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बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम, अर्थ, प्रयोग(Buddhi ghodi lal lagaam)

परिचय: “बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम” यह हिंदी में एक लोकप्रिय कहावत है। यह कहावत अक्सर उन परिस्थितियों में प्रयोग की जाती है जहां किसी पुरानी चीज़ या व्यक्ति को नए या आकर्षक तरीके से पेश किया जाता है।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि एक बुजुर्ग या पुरानी चीज़ को बाहरी सजावट से संवारने का प्रयास। यह उस स्थिति का वर्णन करती है जब आंतरिक गुणों की कमी को बाहरी आडम्बर से छिपाया जाता है।

उपयोग: यह कहावत तब प्रयोग की जाती है जब किसी पुरानी या अनुपयोगी चीज़ को बाहरी शोभा देकर उसके मूल्य को बढ़ाने की कोशिश की जाती है।

उदाहरण:

-> एक कंपनी ने अपने पुराने उत्पाद की पैकेजिंग बदल दी और उसे नया रूप देकर बाजार में पुनः पेश किया। यहां लोगों ने कहा कि यह तो “बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम” की तरह है।

समापन: “बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम” कहावत हमें यह सिखाती है कि केवल बाहरी सजावट से किसी चीज़ के मूल गुण या उपयोगिता नहीं बदलती। यह हमें यह भी बताती है कि वास्तविक मूल्य और गुणवत्ता बाहरी आवरण से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।

Hindi Muhavare Quiz

बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में एक पुरानी दुकान थी, जिसे सुभाष चाचा चलाते थे। दुकान काफी पुरानी थी और अब उसमें ग्राहक भी कम आते थे। सुभाष चाचा ने सोचा कि क्यों न दुकान को नया रूप दिया जाए।

उन्होंने दुकान की मरम्मत करवाई, नए रंग से पेंट करवाया और आकर्षक लाइटें लगवाईं। दुकान बाहर से बिल्कुल नई और आकर्षक लगने लगी। लोग दुकान की इस नई चमक देखकर आकर्षित होने लगे।

लेकिन जब ग्राहक दुकान में आए, तो उन्हें समझ में आया कि दुकान में बेचे जाने वाले सामान वही पुराने और बासी थे। ग्राहकों ने कहा, “यह तो बिल्कुल ‘बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम’ वाली बात हो गई।”

इस घटना से सुभाष चाचा को एहसास हुआ कि केवल बाहरी सजावट से दुकान की उपयोगिता और मूल्य नहीं बढ़ता। उन्होंने तब सामानों की गुणवत्ता में सुधार किया और दुकान को सच्ची उपयोगिता प्रदान की।

निष्कर्ष:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बाहरी आवरण से अधिक महत्वपूर्ण है आंतरिक गुणवत्ता और मूल्य। “बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम” कहावत हमें यह बताती है कि वास्तविकता और उपयोगिता केवल बाहरी शोभा से नहीं आंकी जा सकती।

शायरी:

बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम, दुनिया का यह दस्तूर,

बाहरी चमक दमक में, छिपा अंदर का नूर।

जैसे सजी हुई दुकान, अंदर से हो खाली,

जीवन की इस राह में, यही सबसे बड़ी भूल।

चेहरे की हंसी भी, कभी कभी दे जाती है धोखा,

बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम, यही है जीवन का सोखा।

असली मूल्य छिपा होता, बाहरी आवरण के पीछे,

जिसने पहचाना यह सच, उसने पाया जीवन की रीत।

दुनिया की इस चकाचौंध में, असली चेहरा न खो जाए,

बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम, यह कहावत याद दिलाए।

 

बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम – Buddhi ghodi lal lagaam Proverb:

Introduction: “Buddhi ghodi lal lagaam” is a popular Hindi proverb. This proverb is often used in situations where an old object or person is presented in a new or attractive manner.

Meaning: The meaning of this proverb is an attempt to adorn an old or elderly object with external decoration. It describes a situation where the lack of internal qualities is masked by external pretense.

Usage: This proverb is used when there is an attempt to enhance the value of something old or useless by adorning it externally.

Examples:

-> A company changed the packaging of its old product and re-introduced it to the market in a new form. Here, people said that it was like “Buddhi ghodi lal lagaam.”

Conclusion: The proverb “Buddhi ghodi lal lagaam” teaches us that merely external decoration does not change the inherent qualities or utility of something. It also tells us that true value and quality are more important than external appearance.

Story of Buddhi ghodi lal lagaam Proverb in English:

In a small village, there was an old shop run by Subhash Uncle. The shop was quite old and had started to see fewer customers. Subhash Uncle thought of giving the shop a new look.

He got the shop repaired, painted it with new colors, and installed attractive lights. The shop started looking completely new and appealing from the outside. People were drawn to the new shine of the shop.

However, when customers came inside, they realized that the items for sale were the same old and stale ones. The customers remarked, “This is just like ‘An Old Horse with a Red Bridle’ situation.”

This incident made Subhash Uncle realize that just external decoration does not enhance the utility and value of the shop. He then improved the quality of the items and provided the shop with true usefulness.

Conclusion:

This story teaches us that internal quality and value are more important than external appearances. The proverb “An Old Horse with a Red Bridle” tells us that reality and utility cannot be judged solely by external beauty.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs

यह कहावत भारतीय साहित्य में कहां से उत्पन्न हुई है?

यह कहावत भारतीय साहित्य से है और भाषा के प्रचीन संस्कृति से जुड़ी हुई है।

क्या इस कहावत का कोई विरोधाभास है?

नहीं, इस कहावत का कोई विरोधाभास नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और आधारभूत सत्यों पर आधारित है।

क्या इस कहावत का कोई व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है?

हां, यह कहावत विभिन्न क्षेत्रों में, जैसे कि व्यापार और नौकरी, में सही निर्णय लेने की महत्वपूर्णता को दर्शाती है।

इस कहावत का मतलब समझने के लिए कौन-कौन से संदर्भ दिए जा सकते हैं?

इस कहावत को महाभारत और पंचतंत्र की कथाओं के माध्यम से समझा जा सकता है।

क्या यह कहावत सिर्फ व्यक्तिगत जीवन के लिए ही है, या इसका सामाजिक संदेश भी है?

यह कहावत व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर लागू हो सकती है, क्योंकि इसमें सही निर्णय लेने की महत्वपूर्णता पर बात की गई है।

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