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अपना लाल गंवाय के दर-दर मांगे भीख, अर्थ, प्रयोग(Apna lal ganvay ke dar-dar mange bheekh)

“अपना लाल गंवाय के दर-दर मांगे भीख” यह कहावत जीवन के एक गहरे सत्य को उजागर करती है। इस कहावत का सार यह है कि अक्सर हम अपनी कीमती चीजों को खोकर, बाद में उन्हें पाने के लिए अन्य स्रोतों पर निर्भर हो जाते हैं।

परिचय: यह कहावत उन परिस्थितियों को दर्शाती है जब हम अपने पास मौजूद मूल्यवान संसाधनों को न समझकर उन्हें गंवा देते हैं और बाद में उनकी कमी को महसूस करते हैं।

अर्थ: इस कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि जब कोई अपने मूल्यवान ‘लाल’ (यहां पर ‘लाल’ से अभिप्राय कुछ कीमती या महत्वपूर्ण से है) को खो देता है, तो उसे बाद में अन्य स्थानों पर भीख मांगनी पड़ती है यानी उसे अपनी आवश्यकताओं के लिए दूसरों पर निर्भर होना पड़ता है।

उपयोग: यह कहावत विशेष रूप से तब प्रयोग की जाती है जब हमें यह दर्शाना होता है कि हमें अपने पास मौजूद संसाधनों की कद्र करनी चाहिए और उन्हें संजोकर रखना चाहिए।

उदाहरण:

-> मान लीजिए एक व्यक्ति के पास बहुत सारी जमीन थी, लेकिन उसने बिना सोचे-समझे उसे बेच दिया। बाद में जब उसे पैसों की आवश्यकता हुई, तो उसे दूसरों से मदद मांगनी पड़ी। यहाँ “अपना लाल गंवाय के दर-दर मांगे भीख” कहावत उसकी स्थिति को बखूबी बयान करती है।

समापन: इस कहावत के माध्यम से हमें यह सिखाया जाता है कि हमें अपने पास मौजूद संसाधनों की कद्र करनी चाहिए और उन्हें बुद्धिमानी से उपयोग करना चाहिए। यह हमें यह भी बताता है कि समझदारी से निर्णय न लेने पर हमें बाद में अपनी गलतियों का परिणाम भुगतना पड़ता है।

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अपना लाल गंवाय के दर-दर मांगे भीख कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में अनुभव नाम का एक किसान रहता था। उसके पास बहुत उपजाऊ खेत थे, जिससे वह अच्छी आमदनी कर लेता था। लेकिन अनुभव हमेशा शहर की चमक-दमक के सपने देखा करता था।

एक दिन, एक साहूकार ने उसे उसकी जमीन अच्छे दामों में खरीदने का प्रस्ताव दिया। बिना ज्यादा सोचे-समझे, अनुभव ने अपनी खेती की जमीन बेच दी और शहर की ओर चल पड़ा।

शहर में उसने वो पैसे फिजूलखर्ची में उड़ा दिए। कुछ ही समय में, उसके पास ना तो पैसे बचे और ना ही जमीन। जब उसे अहसास हुआ कि उसने कितनी बड़ी गलती की है, तो उसे दूसरों से मदद मांगनी पड़ी।

अनुभव ने सोचा, “मैंने अपना लाल गंवाय के दर-दर मांगे भीख”। उसे समझ आ गया कि अपने पास मौजूद मूल्यवान चीज़ों की कद्र न करने का परिणाम कितना बुरा हो सकता है।

इस अनुभव ने अनुभव को जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ सिखाया। वह गाँव वापस लौटा और एक बार फिर से खेती शुरू करने का संकल्प लिया, इस बार वह अपने संसाधनों को संजो कर रखने का निर्णय ले चुका था।

शायरी:

अपने लाल को खोकर, दर-दर की ठोकर खाई,
जो था पास में मेरे, उसकी कद्र न पाई।
चमक-दमक में खोया, सपनों की दुनिया में भटका,
जब वापस मुड़ा तो समझा, सब कुछ था लुटा-पिटा।

गवां दिया जो अपना था, अब रोता फिरूँ गली-गली,
“अपना लाल गंवाय के”, अब तकदीर से भीख माँगता हूँ।
बिक गया जो खुद के हाथों, उसकी कीमत अब जानी,
हर खोए हुए पल की, याद में आंसू बहानी।

जिंदगी के इस सफर में, खो दिया जो अनमोल था,
अब समझा उसकी कीमत, जब वो मेरे पास नहीं रहा।
अपने ही हाथों से गंवाया, जो अपना सबसे प्यारा था,
“अपना लाल गंवाय के”, अब जीवन में सब कुछ हारा था।

 

अपना लाल गंवाय के दर-दर मांगे भीख शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of अपना लाल गंवाय के दर-दर मांगे भीख – Apna lal ganvay ke dar-dar mange bheekh Proverb:

The Hindi proverb “Apna lal ganvay ke dar-dar mange bheekh” reveals a deep truth of life. It signifies that often we lose our valuable things and later become dependent on others to fulfill our needs.

Introduction: This proverb illustrates situations when we fail to appreciate the valuable resources we have and lose them, only to realize their worth later.

Meaning: The literal meaning of this proverb is that when one loses something valuable or important (referred to as ‘लाल’ here), they end up begging at different places, meaning they become dependent on others for their needs.

Usage: This proverb is particularly used when we need to highlight the importance of valuing and preserving the resources we have.

Examples:

-> Suppose a person had a lot of land but sold it without much thought. Later, when he needed money, he had to ask others for help. Here, the proverb “Apna lal ganvay ke dar-dar mange bheekh” aptly describes his situation.

Conclusion: This proverb teaches us to value the resources we have and to use them wisely. It also tells us that we may suffer the consequences of our unwise decisions later in life.

Story of Apna lal ganvay ke dar-dar mange bheekh Proverb in English:

In a small village, there lived a farmer named Anubhav. He owned very fertile lands, which brought him a good income. However, Anubhav always dreamed of the glitz and glamour of the city life.

One day, a moneylender offered to buy his land at a good price. Without much thought, Anubhav sold his farmland and headed to the city.

In the city, he squandered all his money on frivolous expenses. In a short time, he was left with neither money nor land. When he realized the gravity of his mistake, he had to seek help from others.

Anubhav thought, “I have lost my treasure and now beg from door to door.” He understood how detrimental it can be not to value what one possesses.

This experience taught Anubhav an important lesson in life. He returned to the village and resolved to start farming again, this time deciding to cherish and preserve his resources.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

इस कहावत का अर्थ क्या है?

इस कहावत का अर्थ है कि अगर कोई अपनी सुख-संपत्ति को बिना सोचे-समझे खो दे, तो वह फिर से उसी से मांगने का हकदार नहीं होता.

कहावत में “लाल” का क्या मतलब है?

यहां “लाल” का मतलब सम्पत्ति और धन होता है, जिसे व्यक्ति बिना सोचे-समझे खो देता है.

क्या यह कहावत भीख मांगने को प्रेरित कर रही है?

नहीं, यह कहावत भीख मांगने को नहीं, बल्कि सुख-संपत्ति को सावधानीपूर्वक रखने की बात कर रही है.

कैसे इस कहावत का उपयोग सजीव जीवन में किया जा सकता है?

इस कहावत का अनुसरण करके लोगों को अपनी संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए सतर्क रहने की सलाह दी जा सकती है.

इस कहावत का सारांश क्या है?

इस कहावत का सारांश है कि व्यक्ति को अपनी संपत्ति को संरक्षित रखने के लिए सतर्क रहना चाहिए.

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