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बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़, अर्थ, प्रयोग(Baap na maare medhki, beta teerandaz)

परिचय: “बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़” यह हिंदी मुहावरा किसी व्यक्ति की असाधारण प्रतिभा या क्षमता को दर्शाता है, जो उसके पूर्वजों में नहीं दिखाई देती। यह मुहावरा अक्सर उन परिस्थितियों में प्रयोग किया जाता है जहां वंश में एक नई और अलग प्रतिभा उभर कर आती है।

अर्थ: इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है कि जहां पिता मेढकी नहीं मार सकते, वहीं उनका बेटा तीरंदाज़ बन गया है। यह बताता है कि प्रतिभा या क्षमता अनुवांशिकता से परे हो सकती है और हर पीढ़ी अपनी अनूठी प्रतिभा लेकर आती है।

उपयोग: यह मुहावरा तब प्रयोग किया जाता है जब किसी परिवार में किसी सदस्य की क्षमता उसके पूर्वजों से बिलकुल अलग हो। यह युवा पीढ़ी की असाधारण प्रतिभा और संभावनाओं की सराहना करता है।

उदाहरण:

-> एक परिवार में जहाँ सभी सदस्य कला या संगीत से दूर थे, वहां एक युवा उत्कृष्ट संगीतकार बन गया, तो कह सकते हैं “बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़।”

-> एक व्यवसायिक परिवार में जन्मे व्यक्ति ने यदि विज्ञान के क्षेत्र में नई खोज की, तो इसका प्रयोग कर सकते हैं।

समापन: इस मुहावरे के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि हर व्यक्ति में अनूठी प्रतिभा होती है और यह प्रतिभा अक्सर पूर्वजों की क्षमताओं से भिन्न हो सकती है। यह मुहावरा हमें युवा पीढ़ी की प्रतिभा और उनके द्वारा लाए गए नए विचारों को सराहना करने की प्रेरणा देता है।

Hindi Muhavare Quiz

बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़ कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में सुभाष नामक एक किसान रहता था। सुभाष का जीवन साधारण था, वह खेती-बाड़ी में ही अपना समय बिताता। उसका बेटा अभय, हालांकि, खेती में उसकी रुचि नहीं थी। अभय का जुनून था तीरंदाजी में।

सुभाष को अभय की इस रुचि का कोई खास शौक नहीं था, और वह हमेशा उसे खेती की ओर आकर्षित करने की कोशिश करता। लेकिन अभय के दिल में तो बस एक ही सपना था, विश्वस्तरीय तीरंदाज बनने का।

एक दिन, गाँव में एक तीरंदाजी प्रतियोगिता आयोजित की गई। अभय ने भी इसमें भाग लिया। सुभाष और गाँव के अन्य लोग अभय को देखने आए। प्रतियोगिता में अभय ने अपने अद्भुत निशाने से सबको चकित कर दिया। उसने न केवल प्रतियोगिता जीती, बल्कि नया रिकॉर्ड भी बनाया।

सुभाष और गाँववाले अभय की प्रतिभा को देखकर हैरान रह गए। तब सुभाष ने कहा, “मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरा बेटा इतना महान तीरंदाज बनेगा। वाकई, ‘बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़।'”

इस कहानी के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि हर व्यक्ति में अनूठी प्रतिभा होती है, और कभी-कभी यह प्रतिभा उसके पूर्वजों से बिलकुल अलग होती है। यह मुहावरा युवा पीढ़ी की असाधारण प्रतिभा और संभावनाओं को पहचानने की प्रेरणा देता है।

शायरी:

बाप की जो थी खेती, बेटा बन गया तीरंदाज़,
“बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़”।
पीढ़ी का ये फेर, नया रंग लाता है,
हर नई सोच, नया आकाश बनाता है।

बाप के सपने थे अलग, बेटे की उड़ान अलग,
जीवन की इस राह में, हर कदम पर इम्तिहान अलग।
कल की धरोहर से, आज का नया संसार,
हर नई पीढ़ी लिखती अपनी कहानी अपार।

बाप की चाहत में, बेटा बना स्वतंत्र नायक,
अपने सपनों की उड़ान में, बन गया वो गगनचुंबी आकाश।
“बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़”,
ये कहानी है हर नए ख्वाब की, हर नए आगाज़।

जहाँ बाप रुके, वहां से बेटा ने शुरुआत की,
पुरानी परंपराओं को तोड़, नई राह की सौगात दी।
इस जीवन के मेले में, हर नया चेहरा कुछ कहता है,
“बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़”, ये जीवन का नया रहस्य रहता है।

 

बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़ शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़ – Baap na maare medhki, beta teerandaz Proverb:

Introduction: The Hindi proverb “Baap na maare medhki, beta teerandaz” illustrates the exceptional talent or capability in an individual that was not evident in their ancestors. This proverb is often used in scenarios where a new and different talent emerges in a lineage.

Meaning: The literal meaning of this proverb is where the father cannot kill a frog, the son becomes an archer. It suggests that talent or ability can go beyond genetics and each generation brings its own unique talents.

Usage: This proverb is used when a family member’s ability is completely different from that of their ancestors. It appreciates the extraordinary talent and possibilities of the younger generation.

Examples:

-> In a family where all members were distant from arts or music, and a young member became an outstanding musician, one can say “बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़.”

-> If a person born in a business family made a new discovery in the field of science, this proverb can be used.

Conclusion: This proverb teaches us that every individual has unique talent and this talent can often be different from the capabilities of their ancestors. It inspires us to appreciate the talent of the younger generation and the new ideas they bring.

Story of Baap na maare medhki, beta teerandaz Proverb in English:

Once upon a time, in a village, there lived a wealthy man named Surendra. He had everything – wealth, property, and a happy family. Surendra was often seen speaking about the problems of the poor, which would irritate the villagers.

One day, a meeting was held in the village where poverty and its solutions were being discussed. Surendra stood up and expressed his views, saying, “Poverty is just a result of laziness. If people work hard, they too can become rich.”

On this, an elderly villager, Premchandra Kaka, who had worked hard all his life, said, “Surendra Ji, your point might be valid, but you have never seen poverty. Like ‘a barren woman cannot understand the pain of childbirth,’ you cannot understand the pain of poverty.”

Surendra felt offended by Premchandra Kaka’s words, but he remained silent. Sometime later, a major natural disaster struck the village, destroying all of Surendra’s property. Surendra and his family found themselves in financial crisis.

During this time, Surendra faced poverty. He realized that poverty is not just a result of laziness; it can be due to various reasons. He understood that it is impossible to comprehend the pain of a situation without experiencing it personally.

Surendra called another meeting in the village and admitted his mistake. He said, “I have learned from experience that every situation has its unique aspect, and until we experience it ourselves, we cannot fully understand it.”

From this story, everyone learned an important lesson: Experience is the greatest teacher in life, and therefore it is essential to understand the experience of any situation before forming an opinion about it.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQ:

इस कहावत का रोज़मर्रा की बातचीत में कैसे इस्तेमाल किया जाता है?

इसे अक्सर तब इस्तेमाल किया जाता है जब किसी की प्रतिभा या क्षमता का मूल्यांकन करने में उनके परिवारिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखा जाता है।

यह कहावत प्रतिभा और अनुवांशिकी के बारे में क्या सिखाती है?

यह कहावत यह सिखाती है कि प्रतिभा और क्षमताएं अक्सर परिवार से प्रभावित होती हैं और अनुवांशिकी का इसमें महत्वपूर्ण योगदान होता है।

क्या इस कहावत का उपयोग शिक्षा और प्रशिक्षण में किया जा सकता है?

हां, इस कहावत का उपयोग शिक्षा और प्रशिक्षण के संदर्भ में भी किया जा सकता है, खासकर जब प्रतिभा विकास की बात आती है।

यह कहावत समाज और परिवार के संबंध में कैसे प्रासंगिक है?

यह कहावत समाज और परिवार में प्रतिभा और क्षमता के विकास और अनुवांशिक प्रभावों के महत्व को दर्शाती है।

क्या अन्य संस्कृतियों में इसी तरह की कहावतें हैं?

जी हां, अन्य संस्कृतियों में भी प्रतिभा और परवरिश के संबंधों पर जोर देने वाली कहावतें होती हैं।

हिंदी कहावतों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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