Budhimaan

Home » Kahavaten » अपनी फूटी न देखे दूसरे की फूली निहारे, अर्थ, प्रयोग(Apni footi na dekhe doosre ki fooli nihare)

अपनी फूटी न देखे दूसरे की फूली निहारे, अर्थ, प्रयोग(Apni footi na dekhe doosre ki fooli nihare)

“अपनी फूटी न देखे दूसरे की फूली निहारे” यह हिंदी कहावत एक महत्वपूर्ण मानवीय स्वभाव को दर्शाती है।

परिचय: इस कहावत का उपयोग तब किया जाता है जब व्यक्ति अपनी कमियों या समस्याओं को नजरअंदाज करके, केवल दूसरों की सफलताओं या खुशियों पर ध्यान देता है।

अर्थ: कहावत का अर्थ है कि लोग अक्सर अपनी नकारात्मक स्थितियों या कमियों (‘फूटी’) को अनदेखा कर दूसरों की सकारात्मक स्थितियों या उपलब्धियों (‘फूली’) को अधिक महत्व देते हैं।

उपयोग: इस कहावत का उपयोग उन स्थितियों में किया जाता है जब किसी को यह समझाना होता है कि उन्हें अपनी कमियों या समस्याओं को पहचानना और सुधारना चाहिए, न कि केवल दूसरों की सफलताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

उदाहरण:

-> मान लीजिए एक व्यापारी अपने व्यवसाय में निरंतर हो रहे नुकसान को अनदेखा कर रहा है और केवल अपने प्रतिस्पर्धियों की बढ़ती सफलता पर नजर रखे हुए है। यहां “अपनी फूटी न देखे दूसरे की फूली निहारे” कहावत उसकी स्थिति का वर्णन करती है।

समापन: इस कहावत से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें अपनी समस्याओं और कमियों को स्वीकार करना चाहिए और उन्हें सुधारने की दिशा में काम करना चाहिए। यह हमें सिखाती है कि दूसरों की सफलताओं पर नजर रखने के बजाय, हमें अपने विकास और सुधार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

Hindi Muhavare Quiz

अपनी फूटी न देखे दूसरे की फूली निहारे कहावत पर कहानी:

एक छोटे शहर में अनुज नाम का एक युवक रहता था। अनुज की एक छोटी सी दुकान थी, लेकिन वह अपनी दुकान के घाटे को अनदेखा कर, हमेशा अपने पड़ोसी विक्रेता अजय की सफलता पर नजर रखता था। अजय की दुकान हमेशा ग्राहकों से भरी रहती थी, और अनुज उसकी सफलता से ईर्ष्या करता था।

अनुज के पिता ने कई बार उसे समझाया कि वह अपनी दुकान के मामलों पर ध्यान दे और अजय की सफलता से खुद की तुलना न करे। उन्होंने कहा, “बेटा, ‘अपनी फूटी न देखे दूसरे की फूली निहारे’ यह सोच सही नहीं है। अपनी कमियों को स्वीकार करो और उन्हें सुधारो।”

लेकिन अनुज ने अपने पिता की बातों को अनसुना कर दिया और अपनी दुकान की दिक्कतों को सुधारने के बजाय, अजय की सफलता को देखकर उदास रहता। इसका परिणाम यह हुआ कि उसकी दुकान का घाटा और बढ़ गया।

एक दिन जब उसकी दुकान लगभग बंद होने की कगार पर पहुंच गई, तब जाकर अनुज को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने महसूस किया कि अपनी समस्याओं को अनदेखा करने और केवल दूसरों की सफलता पर नजर रखने से कुछ हासिल नहीं होता।

अनुज ने फिर से अपनी दुकान के मामलों पर ध्यान देना शुरू किया, अपनी सेवाओं में सुधार किया और ग्राहकों की पसंद को समझने की कोशिश की। धीरे-धीरे उसकी दुकान फिर से चल पड़ी और वह समझ गया कि “अपनी फूटी न देखे दूसरे की फूली निहारे” कहावत का क्या अर्थ है।

शायरी:

अपनी फूटी को नहीं देखते, दूसरों की फूली पर नजरें टिकाए,
“अपनी फूटी न देखे दूसरे की फूली निहारे”, यही दुनिया का ढंग बताए।
खुद की कमियों से आँखें मूंदकर, औरों की खुशियों पर जले,
ये सोच न बदली तो जीवन में कभी न सुधरे।

अपनी गलतियों से आँखें फेर, दूसरों की सफलता को ताकते,
इस भ्रम में जीवन बीते, खुद के सपनों को भूल जाते।
“अपनी फूटी न देखे”, ये सोच अपनी, क्यों न हम बदल डालें,
अपनी कमियों को पहचान, खुद की राह खुद निकालें।

औरों की फूली पर नजरें गड़ाकर, क्या हासिल होगा भला,
अपनी फूटी को संवार, नई राह खुद ही बना।
जीवन का यही सच है, अपनी मेहनत से ही उजाला,
“अपनी फूटी न देखे दूसरे की फूली निहारे”, इस सोच को बदल डाला।

 

अपनी फूटी न देखे दूसरे की फूली निहारे शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of अपनी फूटी न देखे दूसरे की फूली निहारे – Apni footi na dekhe doosre ki fooli nihare Proverb:

The Hindi proverb “Apni footi na dekhe doosre ki fooli nihare” reflects an important aspect of human behavior.

Introduction: This proverb is used when a person overlooks their own flaws or problems and focuses only on others’ successes or happiness.

Meaning: The meaning of the proverb is that people often ignore their own negative situations or shortcomings (‘फूटी’) and give more importance to others’ positive situations or achievements (‘फूली’).

Usage: This proverb is utilized in situations where someone needs to be reminded that they should recognize and improve their own shortcomings, instead of just focusing on others’ successes.

Examples:

-> Suppose a businessman is ignoring the continuous losses in his business and only focusing on the growing success of his competitors. Here, the proverb “Apni footi na dekhe doosre ki fooli nihare” aptly describes his situation.

Conclusion: This proverb teaches us that we should accept our problems and shortcomings and work towards improving them. It instructs us to focus on our own development and improvement rather than just keeping an eye on others’ successes.

Story of Apni footi na dekhe doosre ki fooli nihare Proverb in English:

In a small town, there lived a young man named Anuj. Anuj owned a small shop, but he ignored the losses his shop was incurring and always kept an eye on the success of his neighboring vendor, Ajay. Ajay’s shop was always bustling with customers, and Anuj envied his success.

Anuj’s father often advised him to focus on his own business and not to compare himself with Ajay. He said, “Son, the mindset of ‘not seeing one’s own flaws but admiring others’ success’ is not right. Accept your shortcomings and improve them.”

However, Anuj ignored his father’s advice and, instead of fixing the problems in his shop, remained sad by looking at Ajay’s success. As a result, his shop’s losses increased.

One day, when his shop was on the verge of closing down, Anuj realized his mistake. He understood that ignoring his problems and only focusing on others’ success was fruitless.

Anuj then began paying attention to his shop’s affairs, improved his services, and tried to understand his customers’ preferences. Gradually, his shop started doing well again, and he understood the true meaning of the proverb “Apni footi na dekhe doosre ki fooli nihare.”

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस कहावत का कोई ऐतिहासिक संदर्भ है?

ऐसा कोई निश्चित ऐतिहासिक संदर्भ नहीं है, परंतु यह भारतीय साहित्य में बड़े प्रमुख हिस्से का हिस्सा है।

इस कहावत का अनुवाद क्या है अंग्रेजी में?

“Ignore one’s own wound, gaze at another’s bloom.”

क्या इस कहावत का उपयोग स्त्री-पुरुष, या विभिन्न जातियों में भेदभाव के खिलाफ बातचीत में हो सकता है?

हाँ, यह कहावत सामाजिक न्याय और समानता की बातचीत में उपयोगी है।

क्या इस कहावत का कोई विरोधाभास है?

नहीं, यह एक सकारात्मक भावना को व्यक्त करने वाली कहावत है और किसी के साथी भावना के खिलाफ नहीं है।

क्या इस कहावत का कोई साहित्यिक संदर्भ है?

हाँ, यह कहावत कई कहानियों, किस्सों, और गीतों में पाई जा सकती है।

हिंदी कहावतों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

टिप्पणी करे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Budhimaan Team

Budhimaan Team

हर एक लेख बुधिमान की अनुभवी और समर्पित टीम द्वारा सोख समझकर और विस्तार से लिखा और समीक्षित किया जाता है। हमारी टीम में शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ और अनुभवी शिक्षक शामिल हैं, जिन्होंने विद्यार्थियों को शिक्षा देने में वर्षों का समय बिताया है। हम सुनिश्चित करते हैं कि आपको हमेशा सटीक, विश्वसनीय और उपयोगी जानकारी मिले।

संबंधित पोस्ट

"गुरु और शिष्य की अद्भुत कहानी", "गुरु गुड़ से चेला शक्कर की यात्रा", "Budhimaan.com पर गुरु-शिष्य की प्रेरणादायक कहानी", "हिन्दी मुहावरे का विश्लेषण और अर्थ"
Hindi Muhavare

गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया अर्थ, प्रयोग (Guru gud hi raha, chela shakkar ho gya)

परिचय: “गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया” यह हिन्दी मुहावरा शिक्षा और गुरु-शिष्य के संबंधों की गहराई को दर्शाता है। यह बताता है

Read More »
"गुड़ और मक्खियों का चित्रण", "सफलता के प्रतीक के रूप में गुड़", "Budhimaan.com पर मुहावरे का सार", "ईर्ष्या को दर्शाती तस्वीर"
Hindi Muhavare

गुड़ होगा तो मक्खियाँ भी आएँगी अर्थ, प्रयोग (Gud hoga to makkhiyan bhi aayengi)

परिचय: “गुड़ होगा तो मक्खियाँ भी आएँगी” यह हिन्दी मुहावरा जीवन के एक महत्वपूर्ण सत्य को उजागर करता है। यह व्यक्त करता है कि जहाँ

Read More »
"गुरु से कपट मित्र से चोरी मुहावरे का चित्रण", "नैतिकता और चरित्र की शुद्धता की कहानी", "Budhimaan.com पर नैतिकता की महत्वता", "हिन्दी साहित्य में नैतिक शिक्षा"
Hindi Muhavare

गुरु से कपट मित्र से चोरी या हो निर्धन या हो कोढ़ी अर्थ, प्रयोग (Guru se kapat mitra se chori ya ho nirdhan ya ho kodhi)

परिचय: “गुरु से कपट, मित्र से चोरी, या हो निर्धन, या हो कोढ़ी” यह हिन्दी मुहावरा नैतिकता और चरित्र की शुद्धता पर जोर देता है।

Read More »
"गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे मुहावरे का चित्रण", "मानवीय संवेदनशीलता को दर्शाती छवि", "Budhimaan.com पर सहयोग की भावना", "हिन्दी मुहावरे का विश्लेषण"
Hindi Muhavare

गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे अर्थ, प्रयोग (Gud na de to gud ki-si baat to kare)

परिचय: “गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे” यह हिन्दी मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करता है जब कोई व्यक्ति यदि किसी चीज़

Read More »
"गुड़ खाय गुलगुले से परहेज मुहावरे का चित्रण", "हिन्दी विरोधाभासी व्यवहार इमेज", "Budhimaan.com पर मुहावरे की समझ", "जीवन से सीखने के लिए मुहावरे का उपयोग"
Hindi Muhavare

गुड़ खाय गुलगुले से परहेज अर्थ, प्रयोग (Gud khaye gulgule se parhej)

परिचय: “गुड़ खाय गुलगुले से परहेज” यह हिन्दी मुहावरा उन परिस्थितियों का वर्णन करता है जहां व्यक्ति एक विशेष प्रकार की चीज़ का सेवन करता

Read More »
"खूब मिलाई जोड़ी इडियम का चित्रण", "हिन्दी मुहावरे एक अंधा एक कोढ़ी का अर्थ", "जीवन की शिक्षा देते मुहावरे", "Budhimaan.com पर प्रकाशित मुहावरे की व्याख्या"
Hindi Muhavare

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी अर्थ, प्रयोग (Khoob milai jodi, Ek andha ek kodhi)

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी, यह एक प्रसिद्ध हिन्दी मुहावरा है जिसका प्रयोग अक्सर उन परिस्थितियों में किया जाता है जहां दो व्यक्ति

Read More »

आजमाएं अपना ज्ञान!​

बुद्धिमान की इंटरैक्टिव क्विज़ श्रृंखला, शैक्षिक विशेषज्ञों के सहयोग से बनाई गई, आपको भारत के इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने ज्ञान को जांचने का अवसर देती है। पता लगाएं कि आप भारत की विविधता और समृद्धि को कितना समझते हैं।