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जान बची तो लाखों पाए, अर्थ, प्रयोग(Jaan bachi to lakho paye)

Surendra_और_Subhash_खुदाई_करते_हुए, Surendra_गड्ढे_में_गिरते_हुए, Subhash_Surendra_को_रस्सी_द्वारा_बचाते_हुए, गाँव_में_दोस्तों_की_मिलान, Surendra_सोने_की_खदान_में

परिचय: हिंदी भाषा में अनेक मुहावरे प्रयुक्त होते हैं, जिनसे भाषा में सौंदर्य और गहराई आती है। “जान बची तो लाखों पाए” ऐसा ही एक लोकप्रिय मुहावरा है।

अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि अगर आपकी जान सुरक्षित है, तो आप फिर से सम्पत्ति बना सकते हैं। जान ही सबसे बड़ी संपत्ति है।

उदाहरण:

-> जब विशाल उस दुर्घटना से बच गया, तो उसके मित्र ने कहा, “जान बची तो लाखों पाए।”

-> लक्ष्मी जब अपने घर को आग में जलते हुए देखती है, तो वह कहती है, “सामान तो फिर भी खरीद सकते हैं, जान बची तो लाखों पाए।”

विशेष टिप्पणी: यह मुहावरा जीवन की महत्वकांक्षा और उसकी अनमोलता को दर्शाता है। कई बार, हम संपत्ति, पैसा और अन्य सामग्रीय चीजों को ज्यादा महत्व देते हैं, परंतु इस मुहावरे के माध्यम से हमें यह समझाया जाता है कि जब तक हमारी जान है, हम कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं। जीवन में सब कुछ खो जाने पर भी, अगर जीवन है, तो वह एक नई शुरुआत का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

निष्कर्ष: “जान बची तो लाखों पाए” मुहावरा हमें जीवन की मौलिक बातों की याद दिलाता है। यह हमें सीख देता है कि जीवन के सामान्य संकटों में हार मानना नहीं चाहिए, क्योंकि जीवन में जब तक संघर्ष है, तब तक आशा है।

जान बची तो लाखों पाए मुहावरा पर कहानी:

सुरेंद्र और सुभाष  दो अच्छे दोस्त थे और वे एक साथ एक छोटे गाँव में रहते थे। दोनों का सपना था कि वे एक दिन बड़े व्यापारी बनें। इस सपने को पूरा करने के लिए, वे अकेले जंगल में सोने की खदान खोजने निकले।

एक दिन जब वे खुदाई कर रहे थे, तो अचानक सुरेंद्र के पैर नीचे की ओर सरक गए और वह एक गहरे गड्ढे में गिर गया। सुभाष डर से कांप रहा था, लेकिन वह तुरंत सुरेंद्र को उस गड्ढे से बाहर निकालने के लिए रस्सी डाल दी। सुरेंद्र बच गया।

जब वे गाँव वापस लौटे, तो सुभाष के मुँह से निकला, “जान बची तो लाखों पाए।” सुरेंद्र समझ गया कि सुभाष का क्या मतलब था।

कुछ समय बाद, सुरेंद्र ने वही खदान में सोना खोज लिया और वह बहुत अमीर हो गया। लेकिन, जब कोई पूछता कि क्या उसकी सबसे बड़ी संपत्ति है, तो उसका जवाब हमेशा यही होता, “मेरी जान।”

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सम्पत्ति, पैसा, और सफलता महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति हमारी जान है। जब तक हम जिंदा हैं, हमें नई उम्मीदें और अवसर मिलते रहते हैं। इसलिए, हमें जीवन की कद्र करनी चाहिए।

शायरी:

जान बची है, तो जश्न मना है दोस्तों,

लाखों की चमक इस जीवन में है बस्ता।

अश्क भी होते हैं जीवन की मिठास में,

कितनी भी हो रात, सवेरा है मस्ता।

 

जान बची तो लाखों पाए शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of जान बची तो लाखों पाए – Jaan Bachi to Laakho Paaye Idiom:

Introduction: Numerous idioms are used in the Hindi language, which add beauty and depth to it. “जान बची तो लाखों पाए” (Jaan Bachi to Laakho Paaye) is one such popular idiom.

Meaning: The meaning of this idiom is that if your life is safe, you can rebuild wealth or assets. Life itself is the greatest wealth.

Examples:

-> When Vishal survived that accident, his friend said, “Jaan Bachi to Laakho Paaye” (If you have your life, you can earn millions). 

-> When Lakshmi saw her house burning, she said, “We can buy possessions again, but if life is saved, it’s like gaining millions.”

Special Note: This idiom highlights the importance and invaluable nature of life. Often, we give more importance to assets, money, and other materialistic things, but through this idiom, it is conveyed that as long as we have our life, we can achieve anything. Even if everything is lost in life, if there is life, it can pave the way for a new beginning.

Conclusion: The idiom “जान बची तो लाखों पाए” reminds us of the fundamental truths of life. It teaches us not to lose hope in the ordinary challenges of life, because as long as there is struggle in life, there is hope.

Story of ‌‌Jaan Bachi to Laakho Paaye Idiom in English:

Surendra and Subhash were good friends and lived together in a small village. Both dreamed of becoming successful businessmen one day. To fulfill this dream, they set out to find a gold mine in the jungle.

One day, while they were digging, Surendra suddenly slipped and fell into a deep pit. Subhash was shaking with fear, but he quickly threw a rope down to rescue Surendra. Surendra was saved.

Upon returning to the village, Subhash exclaimed, “If you save a life, it’s worth millions.” Surendra understood what Subhash meant.

Some time later, Surendra discovered gold in that very mine and became very wealthy. But, whenever someone asked him about his greatest asset, he would always reply, “My life.”

This story teaches us that while wealth, money, and success are important, the most valuable asset in life is our life itself. As long as we are alive, we continue to have hopes and opportunities. Thus, we should value life above all else.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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