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इक नागिन अस पंख लगाई, अर्थ, प्रयोग(Ek naagin as pankh lagai)

परिचय: “इक नागिन अस पंख लगाई” एक हिंदी कहावत है, जो किसी बुरी स्थिति या चीज के और भी बदतर हो जाने की स्थिति को दर्शाती है।

अर्थ: इस कहावत का सीधा अर्थ है कि जब किसी खतरनाक या नुकसानदेह चीज में और भी हानिकारक तत्व जुड़ जाएं, तो स्थिति और भी विकट हो जाती है।

उपयोग: यह कहावत तब प्रयोग की जाती है जब किसी पहले से ही बुरी स्थिति में और बिगाड़ होता है।

उदाहरण:

-> मान लीजिए, एक कंपनी पहले से ही वित्तीय संकट में है, और उस पर बड़ा कर्ज भी है। अगर उस समय कंपनी का मुख्य निवेशक भी निवेश वापस ले ले, तो यह “इक नागिन अस पंख लगाई” की स्थिति होगी।

समापन: “इक नागिन अस पंख लगाई” कहावत हमें यह सिखाती है कि जब किसी बुरी स्थिति में और अधिक नकारात्मक तत्व जुड़ जाते हैं, तो परिणाम और भी विनाशकारी होते हैं। इसलिए, समस्याओं का समय पर निदान और सावधानीपूर्वक निपटारा महत्वपूर्ण होता है।

इस पोस्ट में इस कहावत के अर्थ और उसके प्रयोग को जीवन और व्यापारिक संदर्भ में बताया गया है, जो विषम परिस्थितियों में सावधानी बरतने की आवश्यकता पर जोर देता है।

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इक नागिन अस पंख लगाई कहावत पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बूढ़ा किसान अपने बेटे सुभाष के साथ रहता था। उनके पास एक छोटी सी जमीन थी, जहाँ वे अपनी आजीविका के लिए फसल उगाते थे। एक वर्ष, उनके गाँव में बहुत भारी बारिश हुई और उनकी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई।

इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण, वे पहले से ही कर्ज में डूब गए थे। लेकिन जब उन्होंने सोचा कि चीजें और बुरी नहीं हो सकतीं, तो एक दिन उनके घर के पास एक बड़ा सांप आ गया। गाँव वाले सांप को देखकर डर गए और उनके घर से दूर रहने लगे। इससे उनकी दुकानदारी भी प्रभावित होने लगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गई।

इसी दौरान, सुभाष ने अपने पिता से कहा, “यह तो ‘इक नागिन अस पंख लगाई’ वाली स्थिति हो गई है। पहले हमारी फसल बर्बाद हुई और अब यह सांप हमारे लिए और समस्याएँ ले आया है।”

फिर भी, सुभाष ने हार नहीं मानी। उसने अपने पिता के साथ मिलकर एक योजना बनाई और सांप को पकड़कर दूर जंगल में छोड़ दिया। इसके बाद, वे धीरे-धीरे अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा और आर्थिक स्थिति को सुधारने में सफल हुए।

निष्कर्ष:

इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि “इक नागिन अस पंख लगाई” का अर्थ है कि जब पहले से ही बुरी स्थिति में और भी समस्याएँ जुड़ जाती हैं, तो परिस्थितियाँ और भी विकट हो जाती हैं। लेकिन, साहस और दृढ़ निश्चय से हम किसी भी समस्या का सामना कर सकते हैं।

शायरी:

जिंदगी में जब मुश्किलें आईं, बढ़ गईं और दिक्कतें,

“इक नागिन अस पंख लगाई”, ऐसी हुईं वो विपदाएँ।

जिस पर बीते वो जाने, कैसे जलती हैं आग में परछाईं,

क्या खोया क्या पाया, इस सवाल में उलझी हर रात आई।

वक्त की इस चाल में, जब जोड़े और बाधाएँ,

“इक नागिन अस पंख लगाई”, यही कहती हैं फ़ज़ाएँ।

दर्द में भी मुस्कुराना, यही तो है जिंदगी की कहानी,

उम्मीद की लौ जलाकर, हर रात में तलाशें सुबह की रोशनी।

जब दर्द और भी गहरा हो, उसमें ढूंढें नयी राहें,

“इक नागिन अस पंख लगाई”, इन हालातों में भी मुस्कुराएँ।

जो टूटे नहीं वक्त की मार में, वो ही तो हैं असली बहादुर,

जिंदगी के इस सफर में, उन्हीं के कदमों में होती है सच्ची सुरूर।

 

इक नागिन अस पंख लगाई शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of इक नागिन अस पंख लगाई – Ik Naagin As Pankh Lagai Proverb:

Introduction: “Ik Naagin As Pankh Lagai” is a Hindi proverb that illustrates the situation where a bad situation or thing gets even worse.

Meaning: The direct meaning of this proverb is that when more harmful elements are added to something already dangerous or detrimental, the situation becomes even more dire.

Usage: This proverb is used when an already bad situation gets worse.

Examples:

-> Suppose a company is already in financial crisis and heavily in debt. If, at this time, the company’s main investor also withdraws their investment, it would be a situation of “Ik Naagin As Pankh Lagai.”

Conclusion: The proverb “Ik Naagin As Pankh Lagai” teaches us that when more negative elements are added to an already bad situation, the outcomes become even more disastrous. Therefore, timely resolution and careful handling of problems are important. This post explains the meaning and application of the proverb in the context of life and business, emphasizing the need for caution in adverse situations.

Story of Ik Naagin As Pankh Lagai Proverb in English:

Once upon a time, in a small village, there lived an old farmer named Abhay along with his son Subhash. They owned a small piece of land where they cultivated crops for their livelihood. One year, the village experienced heavy rainfall, and their entire crop was destroyed.

Due to this unfortunate event, they were already in debt. But when they thought things couldn’t get any worse, a large snake appeared near their house. The villagers, frightened by the snake, kept their distance, and this affected Abhay’s business as well, worsening their financial situation.

During this time, Subhash said to his father, “This situation is like ‘इक नागिन अस पंख लगाई’ (One serpent with clipped wings). First, our crop was ruined, and now this snake has brought more troubles.”

However, Subhash did not give up. He and his father devised a plan, captured the snake, and released it into the distant forest. Afterward, they gradually managed to rebuild their lost reputation and improve their financial situation.

Conclusion: This story teaches us that “इक नागिन अस पंख लगाई” means that when bad situations pile up, circumstances become even more challenging. Nevertheless, with courage and determination, we can face any problem head-on and overcome it.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

इन तिलों में तेल नहीं निकलता का संदेश क्या है?

कहावत यह बताती है कि कभी-कभी लोग अद्भूत कौशल या गुणधर्म छिपा कर रखते हैं, जो समय के साथ ही प्रकट होते हैं।

इस कहावत का इस्तेमाल किस परिस्थिति में हो सकता है?

यह उपयुक्त है जब किसी की सच्चाई, कल्याणकारिता, या योग्यता को समझने के लिए विशेष श्रद्धांजलि की आवश्यकता होती है।

क्या इस कहावत का कोई इतिहासिक संदर्भ है?

हाँ, इस कहावत का उपयोग साहित्य और सांस्कृतिक कंटेक्स्ट में कई बार हुआ है।

क्या इसका कोई विपरीत अर्थ हो सकता है?

हाँ, यह अर्थ हो सकता है कि कभी-कभी छुपे गुणधर्मों को न पहचानना और उन्हें अनदेखा करना भी नुकसानकारी हो सकता है।

क्या इस कहावत का कोई सामाजिक संदेश है?

हाँ, यह सिखाती है कि हमें लोगों को उनकी असली क्षमताओं के लिए समर्पित रहना चाहिए।

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