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ढाक तले की फूहड़, महुए तले की सुघड़, अर्थ, प्रयोग(Dhaak tale ki foohad, Mahuye tale ki sughad)

परिचय: “ढाक तले की फूहड़, महुए तले की सुघड़” एक प्रचलित हिंदी कहावत है, जो समाज में व्यक्तियों के चरित्र और उनके परिवेश के संबंध में गहरी समझ दर्शाती है। इस कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि ढाक के पेड़ के नीचे बैठने वाली स्त्री अशिष्ट या अनुचित व्यवहार करने वाली होती है, जबकि महुआ के पेड़ के नीचे बैठने वाली स्त्री सुसंस्कृत और सभ्य होती है।

अर्थ: इस कहावत का मुख्य संदेश यह है कि परिस्थितियाँ और परिवेश व्यक्ति के चरित्र और व्यवहार पर गहरा प्रभाव डालते हैं। यह यह भी सुझाव देती है कि समाज में लोगों के चरित्र का आकलन अक्सर उनके द्वारा चुने गए साथी या स्थान के आधार पर किया जाता है।

उपयोग: इस कहावत का प्रयोग आमतौर पर तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति का आचरण या चरित्र उसके परिवेश या संगति के कारण प्रभावित होता दिखाई देता है।

उदाहरण:

-> मान लीजिए, एक युवा जो पहले अच्छे ग्रेड प्राप्त करता था और अनुशासित था, लेकिन अब वह खराब संगति में पड़कर अपने अध्ययन में लापरवाही बरत रहा है। ऐसी स्थिति में, कोई कह सकता है, “वह ढाक तले की फूहड़ हो गया है।”

समापन: यह कहावत हमें सिखाती है कि हमारा परिवेश और संगति हमारे चरित्र और व्यवहार को किस प्रकार प्रभावित कर सकती है। यह हमें यह भी सिखाती है कि हमें अपने परिवेश और संगति का चयन सोच-समझकर करना चाहिए।

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ढाक तले की फूहड़, महुए तले की सुघड़ कहावत पर कहानी:

एक छोटे से भारतीय गाँव में, हरे-भरे जंगलों और जीवंत खेतों के बीच, दो पेड़ थे जो एक लैंडमार्क की तरह खड़े थे: एक भव्य ढाक का पेड़ (जिसे जंगल की ज्वाला भी कहा जाता है) और एक प्रतिष्ठित महुआ का पेड़, जो अपने मीठे फूलों के लिए जाना जाता है।

ढाक के पेड़ के नीचे, गाँव के युवा अक्सर खेलने, मजाक करने और ऊधम मचाने के लिए इकट्ठा होते थे। उनकी हँसी और ऊंची आवाजें हवा में गूंजती थीं, लेकिन गाँव के बुजुर्ग उनके व्यवहार को अक्सर अशिष्ट या फूहड़ मानते थे। ढाक, अपने आग की तरह लाल फूलों के साथ, एक प्रकार की जंगली, अनियंत्रित ऊर्जा को बढ़ावा देता प्रतीत होता था।

इसके विपरीत, महुआ के पेड़ के नीचे, बड़े लोग अहम मुद्दों पर चर्चा करने और ज्ञान साझा करने के लिए इकट्ठा होते थे। महुआ का पेड़, जो अपने मीठे, मादक फूलों के लिए जाना जाता है जिनका उपयोग शराब बनाने में होता है, परिपक्वता और संस्कार का प्रतीक था। यहां की बातचीत मापी हुई, सोची-समझी और वर्षों की बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन करती थी।

सीता नाम की एक युवा लड़की, जो अपनी जीवंत भावना के लिए जानी जाती थी, अक्सर ढाक के पेड़ के नीचे खेलती थी। उसकी हंसी ढाक के फूलों की तरह उज्ज्वल थी, और उसकी ऊर्जा असीम थी। लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ी हुई, सीता ने महुआ के पेड़ के नीचे बुजुर्गों का संग करना शुरू कर दिया। वह उनकी कहानियों और सलाह को ध्यान से सुनती, और वह ज्ञान आत्मसात करती जो महुआ की शाखाओं के माध्यम से बहने वाली हवा की तरह स्वतंत्र था।

समय के साथ, सीता का व्यवहार बदल गया। गाँव ने देखा कि कैसे एक बार जंगली और स्वतंत्र आत्मा वाली लड़की संस्कार और ज्ञान की एक महिला में परिवर्तित हो गई। उसे सहानुभूति और बुद्धिमत्ता के साथ विवादों को हल करने की क्षमता के लिए जाना जाने लगा, और उसके शब्दों का सम्मान और मूल्यवान माना जाने लगा।

सीता में यह परिवर्तन “ढाक तले की फूहड़, महुए तले की सुघड़” कहावत के सार को दर्शाता है। यह युवावस्था की अनियंत्रित खुशी और ऊर्जा से लेकर, उम्र और अनुभव के साथ आने वाली परिपक्वता और संस्कार तक की यात्रा का प्रतीक है। जिस तरह ढाक और महुआ के पेड़ जीवन और व्यवहार के विभिन्न चरणों का प्रतीक थे, उसी तरह सीता का परिवर्तन अपने वातावरण और उसके भीतर के लोगों द्वारा दी गई ज्ञान की गवाही थी।

शायरी:

ढाक के नीचे बिखरे ख्वाब, उस महुए की छांव में सजे,

जहां एक दुनिया अपनी है, वहां खुदा भी बसे।

इन फूहड़ लम्हों में भी, कुछ सुघड़ सी बातें छुपी,

जैसे हर शाम ढलती है, रात की बाहों में लिपटी।

जिन्दगी की राहों में, हर कदम पे इम्तिहान है,

ढाक के नीचे जो खड़ा, उसका भी तो अपना जहान है।

महुए की छांव में छुपी, वो सुघड़ सी मुस्कान,

जैसे हर दर्द का मरहम, बस एक प्यार की जुबान।

इस फलसफे में छुपा है, जीवन का गहरा सार,

ढाक भी जरूरी है, और महुए की छांव भी प्यार।

 

ढाक तले की फूहड़, महुए तले की सुघड़ शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of ढाक तले की फूहड़, महुए तले की सुघड़ – Dhaak tale ki foohad, Mahuye tale ki sughad Proverb:

Introduction: “Dhaak tale ki foohad, Mahuye tale ki sughad” is a popular Hindi proverb that reflects a deep understanding of individuals’ character and their environment in society. The literal meaning of this proverb is that a woman sitting under a Dhak tree is considered coarse or inappropriate in behavior, while a woman sitting under a Mahua tree is cultured and civilized.

Meaning: The main message of this proverb is that circumstances and the environment have a significant impact on a person’s character and behavior. It also suggests that in society, people’s character is often judged based on the company they keep or the places they frequent.

Usage: This proverb is commonly used when someone’s conduct or character appears to be influenced by their environment or company.

Examples:

-> Suppose a young person, who previously achieved good grades and was disciplined, is now showing negligence in studies due to bad company. In such a situation, one might say, “He has become like one who sits under the Dhak tree.”

Conclusion: This proverb teaches us how our environment and company can influence our character and behavior. It also advises us to choose our surroundings and companions wisely.

Story of Dhaak tale ki foohad, Mahuye tale ki sughad Proverb in English:

In a small village in India, nestled between lush forests and vibrant fields, there were two trees that stood as landmarks: a majestic Palash tree (also known as the Flame of the Forest) and a venerable Mahua tree, known for its sweet flowers.

Under the Palash tree, the village youth often gathered to play, joke, and engage in boisterous activities. Their laughter and loud voices filled the air, but their behavior was often seen as unrefined or crude by the elders of the village. The Palash, with its fiery red blossoms, seemed to encourage a sort of wild, untamed energy.

In contrast, under the Mahua tree, older villagers would assemble to discuss important matters and share wisdom. The Mahua tree, known for its sweet, intoxicating flowers used to make liquor, was a symbol of maturity and refinement. The conversations here were measured, thoughtful, and showcased the wisdom of years.

A young girl named Sita, known for her vivacious spirit, used to play under the Palash tree. Her laughter was as bright as the Palash flowers, and her energy as boundless. But as she grew older, Sita began to seek the company of the elders under the Mahua tree. She listened intently to their stories and advice, absorbing the wisdom that flowed as freely as the breeze through the Mahua’s branches.

Over time, Sita’s demeanor transformed. The village noticed how the once wild and free-spirited girl had grown into a woman of grace and wisdom. She became known for her ability to solve disputes with empathy and intelligence, and her words were respected and valued.

The change in Sita reflected the essence of the proverb “ढाक तले की फूहड़, महुए तले की सुघड़.” It embodied the journey from youthful exuberance, often raw and unrefined, to the maturity and refinement that comes with age and experience. Just as the Palash and Mahua trees symbolized different stages of life and behavior, Sita’s transformation was a testament to the wisdom imparted by one’s environment and the people within it.

The proverb thus serves as a reminder that while youth is a time for unbridled joy and energy, true wisdom and refinement are acquired through the experiences and teachings of life, much like the serene aura under the Mahua tree.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

इस कहावत का अर्थ क्या है?

इस कहावत का अर्थ है कि व्यक्ति अपनी बातें छिपाकर रखता है और असलीता को छुपाने के लिए विभिन्न बहाने बनाता है।

क्या इस कहावत का कोई ऐतिहासिक संबंध है?

हाँ, इस कहावत का प्रचीन भारतीय साहित्य में व्यापक उपयोग होता है और इसका संबंध जीवन के विभिन्न पहलुओं से है।

क्या इस कहावत में कोई उपयोग की शिक्षा है?

हाँ, इस कहावत से सिखने को मिलता है कि हमें हमेशा सच्चाई में रहना चाहिए और दोहराई नहीं करनी चाहिए।

क्या इस कहावत का कोई आधारशास्त्रिक सिद्धांत है?

नहीं, यह कहावत आधारशास्त्र से सीधे रूप से नहीं जुड़ती है, लेकिन इसमें जीवन के अनुभवों की सत्यता है

इस कहावत का उपयोग आधुनिक समय में कैसे किया जा सकता है?

इस कहावत को आधुनिक समय में सच्चाई और ईमानदारी की महत्ता को समझाने के लिए उदाहारण के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है।

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