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जैसा कन भर वैसा मन भर, अर्थ, प्रयोग (Jaisa kan bhar waisa man bhar)

“जैसा कन भर वैसा मन भर” एक लोकप्रिय हिंदी कहावत है, जिसका अर्थ अक्सर इस रूप में व्याख्यायित किया जाता है कि थोड़ी मात्रा में प्राप्त चीज से भी मन की संतुष्टि हो सकती है। हालांकि, एक और पहलू इस कहावत का यह भी है कि किसी चीज़ के एक छोटे हिस्से को देखकर हम पूरे के बारे में अनुमान लगा सकते हैं।

परिचय: यह कहावत भारतीय संस्कृति में प्रचलित है और इसका इस्तेमाल अक्सर उस समय किया जाता है जब किसी वस्तु या परिस्थिति के एक छोटे अंश से पूरे का आकलन करने की बात हो।

अर्थ: “जैसा कन भर वैसा मन भर” का अर्थ है कि थोड़े से नमूने से हम बड़ी चीज़ के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह कहावत यह भी सुझाव देती है कि छोटे परीक्षण से पूरे का मूल्यांकन किया जा सकता है।

उपयोग: इस कहावत का उपयोग तब किया जाता है जब हमें छोटे नमूनों या अंशों के आधार पर बड़ी चीज़ों की गुणवत्ता या मूल्य का अंदाजा लगाना होता है।

उदाहरण:

-> किसी व्यक्ति के छोटे से व्यवहार से उसके सम्पूर्ण चरित्र का आकलन किया जा सकता है, या किसी उत्पाद के एक नमूने को देखकर उसकी पूरी गुणवत्ता का निर्धारण किया जा सकता है।

समापन: “जैसा कन भर वैसा मन भर” कहावत से यह सिखने को मिलता है कि छोटे अंशों या नमूनों के माध्यम से हम व्यापक और बड़ी चीज़ों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह हमें सिखाता है कि हर छोटी चीज़ का महत्व होता है और वह बड़े संदर्भ को समझने में मदद कर सकती है।

Hindi Muhavare Quiz

जैसा कन भर वैसा मन भर कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में अनुज नाम का एक किसान रहता था। अनुज के पास एक छोटी सी जमीन थी जिस पर वह धान की खेती करता था। एक बार, उसने अपने खेत में एक नई किस्म का धान बोया जिसके बारे में उसे बहुत कम जानकारी थी।

जब धान पक कर तैयार हुआ, अनुज ने एक मुट्ठी धान निकालकर उसे अच्छी तरह से परखा। उसने देखा कि धान के दाने अच्छे आकार के और सुनहरे रंग के थे। अनुज ने सोचा, “जैसा कन भर वैसा मन भर।” यानी अगर इस छोटे से नमूने की गुणवत्ता इतनी अच्छी है, तो पूरे खेत का धान भी उत्तम क्वालिटी का होगा।

जब फसल कटाई का समय आया, तो पूरे खेत का धान उसी नमूने की तरह उत्तम क्वालिटी का निकला। अनुज की इस समझदारी की गाँव वाले ने बहुत प्रशंसा की।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि छोटे नमूने या अंशों से हम बड़ी चीज़ों की गुणवत्ता और मूल्य का अनुमान लगा सकते हैं। “जैसा कन भर वैसा मन भर” कहावत यह बताती है कि छोटी चीज़ें भी महत्वपूर्ण होती हैं और वे बड़ी बातों की ओर इशारा करती हैं।

शायरी:

जैसा कन भर, वैसा मन भर, ये बात है बड़ी प्यारी,

छोटे से नमूने में छिपी, जीवन की सच्चाई सारी।

थोड़े में संतोष ढूँढे, जो मन में अरमान होते हैं,

उनके लिए दुनिया के रंग, और भी जानदार होते हैं।

एक बूँद से समुंदर का, अंदाजा लगा लेते हैं कुछ,

जिंदगी के हर पहलू में, ये सिख बड़े काम की है मुच।

छोटी छोटी बातों से ही, बड़े फैसले होते हैं,

जैसा कन भर, वैसा मन भर, इसमें सच्चे गीत खोते हैं।

जो छोटे में खुशियाँ पाते, वो दुनिया में महान होते हैं,

जिंदगी के हर मोड़ पर, वो हमेशा शानदार होते हैं।

 

जैसा कन भर वैसा मन भर शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of जैसा कन भर वैसा मन भर – Jaisa kan bhar waisa man bhar Proverb:

“Jaisa kan bhar waisa man bhar” is a popular Hindi proverb, often interpreted to mean that satisfaction can be found even in a small quantity of something. However, another aspect of this proverb is that by examining a small part of something, we can infer about the whole.

Introduction: This proverb is prevalent in Indian culture and is often used when evaluating the whole based on a small part of an object or situation.

Meaning: The meaning of “जैसा कन भर वैसा मन भर” is that we can gain information about a larger entity from a small sample. The proverb also suggests that the evaluation of the whole can be done from a small test.

Usage: This proverb is used when we need to estimate the quality or value of larger things based on small samples or parts.

Examples:

-> The character of a person can be assessed from a small aspect of their behavior, or the overall quality of a product can be determined from a sample.

Conclusion: The proverb “जैसा कन भर वैसा मन भर” teaches us that important information about larger and broader things can be obtained through small parts or samples. It teaches us that every small thing is important and can help in understanding the larger context.

Story of Jaisa kan bhar waisa man bhar Proverb in English:

In a small village, there lived a farmer named Anuj. Anuj owned a small piece of land where he cultivated rice. Once, he sowed a new variety of rice in his field about which he had very little information.

When the rice was ready to harvest, Anuj took a handful of rice and examined it closely. He noticed that the grains were well-shaped and golden in color. Anuj thought, “जैसा कन भर वैसा मन भर” (As the sample, so the whole). Meaning, if the quality of this small sample is so good, then the rice from the entire field would also be of excellent quality.

When the time for harvesting came, the rice from the entire field turned out to be of the same high quality as the sample. The villagers praised Anuj’s wisdom.

This story teaches us that small samples or parts can help us estimate the quality and value of larger things. The proverb “जैसा कन भर वैसा मन भर” implies that small things are significant and can indicate bigger aspects.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

इस कहावत में ‘कन भर’ और ‘मन भर’ का क्या तात्पर्य है?

‘कन भर’ का अर्थ है थोड़ी मात्रा, जबकि ‘मन भर’ का अर्थ है पूर्ण संतुष्टि।

इस कहावत को दैनिक जीवन में कैसे लागू किया जा सकता है?

इस कहावत को दैनिक जीवन में तब लागू किया जा सकता है जब हम अपनी खुशियों को छोटी चीजों में ढूंढते हैं और संतुष्ट होते हैं।

इस कहावत का समाजशास्त्रीय महत्व क्या है?

इस कहावत का समाजशास्त्रीय महत्व यह है कि यह समाज में विभिन्न व्यक्तियों की आकांक्षाओं और संतुष्टि के स्तरों को दर्शाती है।

क्या इस कहावत को शिक्षा क्षेत्र में लागू किया जा सकता है?

हां, शिक्षा क्षेत्र में इस कहावत को छात्रों की विभिन्न शैक्षिक जरूरतों और संतुष्टि के स्तरों को समझने में लागू किया जा सकता है।

क्या इस कहावत का कोई नैतिक संदेश है?

हां, इस कहावत का नैतिक संदेश यह है कि हमें छोटी चीजों में भी संतुष्टि ढूंढनी चाहिए और लालच से बचना चाहिए।

इस कहावत का व्यक्तिगत विकास में क्या महत्व है?

व्यक्तिगत विकास में इस कहावत का महत्व यह है कि यह हमें सिखाती है कि संतुष्टि और खुशी बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि हमारे अंदरूनी दृष्टिकोण में निहित है।

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