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बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती, अर्थ, प्रयोग(Bina roye to maa bhi doodh nahi pilati)

परिचय: “बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती” यह कहावत हिंदी भाषा की एक प्रसिद्ध और गहरे अर्थ वाली कहावत है। यह कहावत जीवन की एक सामान्य सत्यता को दर्शाती है और इसका प्रयोग अक्सर जीवन के विभिन्न पहलुओं में किया जाता है।

अर्थ: कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि एक छोटा बच्चा जब तक रोता नहीं है, तब तक कई बार माँ उसे दूध नहीं पिलाती। इसी प्रकार, यदि किसी को कुछ चाहिए हो तो उसे अपनी आवश्यकता या इच्छा व्यक्त करनी चाहिए। यह कहावत हमें सिखाती है कि बिना अपनी बात कहे, अपने लक्ष्य या इच्छाओं को प्राप्त करना मुश्किल होता है।

उपयोग: इस कहावत का उपयोग तब किया जाता है जब किसी को समझाना होता है कि उन्हें अपनी इच्छाओं या जरूरतों को व्यक्त करना चाहिए। यह कहावत अक्सर कार्यस्थल, शिक्षा, या निजी जीवन में उपयोगी होती है।

उदाहरण:

-> मान लीजिए एक कर्मचारी अपने कार्य में उत्कृष्टता हासिल करता है लेकिन वेतन वृद्धि के लिए कभी नहीं कहता। ऐसे में, उसके सहकर्मी या मित्र उसे सलाह दे सकते हैं कि “बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती,” अर्थात उसे अपनी मांग को व्यक्त करना चाहिए।

समापन: इस कहावत के माध्यम से हमें यह सिख मिलती है कि हमें अपनी आवाज उठानी चाहिए और अपनी जरूरतों या इच्छाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करना चाहिए। बिना अपनी बात रखे, हम अपने लक्ष्य या इच्छाओं को प्राप्त नहीं कर सकते। इसलिए, अपनी बात कहने में संकोच न करें।

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बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में पारुल नाम की एक लड़की रहती थी। पारुल बहुत ही प्रतिभाशाली और मेहनती थी। वह स्कूल में हमेशा अव्वल आती थी, लेकिन वह बहुत शर्मीली भी थी। उसकी एक बड़ी इच्छा थी कि वह शहर के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में पढ़ाई करे। लेकिन वह इस बात को कभी अपने माता-पिता से कह नहीं पाती थी।

पारुल के पिता एक साधारण किसान थे और उसकी माँ घर संभालती थी। वे दोनों पारुल की पढ़ाई के लिए बहुत समर्थन करते थे, लेकिन उन्हें लगता था कि पारुल गाँव के स्कूल में ही खुश है। पारुल अपने मन की बात को दबाए रखती और अपनी इच्छा को छिपाए रखती।

एक दिन, पारुल की शिक्षिका ने उसकी चुप्पी का कारण पूछा। पारुल ने अपनी इच्छा बताई कि वह शहर में पढ़ना चाहती है। शिक्षिका ने पारुल को समझाया, “बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती। अगर तुम अपनी बात नहीं कहोगी, तो तुम्हारे माता-पिता कैसे समझेंगे?”

पारुल ने हिम्मत जुटाई और अपने माता-पिता से अपनी इच्छा के बारे में बात की। उसके माता-पिता ने उसकी बात सुनकर खुशी से समर्थन किया और पारुल को शहर के कॉलेज में दाखिला दिलवाया।

निष्कर्ष:

पारुल की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हमें अपनी इच्छाओं को पूरा करना है, तो हमें उन्हें व्यक्त करना होगा। बिना अपनी बात कहे, हम अपने लक्ष्य या इच्छाओं को प्राप्त नहीं कर सकते। इसलिए, हमें अपनी आवाज उठाने में संकोच नहीं करना चाहिए।

शायरी:

बिन बोले जो रहे, वो ख्वाबों से कैसे मिल पाते हैं,

“बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती,” के फलसफे समझाते हैं।

जिंदगी की इस राह में, जो चुप रह जाते हैं,

वो अक्सर अपनी मंजिल से दूर ही रह जाते हैं।

अरमानों की ये दुनिया, बोलने से ही तो सजती है,

खामोशियाँ अक्सर, राहों को और भी लंबी कर देती है।

“बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती,” ये सोच ले आते हैं,

कि हर इच्छा, हर ख्वाब, जुबान पे लाने से ही तो पाते हैं।

हर ख्वाब की अपनी एक आवाज होती है,

जो चुप रहे, उसकी कहानी अधूरी होती है।

जिन्दगी कहती है हर पल, “बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती,”

अपने दिल की हर बात, जुबान पे लाकर ही तो कह पाती।

खामोशी की इस दुनिया में, आवाज बनकर जो चमके,

वो ही तो अपनी मंजिल को अपने कदमों में रख लेते हैं।

“बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती,” ये सिखाती है,

कि जो बोले, जो कहे, वही सपनों को सच कर पाते हैं।

 

बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती – Bina roye to maa bhi doodh nahi pilati Proverb:

Introduction: “Bina roye to maa bhi doodh nahi pilati” is a famous and profound Hindi proverb. This saying reflects a universal truth of life and is frequently applied in various aspects of life.

Meaning: The literal meaning of this proverb is that often Bina roye to maa bhi doodh nahi pilati. Similarly, if someone wants something, they should express their need or desire. This proverb teaches us that it is difficult to achieve our goals or desires without expressing them.

Usage: This proverb is used when one needs to explain that they should express their wishes or needs. It is often useful in the workplace, education, or personal life.

Examples:

-> Suppose an employee excels at their work but never asks for a raise. In such cases, their colleagues or friends might advise them saying, “Bina roye to maa bhi doodh nahi pilati,” meaning they should express their demand.

Conclusion: This proverb teaches us that we should raise our voice and clearly express our needs or desires. Without stating our point, we cannot achieve our goals or desires. Therefore, we should not hesitate to express ourselves.

Story of Bina roye to maa bhi doodh nahi pilati Proverb in English:

In a small village, there lived a girl named Parul. Parul was very talented and hardworking. She always topped her class at school but was also quite shy. She had a strong desire to study at a prestigious college in the city, but she could never express this to her parents.

Parul’s father was a simple farmer, and her mother took care of the home. They both supported Parul’s education but thought that she was happy with the village school. Parul kept her desires suppressed and never shared them.

One day, Parul’s teacher noticed her silence and asked the reason. Parul shared her wish to study in the city. Her teacher explained, “Even a mother doesn’t feed milk without the child crying. If you don’t speak up, how will your parents understand?”

Gathering courage, Parul talked to her parents about her desire. After hearing her, her parents happily supported her and enrolled her in a college in the city.

Conclusion:

Parul’s story teaches us that if we want to fulfill our desires, we must express them. Without voicing our thoughts, we cannot achieve our goals or desires. Therefore, we should not hesitate to raise our voice.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs

क्या यह कहावत केवल मातृत्व के संदर्भ में ही है?

हाँ, यह कहावत मातृत्व के संदर्भ में है, जो दुःख और मेहनत के माध्यम से सफलता की प्राप्ति को बताती है।

क्या इस कहावत का अनुसरण करके कोई व्यक्ति अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए काम करना चाहिए?

हाँ, यह कहावत एक अच्छे और मेहनती जीवन की महत्वपूर्णता को सारांशित करती है, और सिद्ध करने के लिए मेहनत करने की सीख देती है।

क्या इस कहावत में किसी अन्य कहानी या लोककथा का संदर्भ है?

नहीं, इसमें किसी अन्य कहानी या लोककथा का संदर्भ नहीं है, यह स्वतंत्र रूप से एक विचार को व्यक्त करती है।

क्या इस कहावत का अनुसरण करना हर किसी को सफलता दिला सकता है?

हाँ, इस कहावत का अनुसरण करना और मेहनत करना व्यक्ति को उच्चतम सफलता तक पहुंचा सकता है, लेकिन इसमें भी अन्य कारणों का

क्या इस कहावत में सुझाया जा रहा है कि जीवन में कभी-कभी कठिनाइयों का सामना करना जरुरी है?

हाँ, यह कहावत बताती है कि जीवन का सफर सरल नहीं होता और किसी भी मुश्किल स्थिति का सामना करके ही हम सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं।

हिंदी कहावतों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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