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जितने मुँह उतनी बातें, अर्थ, प्रयोग(Jitne muh utni baatein)

परिचय: आपने कभी-कभी यह सुना होगा कि “जितने मुँह उतनी बातें”। यह हिंदी मुहावरा आम तौर पर तब प्रयुक्त होता है जब हर व्यक्ति का अपना अलग अलग राय हो। आज हम इस मुहावरे का अर्थ, प्रयोग और इससे संबंधित रोचक जानकारी को समझेंगे।

अर्थ: “जितने मुँह उतनी बातें” मुहावरे का अर्थ होता है कि हर व्यक्ति का अपना विचार और अपनी राय होती है। जैसे कि एक ही समस्या या प्रस्थिति पर विभिन्न लोग विभिन्न तरीके से सोचते हैं और अपनी अपनी राय व्यक्त करते हैं।

उदाहरण:

-> परिवार में हो रही चर्चा में हर किसी का अपना अलग विचार था। माँ ने हंसते हुए कहा, “जितने मुँह उतनी बातें”।

-> जब टीम में एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे लोगों में मतभेद हो गया, तो प्रमुख ने कहा, “जितने मुँह उतनी बातें” और सभी से सहमति में काम करने की अपील की।

अधिक जानकारी: हर व्यक्ति की उसके जीवन के अनुभव, उसकी शिक्षा, संस्कृति और उसकी सोच के आधार पर अपनी एक अलग पहचान और विचार होते हैं। इसलिए, जब भी एक समूह में चर्चा होती है, हर व्यक्ति अपनी अपनी राय रखता है। ‘जितने मुँह उतनी बातें’ मुहावरा इसी बात को प्रकट करता है कि हर व्यक्ति का अपना दृष्टिकोण होता है।

इसलिए, जब आप अगली बार किसी समूह में हैं और हर किसी का अपना विचार सुनने को मिले, तो आप समझ सकते हैं कि “जितने मुँह उतनी बातें”।

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी। हर व्यक्ति का अपना विचार और अपनी राय होना स्वाभाविक है और यह हमारे समाज की विविधता और सामंजस्य का प्रतीक है। जब आप अपनी राय व्यक्त करते हैं, तो आप अपने जीवन के अनुभवों और ज्ञान को साझा करते हैं, जिससे समूह की समृद्धि होती है।

Hindi Muhavare Quiz

जितने मुँह उतनी बातें मुहावरा पर कहानी:

गाँव के एक छोटे स्कूल में, अध्यापक सुभाष ने बच्चों से एक सवाल पूछा, “तुम्हें लगता है कि गाँव में बिजली आनी चाहिए या नहीं?”

अमन ने कहा, “हाँ सर, बिजली आनी चाहिए। हमें रात को पढ़ाई करने में आसानी होगी।”

गौरी ने कहा, “लेकिन सर, बिजली आने से हमारी पारंपरिक जीवन शैली खत्म हो जाएगी। हम अब दीपक की रौशनी में पढ़ाई नहीं करेंगे।”

प्रथम बोला, “बिजली आने से गाँव में और भी बहुत सारी सुविधाएँ आ सकती हैं। जैसे टीवी, फ्रिज आदि।”

काव्या ने कहा, “लेकिन इससे हमारी सांस्कृतिक मूल्यों को खतरा हो सकता है।”

अध्यापक सुभाष मुस्कराए और बोले, “देखो बच्चों, ‘जितने मुँह उतनी बातें’। हर व्यक्ति का अपना विचार और अनुभव होता है, और उसी के आधार पर उसकी राय बनती है।”

इस छोटी सी कथा से हमें यह समझ में आता है कि हर व्यक्ति का अपना अलग अलग विचार और दृष्टिकोण होता है। हालांकि हर व्यक्ति की राय का महत्व होता है, और हर व्यक्ति को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है। इसलिए, हमें दूसरों की राय का सम्मान करना चाहिए और उन्हें सुनना चाहिए।

शायरी:

जितने मुँह होते हैं बाजार में,

उतनी ही अलग चर्चाएँ रहती हैं।

जीवन एक रंगीन मेला है यारों,

हर दिल में अपनी बातें छुपाएँ रहती हैं।

 

जितने मुँह उतनी बातें शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of जितने मुँह उतनी बातें – Jitne muh utni baatein Idiom:

Introduction: You might have sometimes heard the phrase, “As many mouths, so many opinions.” This Hindi idiom is commonly used when everyone has their own unique perspective. Today, we will understand the meaning, use, and intriguing information related to this idiom.

Meaning: The idiom “जितने मुँह उतनी बातें” (As many mouths, so many opinions) means that every individual has their own thoughts and viewpoints. Different people think differently about the same issue or situation and express their unique opinions.

Examples:

-> During a family discussion, everyone had their own point of view. The mother said with a smile, “As many mouths, so many opinions.”

-> When there was a disagreement among the team working on a project, the leader said, “As many mouths, so many opinions,” and appealed to everyone to work in harmony.

Additional Information: Each individual has their own identity and views based on their life experiences, education, culture, and thought process. Therefore, whenever there’s a group discussion, every person shares their own opinion. The idiom “जितने मुँह उतनी बातें” signifies that every person has their own perspective.

Thus, the next time you are in a group and hear everyone’s unique viewpoints, you can appreciate the essence of “As many mouths, so many opinions.”

We hope you now understand this idiom. It’s natural for every individual to have their own viewpoint, and it represents the diversity and harmony of our society. When you express your opinion, you share your life experiences and knowledge, enriching the group.

Story of ‌‌Jitne muh utni baatein Idiom in English:

In a small village school, Teacher Subhash asked the children a question, “Do you think electricity should be brought to the village?”

Aman replied, “Yes sir, we should have electricity. It will make it easier for us to study at night.”

Gauri said, “But sir, with electricity, our traditional way of life will end. We won’t study under the light of lamps anymore.”

Pratham added, “With electricity, many more amenities can come to the village, like TVs, refrigerators, and so on.”

Kavya expressed, “But this could pose a threat to our cultural values.”

Teacher Subhash smiled and said, “You see kids, ‘As many mouths, so many opinions.’ Every individual has their own thoughts and experiences, which shape their opinion.”

From this short tale, we understand that every individual has their own distinct views and perspectives. Nonetheless, everyone’s opinion matters, and everyone has the right to express their viewpoint. Therefore, we should respect and listen to others’ opinions.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या “जितने मुँह उतनी बातें” मुहावरे का अर्थ सकारात्मक है?

यह मुहावरा न तो पूर्णतः सकारात्मक है और न ही पूर्णतः नकारात्मक; यह मानवीय विविधता और विचारों की विविधता को दर्शाता है।

क्या “जितने मुँह उतनी बातें” केवल नकारात्मक संदर्भ में प्रयोग होता है?

नहीं, यह मुहावरा नकारात्मक संदर्भ में भी प्रयोग किया जा सकता है, जैसे कि असहमति या भ्रम की स्थिति को दर्शाने के लिए, लेकिन यह संवाद की विविधता को भी दर्शाता है।

“जितने मुँह उतनी बातें” का सामाजिक महत्व क्या है?

इस मुहावरे का सामाजिक महत्व यह है कि यह विविधता और व्यक्तिगत विचारों की स्वतंत्रता को स्वीकार करने की आवश्यकता पर बल देता है।

क्या “जितने मुँह उतनी बातें” मुहावरे से किसी समस्या का समाधान निकल सकता है?

यह मुहावरा समस्या के समाधान से ज्यादा, विभिन्न विचारों और दृष्टिकोणों की वास्तविकता को स्वीकार करने की ओर इशारा करता है, जो समस्या समाधान की प्रक्रिया में मददगार हो सकता है।

“जितने मुँह उतनी बातें” मुहावरे को कैसे सकारात्मक रूप में देखा जा सकता है?

इसे सकारात्मक रूप में देखते हुए, यह मुहावरा विचारों की विविधता और नवीन समाधानों की खोज में सहयोग और रचनात्मकता को प्रोत्साहित कर सकता है।

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