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दर्जी की सुई कभी ताश में कभी टाट में, अर्थ, प्रयोग(Darji ki sui kabhi tash mein kabhi tat mein)

परिचय: “दर्जी की सुई कभी ताश में कभी टाट में” यह एक लोकप्रिय हिंदी कहावत है, जो व्यक्ति की स्थिति और सामर्थ्य के अनुसार अपनी भूमिका या कार्य को बदलने की क्षमता को दर्शाती है।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि एक कुशल व्यक्ति या पेशेवर विभिन्न परिस्थितियों में अपना काम अनुकूल रूप से बदल सकता है। ‘ताश’ यहाँ महंगे और उच्च श्रेणी के कपड़े का प्रतीक है, जबकि ‘टाट’ साधारण और सस्ते कपड़े का। दर्जी की सुई का इस्तेमाल दोनों प्रकार के कपड़ों में होता है, जो उसकी अनुकूलन क्षमता को दर्शाता है।

उपयोग: इस कहावत का इस्तेमाल व्यवसाय, नौकरी, या जीवन के अन्य पहलुओं में किया जाता है, जहां व्यक्ति को अलग-अलग स्थितियों में अपनी भूमिका को ढालने की आवश्यकता होती है।

उदाहरण:

-> मान लीजिए एक व्यापारी जो लक्जरी उत्पादों के साथ-साथ साधारण उत्पाद भी बेचता है। वह अपने ग्राहकों की विविधता और उनकी जरूरतों के अनुसार अपनी बिक्री और सेवाओं को ढाल लेता है। यहाँ “दर्जी की सुई कभी ताश में कभी टाट में” कहावत उसकी अनुकूलन क्षमता को व्यक्त करती है।

समापन: इस कहावत से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें विभिन्न परिस्थितियों में अपने आप को ढालना और अनुकूल बनाना सीखना चाहिए। यह हमें बताती है कि जीवन में विविधता और परिवर्तनशीलता का सामना करने के लिए लचीलापन और सामर्थ्य महत्वपूर्ण हैं।

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दर्जी की सुई कभी ताश में कभी टाट में कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में अभय नाम का एक युवक रहता था। वह एक प्रतिभाशाली दर्जी था, जो अपनी सुई से तरह-तरह के कपड़े सिलता था। एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला लगा, जहां अलग-अलग वर्ग के लोग आए थे। अभय ने इस मौके का फायदा उठाने की सोची और अपनी दुकान में विभिन्न प्रकार के कपड़े और डिजाइन पेश किए।

जब अमीर ग्राहक आए, तो अभय ने उन्हें महंगे और उत्कृष्ट कपड़े पेश किए। वहीं, जब साधारण वर्ग के लोग आए, तो उसने उनके बजट और जरूरतों के अनुसार सस्ते और टिकाऊ कपड़े प्रदान किए।

इस तरह अभय ने “दर्जी की सुई कभी ताश में कभी टाट में” कहावत को चरितार्थ कर दिखाया। उसकी इस क्षमता की वजह से वह न केवल ग्राहकों का दिल जीत पाया, बल्कि अपने व्यापार को भी नई ऊंचाइयों पर ले गया।

गाँव के लोग उसकी प्रशंसा करते नहीं थकते और कहते, “अभय ने तो दर्जी की सुई का सही उपयोग किया है। उसने साबित कर दिया कि परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को ढालना ही सच्ची कला है।”

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में विभिन्न परिस्थितियों में अपने आप को ढालना और विविधता के अनुरूप काम करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। “दर्जी की सुई कभी ताश में कभी टाट में” कहावत हमें अनुकूलनशीलता और सामर्थ्य की शिक्षा देती है।

शायरी:

जिंदगी की राह में, हर कदम नया सबक है,

कभी ताश में, कभी टाट में, हर लम्हा एक जद्दोजहद है।

जैसे दर्जी की सुई, कभी शाही लिबासों में,

कभी सादे कपड़ों में, अपनी कहानी बुनती है।

जीवन के इस मंच पर, हर किरदार अदा होता है,

कभी खुशी का गीत, कभी ग़म का नगमा होता है।

हर हाल में जीना, इस दर्जी की सुई सी बात है,

हर पल नया रंग ले, जीवन की यही सौगात है।

कभी ताश में चमके, कभी टाट में दमके,

जीवन के हर मोड़ पर, अपनी रूह को नमके।

यह दर्जी की सुई की तरह, हर दिन नई कहानी है,

जीवन का हर पन्ना, अपनी एक जुबानी है।

 

दर्जी की सुई कभी ताश में कभी टाट में शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of दर्जी की सुई कभी ताश में कभी टाट में – Darji ki sui kabhi tash mein kabhi tat mein Proverb:

Introduction: “Darji ki sui kabhi tash mein kabhi tat mein” is a popular Hindi proverb, illustrating the ability to adapt one’s role or work according to one’s situation and capability.

Meaning: The proverb means that a skilled person or professional can adapt their work suitably in different circumstances. ‘Tāsh’ here symbolizes expensive and high-quality fabric, while ‘Tāt’ represents ordinary and inexpensive fabric. The use of the tailor’s needle in both types of fabrics demonstrates its adaptability.

Usage: This proverb is used in business, employment, or other aspects of life, where an individual needs to mold their role according to different situations.

Examples:

-> Consider a merchant who sells both luxury and ordinary products. He tailors his sales and services according to the diversity and needs of his customers. Here, the proverb “Darji ki sui kabhi tash mein kabhi tat mein” represents his adaptability.

Conclusion: This proverb teaches us that we should learn to adapt and become versatile in various situations. It tells us that flexibility and capability are crucial to facing diversity and change in life.

Story of Darji ki sui kabhi tash mein kabhi tat mein Proverb in English:

In a small village lived a young man named Abhay, a talented tailor who stitched various types of clothes with his needle. One day, a grand fair was organized in the village, attracting people from different social classes. Seizing the opportunity, Abhay presented a range of fabrics and designs in his shop.

When wealthy customers visited, Abhay offered them expensive and exquisite fabrics. Conversely, for the ordinary folks, he provided affordable and durable options, catering to their budget and needs.

Thus, Abhay exemplified the proverb “Darji ki sui kabhi tash mein kabhi tat mein” (the tailor’s needle works in both expensive and ordinary fabrics). His ability not only won the hearts of customers but also elevated his business to new heights.

The villagers praised him endlessly, saying, “Abhay has truly mastered the use of the tailor’s needle. He has proven that adapting to circumstances is the real art.”

This story teaches us the importance of adapting to various situations in life and working in accordance with diversity. The proverb “Darji ki sui kabhi tash mein kabhi tat mein” imparts lessons on adaptability and capability.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस कहावत का उदाहरण देना संभव है?

हाँ, जैसे कि एक व्यक्ति जो स्थानीय स्तर पर काम करने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सफलता प्राप्त कर सकता है।

इस कहावत में “ताश” और “टाट” का सामान्य अर्थ क्या है?

“ताश” कल्पना और कौशल को दर्शाता है, जबकि “टाट” विभिन्न परिस्थितियों में काम करने की क्षमता को संकेत करता है।

क्या यह कहावत उत्कृष्टता की प्रेरणा देती है?

हाँ, यह उत्कृष्टता और समर्पण के माध्यम से सफलता की प्राप्ति के लिए प्रेरित करती है।

क्या इस कहावत का अन्य संदेश है?

हाँ, यह भी सिखाती है कि व्यक्ति को समझदारी से और उचित समय पर अपनी कल्पना का उपयोग करना चाहिए।

क्या इस कहावत का आम उपयोग होता है?

हाँ, लोग इस कहावत का उपयोग करके एक व्यक्ति की समर्थन और कल्पना की प्रशंसा करते हैं।

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