई लेकर विदेश चला गया। वहां उसे अच्छी तनख्वाह, सुंदर घर और सभी सुविधाएं मिलीं।

शुरुआत में तो अभय को वहां सब कुछ नया और रोमांचक लगा, पर धीरे-धीरे उसे अपने घर की याद आने लगी। वह अपने माता-पिता, दोस्तों और गाँव की सादगी को बहुत मिस करने लगा। विदेश में उसे हर सुविधा थी, पर वह सुख नहीं था जो उसे अपने गाँव में मिलता था।

एक दिन अभय ने सोचा कि “जो सुख छज्जू के चौबारे में, सो न बलख बुखारे में।” उसे समझ आया कि असली खुशी और संतोष उसे अपने घर और परिवार के बीच ही मिल सकता है।

अभय ने निर्णय लिया कि वह वापस अपने गाँव लौटेगा। वापसी पर उसका परिवार और गाँव वाले उसे खुले दिल से स्वागत करते हैं। अभय को समझ आया कि सच्ची खुशी और संतोष अपने घर और परिवार के बीच ही मिलता है।

इस कहानी के माध्यम से यह सिख मिलती है कि “घर का सुख” अन्य किसी भी सुख से बढ़कर होता है और असली आनंद और शांति अपने घर और परिवार में ही निहित होती है।

शायरी:

जो सुख छज्जू के चौबारे में, सो न बलख बुखारे में,

हर घर की यही कहानी, बातें हैं ये सच्ची सारी।

घर की गलियों में बिखरे हैं सुख के पल,

विदेशी सपनों में कहाँ वो मिठास मिले।

छत पर चढ़कर देखो जब तारों को,

अपनों का प्यार लगता है चाँद से भी प्यारा।

दौलत की चमक में अक्सर खो जाते हैं लोग,

पर घर की रौशनी में ही तो दिल लगता है।

विदेशी धरती पर कदम तो बहुत बढ़ाए,

पर घर की मिट्टी में ही सुकून का समंदर पाया।

सफर लंबे हों या हों छोटी राहें,

घर आने की खुशी में ही सारे जहाँ की बाहें।

जो सुख छज्जू के चौबारे में, सो न बलख बुखारे में,

घर की यादों में ही सजी है ज़िंदगी की कहानी।

 

जो सुख छज्जू के चौबारे में, सो न बलख बुखारे में शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of जो सुख छज्जू के चौबारे में, सो न बलख बुखारे में – Jo sukh chajju de chubare mein, So na balakh bukhare mein Proverb:

Introduction: There’s a famous Hindi proverb, “Jo sukh chajju de chubare mein, So na balakh bukhare mein,” which underscores the importance of happiness and joy found in one’s own home. Symbolically, “Chhajju’s rooftop” represents one’s own home, while “Balkh and Bukhara” represent foreign or unfamiliar places.

Meaning: The direct meaning of this proverb is that the joy and satisfaction one finds in their own home cannot be found anywhere else in the world. It highlights the significance of home and teaches that the happiness found at home surpasses any glamour and glitter of the outside world.

Usage: This proverb is often used to remind someone that despite the allure of foreign lands or external places, the joy of one’s own home is paramount. This becomes particularly important when people chase external success and wealth, neglecting their home and family.

Examples:

-> Consider a person working abroad who enjoys all the luxuries and comforts there but misses his home and family. In this situation, the proverb becomes relevant, as it highlights that the comfort and warmth of home are greater than any external pleasures.

Conclusion: Thus, the proverb “जो सुख छज्जू के चौबारे में, सो न बलख बुखारे में” teaches us that the happiness and affection of home are incomparable and unparalleled. It reminds us that our true happiness and contentment lie within our family and home, not in the dazzling distractions of the outside world.

Story of Jo sukh chajju de chubare mein, So na balakh bukhare mein Proverb in English:

In a small village lived a young man named Abhay. He had big dreams and always aspired to work abroad.

Abhay worked hard and one day, he got an opportunity to work overseas. He was overjoyed and, bidding farewell to his family, he left for foreign shores. There, he received a good salary, a beautiful house, and all amenities.

Initially, Abhay found everything new and exciting abroad, but gradually, he began to miss his home. He longed for the simplicity of his village and the presence of his parents and friends. Despite having every facility in the foreign land, he didn’t find the happiness he felt back in his village.

One day, Abhay reflected on the saying, “The happiness found in Chhajju’s rooftop cannot be found in Balkh or Bukhara.” He realized that true joy and contentment could only be found among his family and home.

Abhay decided to return to his village. Upon his return, his family and fellow villagers welcomed him with open arms. Abhay understood that true happiness and satisfaction are found within one’s own home and family.

This story teaches us that “the joy of home” surpasses all other joys, and real peace and happiness are rooted in our home and family.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

इस कहावत का आज के समय में क्या महत्व है?

आधुनिक समय में यह कहावत यह बताती है कि सादगी और अपनेपन में बड़ा सुख होता है, और अक्सर लोग इसे विलासिता की खोज में अनदेखा कर देते हैं।

क्या इस कहावत का सामाजिक जीवन पर भी कोई प्रभाव पड़ता है?

हाँ, इस कहावत का सामाजिक जीवन पर प्रभाव यह है कि यह समाज में संतोष और सादगी के महत्व को रेखांकित करती है।

इस कहावत का व्यक्तिगत जीवन और खुशियों पर क्या प्रभाव है?

व्यक्तिगत जीवन और खुशियों पर इस कहावत का प्रभाव यह है कि यह व्यक्ति को अपने आसपास के सामान्य और सरल चीजों में खुशी ढूँढने की प्रेरणा देती है।

इस कहावत को वर्तमान समाज में कैसे समझा जा सकता है?

वर्तमान समाज में इस कहावत को यह बताते हुए समझा जा सकता है कि अक्सर लोग बाहरी चमक-दमक में उलझकर अपने घर और पारिवारिक सुखों की सरलता और महत्ता को अनदेखा कर देते हैं।

क्या इस कहावत का भौतिकवादी जीवनशैली पर कोई टिप्पणी की जा सकती है?

हाँ, इस कहावत से भौतिकवादी जीवनशैली पर टिप्पणी की जा सकती है, जो बताती है कि सामग्री की बहुतायत और विलासिता से ज्यादा महत्वपूर्ण संतोष और आत्मीयता होती है।

इस कहावत का आत्म-संतुष्टि और सामाजिक प्रतिष्ठा पर क्या प्रभाव है?

आत्म-संतुष्टि और सामाजिक प्रतिष्ठा पर इस कहावत का प्रभाव यह है कि यह व्यक्ति को आंतरिक संतोष और अपने आप में खुश रहने की महत्वपूर्णता को दर्शाती है, बजाय कि समाज में ऊँची प्रतिष्ठा की खोज करने के।

इस कहावत का सामाजिक और व्यक्तिगत मूल्यों पर क्या प्रभाव है?

सामाजिक और व्यक्तिगत मूल्यों पर इस कहावत का प्रभाव यह है कि यह व्यक्तिगत संतोष और आत्मीयता के मूल्यों को बढ़ावा देती है, और समाज में बाहरी चमक-दमक और भौतिक सफलता के पीछे भागने की प्रवृत्ति को कम करती है।

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