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जैसा देश वैसा भेष, अर्थ, प्रयोग(Jaisa desh vaisa bhesh)

परिचय: हर स्थल या देश में अपनी अद्वितीय सांस्कृतिक विशेषताएँ होती हैं, जिसमें वहां के लोगों का पहनाव और जीवनशैली भी शामिल है। ‘जैसा देश वैसा भेष’ इसी विचार को प्रकट करता है कि जिस स्थल पर आप निवास करते हैं या जहाँ आप जाते हैं, आपको उस स्थल की परंपरा और शैली को अपनाना चाहिए।

अर्थ: ‘जैसा देश वैसा भेष’ का सीधा अर्थ है कि जिस देश या स्थान में आप होते हैं, आपको उसी अनुसार अपना वेशभूषा और आचरण में बदलाव कर लेना चाहिए। यह न केवल समाजिक समरसता और सम्मान के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अक्सर स्थानीय परिस्थितियों में सुरक्षित रहने के लिए भी।

प्रयोग: यह मुहावरा तब प्रयुक्त होता है जब किसी को सलाह दी जाती है कि वह अपने आस-पास के परिवेश के अनुसार अपनी शैली और जीवनशैली में समायोजन करे।

उदाहरण:

-> जब सुरेंद्र पंजाब की यात्रा पर गए, तो उन्होंने टर्बन पहनना शुरू किया। उन्हें समझ में आ गया था, ‘जैसा देश वैसा भेष’।

-> सीमा, जब जापान गई, तो उसने किमोनो पहनना शुरू किया। उसे जापानी संस्कृति का सम्मान करते हुए उनके रीति-रिवाज़ में शामिल होना अच्छा लगा।

निष्कर्ष: “जैसा देश वैसा भेष” हमें यह प्रेरित करता है कि हमें जहाँ भी हो, स्थानीय संस्कृति, रीतियों और रिवाज़ में समायोजन करना चाहिए। यह सिर्फ एक मुहावरा नहीं है, बल्कि यह जीवन में समरसता और वैविध्य में समझदारी का संदेश भी देता है।

Hindi Muhavare Quiz

जैसा देश वैसा भेष मुहावरा पर कहानी:

पारुल एक समृद्ध नगर में पली-बढ़ी थी। वह सदैव आधुनिक वस्त्र पहनती और नवीनतम शैली का पालन करती थी। उसके जीवन में भारत की संस्कृति और परंपराएँ ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं थीं।

एक दिन, उसे अपनी नानी के गाँव जाने का अवसर मिला। जब वह वहाँ पहुंची, तो उसे समझ में आया कि वहाँ की संस्कृति और परंपरा बहुत अलग थी। गाँव की महिलाएँ घाघरा-चोली पहनती थीं और प्रत्येक अवसर पर अपनी पारंपरिक रस्मों का पालन करती थीं।

पारुल ने पहले तो अपनी आधुनिक वस्त्र और शैली में ही गाँव में समय बिताया, लेकिन वह महसूस कर सकी कि वह वहाँ अपनी वेशभूषा के चलते पूरी तरह से बाहरी महसूस हो रही थी। उसे समझ में आया कि उसे गाँव की संस्कृति को समझने और सम्मान देने के लिए ‘जैसा देश वैसा भेष’ का पालन करना होगा।

उसने फिर अगले दिन नानी से एक सुंदर घाघरा-चोली मांगी और उसे पहनना शुरू किया। जब वह गाँव की और महिलाओं के बीच में जाती, वह महसूस करती कि अब वह उनका हिस्सा बन गई है। गाँववाले भी पारुल की इस बदलाव को सराहते हुए उसे अपनाया।

इस यात्रा से वापस आकर पारुल ने समझा कि अगर आप किसी नई जगह पर जाते हैं, तो वहाँ की संस्कृति और परंपराओं को समझना और सम्मान देना चाहिए। ‘जैसा देश वैसा भेष’ इस मुहावरे की असली ताकत और महत्व को वह अब समझती थी।

शायरी:

जैसा देश वैसा भेष समझा किसने,

दिल की बाज़ार में पहना है क़िस्मत का लिबास।

हर नजर को अपना दिखाने चले,

जीवन की राहों में, बदलते चले जिनके रास्ते।

मिट्टी की ख़ुशबू से ये सिखा,

अपने ही देश में होते हैं पराये, जब भेष बदलते।

 

जैसा देश वैसा भेष शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of जैसा देश वैसा भेष – Jaisa desh vaisa bhesh Idiom:

Introduction: Every region or country has its unique cultural characteristics, which include the attire and lifestyle of its inhabitants. The phrase “जैसा देश वैसा भेष” reflects the idea that wherever you reside or visit, you should embrace the customs and style of that place.

Meaning: “जैसा देश वैसा भेष” directly translates to “The attire should match the country.” It means that wherever you are, you should adapt your clothing and behavior accordingly. This is not just important for social harmony and respect, but often for safety in local conditions as well.

Usage: This idiom is used when advising someone to adapt their style and lifestyle according to their surroundings.

Examples:

-> When Surendra went on a trip to Punjab, he started wearing a turban. He understood the meaning of “जैसा देश वैसा भेष.”

-> Seema, when she went to Japan, started wearing a kimono. She felt good about respecting Japanese culture and integrating into their traditions.

Conclusion: “जैसा देश वैसा भेष” inspires us to integrate into the local culture, traditions, and customs wherever we are. It’s not just a phrase, but also conveys wisdom about harmony and diversity in life.

Story of ‌‌Jaisa desh vaisa bhesh Idiom in English:

Parul grew up in a prosperous city. She always wore modern clothing and followed the latest trends. The traditions and culture of India were not very significant in her life.

One day, she got an opportunity to visit her grandmother’s village. Upon arriving, she realized that the culture and traditions there were vastly different. The women of the village wore Ghaghra-Choli and adhered to their traditional customs on every occasion.

At first, Parul spent her time in the village in her modern attire and style. However, she could sense that she felt out of place because of her clothing. She realized that to understand and respect the village’s culture, she would need to adopt the principle of “When in Rome, do as the Romans do” or ‘जैसा देश वैसा भेष’ in Hindi.

The next day, she asked her grandmother for a beautiful Ghaghra-Choli and began wearing it. When she mingled with the other village women, she felt like she became a part of them. The villagers also embraced Parul’s change and welcomed her wholeheartedly.

After returning from her trip, Parul understood that when you go to a new place, it’s essential to understand and respect its culture and traditions. She now truly comprehended the power and significance of the adage ‘जैसा देश वैसा भेष’.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या “जैसा देश वैसा भेष” मुहावरे का केवल वस्त्रों पर ही लागू होता है?

नहीं, यह मुहावरा केवल वस्त्रों पर ही नहीं बल्कि व्यवहार, भाषा, और सामाजिक आचरण पर भी लागू होता है।

“जैसा देश वैसा भेष” मुहावरे की प्रासंगिकता क्या है?

यह मुहावरा समाज में विविधता और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के महत्व को दर्शाता है, यह दिखाता है कि कैसे विभिन्न संस्कृतियों और परिवेशों का सम्मान किया जाना चाहिए।

क्या “जैसा देश वैसा भेष” का पालन करना हमेशा आवश्यक होता है?

यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है, लेकिन सामान्यतः यह संस्कृतियों के प्रति आदर और सम्मान दिखाने का एक तरीका माना जाता है।

“जैसा देश वैसा भेष” के अनुसार व्यवहार में क्या बदलाव किये जा सकते हैं?

इसके अनुसार, व्यक्ति को उस देश की भाषा, रीति-रिवाजों, और सोशल मानदंडों के अनुसार अपने व्यवहार और आचरण को ढालना चाहिए।

क्या “जैसा देश वैसा भेष” मुहावरे का अभ्यास करने से सांस्कृतिक अनुकूलन में मदद मिलती है?

हाँ, इस मुहावरे का पालन करने से नई सांस्कृतिक सेटिंग्स में आसानी से अनुकूलित होने और सामाजिक सम्मिलन में मदद मिलती है।

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