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जिसकी बंदरी वही नचावे और नचावे तो काटन धावे, अर्थ, प्रयोग (Jiski bandari wahi nachave aur nachave to kaatan dhave)

परिचय: हिंदी की प्रचलित कहावत “जिसकी बंदरी वही नचावे और नचावे तो काटन धावे” स्वामित्व और जिम्मेदारी के संबंध को बताती है। यह कहावत उस तथ्य को सामने लाती है कि केवल वही व्यक्ति एक काम को ठीक से कर सकता है जिसका उस पर स्वामित्व हो।

अर्थ: कहावत का सामान्य अर्थ है कि जिसकी बंदरी होती है, वही उसे नचा सकता है, और अगर कोई और नचाने की कोशिश करता है तो बंदरी उसे काट सकती है। इसका अर्थ है कि किसी काम में व्यक्तिगत रुचि और स्वामित्व होना जरूरी है।

उपयोग: इस कहावत का इस्तेमाल उन परिस्थितियों में किया जाता है जहाँ किसी कार्य में व्यक्तिगत दिलचस्पी और नियंत्रण का महत्व होता है।

उदाहरण:

-> मान लीजिए, एक कंपनी में कोई परियोजना चल रही है। अगर इस परियोजना का प्रबंधक उसे पूरी तरह से समझता है और उसमें रुचि रखता है, तो वह इसे सफलतापूर्वक पूरा कर सकता है। लेकिन अगर कोई और इसे संभालने की कोशिश करता है, तो परिणाम अच्छे नहीं हो सकते।

समापन: “जिसकी बंदरी वही नचावे और नचावे तो काटन धावे” कहावत हमें यह सिखाती है कि किसी भी कार्य में स्वामित्व और निजी रुचि होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह कहावत हमें प्रेरित करती है कि हमें अपने काम में पूरी तरह से लगे रहना चाहिए और उसमें अपनी व्यक्तिगत दिलचस्पी और स्वामित्व दिखाना चाहिए।

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जिसकी बंदरी वही नचावे और नचावे तो काटन धावे कहावत पर कहानी:

एक गांव में अमन नामक एक किसान रहता था। उसके पास एक खेत था जिसमें वह साल भर मेहनत करता, लेकिन फसल हमेशा कम होती। एक दिन, उसके एक दोस्त ने सुझाव दिया कि वह अपने खेत की देखभाल किसी और को सौंप दे। अमन ने अपने दोस्त की बात मान ली और खेत की देखभाल के लिए एक किराए के किसान को रख लिया।

कुछ महीने बाद, अमन ने देखा कि खेत की हालत और भी बदतर हो गई थी। किराए के किसान ने खेत की ठीक से देखभाल नहीं की थी। इस पर अमन ने फिर से खेत की जिम्मेदारी अपने हाथ में ली और दिन-रात मेहनत करने लगा।

इस बार, अमन की मेहनत रंग लाई और खेत में भरपूर फसल हुई। गांव वाले हैरान थे और अमन की प्रशंसा करने लगे। तब अमन ने समझाया, “जिसकी बंदरी वही नचावे और नचावे तो काटन धावे। मेरे खेत की देखभाल मैं ही कर सकता हूं क्योंकि यह मेरा है और मैं इससे प्यार करता हूं।”

इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए व्यक्तिगत स्वामित्व और लगाव बहुत जरूरी है। जब हम अपने काम को प्यार और समर्पण से करते हैं, तब ही सच्ची सफलता मिलती है।

शायरी:

जिसकी बंदरी वही नचाए, यही जीवन का राज,

जो अपना है, उसी को सजाए, बाकी सब है आवाज।

खुद की धरती, खुद की फसल, यही है सच्चाई,

जो अपना है, उसे संवारे, तभी निखरती खुशहाली।

दूसरे के हाथों में, नहीं अपने सपनों की डोर,

जिसकी बंदरी वही संवारे, यही है जिंदगी का जोर।

अपने हाथों में ही सजता, हर ख्वाब का आसमान,

जिसकी बंदरी उसी की राह, बाकी सब है बेमान।

अपनी मेहनत, अपना प्यार, यही है जिंदगी की बात,

जो अपना है, उसे नचाए, वही है सच्ची सौगात।

 

जिसकी बंदरी वही नचावे और नचावे तो काटन धावे शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of जिसकी बंदरी वही नचावे और नचावे तो काटन धावे – Jiski bandari wahi nachave aur nachave to kaatan dhave Proverb:

Introduction: The prevalent Hindi proverb “Jiski bandari wahi nachave aur nachave to kaatan dhave” conveys the relationship between ownership and responsibility. This proverb brings forth the fact that only the person who owns something can properly manage it.

Meaning: The proverb’s general meaning is that only the owner of the monkey can make it dance, and if someone else tries to make it dance, the monkey might bite them. It signifies that personal interest and ownership are essential in any task.

Usage: This proverb is used in situations where personal interest and control in a task are important.

Examples:

-> Suppose there’s a project in a company. If the project manager fully understands and is interested in it, they can successfully complete it. However, if someone else tries to handle it, the outcomes might not be favorable.

Conclusion: The proverb “Jiski bandari wahi nachave aur nachave to kaatan dhave” teaches us that ownership and personal interest are crucial in any work. It motivates us to be fully engaged in our work and show our personal interest and ownership in it.

Story of Jiski bandari wahi nachave aur nachave to kaatan dhave Proverb in English:

In a village, there lived a farmer named Aman. He had a field where he worked hard throughout the year, but the harvest was always poor. One day, a friend suggested that Aman should entrust someone else with the care of his field. Agreeing with his friend, Aman hired a farmer to take care of his field.

After a few months, Aman noticed that the condition of the field had worsened. The hired farmer had not taken proper care of it. Aman then took back the responsibility and started working day and night.

This time, Aman’s hard work paid off, and the field yielded a bountiful harvest. The villagers were amazed and praised Aman. He explained, “Only the owner can make the monkey dance, and if someone else tries, the monkey might bite. I can take care of my field because it’s mine, and I love it.”

This story teaches us that personal ownership and attachment are crucial for successfully completing any task. True success comes when we do our work with love and dedication.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

इस कहावत का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?

समाज में इस कहावत का प्रभाव यह है कि यह लोगों को अधिकार और जिम्मेदारी के संतुलन का महत्व समझाती है।

इस कहावत का व्यक्तिगत जीवन में क्या महत्व है?

व्यक्तिगत जीवन में, यह कहावत यह सिखाती है कि नियंत्रण और शक्ति का उपयोग सोच-समझकर और संतुलित तरीके से करना चाहिए।

इस कहावत का शिक्षा के क्षेत्र में क्या प्रभाव है?

शिक्षा के क्षेत्र में, यह कहावत शिक्षकों और छात्रों के बीच संतुलन और अनुशासन का महत्व दर्शाती है।

इस कहावत का नैतिक संदेश क्या है?

इस कहावत का नैतिक संदेश यह है कि अधिकार और शक्ति का उपयोग जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए, अन्यथा परिस्थितियां विपरीत हो सकती हैं।

इस कहावत का व्यावसायिक जीवन में क्या महत्व है?

व्यावसायिक जीवन में, यह कहावत नेतृत्व, प्रबंधन और टीम वर्क में शक्ति और अधिकार के संतुलित उपयोग की महत्वपूर्णता को दर्शाती है।

इस कहावत का राजनीतिक दृष्टिकोण से क्या महत्व है?

राजनीतिक दृष्टिकोण से, यह कहावत यह बताती है कि नेताओं को अपने अधिकार का उपयोग जनता के हित में और समझदारी से करना चाहिए।

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