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डोली न कहार, बीबी हुई हैं तैयार, अर्थ, प्रयोग(Doli na kahaar, Biwi hui hain tayaar)

परिचय: “डोली न कहार, बीबी हुई हैं तैयार” यह हिंदी की एक प्रसिद्ध कहावत है, जो अक्सर समाज में उन स्थितियों को दर्शाने के लिए प्रयोग की जाती है जहां किसी योजना या कार्य के लिए आवश्यक तैयारियाँ या साधन अपूर्ण हों।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि जब किसी कार्य के लिए मुख्य घटक या आवश्यक संसाधन का अभाव हो, तो उस कार्य को पूरा करना असंभव होता है। यहाँ ‘डोली’ और ‘कहार’ (डोली उठाने वाले) का अभाव और ‘बीबी’ (महिला) के तैयार होने का उल्लेख है, जो योजना और आवश्यक संसाधनों के बीच के असंतुलन को दर्शाता है।

उपयोग: यह कहावत अक्सर उन परिस्थितियों में प्रयोग की जाती है जहां योजनाएँ तो बनाई जाती हैं लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए जरूरी संसाधनों की कमी होती है।

उदाहरण:

-> मान लीजिए, एक व्यक्ति ने एक बड़े प्रोजेक्ट की योजना बनाई, लेकिन उसके पास उस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए आवश्यक पूंजी या संसाधन नहीं हैं। इस स्थिति में कहा जा सकता है कि “उसकी स्थिति ‘डोली न कहार, बीबी हुई हैं तैयार’ जैसी है।”

समापन: इस कहावत से हमें यह सिखने को मिलता है कि किसी भी योजना या कार्य को सफल बनाने के लिए सिर्फ इच्छा शक्ति ही नहीं, बल्कि आवश्यक संसाधनों का होना भी जरूरी है। यह कहावत हमें योजना बनाते समय व्यावहारिकता की महत्ता को समझने का संदेश देती है।

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डोली न कहार, बीबी हुई हैं तैयार कहावत पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में रमेश नाम का एक युवा रहता था। रमेश का सपना था कि वह अपने गाँव में एक बड़ा और सुंदर पार्क बनाए, जिससे गाँव के बच्चे और बुजुर्ग उसमें अपना समय आनंद से बिता सकें। उसने अपने सपने को साकार करने के लिए कई योजनाएँ बनाईं। वह गाँव के सरपंच के पास गया और अपनी योजना के बारे में बताया। सरपंच ने रमेश के उत्साह और सपने की सराहना की, लेकिन उन्होंने रमेश को यह भी बताया कि गाँव के पास इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए न तो पर्याप्त धन है और न ही संसाधन।

रमेश निराश हो गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने गाँव के लोगों के साथ मिलकर कुछ छोटे-छोटे पार्क और खेल के मैदान बनाने की योजना बनाई। इस बार, उसने अपने सपने के अनुरूप ही संसाधनों की योजना बनाई।

कुछ समय बाद, गाँव में खूबसूरत और उपयोगी खेल के मैदान और छोटे पार्क बन गए। गाँव के लोग इससे बहुत खुश थे। रमेश ने सीखा कि किसी भी सपने को साकार करने के लिए सिर्फ इच्छा ही नहीं, बल्कि उचित संसाधनों का होना भी जरूरी है।

गाँव के लोग अक्सर कहते, “रमेश ने हमें ‘डोली न कहार, बीबी हुई हैं तैयार’ कहावत का सही अर्थ समझाया।”

इस कहानी के माध्यम से, “डोली न कहार, बीबी हुई हैं तैयार” कहावत का अर्थ यह है कि किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए सिर्फ तैयारी ही नहीं, बल्कि आवश्यक संसाधनों का होना भी अनिवार्य है।

शायरी:

सपने सजाए, नजरें बिछाए, फिर भी राहों में ठहराव है,

“डोली न कहार, बीबी हुई हैं तैयार”, ये कहावत कितनी सच्चाई बयां करती जावे है।

ख्वाब आँखों में बसा कर, हम चल पड़े थे अजनबी राहों पर,

मगर जब वक्त आया काम का, तो पाया खुद को तन्हा ही सही।

हमने सोचा था सफर होगा आसां, जो चाहा था वो पाएंगे,

मगर जिंदगी ने सिखाया, बिना साधन के ख्वाब अधूरे ही रह जाएंगे।

इस दुनिया की राह में, सपनों की दौलत तो बहुत है,

लेकिन उन्हें सच करने को, हकीकत की जरूरत तो बहुत है।

चलो फिर से ख्वाब बुनें, इस बार संसाधनों के साथ,

“डोली न कहार, बीबी हुई हैं तैयार” से सीख लेकर, बनाएं अपनी नई राह।

 

डोली न कहार, बीबी हुई हैं तैयार शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of डोली न कहार, बीबी हुई हैं तैयार – Doli na kahaar, Biwi hui hain tayaar Proverb:

Introduction: “Doli na kahaar, Biwi hui hain tayaar” is a famous Hindi proverb often used in society to depict situations where the necessary preparations or means for a plan or task are incomplete.

Meaning: The meaning of this proverb is that when a task lacks essential components or resources, its completion becomes impossible. The absence of ‘Doli’ (palanquin) and ‘Kahar’ (palanquin bearers) and the readiness of ‘Bibi’ (woman) symbolizes the imbalance between planning and necessary resources.

Usage: This proverb is commonly used in situations where plans are made, but there is a shortage of necessary resources to execute them.

Examples:

-> Suppose a person plans a big project but lacks the capital or resources needed to complete it. In this situation, it can be said that his situation is like “Doli na kahaar, Biwi hui hain tayaar.”

Conclusion: This proverb teaches us that for any plan or task to be successful, not just the willpower but also the necessary resources are essential. It conveys the importance of practicality while planning.

Story of Doli na kahaar, Biwi hui hain tayaar Proverb in English:

Once upon a time, in a small village, lived a young man named Ramesh. Ramesh dreamed of building a large and beautiful park in his village where children and elders could spend their time joyfully. He made several plans to realize this dream. He went to the village headman and shared his plan. The headman appreciated Ramesh’s enthusiasm and dream, but also informed him that the village lacked sufficient funds and resources to complete this project.

Ramesh was disappointed, but he did not give up. He planned with the villagers to build some small parks and playgrounds. This time, he planned resources that matched his dream.

After some time, beautiful and useful playgrounds and small parks were created in the village. The villagers were very happy. Ramesh learned that to realize any dream, not just desire, but also the right resources are essential.

The villagers often said, “Ramesh taught us the true meaning of the proverb ‘डोली न कहार, बीबी हुई हैं तैयार’.”

Through this story, the meaning of the proverb “डोली न कहार, बीबी हुई हैं तैयार” is that for any task to be successfully completed, not just preparation but also necessary resources are mandatory.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

इस कहावत का उपयोग किस परिस्थिति में किया जा सकता है?

यह कहावत उस समय का उपयोग करने के लिए है जब कोई दीर्घकालिक कार्य या घटना का इंतजार कर रहा है और अब उसकी तैयारी पूरी हो चुकी है।

इस कहावत की उत्पत्ति क्या है?

इस कहावत की उत्पत्ति हिंदी भाषा में हुई है और इसका उपयोग लोकप्रिय भारतीय साहित्य में होता है।

क्या इस कहावत का कोई विरोधाभास है?

नहीं, इस कहावत में कोई विरोधाभास नहीं है, बल्कि यह एक सामान्य और सकारात्मक संदेश देती है।

इस कहावत का उपयोग किस विषय पर किया जा सकता है?

इस कहावत का उपयोग किसी भी दीर्घकालिक क्रिया, योजना, या इवेंट के समय की तैयारी और स्वीकृति के संदर्भ में किया जा सकता है।

क्या इस कहावत का कोई उपयोगार्थी उदाहरण है?

हाँ, इसे किसी सम्बंधित या प्रमुख घटना की तैयारी के संदर्भ में उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि किसी का विवाह या सामाजिक समारोह।

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