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जो गुड़ खाय वही कान छिदावे, अर्थ, प्रयोग (Jo gud khay wahi kaan chidave)

“जो गुड़ खाय वही कान छिदावे” यह एक प्रचलित हिंदी कहावत है जो जीवन के एक महत्वपूर्ण सिद्धांत को दर्शाती है। इस कहावत का अर्थ है कि जो लोग सुखों का आनंद उठाते हैं, उन्हें उसके लिए कुछ कष्ट या परिश्रम भी करना पड़ता है।

परिचय: यह कहावत जीवन में सुख और दुःख के बीच संतुलन की बात करती है। यह बताती है कि जीवन में कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है।

अर्थ: इस कहावत का मतलब है कि यदि आपको जीवन में कुछ अच्छा प्राप्त करना है, तो उसके लिए आपको कुछ कष्ट या मेहनत भी करनी होगी।

उपयोग: यह कहावत अक्सर उन स्थितियों में प्रयोग की जाती है जहां व्यक्ति को कुछ पाने के लिए कठिनाई या परिश्रम करना पड़ता है।

उदाहरण:

-> मान लीजिए एक व्यक्ति ने अपने व्यापार में सफलता पाने के लिए दिन-रात मेहनत की। उसकी सफलता इस कहावत का एक उदाहरण है कि “जो गुड़ खाय वही कान छिदावे”।

समापन: इस कहावत से हमें यह सिख मिलती है कि जीवन में सफलता और सुख प्राप्त करने के लिए परिश्रम और संघर्ष आवश्यक हैं। सच्चा आनंद उन्हीं को मिलता है जो इसके लिए आवश्यक परिश्रम करने को तैयार होते हैं।

Hindi Muhavare Quiz

जो गुड़ खाय वही कान छिदावे कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गांव में विकास नाम का एक युवक रहता था। विकास का सपना था कि वह एक दिन बड़ा व्यापारी बने। उसके इस सपने के लिए उसके परिवार ने उसका पूरा साथ दिया और उसे शहर में पढ़ने के लिए भेजा।

विकास ने शहर में जाकर व्यापार संबंधी अध्ययन किया और बहुत मेहनत से अपनी पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी होने के बाद, विकास ने अपना खुद का व्यापार शुरू किया। शुरुआत में उसे कई तरह की चुनौतियां और कठिनाइयां आईं। कई बार उसका व्यापार लगभग डूबने की कगार पर आ गया, लेकिन विकास ने हार नहीं मानी।

विकास ने दिन-रात मेहनत की, अपने व्यापार को संभाला और धीरे-धीरे उसे बढ़ाया। कुछ सालों के परिश्रम के बाद, विकास का व्यापार फलने-फूलने लगा और वह एक सफल व्यापारी बन गया। उसकी सफलता देखकर गांव के लोग कहने लगे, “विकास ने साबित कर दिया कि ‘जो गुड़ खाय वही कान छिदावे’।”

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि जीवन में सफलता और सुख प्राप्त करने के लिए परिश्रम और संघर्ष आवश्यक हैं। जो लोग सुख का आनंद उठाना चाहते हैं, उन्हें उसके लिए कष्ट और परिश्रम भी करना पड़ता है।

शायरी:

गुड़ की मिठास जो चाहे, कानों में छेद भी सहे,

जीवन की इस राह में, हर सुख का मोल अदा करे।

सपनों की उड़ान में, परिश्रम की कठिनाई शामिल,

जो सुख चाहे जीवन में, करे वह पहले तपिश का सामना।

खुशियों का चाहने वाले, पहले दुख का स्वाद चखें,

“जो गुड़ खाय वही कान छिदावे”, यही सच्चाई का पथ रखें।

जीवन की इस बाजी में, हर सुख का अपना दाम है,

सपने तो बस सपने हैं, जब तक परिश्रम का संग्राम है।

सुख की चाह में, दुख की आंच को भी गले लगाना,

यही जीवन का गीत है, यही जीवन का फ़साना।

 

जो गुड़ खाय वही कान छिदावे शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of जो गुड़ खाय वही कान छिदावे – Jo gud khay wahi kaan chidave Proverb:

“Jo gud khay wahi kaan chidave” is a popular Hindi proverb that illustrates an important principle of life. This proverb means that those who enjoy pleasures also have to endure some hardships or put in effort.

Introduction: This saying talks about the balance between joy and sorrow in life. It conveys that to gain something in life, one also has to lose something.

Meaning: The proverb implies that if you want to achieve something good in life, you need to be prepared to face some difficulties or put in hard work.

Usage: This proverb is often used in situations where a person has to go through difficulties or hard work to achieve something.

Examples:

-> Suppose a person works day and night to achieve success in their business. Their success is an example of the proverb “जो गुड़ खाय वही कान छिदावे.”

Conclusion: This proverb teaches us that effort and struggle are necessary to achieve success and happiness in life. True joy is for those who are prepared to put in the necessary effort.

Story of Jo gud khay wahi kaan chidave Proverb in English:

In a small town, there lived two merchants named Vikas and Abhay. Vikas’s business was in competition with Abhay’s father, and there was a business rivalry between the two. However, the relationship between Abhay and Vikas was quite different.

Abhay, who had come to assist his father in business, developed a personal relationship with Vikas. The two young businessmen shared several common interests, and their friendship was growing stronger day by day.

In Vikas’s heart, the business animosity he held was towards Abhay’s father, not towards Abhay. Vikas once said, “Though I have business enmity with Abhay’s father, my relationship with Abhay is different. ‘Baap se bair, poot se sagai.'”

This story teaches us that relationships are often paradoxical, and different relationships can exist with various members of the same family. The proverb also tells us that each relationship has its own importance and feelings towards one person should not extend to another.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

क्या यह कहावत केवल शारीरिक कार्यों के लिए लागू होती है?

नहीं, यह कहावत शारीरिक के साथ-साथ मानसिक और भावनात्मक कार्यों के लिए भी लागू होती है।

क्या इस कहावत का विशेष सामाजिक संदर्भ है?

हां, यह कहावत जिम्मेदारी और सावधानी के साथ किसी कार्य को करने के महत्व को दर्शाती है।

क्या इस कहावत का उपयोग बच्चों को सिखाने में किया जा सकता है?

हां, बच्चों को किसी भी कार्य को करने से पहले पूरी तैयारी और सोच-समझकर कदम उठाने की शिक्षा देने के लिए इस कहावत का उपयोग किया जा सकता है।

क्या इस कहावत का कोई विदेशी समकक्ष है?

इसका अंग्रेजी में समकक्ष हो सकता है “Look before you leap” या “He who fails to prepare, prepares to fail.”

क्या इस कहावत का कोई व्यावहारिक उदाहरण है?

व्यावहारिक उदाहरण में किसी ऐसे व्यक्ति का उल्लेख किया जा सकता है जो बिना पर्याप्त तैयारी के किसी प्रतियोगिता में भाग लेता है और असफल होता है।

क्या इस कहावत का उपयोग आत्म-प्रेरणा के लिए किया जा सकता है?

हां, इस कहावत का उपयोग व्यक्तिगत प्रेरणा और सोच-समझकर निर्णय लेने के महत्व को समझाने के लिए किया जा सकता है।

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