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इसके पेट में दाढ़ी है, अर्थ, प्रयोग(Iske pet mein dadhi hai)

परिचय: “इसके पेट में दाढ़ी है” एक लोकप्रिय हिंदी कहावत है, जो उस व्यक्ति के बारे में बताती है जिसकी स्थिति भले ही निम्न हो, लेकिन उसकी बुद्धिमत्ता उच्च होती है।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि कभी-कभी साधारण दिखने वाले लोगों में असाधारण बुद्धिमत्ता और कौशल होता है। यह दर्शाती है कि बाहरी आवरण से किसी की समझ या योग्यता का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।

उपयोग: यह कहावत तब प्रयोग की जाती है जब व्यक्ति अपनी साधारण प्रतीत होती उपस्थिति के विपरीत असाधारण बुद्धिमत्ता या समझदारी दिखाता है।

उदाहरण:

-> मान लीजिए, एक गाँव का एक साधारण किसान, जिसे लोग हल्के में लेते थे, ने अपनी बुद्धिमत्ता से गाँव की एक बड़ी समस्या का समाधान निकाला। इस पर गाँव के मुखिया ने कहा, “हमने सोचा नहीं था, लेकिन लगता है ‘इसके पेट में दाढ़ी है’।”

समापन:

“इसके पेट में दाढ़ी है” कहावत हमें यह सिखाती है कि व्यक्ति की बाहरी स्थिति या दिखावा हमेशा उसकी असली योग्यता या बुद्धिमत्ता का सही आंकलन नहीं करता। यह हमें सिखाती है कि हमें हर व्यक्ति को सम्मान देना चाहिए और उनकी छिपी हुई प्रतिभा या योग्यता को समझने की कोशिश करनी चाहिए।

इस पोस्ट में, इस कहावत के अर्थ और उसके प्रयोग को व्यक्तिगत योग्यता और बुद्धिमत्ता के छिपे हुए पहलुओं के संदर्भ में बताया गया है, जो हमें व्यक्तियों को सही ढंग से समझने का महत्व सिखाता है।

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इसके पेट में दाढ़ी है कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में सुरेंद्र नाम का एक साधारण सा किसान रहता था। सुरेंद्र की उपस्थिति बहुत ही सामान्य थी, और उसकी बातचीत भी सीधी-साधी थी। गाँव के लोग उसे अक्सर हल्के में लेते और उसकी सलाह को नजरअंदाज कर देते।

एक दिन, गाँव के कुएँ का पानी अचानक सूख गया। गाँववाले चिंतित हो उठे। उन्होंने तरह-तरह के उपाय किए, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया। इसी बीच, सुरेंद्र ने गाँव के मुखिया के पास जाकर एक सुझाव दिया। उसने कहा, “हमें कुएँ के आसपास की मिट्टी को खोदकर देखना चाहिए। हो सकता है कि अंदर कोई रुकावट हो।”

शुरुआत में तो मुखिया ने सुरेंद्र की बात को नजरअंदाज कर दिया, लेकिन जब कोई और उपाय काम नहीं आया, तो उन्होंने सुरेंद्र के सुझाव पर अमल किया। कुएँ की मिट्टी खोदने पर वहाँ एक बड़ी चट्टान मिली जो पानी के स्रोत को रोक रही थी। चट्टान हटते ही कुएँ में फिर से पानी आ गया।

गाँववाले सुरेंद्र की बुद्धिमत्ता से बहुत प्रभावित हुए। मुखिया ने कहा, “हमने सोचा नहीं था कि सुरेंद्र इतना बुद्धिमान होगा। लगता है ‘इसके पेट में दाढ़ी है।'”

निष्कर्ष:
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि “इसके पेट में दाढ़ी है” का अर्थ है कि अक्सर साधारण दिखने वाले लोगों में असाधारण बुद्धिमत्ता होती है। इसलिए, हमें हर व्यक्ति की छिपी हुई प्रतिभा और क्षमता को समझने और सम्मान देने की जरूरत है।

शायरी:

सादगी में छिपा है गहराई का समंदर, ‘इसके पेट में दाढ़ी है’ कहते हैं लोग,

बाहरी आवरण में ना उलझें, अंदर की बात समझें ज़रा रोग।

जिसे समझे थे नादान, वही निकला दानिशमंद,

‘इसके पेट में दाढ़ी है’, यह सोच समझने का फरमान।

आंखों को धोखा होता है, बाहरी शक्ल पर ना जाएं,

जो छुपा है अंदर, उसकी कद्र करें, सच्चाई को पहचानें।

बिना परतों के खुले, नहीं जाना जाता असली खजाना,

‘इसके पेत में दाढ़ी है’, हर इंसान में छुपा है वो अनमोल नज़राना।

जज्बातों के इस मेले में, हर चेहरा कुछ कहता है,

‘इसके पेट में दाढ़ी है’, यही सिखाता है कि हर दिल में कुछ रहता है।

 

इसके पेट में दाढ़ी है शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of इसके पेट में दाढ़ी है – Iske Pet Mein Daadhi Hai Proverb:

Introduction: “The proverb ‘Iske Pet Mein Daadhi Hai’ is a popular Hindi saying that describes a person who may appear to be in a low position but possesses high intelligence.

Meaning: The meaning of this proverb is that sometimes, people who appear ordinary possess extraordinary intelligence and skill. It illustrates that one’s understanding or capability cannot be judged based on external appearances.

Usage: This proverb is used when a person demonstrates extraordinary wisdom or understanding contrary to their seemingly ordinary appearance.

Examples:

-> Imagine a simple farmer in a village, who was often taken lightly by others, solved a major problem of the village with his intelligence. Upon this, the village head said, “We never thought, but it seems ‘he has a beard in his stomach’ (indicating hidden wisdom).”

Conclusion: The proverb ‘Iske Pet Mein Daadhi Hai’ teaches us that a person’s external situation or appearance does not always accurately assess their true talents or intelligence. It instructs us to respect every individual and try to understand their hidden talents and capabilities.

In this post, the meaning and application of this proverb have been explained in the context of the hidden aspects of personal ability and intelligence, teaching us the importance of rightly understanding individuals.

Story of Iske Pet Mein Daadhi Hai Proverb in English:

In a small village lived a simple farmer named Surendra. Surendra had a very ordinary appearance, and he spoke in a straightforward manner. The villagers often underestimated him and disregarded his advice.

One day, the village well suddenly dried up. The villagers became anxious. They tried various solutions, but nothing worked. During this crisis, Surendra approached the village head with a suggestion. He said, “We should dig around the well. There might be some obstruction inside.”

Initially, the village head ignored Surendra’s advice. However, when no other solution worked, they decided to follow his suggestion. Upon digging around the well, they found a large rock blocking the water source. Removing the rock restored the water supply in the well.

The villagers were impressed by Surendra’s wisdom. The village head remarked, “We never thought Surendra would be so wise. It seems ‘he has a beard in his stomach’ (indicating hidden wisdom).”

Conclusion:

This story teaches us that the proverb “he has a beard in his stomach” means that often, people who appear ordinary possess extraordinary intelligence. Therefore, we need to recognize and respect the hidden talents and capabilities of every individual.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

कौन-कौन लोग “इसके पेट में दाढ़ी है” कहलाते हैं?

जिन लोगों को अपने कार्यों में विश्वास होता है और जो स्वतंत्रता और स्वाधीनता के साथ काम करते हैं, उन्हें “इसके पेट में दाढ़ी है” कहा जा सकता है।

इस कहावत का इतिहास क्या है?

“इसके पेट में दाढ़ी है” एक हिंदी कहावत है जो देशी समाज में प्रचलित है। इसका अवधारणात्मक प्रयोग व्यक्ति की साहसपूर्ण और स्वाबलंबी नीति को दर्शाता है।

क्या इस कहावत का अनुप्रयोग आजकल की समय में भी हो रहा है?

हाँ, इस कहावत का अनुप्रयोग आजकल भी हो रहा है, खासकर जब किसी को अपने आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास को बताने की जरूरत होती है।

यह कहावत सामाजिक संदेश को कैसे पहुंचाती है?

यह कहावत सामाजिक संदेश को यह बताती है कि सच्चे स्वाभाविकों में आत्मविश्वास और साहस होता है जो उन्हें सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाने में मदद करता है।

क्या इस कहावत का कोई विरोधाभास है?

नहीं, इस कहावत का कोई विरोधाभास नहीं है, बल्कि यह एक सकारात्मक संदेश देती है जो आत्मविश्वास और स्वाबलंब की महत्वपूर्णता को बताता है।

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