हमारे पड़ोसी, आपका स्वागत है! हम “My Non-Violence (मेरी अहिंसा)” नामक अद्भुत पुस्तक के एक और अध्याय का संक्षेप प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसे महात्मा गांधी जी ने लिखा है। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांत तक ले जाएंगे, और उनकी गहन शिक्षाओं को साझा करेंगे। हर अध्याय में उनके अनमोल विचारों को समझाने का हमारा प्रयास रहेगा।
परिचय:
“मेरा अहिंसा” नामक पुस्तक के तीसरे अध्याय का सारांश में आपका स्वागत है। इस अध्याय में, गांधी जी अहिंसा और युद्ध के बीच संबंध को स्पष्ट करते हैं।
अध्याय 3 से प्रमुख बिंदु:
- अहिंसा और सहयोग: गांधी जी मानते हैं कि अहिंसात्मक असहयोगी का कर्तव्य नहीं है कि वह सरकार की मदद करे जब अन्य द्वारा उस पर युद्ध किया जाए।
- अफगान आक्रमण: गांधी जी अहिंसा के अपने सिद्धांत के अनुसार अफगान आक्रमण को पूरी शांति से देख सकते हैं। वे मानते हैं कि अफगान भारत से कोई झगड़ा नहीं है।
- अफगान लोग: गांधी जी असहयोगियों को चेतावनी देते हैं कि वे बंबई या कोलकाता में देखे जा रहे कुछ जंगली अफगानों के आधार पर पूरे अफगान समाज का मूल्यांकन न करें।
निष्कर्ष:
इस अध्याय में गांधी जी ने अहिंसा और युद्ध के बीच संबंध को स्पष्ट किया है। वह भारत के लिए अफगान आक्रमण को एक शांतिपूर्ण दृष्टिकोण से देखते हैं और अफगान समाज के प्रति अपनी समझदारी को प्रकट करते हैं।
अगले अध्याय में और भी ज्ञानवर्धक जानकारियाँ हैं। हम आपको आमंत्रित करते हैं कि आप अगले अध्याय को भी पढ़ें और महात्मा गांधी जी के अद्वितीय विचारों को समझें।
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