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ईश रजाय सीस सबही के, अर्थ, प्रयोग (Eish rajay sees sabhi ke)

परिचय: “ईश रजाय सीस सबही के” यह हिंदी की एक प्राचीन कहावत है, जो ईश्वर की इच्छा के आगे सभी के अधीन होने की बात करती है।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर की इच्छा के सामने झुकना पड़ता है, और सभी मनुष्यों के जीवन में उसकी मर्जी ही सर्वोपरि होती है।

उपयोग: यह कहावत तब प्रयोग की जाती है जब किसी व्यक्ति को यह समझना हो कि जीवन की घटनाएँ और परिस्थितियाँ ईश्वर की इच्छा के अनुसार ही होती हैं।

उदाहरण:

-> एक गाँव में एक किसान था, जो बहुत मेहनती था। उसने अपनी फसलों के लिए दिन-रात काम किया, लेकिन एक अचानक आई बाढ़ ने सारी फसलें बर्बाद कर दीं। इस पर किसान ने कहा, “ईश रजाय सीस सबही के।” उसे समझ आ गया कि कुछ चीजें उसके हाथ में नहीं होतीं और वे ईश्वर की इच्छा के अनुसार ही होती हैं।

समापन: “ईश रजाय सीस सबही के” कहावत हमें यह सिखाती है कि जीवन में जो कुछ भी होता है, वह ईश्वर की इच्छा के अनुसार होता है, और हमें उसकी मर्जी को स्वीकार करना चाहिए। यह हमें यह भी सिखाती है कि जीवन की अप्रत्याशित घटनाओं के सामने धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए।

इस पोस्ट में, इस कहावत के अर्थ और उसके प्रयोग को ईश्वर की इच्छा और उसके प्रति मनुष्य की समझदारी के संदर्भ में बताया गया है, जो हमें जीवन की अपरिहार्यता को स्वीकारने का महत्व सिखाता है।

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ईश रजाय सीस सबही के कहावत पर कहानी:

एक बार की बात है, राजस्थान के एक सुदूर गाँव में प्रेमचंद्र नामक एक बुजुर्ग किसान रहता था। प्रेमचंद्र ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे थे, लेकिन वह हमेशा धैर्यवान और संतुलित रहता।

गाँव में एक साल अचानक सूखा पड़ गया, और लोगों की फसलें सूखने लगीं। प्रेमचंद्र की फसलें भी इससे अछूती नहीं रहीं। गाँववाले परेशान और चिंतित हो उठे, लेकिन प्रेमचंद्र ने शांति बनाए रखी।

गाँव के एक युवक ने प्रेमचंद्र से पूछा, “आप इस विपदा में भी इतने शांत कैसे रह सकते हैं?” प्रेमचंद्र मुस्कुराए और बोले, “बेटा, ‘ईश रजाय सीस सबही के’। हम ईश्वर की मर्जी के सामने अपनी चाहतों का क्या मोल रख सकते हैं? जो कुछ भी होता है, वह उसकी इच्छा से होता है।”

युवक ने प्रेमचंद्र की बातों को गहराई से समझा और गाँववालों को भी यह संदेश पहुंचाया। धीरे-धीरे, लोगों ने अपने परिस्थितियों को ईश्वर की इच्छा मानकर स्वीकार किया और नई ऊर्जा से फिर से अपने काम में जुट गए।

निष्कर्ष:
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि “ईश रजाय सीस सबही के” का अर्थ है कि जीवन में जो कुछ भी होता है, वह ईश्वर की मर्जी से होता है। हमें अपने जीवन की चुनौतियों और परिस्थितियों को धैर्य और विश्वास के साथ स्वीकार करना चाहिए। यह हमें यह भी सिखाता है कि ईश्वर की मर्जी के आगे सभी नतमस्तक होते हैं।

शायरी:

जीवन की राह में जो भी आया, किस्मत का खेल निभाया,

“ईश रजाय सीस सबही के”, इस हकीकत ने सबको सिखाया।

सूखे खेतों में भी आस की बारिश, ईश्वर की मर्जी से होती है,

हर घड़ी, हर पल, हर कदम, उसकी इच्छा से ढलती है।

आँधी में भी दिया जलता रहे, जब ईश्वर का साथ हो,

जीवन के संघर्षों में भी, उसकी चाहत का हाथ हो।

किस्मत के करवट बदलने में, उसकी मर्जी का राज है,

“ईश रजाय सीस सबही के”, ये जीवन का सबसे बड़ा साज़ है।

दुनिया की भागदौड़ में, जब थक कर चूर हो जाएँ,

“ईश रजाय सीस सबही के”, इस सच्चाई में आराम पाएँ।

 

ईश रजाय सीस सबही के शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of ईश रजाय सीस सबही के – Eish rajay sees sabhi ke Proverb:

Introduction: “ईश रजाय सीस सबही के” is an ancient Hindi proverb that speaks of everyone being subject to God’s will.

Meaning: The meaning of this proverb is that every person must bow before the will of God, and in the lives of all humans, His will is supreme.

Usage: This proverb is used when one needs to understand that life’s events and circumstances happen according to God’s will.

Examples:

-> In a village, there was a hardworking farmer. He worked day and night for his crops, but a sudden flood destroyed all his crops. Upon this, the farmer said, “ईश रजाय सीस सबही के.” He realized that some things are not in his control and happen as per God’s will.

Conclusion: The proverb “ईश रजाय सीस सबही के” teaches us that whatever happens in life is according to God’s will, and we should accept His decree. It also teaches us to face life’s unpredictabilities with patience and wisdom. This post explains the meaning and application of the proverb in the context of understanding God’s will and human wisdom, teaching us the importance of accepting life’s inevitabilities.

Story of Eish rajay sees sabhi ke Proverb in English:

Once upon a time, in a remote village in Rajasthan, there lived an elderly farmer named Premchand. Premchand had experienced many ups and downs in his life, but he always remained patient and balanced.

One year, the village suddenly faced a drought, and people’s crops began to wither. Premchand’s crops were not spared either. The villagers were worried and anxious, but Premchand maintained his composure.

A young man from the village asked Premchand, “How can you remain so calm in this disaster?” Premchand smiled and said, “Son, ‘ईश रजाय सीस सबही के’. What value do our desires hold in front of God’s will? Whatever happens, happens according to His wish.”

The young man deeply understood Premchand’s words and conveyed the message to the other villagers. Gradually, the people accepted their circumstances as God’s will and started working again with renewed energy.

Conclusion:

This story teaches us that “ईश रजाय सीस सबही के” means that whatever happens in life, happens according to God’s will. We should accept the challenges and situations of our life with patience and faith. It also teaches us that everyone bows down to the will of God.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

इस कहावत का मुख्य संदेश क्या है?

इस कहावत का मुख्य संदेश यह है कि हर व्यक्ति का जीवन और उसकी घटनाएँ ईश्वर की इच्छा के अधीन होती हैं।

इस कहावत का उपयोग धार्मिक या आध्यात्मिक विचारों में कैसे किया जाता है?

धार्मिक या आध्यात्मिक विचारों में, इस कहावत का उपयोग ईश्वर की इच्छा और भाग्य की महत्वता को समझाने के लिए किया जाता है।

क्या इस कहावत से जीवन के प्रति कोई शिक्षा मिलती है?

हाँ, इस कहावत से यह शिक्षा मिलती है कि हमें सभी परिस्थितियों में संतुलित और समर्पित रहना चाहिए।

इस कहावत का मूल क्या है?

इस कहावत का मूल भारतीय दर्शन और धर्मग्रंथों में निहित है, जहाँ ईश्वर की इच्छा को सर्वोपरि माना गया है।

क्या इस कहावत में कोई सकारात्मक पक्ष है?

इस कहावत का सकारात्मक पक्ष यह है कि यह हमें विनम्रता और जीवन के प्रति एक समर्पित दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा देती है।

इस कहावत का उपयोग सामाजिक जीवन में कैसे किया जा सकता है?

सामाजिक जीवन में, इस कहावत का उपयोग लोगों को ईश्वर की इच्छा के प्रति समर्पण और विनम्रता सिखाने के लिए किया जा सकता है।

व्यक्तिगत जीवन में इस कहावत को कैसे लागू किया जा सकता है?

व्यक्तिगत जीवन में, इस कहावत को लागू करने का अर्थ है कि हमें जीवन की घटनाओं को ईश्वर की इच्छा के रूप में स्वीकार करना और उसके अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।

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