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अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता, अर्थ, प्रयोग(Apne dahi koi khatta nahi kehta)

परिचय: अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता, इस कहावत का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति या समूह को उनकी अपनी चीजों, विचारों या कार्यों में कमियां नजर नहीं आतीं, चाहे वो कितनी भी स्पष्ट क्यों न हों। यह कहावत स्वयं की चीजों के प्रति एक अंधे पक्षपात को इंगित करती है।

अर्थ: “अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता” का सामान्य अर्थ है कि लोग अपनी चीजों, विचारों या कार्यों की कमियों को स्वीकार नहीं करते, भले ही वे कमियां स्पष्ट हों।

उपयोग: इस कहावत का इस्तेमाल तब होता है जब यह दिखाना होता है कि किसी व्यक्ति या समूह को अपनी गलतियां या कमियां नजर नहीं आ रही हैं, और वे अपनी चीजों के प्रति अतिरिक्त लगाव या पक्षपात दिखा रहे हैं।

उदाहरण:

-> मान लीजिए एक व्यापारी अपने उत्पादों की कमियों को नहीं मानता, भले ही ग्राहक उनकी शिकायत करें। वह हमेशा अपने उत्पादों की प्रशंसा करता है और किसी भी आलोचना को नकार देता है। यहां, “अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता” कहावत व्यापारी के इस पक्षपाती रवैये को उजागर करती है।

समापन: इस कहावत से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपनी चीजों, विचारों या कार्यों की वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए और उनमें सुधार की दिशा में काम करना चाहिए। यह हमें सिखाती है कि स्वयं के प्रति अत्यधिक पक्षपात या आंख मूंदकर विश्वास वास्तविकता से दूर ले जा सकता है।

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अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता कहावत पर कहानी:

एक छोटे शहर में सुरेंद्र नाम का एक दुकानदार रहता था। सुरेंद्र की दुकान पर अनेक तरह की चीजें मिलती थीं, और वह अपने उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर बहुत गर्व महसूस करता था। उसका मानना था कि उसके उत्पाद बाजार में सबसे अच्छे हैं।

हालांकि, समय के साथ सुरेंद्र की दुकान की बिक्री में गिरावट आने लगी। ग्राहक शिकायत करते कि उत्पादों की गुणवत्ता अब पहले जैसी नहीं रही। लेकिन सुरेंद्र ने इन शिकायतों को अनसुना कर दिया, यह मानते हुए कि उसके उत्पादों में कोई कमी नहीं हो सकती। वह अक्सर कहता, “मेरे उत्पादों में कोई दोष नहीं है, ग्राहकों की राय गलत है।”

एक दिन सुरेंद्र के एक पुराने मित्र ने उसे समझाया, “सुरेंद्र, तुम्हें अपने उत्पादों की गुणवत्ता पर पुनर्विचार करना चाहिए। याद रखो, ‘अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता’, लेकिन कभी-कभी आत्मविश्लेषण जरूरी होता है।”

सुरेंद्र ने अपने मित्र की बातों पर गौर किया और अपने उत्पादों की गुणवत्ता की समीक्षा करने का निर्णय लिया। उसने पाया कि उसके उत्पादों में वास्तव में कुछ कमियां थीं। सुरेंद्र ने तुरंत सुधार के उपाय किए, उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार किया, और ग्राहकों की प्रतिक्रिया पर ध्यान देना शुरू किया।

इस परिवर्तन के परिणामस्वरूप, उसकी दुकान फिर से लोकप्रिय हो गई। सुरेंद्र ने समझा कि स्वयं की चीजों के प्रति पक्षपात नहीं रखना चाहिए और “अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता” कहावत का सही अर्थ समझ गया।

शायरी:

अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता,
यही जीवन का एक सच्चा रहस्य कहलाता।
हर कोई अपनी चीज़ों को सही मानता,
दूसरों की आलोचना से अनजान बन जाता।

“अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता”,
अपनी गलतियों पर परदा डालता।
खुद की कमियों से आंखें चुराता,
दूसरों की गलती पर उंगली उठाता।

जीवन में सच्चाई का सामना करना जरूरी है,
अपनी खामियों को स्वीकारना भी जरूरी है।
“अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता”,
लेकिन सच्चाई से आंख मिलाना ही असली हुनर है।

 

अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता – Apne dahi koi khatta nahi kehta Proverb:

Introduction: Apne dahi koi khatta nahi kehta, This proverb is used when a person or group fails to see the flaws in their own things, ideas, or actions, no matter how evident they may be. It points to a blind bias towards one’s own possessions.

Meaning: The phrase “Apne dahi koi khatta nahi kehta” generally means that people do not accept the faults in their own things, ideas, or actions, even when those flaws are apparent.

Usage: This proverb is used to show that a person or group is unaware of their own mistakes or flaws and are showing extra affection or bias towards their own things.

Examples:

-> Suppose a merchant refuses to acknowledge the flaws in his products, even though customers complain about them. He always praises his products and dismisses any criticism. Here, the proverb “Apne dahi koi khatta nahi kehta” highlights the merchant’s biased attitude.

Conclusion: This proverb teaches us that we should accept the reality of our things, ideas, or actions and work towards improving them. It suggests that excessive bias or blind faith in oneself can lead away from reality.

Story of Apne dahi koi khatta nahi kehta Proverb in English:

In a small town, there was a shopkeeper named Surendra. He had a variety of items in his shop and took great pride in the quality of his products, believing they were the best in the market.

However, over time, sales at Surendra’s shop began to decline. Customers complained that the quality of the products was not as good as it used to be. But Surendra ignored these complaints, convinced that there could be no flaws in his products. He often said, “My products are flawless, the customers’ opinions are wrong.”

One day, an old friend of Surendra advised him, “Surendra, you should reconsider the quality of your products. Remember, ‘no one calls their own yogurt sour’, but sometimes self-analysis is necessary.”

Surendra paid attention to his friend’s words and decided to review the quality of his products. He found that there were indeed some deficiencies. Surendra immediately took corrective measures, improved the quality, and started paying attention to customer feedback.

As a result of these changes, his shop regained its popularity. Surendra realized that one should not be biased towards their own things and understood the true meaning of the proverb “no one calls their own yogurt sour.”

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

दही और खट्टा का संबंध कैसे है?

यहां “दही” सकारात्मक गुण और “खट्टा” नकारात्मक प्रभाव को संकेत करता है, जिससे यह कहावत उत्तरदाता की गुणकर्म की महत्वपूर्णता को बताती है.

क्या इसका उपयोग व्यावसायिक संदर्भ में किया जा सकता है?

हाँ, इसका उपयोग व्यावसायिक संदर्भ में किया जा सकता है, जब किसी को अपने उत्पाद या सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतर तरीके से प्रमोट करना हो.

क्या इसका कोई इतिहास है?

इसका कोई निश्चित इतिहास नहीं है, लेकिन यह भारतीय सांस्कृतिक कहावत है जो जीवन के तथ्यों पर आधारित है.

क्या इसका कोई उपयोग व्यक्तिगत जीवन में है?

हाँ, यह शिक्षा देता है कि आत्म-महत्व को बनाए रखने के लिए हमें अपने कार्यों को साबित करना चाहिए.

इसका विरोधी कहावत क्या हो सकता है?

कोई सीधी विरोधी कहावत नहीं है, लेकिन “दही कभी भी खट्टा हो सकता है” इस तरह का कहावत उसका विरोधी हो सकता है.

हिंदी कहावतों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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