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जो गरजते हैं वो बरसते नहीं, अर्थ, प्रयोग(Jo garajte hain woh baraste nahi)

परिचय: हिंदी भाषा में अनेक मुहावरे हैं जो हमें जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षाएँ देते हैं। “जो गरजते हैं वो बरसते नहीं” भी ऐसा ही एक मुहावरा है जो व्यक्तियों की विशेष प्रवृत्तियों को चित्रित करता है।

अर्थ: “जो गरजते हैं वो बरसते नहीं” मुहावरे का अर्थ है कि जो लोग बहुत अधिक डींगें मारते हैं या धमकाते हैं, वे आमतौर पर वास्तव में कुछ करने में सक्षम नहीं होते।

प्रयोग: जब किसी व्यक्ति को देखकर लगे कि वह बहुत बड़े-बड़े दावे कर रहा है, लेकिन उसके पास उन दावों को साकार करने की ताकत नहीं है, तब हम इस मुहावरे का प्रयोग कर सकते हैं।

उदाहरण:

-> “अभय अक्सर अपने प्रोजेक्ट की बड़ी-बड़ी बातें करता है, लेकिन अब तक उसने प्रोजेक्ट पर कुछ भी नहीं किया। जैसा कि कहते हैं, जो गरजते हैं वो बरसते नहीं।”

-> “अनुभव अकेले पूरे काम को संभाल लेने की बात करता है, लेकिन हर बार वह अपने वादे पर अमल नहीं कर पाता। वाकई, जो गरजते हैं वो बरसते नहीं।”

निष्कर्ष: “जो गरजते हैं वो बरसते नहीं” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी क्षमताओं और सीमाओं का अच्छी तरह से पता होना चाहिए। अधिक डिंग मारने या अधिक दावे करने से बेहतर है कि हम वास्तविकता में कुछ साकारात्मक काम करें।

Hindi Muhavare Quiz

जो गरजते हैं वो बरसते नहीं मुहावरा पर कहानी:

गाँव में विकास और अभय दो दोस्त रहते थे। विकास एक संजीवनी पेंड़ की खोज में जंगल में जा रहा था। वह वृक्ष से पाये जाने वाले फल से अपने गाँव के लोगों की बीमारियों का इलाज करना चाहता था।

अभय ने सुना और उसने भी अपनी इच्छा प्रकट की कि वह भी जंगल में जाएगा। लेकिन अभय की आदत थी केवल लोगों के सामने डींगें मारने की। उसने गाँव के सभी लोगों को सुनाया कि वह कैसे अकेले ही जंगल के सबसे भयानक जानवरों से लड़ेगा और संजीवनी वृक्ष की खोज में सफल होगा।

विकास चुपचाप अपनी तैयारियों में व्यस्त था, जबकि अभय गाँव में अपनी बहादुरी की कहानियां सुना रहा था।

जब वह दिन आया, विकास ने अपने साथ जरूरी सामग्री और खाने का सामान लेकर जंगल की ओर प्रस्थान किया। वहीं, अभय अचानक बीमार पड़ गया और जंगल जाने से इंकार कर दिया।

कुछ ही दिनों में विकास संजीवनी वृक्ष को ढूँढ निकाला और गाँव वापस लौटा। गाँववाले उसे देखकर हैरान रह गए। वह सचमुच में वृक्ष के फल के साथ वापस आया था।

गाँव में लोगों ने समझ लिया कि “जो गरजते हैं वो बरसते नहीं”। अभय ने बहुत बड़ी-बड़ी बातें की थीं, लेकिन जब समय आया, तो उसने कुछ नहीं किया। जबकि विकास ने बिना कहे अपने काम से सभी को चौंका दिया।

और इसी प्रकार, गाँववालों को यह सिखाने वाली इस कथा से समझ में आया कि काम करना ही सबसे महत्वपूर्ण है, बस बड़ी-बड़ी बातें करने से कुछ भी नहीं होता।

शायरी:

जो गरजते हैं वो बरसते नहीं,

आँखों में अरमान बहकते नहीं।

उनकी बातों में थी आग बहुत,

जिनके कामों में लहू बहकते नहीं।

ख़ामोशी से ही बजती है तराने,

जो ज़ुबां पे बस शेर रचते नहीं।

 

जो गरजते हैं वो बरसते नहीं शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of जो गरजते हैं वो बरसते नहीं – Jo garajte hain woh baraste nahi Idiom:

Introduction: In the Hindi language, there are many idioms that provide us with important life lessons. “जो गरजते हैं वो बरसते नहीं” (Those who thunder don’t rain) is one such idiom that depicts certain behaviors of individuals.

Meaning: The idiom “जो गरजते हैं वो बरसते नहीं” means that people who make grandiose threats or claims often do not follow through with action.

Usage: When it appears that someone is making big claims, but they don’t have the ability to actualize those claims, we can use this idiom.

Examples:

-> “Abhay often talks big about his project, but so far he has done nothing about it. As they say, those who thunder don’t rain.”

-> “Anubhav claims he can handle the entire task alone, but every time he fails to live up to his promise. Truly, those who thunder don’t rain.”

Conclusion: The idiom “जो गरजते हैं वो बरसते नहीं” teaches us that we should be well aware of our capabilities and limits. Instead of boasting or making excessive claims, it’s better to do something constructive in reality.

Story of ‌‌Jo garajte hain woh baraste nahi Idiom in English:

In the village, Vikas and Abhay were two friends. Vikas was venturing into the forest in search of a life-giving tree. He wanted to use the fruit obtained from the tree to cure the illnesses of the villagers.

Upon hearing this, Abhay expressed his desire to go to the forest as well. However, Abhay had a habit of only bragging in front of people. He told everyone in the village how he would single-handedly fight the most fearsome animals in the forest and succeed in finding the life-giving tree.

Vikas was quietly preparing for his journey, while Abhay was narrating tales of his bravery in the village.

When the day came, Vikas set out towards the forest with essential items and food. On the other hand, Abhay suddenly fell ill and refused to go to the forest.

Within a few days, Vikas managed to find the life-giving tree and returned to the village. The villagers were astonished to see him. He had truly returned with the fruit from the tree.

The villagers realized the truth of the saying, “Those who thunder don’t rain.” Abhay had made grand claims, but when the time came, he did nothing. On the other hand, Vikas, without saying much, astonished everyone with his actions.

And in this way, through this enlightening tale, the villagers understood that taking action is most important; mere words achieve nothing.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

“जो गरजते हैं वो बरसते नहीं” मुहावरे का अंग्रेजी में क्या अनुवाद होता है?

इस मुहावरे का अंग्रेजी में अनुवाद “Barking dogs seldom bite” हो सकता है, जिसका अर्थ है कि जो अधिक धमकियाँ देते हैं, वे अक्सर कुछ नहीं करते।

क्या “जो गरजते हैं वो बरसते नहीं” मुहावरे का कोई आधुनिक संदर्भ है?

हाँ, आधुनिक संदर्भ में इस मुहावरे का प्रयोग राजनीति, सोशल मीडिया, और व्यापार में खोखले वादों या धमकियों के लिए किया जा सकता है।

“जो गरजते हैं वो बरसते नहीं” मुहावरे से हमें क्या सीखने को मिलता है?

इस मुहावरे से हमें यह सीखने को मिलता है कि केवल बड़ी-बड़ी बातें करने से कुछ नहीं होता, कार्रवाई महत्वपूर्ण है।

“जो गरजते हैं वो बरसते नहीं” मुहावरे का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?

यह मुहावरा समाज को यह सिखाता है कि वास्तविक कार्य और प्रयास ही महत्वपूर्ण हैं, न कि केवल शब्द। यह लोगों को वास्तविकता और खोखले वादों के बीच अंतर करने की क्षमता विकसित करने में मदद करता है।

क्या “जो गरजते हैं वो बरसते नहीं” मुहावरे का कोई ऐतिहासिक महत्व है?

“जो गरजते हैं वो बरसते नहीं” मुहावरे का कोई विशेष ऐतिहासिक महत्व नहीं है, लेकिन यह लंबे समय से मानव व्यवहार और समाज में व्याप्त धारणाओं को दर्शाता आया है।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

यह मुहावरा ज से शुरू होने वाले मुहावरे पेज पर भी उपलब्ध है।

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