Budhimaan

अंजर-पंजर ढीले होना अर्थ, प्रयोग(Anjar-panjar dhile hone)

परिचय: “अंजर-पंजर ढीले होना” एक पारंपरिक हिंदी मुहावरा है जो अक्सर शारीरिक कमजोरी या थकावट को व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह मुहावरा व्यक्ति के थकान या कमजोरी के स्तर को दर्शाता है।

अर्थ: “अंजर-पंजर ढीले होना” का अर्थ है शरीर का बहुत अधिक थका हुआ या कमजोर होना। यह अभिव्यक्ति अक्सर तब प्रयोग की जाती है जब किसी व्यक्ति को अत्यधिक परिश्रम या शारीरिक श्रम के बाद आराम की आवश्यकता हो।

प्रयोग: यह मुहावरा तब प्रयोग किया जाता है जब किसी व्यक्ति की शारीरिक थकावट का वर्णन करना हो, खासकर कठिन कार्य करने के बाद।

उदाहरण:

-> पूरे दिन खेत में काम करने के बाद मुनीश के अंजर-पंजर ढीले हो गए थे।

-> लंबी यात्रा के बाद उसके अंजर-पंजर इतने ढीले हो गए कि वह सीधे सो गया।

निष्कर्ष: “अंजर-पंजर ढीले होना” मुहावरा हमें यह बताता है कि शारीरिक थकावट एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो अत्यधिक परिश्रम के बाद होती है। यह हमें शरीर की सीमाओं का सम्मान करने और आवश्यक विश्राम लेने की याद दिलाता है।

Hindi Muhavare Quiz

अंजर-पंजर ढीले होना मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गांव में विनीत नाम का एक युवक रहता था। वह एक मेहनती और समर्पित व्यक्ति था जो अपने परिवार के लिए दिन-रात काम करता। विनीत का काम था ईंटों को भट्टे से लेकर बाजार तक पहुंचाना। यह काम बहुत कठिन और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण था।

एक दिन, विनीत को एक बड़ा ऑर्डर मिला और उसने सोचा कि यह उसके परिवार के लिए अच्छा अवसर है। उसने बिना रुके काम करना शुरू कर दिया। दिन भर भारी ईंटों को उठाना और उन्हें वाहन पर लादना विनीत के लिए कठिन था, लेकिन वह रुका नहीं।

जब शाम हुई तो विनीत ने महसूस किया कि उसके शरीर में जान नहीं बची थी। उसके अंजर-पंजर ढीले हो गए थे और वह थकान से चूर हो गया था। उसके पास घर जाने की भी शक्ति नहीं बची थी।

उसके दोस्त ने उसे देखा और कहा, “विनीत, तुमने तो अपने अंजर-पंजर ढीले कर लिए हैं। अब तुम्हें आराम की जरूरत है।” विनीत ने अपने दोस्त की बात मानी और उस दिन के बाद से उसने काम के साथ-साथ आराम को भी महत्व देना शुरू कर दिया।

इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि अत्यधिक परिश्रम से शरीर की क्षमता पर भी असर पड़ता है, और “अंजर-पंजर ढीले होना” हमें यह याद दिलाता है कि शरीर को भी आवश्यक विश्राम की जरूरत होती है।

शायरी:

काम की इस राह में, जब थकान से चूर हुआ,

याद आया वो कहावत, ‘अंजर-पंजर ढीले’ का सूर।

मेहनत की इंतिहां में जब थक के बैठ गया,

लगा जैसे शरीर का हर हिस्सा कह रहा, ‘अब और नहीं’।

जिंदगी की इस दौड़ में, रुकना भी जरूरी है,

‘अंजर-पंजर ढीले हों’, तो आराम भी जरूरी है।

हर दिन की मेहनत में, जब जीवन थका हारा,

याद आई वो बात, ‘अंजर-पंजर ढीले’ का इशारा।

थकान की इस बेला में, सबकुछ लगे बेकार,

‘अंजर-पंजर ढीले हों’, तो समझो आराम है सार।

 

अंजर-पंजर ढीले होना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of अंजर-पंजर ढीले होना – Anjar-panjar dhile hone Idiom:

Introduction: “अंजर-पंजर ढीले होना” is a traditional Hindi idiom often used to express physical weakness or fatigue. This idiom indicates the level of tiredness or weakness in a person.

Meaning: “अंजर-पंजर ढीले होना” means being extremely tired or weak physically. This expression is commonly used when a person needs rest after excessive exertion or physical labor.

Usage: This idiom is used to describe someone’s physical exhaustion, especially after performing a strenuous task.

Usage:

-> After working all day in the field, Munish was so exhausted that his limbs felt weak and weary.

-> After a long journey, his limbs were so weak that he went straight to sleep.

Conclusion: The idiom “अंजर-पंजर ढीले होना” tells us that physical exhaustion is a natural process that occurs after extreme exertion. It reminds us to respect the limits of our body and to take necessary rest.

Story of ‌‌Anjar-panjar dhile hone Idiom in English:

In a small village, there lived a young man named Vineet. He was hardworking and dedicated, working day and night for his family. Vineet’s job was to transport bricks from the kiln to the market. This task was extremely difficult and physically challenging.

One day, Vineet received a large order and thought it was a good opportunity for his family. He started working non-stop. Lifting heavy bricks and loading them onto the vehicle all day was tough for Vineet, but he didn’t stop.

By evening, Vineet realized that he had no energy left in his body. His limbs had become weak and weary, and he was utterly exhausted. He didn’t even have the strength to go home.

His friend saw him and said, “Vineet, you have exhausted yourself completely. You need to rest now.” Vineet heeded his friend’s advice and from that day onwards, he started giving equal importance to rest along with work.

This story teaches us that excessive hard work affects the body’s capability, and “अंजर-पंजर ढीले होना” reminds us that the body also needs essential rest.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या कारण हो सकते हैं अंजर-पंजर ढीले होने के?

अंजर-पंजर ढीले होने के कारण विभिन्न हो सकते हैं, जैसे कि अव्यवस्थितता, अव्यवस्थापन, या किसी निर्माण प्रक्रिया में तकनीकी समस्याएं।

इस मुहावरे का उपयोग किस प्रकार से होता है?

इस मुहावरे का उपयोग किसी कार्य, योजना, या प्रक्रिया में अनावश्यक रूकावटें उत्पन्न होने की स्थिति को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।

क्या है मुहावरा “अंजर-पंजर ढीले होना” का अर्थ?

अंजर-पंजर ढीले होना का अर्थ है किसी चीज़ की निर्माण या स्थिति में समस्या होना या विघ्न उत्पन्न होना।

यह मुहावरा दूसरे मुहावरों के साथ कैसे जुड़ा हो सकता है?

इस मुहावरे को दूसरे मुहावरों के साथ जोड़कर किसी स्थिति की विशेषता को व्यक्त करने में उपयोग किया जा सकता है, जैसे “अंजर-पंजर ढीले होने के बावजूद काम में सफलता प्राप्त की गई।”

कैसे इस स्थिति को सुधारा जा सकता है?

इस स्थिति को सुधारने के लिए उचित योजना बनाकर, संगठन करके, और सही दिशा में कदम उठाकर समस्या को हल किया जा सकता है।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

टिप्पणी करे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Budhimaan Team

Budhimaan Team

हर एक लेख बुधिमान की अनुभवी और समर्पित टीम द्वारा सोख समझकर और विस्तार से लिखा और समीक्षित किया जाता है। हमारी टीम में शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ और अनुभवी शिक्षक शामिल हैं, जिन्होंने विद्यार्थियों को शिक्षा देने में वर्षों का समय बिताया है। हम सुनिश्चित करते हैं कि आपको हमेशा सटीक, विश्वसनीय और उपयोगी जानकारी मिले।

संबंधित पोस्ट

"खुदा गंजे को नाखून न दे - मुहावरे का चित्रण", "जीवन में संसाधनों का उचित उपयोग दर्शाती छवि", "Budhimaan.com पर आवश्यकताओं की महत्वपूर्णता पर प्रकाश", "अनुचित आवंटन की विडंबना को उजागर करती तस्वीर", "समझदारी और व्यावहारिकता की सीख देता बुद्धिमानी छवि"
Uncategorized

खुदा गंजे को नाखून न दे अर्थ, प्रयोग (Khuda ganje ko nakhun na de)

परिचय: “खुदा गंजे को नाखून न दे” एक प्रसिद्ध हिंदी मुहावरा है, जो व्यंग्यात्मक ढंग से उस स्थिति का वर्णन करता है जब किसी व्यक्ति

Read More »
"खाल ओढ़ाए सिंह की मुहावरे का चित्रण", "असली पहचान और दिखावे के बीच का अंतर", "वास्तविकता बनाम आवरण का चित्र", "सिंह की खाल में छिपा स्यार का इलस्ट्रेशन", "Budhimaan.com पर जीवन की वास्तविकता का पाठ"
Hindi Muhavare

खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यार सिंह नहीं होय अर्थ, प्रयोग (Khal odhaye singh ki, Siyar singh nahi hoye)

परिचय: “खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यार सिंह नहीं होय” एक लोकप्रिय हिंदी मुहावरा है जो यह बताता है कि केवल बाहरी दिखावे से किसी की

Read More »
जीवन-उतार-चढ़ाव-चित्रण, घी-चना-जीवन-मुहावरा-इमेज, जीवन-संघर्ष-और-सफलता-कला, हिंदी-मुहावरा-विवेचना, Budhimaan.com-जीवन-शैली-सुझाव
Hindi Muhavare

कभी घी घना, कभी मुट्ठी भर चना, कभी वो भी मना अर्थ, प्रयोग (Kabhi ghee ghana, Kabhi mutthi bhar chana, Kabhi wo bhi manaa)

परिचय: “कभी घी घना, कभी मुट्ठी भर चना, कभी वो भी मना” एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है जो जीवन में उतार-चढ़ाव और समय की अनिश्चितता

Read More »
"खाइए मनभाता पहनिए जगभाता मुहावरे का चित्रण", "गाँव की शादी में समाज के अनुरूप वेशभूषा में युवक", "सादगीपसंद खाने और समाजिक वस्त्रों में संतुलन", "Budhimaan.com पर जीवन शैली और संस्कृति"
Hindi Muhavare

खाइए मनभाता, पहनिए जगभाता अर्थ, प्रयोग (Khaiye manbhata, Pahniye jagbhata)

परिचय: “खाइए मनभाता, पहनिए जगभाता” यह एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है जो जीवन में एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की सलाह देता है। यह मुहावरा हमें

Read More »
"करनी न करतूत, लड़ने को मजबूत मुहावरे का चित्रण", "सकारात्मक कार्यों में ऊर्जा निवेश करते व्यक्ति की छवि", "Budhimaan.com पर सकारात्मक योगदान की प्रेरणा", "विवादों की बजाय कर्म पर ध्यान केंद्रित करता किसान"
Hindi Muhavare

करनी न करतूत, लड़ने को मजबूत अर्थ, प्रयोग (Karni na kartoot, Ladne ko majboot)

परिचय: “करनी न करतूत, लड़ने को मजबूत” एक हिंदी मुहावरा है जो उन व्यक्तियों के व्यवहार को उजागर करता है जो वास्तव में तो कुछ

Read More »

आजमाएं अपना ज्ञान!​

बुद्धिमान की इंटरैक्टिव क्विज़ श्रृंखला, शैक्षिक विशेषज्ञों के सहयोग से बनाई गई, आपको भारत के इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने ज्ञान को जांचने का अवसर देती है। पता लगाएं कि आप भारत की विविधता और समृद्धि को कितना समझते हैं।