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अस्सी की आमद, चौरासी खर्च, अर्थ, प्रयोग(Assi ki aamad, Chaurasi kharch)

“अस्सी की आमद, चौरासी खर्च” एक प्रसिद्ध हिंदी कहावत है, जिसका अर्थ है कि आय से अधिक खर्च होना। यह कहावत तब प्रयोग की जाती है जब किसी व्यक्ति या संस्था के खर्च उसकी आय से अधिक हो जाते हैं।

परिचय: यह कहावत आर्थिक प्रबंधन और बजटिंग की महत्वपूर्णता को दर्शाती है। यह हमें यह सिखाती है कि आय के अनुसार खर्च करना चाहिए और अपनी वित्तीय सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

अर्थ: कहावत “अस्सी की आमद, चौरासी खर्च” का शाब्दिक अर्थ है कि अगर आपकी आय अस्सी रुपये है और आप चौरासी रुपये खर्च कर रहे हैं, तो आप अपनी आमदनी से ज्यादा खर्च कर रहे हैं।

उपयोग: इस कहावत का प्रयोग वित्तीय अनुशासनहीनता को दर्शाने के लिए किया जाता है। यह व्यक्तिगत या संस्थागत वित्तीय प्रबंधन की खामियों को उजागर करता है।

उदाहरण:

-> उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति हर महीने अपनी सैलरी से ज्यादा खर्च कर रहा है और कर्ज ले रहा है, तो इस स्थिति को “अस्सी की आमद, चौरासी खर्च” कहा जा सकता है।

समापन: ‘अस्सी की आमद, चौरासी खर्च’ से हमें यह सीख मिलती है कि वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए आय के अनुसार ही खर्च करना चाहिए। इससे अधिक खर्च करना आर्थिक संकट को आमंत्रित कर सकता है।

Hindi Muhavare Quiz

अस्सी की आमद, चौरासी खर्च कहावत पर कहानी:

एक समय की बात है, एक छोटे शहर में विकास नाम का एक व्यापारी रहता था। विकास का व्यापार अच्छा चल रहा था, और उसकी आमदनी भी काफी अच्छी थी। हालांकि, विकास की एक समस्या थी – वह अपनी आमदनी से ज्यादा खर्च करता था। वह बड़ी-बड़ी पार्टियां करता, महंगी गाड़ियां खरीदता, और अक्सर महंगे रेस्तरां में खाना खाता।

विकास की इस आदत को देखकर, उसके पिता ने उसे चेतावनी दी कि यह तरीका सही नहीं है। पिता ने कहा, “बेटा, तुम ‘अस्सी की आमद, चौरासी खर्च’ कर रहे हो। अगर तुमने अपनी आमदनी के अनुसार खर्च नहीं किया, तो एक दिन बड़ी मुश्किल में पड़ जाओगे।”

विकास ने पिता की बात अनसुनी कर दी और अपनी आदत में कोई बदलाव नहीं किया। धीरे-धीरे, उसका कर्ज बढ़ने लगा और उसका व्यापार भी प्रभावित होने लगा। एक दिन, उसके पास इतना कर्ज हो गया कि उसे अपना व्यापार और घर बेचना पड़ा।

इस घटना ने विकास को एक कड़ा सबक सिखाया। उसने महसूस किया कि अगर वह पिता की सलाह मान लेता और अपनी आमदनी के अनुसार खर्च करता, तो आज इस स्थिति में नहीं होता।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि ‘अस्सी की आमद, चौरासी खर्च’ की आदत से वित्तीय संकट आ सकता है और इसलिए हमें हमेशा अपनी आय के अनुसार ही खर्च करना चाहिए।

शायरी:

अस्सी कमाई, चौरासी खर्च, कैसे चले यह जिंदगी की बाजी,
हर शौक की चाह में, दिल है बेचैन, पर जेब हो गई खाली।

उड़ाने चाहे आसमानों में, पर पंख हों जब तंग,
कैसे कटे जिंदगी की राह, जब हर ख्वाहिश हो महंग।

खर्च की राहों पे चलते-चलते, भूल गए बचत का सफर,
जेब खाली देख कर, हर तमन्ना हुई बेअसर।

अरमानों की इस दौड़ में, जेब की कहानी बयां हो गई,
‘अस्सी की आमद, चौरासी खर्च’, जिंदगी की पहचान हो गई।

सोच समझ कर चलो दोस्तों, इस खर्च की बाजी में,
जिंदगी खूबसूरत है, पर चलना है संभल कर इन राहों में।

 

अस्सी की आमद, चौरासी खर्च शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of अस्सी की आमद, चौरासी खर्च – Assi ki aamad, Chaurasi kharch Proverb:

“Assi ki aamad, Chaurasi kharch” is a famous Hindi proverb, meaning spending more than one’s income. This proverb is used when the expenses of a person or an organization exceed their income.

Introduction: This proverb highlights the importance of financial management and budgeting. It teaches us to spend according to our income and to stay within our financial limits.

Meaning: The literal meaning of the proverb “Assi ki aamad, Chaurasi kharch” is that if your income is eighty rupees and you are spending eighty-four rupees, then you are spending more than what you earn.

Usage: This proverb is used to illustrate financial indiscipline. It exposes the flaws in personal or institutional financial management.

Examples:

-> For instance, if a person is spending more than his monthly salary and is incurring debt, then this situation can be described as “Assi ki aamad, Chaurasi kharch.”

Conclusion: From ‘Assi ki aamad, Chaurasi kharch’, we learn that for financial stability and security, one should spend according to their income. Spending more than that can invite a financial crisis.

Story of Assi ki aamad, Chaurasi kharch Proverb in English:

Once upon a time, in a small town, there lived a businessman named Vikas. Vikas’s business was doing well, and he had a good income. However, Vikas had a problem – he spent more than he earned. He would throw big parties, buy expensive cars, and often dine in luxurious restaurants.

Seeing this habit, his father warned him that this was not the right way. His father said, “Son, you are ‘earning eighty and spending eighty-four.’ If you do not spend according to your income, one day you will face big trouble.”

Vikas ignored his father’s advice and did not change his habits. Gradually, his debts began to increase, and his business also started to suffer. One day, he incurred so much debt that he had to sell his business and house.

This incident taught Vikas a harsh lesson. He realized that if he had listened to his father’s advice and spent according to his income, he wouldn’t be in this situation today.

This story teaches us that the habit of ‘Assi ki aamad, Chaurasi kharch’ can lead to financial crisis, and therefore, we should always spend according to our income.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

इस कहावत का इतिहास क्या है?

इस कहावत का विशेष इतिहास नहीं है, लेकिन यह लोगों के बीच प्रचलित है और उन्हें आर्थिक जीवन की एक सच्चाई को सामने लाने में मदद करता है।

क्या यह कहावत केवल आर्थिक पहलुओं के लिए है?

नहीं, यह कहावत सिर्फ आर्थिक पहलुओं को ही नहीं, बल्कि जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी लागू हो सकती है, जैसे कि संबंध और सामाजिक स्थिति।

क्या इस कहावत में चौरासी और अस्सी की संख्या का कोई विशेष महत्व है?

नहीं, इसमें संख्याओं का कोई विशेष महत्व नहीं है, ये केवल सांकेतिक हैं और एक बड़ी स्थिति को दर्शाने के लिए उपयोग होते हैं।

इस कहावत का प्रयोग किस परिस्थिति में हो सकता है?

इसे किसी के अच्छे समय में अच्छी आर्थिक स्थिति के बावजूद, उनके उधार के बढ़ते खर्चों की चुनौती को बयान करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

क्या इस कहावत में एक सावधानी सूची गई है?

हाँ, इसका सीधा संदेश है कि व्यक्ति को अपनी आमद को संरक्षित रखने और व्यवस्थित खर्च करने की आवश्यकता है।

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