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जल में रहकर मगर से बैर, अर्थ, प्रयोग(Jal me rahkar magar se bair)

परिचय: हिंदी भाषा में कई मुहावरे हैं जो हमें जीवन में आवश्यक संदेश देते हैं। “जल में रहकर मगर से बैर” भी ऐसा ही एक मुहावरा है। इस मुहावरे को समझना हमें उस बारे में सोचने पर मजबूर करता है, कि हम जिस माहौल में रहते हैं, वहां के सशक्त व्यक्तियों या प्राधिकृत लोगों से हमें दुश्मनी नहीं रखनी चाहिए।

अर्थ: “जल में रहकर मगर से बैर” का अर्थ है कि जब आप किसी शक्तिशाली या प्राधिकृत व्यक्ति के साथ एक ही परिप्रेक्ष्य में हैं, तो उससे दुश्मनी रखना उचित नहीं है।

उदाहरण:

-> अभय ने अपने मैनेजर से बहस की, लेकिन वह समझ गया कि जल में रहकर मगर से बैर ठीक नहीं है, और उसने अपनी गलती मानकर माफी मांग ली।

-> अनुभव जल्दी ही समझ गया कि उसे अपने प्रिंसिपल से बहस नहीं करनी चाहिए, क्योंकि जल में रहकर मगर से बैर अच्छा नहीं होता।

विशेष टिप्पणी: इस मुहावरे का मूल संदेश यह है कि जब हम किसी संस्थान, समाज या समुदाय में हैं, तो हमें उस जगह के प्रमुख व्यक्तियों से सम्झौता करना चाहिए और उनसे सहमत होना चाहिए। यदि हम उनसे बहस करते हैं या उनसे विवाद करते हैं, तो यह हमारे लिए हानिकारक हो सकता है।

निष्कर्ष: “जल में रहकर मगर से बैर” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें अपने आस-पास के माहौल और उस माहौल के प्रभावशाली लोगों का सम्मान करना चाहिए। इससे हमारा जीवन शांतिपूर्ण और सहज हो सकता है।

Hindi Muhavare Quiz

जल में रहकर मगर से बैर मुहावरा पर कहानी:

अनुज एक छोटे गाँव में रहता था, जहाँ सबकुछ ठहरा-ठहरा और शांतिपूर्ण था। गाँव का प्रमुख चाचा सुरेंद्र थे, जो अपनी वृद्ध आयु के बावजूद गाँव में सबसे अधिक प्रभावशाली और सम्मानित व्यक्ति थे।

अनुज को खेती में बहुत रुचि थी, और वह गाँव के नए-नए तरीकों को अपनाने में विशेष रुचि रखता था। एक दिन, वह सोचा कि गाँव में सींचाई का एक नया प्रणाली लाना चाहिए, जो पानी की बचत भी करे और खेतों में ज्यादा उपज भी हो।

बिना किसी से सलाह लिए, अनुज ने अपनी योजना का प्रस्ताव चाचा सुरेंद्र के सामने रख दिया। चाचा सुरेंद्र थोड़े परंपरागत प्रकृति के थे और उन्हें अनुज की नई प्रणाली से संकोच था। बिना उनकी बातों को समझे, अनुज उनसे बहस करने लगा।

गाँव में सभी लोग समझते थे कि “जल में रहकर मगर से बैर” अच्छा नहीं होता, और अनुज को भी चाचा सुरेंद्र से बहस नहीं करनी चाहिए। उन्होंने समझाया कि चाचा सुरेंद्र गाँव में सबसे अधिक सम्मानित हैं, और उनकी बातों को समझकर ही कोई निर्णय लेना चाहिए।

अनुज ने जल्दी ही अपनी गलती समझी और चाचा सुरेंद्र से माफी मांगी। वह समझ गया कि जिस पर्यावरण में वह रह रहा है, वहां के प्रभावशाली और सम्मानित लोगों से उसे समझदारी से पेश आना चाहिए।

निष्कर्ष: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें हमेशा अपने आस-पास के माहौल और प्रभावशाली लोगों का सम्मान करना चाहिए, और उनसे बहस या विवाद में न जाना चाहिए।

शायरी:

जल में ही बसा हूँ, मगर संग नहीं,

जिन्धगी की राह में, इक अजीब धंग नहीं।

शहर की रौंगतों में भी, चुप है वो सदा,

मगर से बैर रखना, मोहब्बत का दिल भी न जाने।

दुनिया के चक्कर में, क्यों खोते जा रहे,

मजबूरियों के आगे, क्यों रोते जा रहे।

जीने का तरीका सीखो, मगर से वो अदा,

कि जल में रहकर भी, रख सको जो बैर नहीं।

 

जल में रहकर मगर से बैर शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of जल में रहकर मगर से बैर – Jal me rahkar magar se bair Idiom:

Introduction: In the Hindi language, there are numerous idioms that convey essential life lessons. “जल में रहकर मगर से बैर” is one such idiom. Understanding this idiom prompts us to reflect on the idea that in the environment we inhabit, we shouldn’t harbor animosity towards influential or authoritative figures.

Meaning: The idiom “जल में रहकर मगर से बैर” essentially means that when you are in the same context or environment as someone powerful or authoritative, it’s not appropriate to be antagonistic towards them.

Examples:

-> Abhay had an argument with his manager, but he soon realized that being at odds with the crocodile while in water is not right, so he admitted his mistake and apologized.

-> Anubhav quickly understood that he shouldn’t argue with his principal, as being antagonistic to the crocodile while in its territory isn’t wise.

Special Note: The core message of this idiom is that when we are part of an institution, society, or community, we should seek to compromise and align ourselves with the prominent figures of that place. Engaging in disputes or disagreements with them can be detrimental to us.

Conclusion: The idiom “जल में रहकर मगर से बैर” teaches us to respect the environment we are in and the influential figures within it. This can lead to a more peaceful and harmonious life.

Story of ‌‌Jal me rahkar magar se bair Idiom in English:

Anuj lived in a small village, where everything was calm and serene. The village head was Uncle Surendra, who, despite his old age, was the most influential and respected person in the village.

Anuj had a keen interest in farming, and he was particularly enthusiastic about adopting new methods in the village. One day, he thought of introducing a new irrigation system to the village, which would not only save water but also increase the yield in the fields.

Without consulting anyone, Anuj presented his proposal to Uncle Surendra. Uncle Surendra was somewhat traditional in his ways and was apprehensive about Anuj’s new system. Without trying to understand his concerns, Anuj began arguing with him.

Everyone in the village believed that “it’s not wise to be at odds with a crocodile when in the same water,” and that Anuj shouldn’t argue with Uncle Surendra. They explained that Uncle Surendra is highly respected in the village, and one should understand his perspective before making any decisions.

Anuj quickly realized his mistake and apologized to Uncle Surendra. He understood that he should approach influential and respected people in his environment with wisdom and tact.

Conclusion: This story teaches us that we should always respect the environment and influential people around us, and we should avoid arguing or disputing with them.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का कोई सांस्कृतिक महत्व है?

जी हाँ, यह मुहावरा सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों को संकेतित करता है और व्यक्ति को अपने वास्तविक स्वभाव को स्वीकार करने की प्रेरणा देता है।

क्या इस मुहावरे का अनुप्रयोग आजकल के समय में भी हो रहा है?

हाँ, यह मुहावरा आजकल के समय में भी अक्सर उपयोग होता है जब किसी को दिखावा करने वाले व्यक्ति की असली व्यक्तित्व या इंटेंट को छुपाने की बात होती है।

क्या इस मुहावरे का कोई इतिहासिक संदर्भ है?

हाँ, इस मुहावरे का उपयोग विभिन्न साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यों में किया गया है और इसे व्यक्तिगत और सामाजिक संदर्भों में भी प्रयुक्त किया गया है।

क्या यह मुहावरा केवल सकारात्मक रूप में ही प्रयुक्त होता है?

नहीं, इस मुहावरे का उपयोग अक्सर नकारात्मक रूप में भी होता है, जब किसी को दिखावा करने वाले व्यक्ति की नकल करने या उससे बैर करने की बात होती है।

क्या इस मुहावरे का कोई विरोधाभास है?

नहीं, इस मुहावरे का कोई विरोधाभास नहीं है। यह एक उपमहावरा है जो व्यक्ति को अपने असली भावों को छुपाने की बात करता है।

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यह मुहावरा जानवर पर मुहावरे पेज पर भी उपलब्ध है।

यह मुहावरा ज से शुरू होने वाले मुहावरे पेज पर भी उपलब्ध है।

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