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जो अति आतप व्याकुल होई, तरु छाया सुख जाने सोई, अर्थ, प्रयोग (Jo ati aatap vyakul hoi, Taru chaya sukh jane soi)

“जो अति आतप व्याकुल होई, तरु छाया सुख जाने सोई” यह हिंदी की एक प्रचलित कहावत है, जिसका अर्थ है कि कठिनाइयों और संकटों का सामना करने वाला व्यक्ति ही आराम और सुख की कद्र करता है। यह कहावत जीवन की संघर्षों और सुख-दुख के चक्र को बखूबी दर्शाती है।

परिचय: इस कहावत का प्रयोग आमतौर पर उस समय किया जाता है जब व्यक्ति किसी कठिनाई के बाद सुख और आराम की अनुभूति करता है।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि जो लोग अधिक संकट और कठिनाइयों का सामना करते हैं, वे ही सच्चे सुख और आराम की महत्ता को समझते हैं।

उपयोग: जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक कठिनाइयों से जूझता है और फिर उसे सुख का अनुभव होता है, तब इस कहावत का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण:

-> एक किसान जो दिन-रात मेहनत करके फसल उगाता है, जब उसे अच्छी फसल का परिणाम मिलता है, तो वह इस कहावत के अनुसार सुख का अनुभव करता है।

समापन: इस कहावत से हमें यह सीख मिलती है कि संघर्ष और कठिनाइयाँ हमें जीवन के सच्चे सुखों की कद्र करना सिखाती हैं। जो व्यक्ति जितनी अधिक कठिनाइयों का सामना करता है, वह उतना ही अधिक सुख का आनंद उठाता है।

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जो अति आतप व्याकुल होई, तरु छाया सुख जाने सोई कहावत पर कहानी:

एक बार की बात है, एक गांव में प्रेमचंद्र नाम का एक गरीब किसान रहता था। प्रेमचंद्र दिन-रात मेहनत करके अपने खेतों में फसल उगाया करता था। उसका जीवन बहुत कठिन था। वह हमेशा सूर्योदय से पहले उठकर काम पर चला जाता और देर रात तक काम करता।

एक वर्ष, उसके गांव में बहुत भारी बारिश हुई, जिससे उसकी फसल बर्बाद हो गई। प्रेमचंद्र बहुत निराश हुआ, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने फिर से कड़ी मेहनत करना शुरू किया और अपने खेतों को दोबारा तैयार किया।

कई महीनों की कठिन परिश्रम के बाद, प्रेमचंद्र की फसल फिर से लहलहा उठी। इस बार फसल इतनी अच्छी हुई कि प्रेमचंद्र को उसके बदले में अच्छा मुनाफा हुआ। वह बहुत खुश हुआ और उसे अपनी मेहनत का फल मिलने की खुशी महसूस हुई।

उस दिन प्रेमचंद्र ने समझा कि “जो अति आतप व्याकुल होई, तरु छाया सुख जाने सोई” कहावत का क्या अर्थ होता है। उसे एहसास हुआ कि जितनी अधिक कठिनाइयाँ और संघर्ष होते हैं, उतना ही सुख का अनुभव भी गहरा होता है। उसके लिए, उसकी मेहनत का फल और फसल की सफलता उसके लिए उस सुख की परिभाषा बन गई।

शायरी:

जो अति आतप में जला, वही सुख की छाया जाने,

जीवन की इस धूप में, हर खुशी की कीमत पहचाने।

दुखों की आँधी में जो चलता रहा निरंतर,

सुख की एक बूँद में, उसकी खुशियाँ होतीं अपार।

जिसने संघर्ष की राहों पर चल कर देखा है,

वही सुख के मायने, दिल से महसूस कर सकता है।

तपिश में जो तपता है, सुख की ठंडक उसे भाती है,

जिंदगी की इस दौड़ में, हर खुशी उसी को आती है।

जिसने पीड़ा सही है, वही सुख की राह जाने,

“जो अति आतप व्याकुल होई, तरु छाया सुख जाने सोई।”

 

जो अति आतप व्याकुल होई, तरु छाया सुख जाने सोई शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of जो अति आतप व्याकुल होई, तरु छाया सुख जाने सोई – Jo ati aatap vyakul hoi, Taru chaya sukh jane soi Proverb:

“Jo ati aatap vyakul hoi, Taru chaya sukh jane soi” is a popular Hindi proverb, meaning that only those who face difficulties and adversities can truly appreciate comfort and happiness. This proverb aptly illustrates the cycle of struggles and happiness in life.

Introduction: This proverb is typically used when a person experiences comfort and happiness after enduring hardships.

Meaning: The meaning of this proverb is that people who face more challenges and adversities are the ones who truly understand the value of true happiness and comfort.

Usage: The proverb is used when someone has struggled for a long time and then experiences happiness.

Examples:

-> A farmer who works day and night to cultivate crops feels the happiness of a good harvest, as per this proverb.

Conclusion: This proverb teaches us that struggles and difficulties teach us to appreciate the true joys of life. The more challenges a person faces, the more they enjoy happiness.

Story of Jo ati aatap vyakul hoi, Taru chaya sukh jane soi Proverb in English:

Once upon a time, in a village, there lived a poor farmer named Premchandra. Premchandra worked day and night to cultivate crops in his fields. His life was very challenging. He would always wake up before sunrise to go to work and continue working until late at night.

One year, there was heavy rainfall in his village, which destroyed his crops. Premchandra was deeply disheartened, but he didn’t give up. He started working hard again and prepared his fields anew.

After months of strenuous effort, Premchandra’s crops flourished once again. This time, the harvest was so good that it brought him a substantial profit. He was overjoyed and felt the happiness of reaping the rewards of his hard work.

That day, Premchandra understood the meaning of the proverb “जो अति आतप व्याकुल होई, तरु छाया सुख जाने सोई.” He realized that the more difficulties and struggles one faces, the deeper the experience of happiness becomes. For him, the fruits of his labor and the success of his crops became the definition of that happiness.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

इस कहावत का उपयोग किस प्रकार के सन्दर्भ में किया जा सकता है?

इस कहावत का उपयोग उन परिस्थितियों में किया जा सकता है जहाँ किसी व्यक्ति को कठिनाइयों के बाद सफलता या सुख का अनुभव होता है।

इस कहावत का मूल्य शिक्षा में क्या है?

इस कहावत का मूल्य शिक्षा में यह है कि जीवन की कठिनाइयां हमें सबल और सजग बनाती हैं और सुख का महत्व समझाती हैं।

इस कहावत से आप क्या सीख सकते हैं?

इस कहावत से हम सीख सकते हैं कि जीवन की चुनौतियाँ और संघर्ष हमें अधिक समझदार और मजबूत बनाते हैं।

कहावत के अनुसार, संघर्ष का महत्व क्या है?

संघर्ष का महत्व यह है कि वह हमें जीवन के सच्चे मूल्यों और सुख के महत्व को समझने में मदद करता है।

इस कहावत का आधुनिक जीवन में क्या प्रभाव हो सकता है?

आधुनिक जीवन में इस कहावत का प्रभाव यह हो सकता है कि यह हमें सिखाती है कि संघर्ष और कठिनाइयां जीवन का अनिवार्य हिस्सा हैं और वे हमें अधिक सजग और आभारी बनाती हैं।

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