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अपनी अक्ल और पराई दौलत सबको बड़ी मालूम पड़ती है, अर्थ, प्रयोग(Apni akl aur parayi daulat sabko badi maloom padti hai)

“अपनी अक्ल और पराई दौलत सबको बड़ी मालूम पड़ती है” यह कहावत मानव स्वभाव के एक विशेष पहलू को उजागर करती है।

परिचय: यह कहावत उस मनोवृत्ति को दर्शाती है जिसमें लोग अपनी सोच और बुद्धि को सबसे उत्तम मानते हैं, वहीं दूसरों की संपत्ति या धन को अधिक महत्वपूर्ण समझते हैं।

अर्थ: इस कहावत का सीधा अर्थ है कि व्यक्ति अक्सर अपनी बुद्धि या समझ को सर्वश्रेष्ठ मानता है, भले ही वास्तविकता कुछ और हो। इसी तरह, लोग अक्सर दूसरों की दौलत या संपत्ति को अपनी तुलना में अधिक मूल्यवान मानते हैं।

उपयोग: इस कहावत का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी को यह समझाना हो कि अपनी अक्ल का अतिरेक और दूसरों की दौलत के प्रति अत्यधिक आकर्षण दोनों ही अनुचित हैं।

उदाहरण:

-> मान लीजिए एक व्यक्ति हमेशा अपने निर्णयों को सही मानता है और दूसरों के सुझावों को नहीं मानता, वहीं वह अपने मित्र की संपत्ति और सफलता को देखकर ईर्ष्या करता है। यहां “अपनी अक्ल और पराई दौलत सबको बड़ी मालूम पड़ती है” कहावत उसके व्यवहार को सटीक रूप से व्यक्त करती है।

समापन: इस कहावत से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें न तो अपनी बुद्धि का अतिरेक करना चाहिए और न ही दूसरों की संपत्ति के प्रति ईर्ष्या रखनी चाहिए। इससे हमें विनम्रता और संतुलन का महत्व समझने में मदद मिलती है।

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अपनी अक्ल और पराई दौलत सबको बड़ी मालूम पड़ती है कहावत पर कहानी:

एक छोटे शहर में विशाल नाम का एक युवक रहता था। विशाल बहुत ही बुद्धिमान था, लेकिन उसे अपनी अक्ल पर बहुत घमंड था। वह हमेशा सोचता कि उसके निर्णय सबसे बेहतर होते हैं और दूसरों की राय को वह तवज्जो नहीं देता था।

उसका पड़ोसी मोहन, जो एक साधारण किसान था, हमेशा विशाल को सलाह देता कि वह दूसरों की भी राय सुने, लेकिन विशाल उसकी बातों को अनसुना कर देता। इसके अलावा, विशाल को हमेशा मोहन की संपन्नता से ईर्ष्या होती थी। वह सोचता कि अगर उसके पास भी मोहन जितनी दौलत होती, तो वह ज्यादा सफल होता।

एक दिन, विशाल ने एक बड़ा निवेश किया, लेकिन उसने किसी की सलाह नहीं ली। उसका निवेश बुरी तरह असफल हुआ और वह आर्थिक रूप से परेशान हो गया। उसी समय, मोहन की फसल बहुत अच्छी हुई और उसने बड़ी मुनाफा कमाया।

विशाल को तब जाकर एहसास हुआ कि “अपनी अक्ल और पराई दौलत सबको बड़ी मालूम पड़ती है”। उसे समझ में आया कि अपने अहंकार में रहने की बजाय दूसरों की सलाह और अनुभव को सम्मान देना भी जरूरी है, और दूसरों की संपत्ति की ईर्ष्या करने की बजाय अपनी मेहनत पर भरोसा करना चाहिए।

इस घटना के बाद, विशाल ने अपनी सोच में बदलाव किया और दूसरों की राय को भी महत्व देने लगा। उसने अपने अहंकार को छोड़ दिया और आत्म-निर्भर बनने के लिए कड़ी मेहनत करने लगा। इस तरह, उसने अपने जीवन में सच्ची सफलता और संतुष्टि पाई।

शायरी:

अपनी अक्ल पर जो इतराते हैं,
दूसरों की दौलत पर नज़रें गड़ाते हैं।
“अपनी अक्ल और पराई दौलत सबको बड़ी मालूम पड़ती है”,
इस दुनिया में हर किसी की यही कहानी होती है।

खुद की समझ को जो सर्वश्रेष्ठ मानते हैं,
दूसरों की राय को अनसुना कर जाते हैं।
दूसरों की दौलत से अपनी तुलना करते हैं,
अपनी मेहनत पर ध्यान न देकर खुद को हारते हैं।

अक्ल का घमंड और दूसरों की संपत्ति की चाह,
ये दोनों ही बातें हैं बड़ी आफत की राह।
सीखो इस कहावत से, अपनी मेहनत पर रखो यकीन,
“अपनी अक्ल और पराई दौलत” से परे, जीना है ज़िंदगी का हसीन।

 

अपनी अक्ल और पराई दौलत सबको बड़ी मालूम पड़ती है शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of अपनी अक्ल और पराई दौलत सबको बड़ी मालूम पड़ती है – Apni akl aur parayi daulat sabko badi maloom padti hai Proverb:

The Hindi proverb “Apni akl aur parayi daulat sabko badi maloom padti hai” highlights a specific aspect of human nature.

Introduction: This proverb reflects the mentality where people consider their own intellect and wisdom as the best, while simultaneously perceiving others’ wealth or property as more significant.

Meaning: The direct meaning of this proverb is that people often regard their own intellect or understanding as the best, even if the reality might be different. Similarly, people often find others’ wealth or property more valuable than their own.

Usage: This proverb is used when someone needs to be explained that both overestimating one’s own intelligence and excessive attraction to others’ wealth are inappropriate.

Examples:

Suppose a person always believes his decisions are right and doesn’t heed others’ suggestions, while he envies his friend’s property and success. Here, the proverb “Apni akl aur parayi daulat sabko badi maloom padti hai” precisely describes his behavior.

Conclusion: This proverb teaches us that we should neither exaggerate our own intelligence nor envy others’ wealth. It helps us understand the importance of humility and balance.

Story of Apni akl aur parayi daulat sabko badi maloom padti hai Proverb in English:

In a small town, there lived a young man named Vishal. Vishal was very intelligent, but he was extremely arrogant about his intellect. He always believed that his decisions were the best and disregarded others’ opinions.

His neighbor, Mohan, a simple farmer, often advised Vishal to listen to others’ advice, but Vishal ignored him. Additionally, Vishal always envied Mohan’s prosperity. He thought that if he had as much wealth as Mohan, he would be more successful.

One day, Vishal made a significant investment without seeking anyone’s advice. His investment failed terribly, and he faced financial difficulties. At the same time, Mohan’s crops yielded a great harvest, and he earned a substantial profit.

That’s when Vishal realized that “one’s own intellect and others’ wealth always seem greater.” He understood the importance of respecting others’ advice and experiences rather than being arrogant, and that envying others’ wealth was less important than trusting in his own hard work.

Following this incident, Vishal changed his mindset and started valuing others’ opinions. He let go of his arrogance and began working hard to become self-reliant. Thus, he achieved true success and satisfaction in his life.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस कहावत का कोई इतिहास है?

हाँ, यह कहावत भारतीय सांस्कृतिक और जीवन-दृष्टिकोण से जुड़ी है और व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर लोगों को समझाती है।

क्या इस कहावत का उदाहारण दे सकते हैं?

हाँ, जैसे कि एक व्यक्ति जो समझदारी से अपने काम करता है और दूसरों की सम्पत्ति का सही इस्तेमाल करता है, उसे हमेशा सम्मान मिलता है।

क्या इस कहावत में कोई उपयुक्तता है?

जी हाँ, यह विभिन्न स्तरों पर लोगों को यह सिखाती है कि समझदारी और संबंधों का सही तरीके से सामंजस्य बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।v

क्या इस कहावत का कोई विरोध है?

नहीं, इस कहावत में सामाजिक और नैतिक मूल्यों की समर्थन में कोई विरोध नहीं है।

क्या इस कहावत का कोई विचारशील पर्व है?

जी हाँ, इसका अनुसरण करने से व्यक्ति अच्छे नैतिक मूल्यों की प्राप्ति कर सकता है।

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