Budhimaan

Home » Kahavaten » अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा, अर्थ, प्रयोग(Andher nagari chaupat raja, taka ser bhaji taka ser khaja)

अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा, अर्थ, प्रयोग(Andher nagari chaupat raja, taka ser bhaji taka ser khaja)

“अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा” एक प्रसिद्ध हिंदी कहावत है, जिसका अर्थ है कि एक अयोग्य शासक के नेतृत्व में एक अराजक और बिना किसी नियम-कानून के संचालित होने वाली नगरी होती है। इस कहावत का प्रयोग अक्सर उन परिस्थितियों के लिए किया जाता है जहां नेतृत्व की कमी और अव्यवस्था के कारण परिस्थितियाँ खराब हो जाती हैं।

परिचय: यह कहावत भारतीय समाज में गहराई से निहित है और अक्सर राजनीतिक, सामाजिक, और व्यवसायिक संदर्भों में प्रयोग की जाती है। इसका मूल संदेश यह है कि जब नेतृत्व अयोग्य होता है, तो पूरे समाज पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

अर्थ: इस कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि एक अंधेरी (बिना दिशा की) नगरी में एक चौपट (अयोग्य) राजा होता है, जहाँ सब कुछ एक समान मूल्य पर बेचा जाता है – चाहे वह भाजी (सब्जी) हो या खाजा (मिठाई)। यह अव्यवस्था और असमानता को दर्शाता है।

उपयोग: जब भी किसी संस्था, समूह या देश में अव्यवस्था और अयोग्य नेतृत्व की बात आती है, तब यह कहावत प्रयोग की जाती है। इसका उद्देश्य यह दर्शाना है कि जब नियम और न्याय की कमी होती है, तो समाज में अराजकता फैलती है।

उदाहरण:

-> यदि किसी कंपनी में नियमों का पालन नहीं होता और सभी कर्मचारियों को बिना उनकी योग्यता या प्रदर्शन के एक समान वेतन दिया जाता है, तो इस स्थिति को “अंधेर नगरी चौपट राजा” से तुलना की जा सकती है।

समापन: इस कहावत से हमें यह सिखने को मिलता है कि अयोग्य नेतृत्व और अव्यवस्था से समाज में अराजकता और असंतुलन पैदा होता है। इसलिए, योग्य नेतृत्व और नियमों का पालन समाज के संतुलित और स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक है।

Hindi Muhavare Quiz

अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा कहावत पर कहानी:

एक समय की बात है, एक दूर के देश में ‘अंधेर नगरी’ नामक एक शहर था। इस शहर का राजा बहुत ही अयोग्य और अनुभवहीन था। राजा का नाम था चौपट राजा। वह हमेशा उल्टे-सीधे फैसले लेता था, जिसके कारण नगरी में बहुत अव्यवस्था फैल गई थी।

एक दिन, राजा ने घोषणा की कि नगरी में सभी वस्तुओं की कीमत एक टका होगी। चाहे वो सब्जी हो या मिठाई, सब कुछ एक टका में बिकेगा। इस घोषणा से नगरी में हलचल मच गई। व्यापारी नुकसान में जाने लगे, क्योंकि महंगी चीजें भी वे एक टके में बेचने को मजबूर थे।

इस बीच, एक बुद्धिमान साधु नगरी में आया। उसने देखा कि लोग बहुत परेशान हैं। साधु ने एक दुकानदार से पूछा, “यहाँ क्या हो रहा है?” दुकानदार ने उत्तर दिया, “हमारे चौपट राजा के अजीबोगरीब नियम के कारण सब कुछ बिगड़ गया है।”

साधु ने समझाया, “अव्यवस्था और अयोग्य नेतृत्व के कारण आपकी नगरी ‘अंधेर नगरी’ बन गई है। एक समझदार और योग्य राजा ही अपनी प्रजा का भला कर सकता है।”

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि अयोग्य नेतृत्व और अव्यवस्था के कारण पूरे समाज का नुकसान होता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि नेतृत्व में योग्यता और समझदारी होनी चाहिए।

शायरी:

अंधेर नगरी की बात सुनो, चौपट राजा का फसाना है,

हर चीज एक टके में बिके, ये कैसा दीवानापन छाया है।

जहाँ न्याय की अंधी गलियां, वहां हर इंसाफ बिकता है,

अंधेर नगरी में ऐसे ही, हर सच्चाई का मोल घटता है।

बाजार में भाजी भी वही, खाजा भी उसी कीमत पर,

अक्ल के अंधों की बस्ती में, समझदारी का कहीं ठिकाना नहर।

चौपट राज का ये अलाम, जहाँ नेता बेखबर बैठे हैं,

अंधेर नगरी में जीवन के, अर्थ सारे खो बैठे हैं।

राजा के इस चौपट फैसले से, जनता का हर सपना रोता है,

अंधेर नगरी में इंसाफ की, आस भी धीरे-धीरे खोता है।

इस कहानी से सीख लेकर, चलना होगा हमको सबको,

नेतृत्व में जो समझदारी हो, वही तो सच्चा सबक हो।

 

अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा – Andher nagari chaupat raja, taka ser bhaji taka ser khaja Proverb:

“Andher nagari chaupat raja, taka ser bhaji taka ser khaja” is a famous Hindi proverb, meaning a city governed chaotically and without any rules under an incompetent ruler. This proverb is often used in situations where lack of leadership and disorder lead to adverse conditions.

Introduction: This proverb is deeply embedded in Indian society and is frequently used in political, social, and business contexts. Its core message is that when leadership is incompetent, it adversely affects the entire society.

Meaning: The literal meaning of this proverb is that in a directionless (dark) city ruled by an incompetent (chaotic) king, everything is sold at the same price, whether it be vegetables (bhaji) or sweets (khaja). This represents disorder and inequality.

Usage: This proverb is used whenever there is chaos and incompetent leadership in an institution, group, or country. Its purpose is to illustrate that when there is a lack of rules and justice, anarchy spreads in society.

Examples:

-> If in a company, rules are not followed and all employees are paid the same salary regardless of their qualification or performance, this situation can be compared to “Andher nagari chaupat raja.”

Conclusion: This proverb teaches us that incompetent leadership and disorder lead to chaos and imbalance in society. Therefore, competent leadership and adherence to rules are essential for the balanced and healthy development of society.

Story of Andher nagari chaupat raja, taka ser bhaji taka ser khaja Proverb in English:

Once upon a time, in a distant land, there was a city named ‘Andher Nagri’. The king of this city was highly incompetent and inexperienced. His name was Chaupat Raja. He always made irrational decisions, which led to great disorder in the city.

One day, the king announced that everything in the city would be priced at one Taka. Whether it was vegetables or sweets, everything would be sold for one Taka. This announcement caused turmoil in the city. Traders started incurring losses, as they were forced to sell even expensive items for just one Taka.

Meanwhile, a wise sage arrived in the city. He noticed that the people were very distressed. The sage asked a shopkeeper, “What is happening here?” The shopkeeper replied, “Everything has gone awry due to our Chaupat Raja’s bizarre rules.”

The sage explained, “Due to disorder and incompetent leadership, your city has become ‘Andher Nagri’. Only a wise and capable king can truly benefit his people.”

This story teaches us that incompetent leadership and disorder lead to the detriment of the entire society. Therefore, it is essential to have competence and wisdom in leadership.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

इस कहावत का उदाहरण कौन-कौन से हो सकते हैं?

इसे समझाने के लिए, किसी स्थान में अन्यायपूर्ण और असुरक्षित स्थिति का उदाहरण लेना संभावनापूर्ण है।

क्या यह कहावत केवल राजा के लिए है?

नहीं, यह कहावत हर व्यक्ति को उसके कार्यों की जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता को बताती है।

टका सेर का सीधा संदेश क्या है?

टका सेर बच्चे की भाजी और टका सेर खाजा है, इससे यह सिखने को मिलता है कि हमें जो मिलता है, उसे हमें सही तरीके से उपयोग करना चाहिए।

क्या यह कहावत सामाजिक संदेश देती है?

हाँ, यह कहावत सामाजिक न्याय और सही राजनीति की महत्वपूर्णता पर ध्यान केंद्रित करती है।

क्या अंधेर नगरी की चौपट राजा की तुलना किसी व्यक्ति से हो सकती है?

हाँ, यह कहावत उन लोगों को भी बताती है जो अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभा रहे हैं।

हिंदी कहावतों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

टिप्पणी करे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Budhimaan Team

Budhimaan Team

हर एक लेख बुधिमान की अनुभवी और समर्पित टीम द्वारा सोख समझकर और विस्तार से लिखा और समीक्षित किया जाता है। हमारी टीम में शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ और अनुभवी शिक्षक शामिल हैं, जिन्होंने विद्यार्थियों को शिक्षा देने में वर्षों का समय बिताया है। हम सुनिश्चित करते हैं कि आपको हमेशा सटीक, विश्वसनीय और उपयोगी जानकारी मिले।

संबंधित पोस्ट

"गुरु और शिष्य की अद्भुत कहानी", "गुरु गुड़ से चेला शक्कर की यात्रा", "Budhimaan.com पर गुरु-शिष्य की प्रेरणादायक कहानी", "हिन्दी मुहावरे का विश्लेषण और अर्थ"
Hindi Muhavare

गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया अर्थ, प्रयोग (Guru gud hi raha, chela shakkar ho gya)

परिचय: “गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया” यह हिन्दी मुहावरा शिक्षा और गुरु-शिष्य के संबंधों की गहराई को दर्शाता है। यह बताता है

Read More »
"गुड़ और मक्खियों का चित्रण", "सफलता के प्रतीक के रूप में गुड़", "Budhimaan.com पर मुहावरे का सार", "ईर्ष्या को दर्शाती तस्वीर"
Hindi Muhavare

गुड़ होगा तो मक्खियाँ भी आएँगी अर्थ, प्रयोग (Gud hoga to makkhiyan bhi aayengi)

परिचय: “गुड़ होगा तो मक्खियाँ भी आएँगी” यह हिन्दी मुहावरा जीवन के एक महत्वपूर्ण सत्य को उजागर करता है। यह व्यक्त करता है कि जहाँ

Read More »
"गुरु से कपट मित्र से चोरी मुहावरे का चित्रण", "नैतिकता और चरित्र की शुद्धता की कहानी", "Budhimaan.com पर नैतिकता की महत्वता", "हिन्दी साहित्य में नैतिक शिक्षा"
Hindi Muhavare

गुरु से कपट मित्र से चोरी या हो निर्धन या हो कोढ़ी अर्थ, प्रयोग (Guru se kapat mitra se chori ya ho nirdhan ya ho kodhi)

परिचय: “गुरु से कपट, मित्र से चोरी, या हो निर्धन, या हो कोढ़ी” यह हिन्दी मुहावरा नैतिकता और चरित्र की शुद्धता पर जोर देता है।

Read More »
"गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे मुहावरे का चित्रण", "मानवीय संवेदनशीलता को दर्शाती छवि", "Budhimaan.com पर सहयोग की भावना", "हिन्दी मुहावरे का विश्लेषण"
Hindi Muhavare

गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे अर्थ, प्रयोग (Gud na de to gud ki-si baat to kare)

परिचय: “गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे” यह हिन्दी मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करता है जब कोई व्यक्ति यदि किसी चीज़

Read More »
"गुड़ खाय गुलगुले से परहेज मुहावरे का चित्रण", "हिन्दी विरोधाभासी व्यवहार इमेज", "Budhimaan.com पर मुहावरे की समझ", "जीवन से सीखने के लिए मुहावरे का उपयोग"
Hindi Muhavare

गुड़ खाय गुलगुले से परहेज अर्थ, प्रयोग (Gud khaye gulgule se parhej)

परिचय: “गुड़ खाय गुलगुले से परहेज” यह हिन्दी मुहावरा उन परिस्थितियों का वर्णन करता है जहां व्यक्ति एक विशेष प्रकार की चीज़ का सेवन करता

Read More »
"खूब मिलाई जोड़ी इडियम का चित्रण", "हिन्दी मुहावरे एक अंधा एक कोढ़ी का अर्थ", "जीवन की शिक्षा देते मुहावरे", "Budhimaan.com पर प्रकाशित मुहावरे की व्याख्या"
Hindi Muhavare

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी अर्थ, प्रयोग (Khoob milai jodi, Ek andha ek kodhi)

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी, यह एक प्रसिद्ध हिन्दी मुहावरा है जिसका प्रयोग अक्सर उन परिस्थितियों में किया जाता है जहां दो व्यक्ति

Read More »

आजमाएं अपना ज्ञान!​

बुद्धिमान की इंटरैक्टिव क्विज़ श्रृंखला, शैक्षिक विशेषज्ञों के सहयोग से बनाई गई, आपको भारत के इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने ज्ञान को जांचने का अवसर देती है। पता लगाएं कि आप भारत की विविधता और समृद्धि को कितना समझते हैं।