Budhimaan

Home » Kahavaten » अंधे के आगे रोवे, अपना दीदा खोवे, अर्थ, प्रयोग(Andhe ke aage rove, Apna dida khove)

अंधे के आगे रोवे, अपना दीदा खोवे, अर्थ, प्रयोग(Andhe ke aage rove, Apna dida khove)

परिचय: “अंधे के आगे रोवे, अपना दीदा खोवे” भारतीय समाज में प्रचलित एक पुरानी कहावत है, जिसका उपयोग अक्सर उन स्थितियों में किया जाता है जहां व्यक्ति अपनी समस्याओं या भावनाओं को उनके समझ से परे लोगों के सामने प्रकट करता है।

अर्थ: इस कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि यदि कोई अंधे व्यक्ति के सामने रोता है, तो वह अपनी ही आँखें खो बैठता है, यानी उसे कोई लाभ नहीं होता। यह बताता है कि अपनी भावनाओं या समस्याओं को उन लोगों के सामने प्रकट करना व्यर्थ है जो उन्हें समझ नहीं सकते।

उपयोग: इस कहावत का उपयोग तब किया जाता है जब व्यक्ति को यह समझना होता है कि उसकी बातें या भावनाएँ उस व्यक्ति के लिए महत्वहीन हैं, जिससे वह बात कर रहा है।

उदाहरण:

-> यदि कोई व्यक्ति अपनी परेशानियाँ ऐसे व्यक्ति को बताता है, जिसे उसके संघर्षों की कोई समझ नहीं है, तो इस स्थिति में कहा जा सकता है कि वह “अंधे के आगे रो रहा है, अपना दीदा खो रहा है।”

समापन: इस कहावत से हमें यह सिखने को मिलता है कि अपनी भावनाओं या समस्याओं को उचित और समझदार लोगों के सामने ही प्रकट करना चाहिए, जो उन्हें समझ सकें और उचित मार्गदर्शन दे सकें। अन्यथा, यह केवल व्यक्ति का अपना समय और ऊर्जा की बर्बादी है।

Hindi Muhavare Quiz

अंधे के आगे रोवे, अपना दीदा खोवे कहावत पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में सुरेंद्र नाम का एक युवक रहता था। सुरेंद्र एक किसान था और उसकी जिंदगी कई संघर्षों से भरी हुई थी। उसकी फसलें अक्सर खराब हो जाया करती थीं और वह बार-बार वित्तीय परेशानियों में फंस जाता था।

एक दिन, सुरेंद्र अपनी समस्याओं को लेकर गांव के एक अमीर व्यापारी के पास गया। उसने सोचा कि शायद व्यापारी उसकी परेशानियों को समझेगा और उसकी मदद करेगा। लेकिन व्यापारी ने सुरेंद्र की एक भी बात ध्यान से नहीं सुनी और उसे अनसुना कर दिया।

सुरेंद्र बहुत निराश हुआ और उसे एहसास हुआ कि उसने अपनी समस्याएं ऐसे व्यक्ति को बताईं, जिसे उसके संघर्षों की समझ ही नहीं थी। उसी शाम, वह अपने एक पुराने मित्र से मिला और अपनी सारी परेशानियां उसे बताई। उसका मित्र भी एक किसान था और उसने सुरेंद्र की समस्याओं को समझा और उसे कुछ उपयोगी सलाह दी।

सुरेंद्र को तब जाकर अहसास हुआ कि “अंधे के आगे रोवे, अपना दीदा खोवे” कहावत का अर्थ क्या होता है। उसे समझ आया कि अपनी समस्याएं उन लोगों को बताना जरूरी है जो समझ सकें और मदद कर सकें, न कि उन्हें जिन्हें इससे कोई फर्क न पड़े।

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें अपनी भावनाओं और समस्याओं को सोच-समझकर, उन लोगों के सामने प्रकट करना चाहिए, जिनके पास उन्हें समझने और हल करने की समझ और क्षमता हो।

शायरी:

अंधे के आगे रोया, अपना दीदा खोया,

दुनिया से क्या शिकवा करें, जब अपनी ही सुनी न जाया।

बेमानी है वो दर्द जो, बेसमझों के आगे रोया,

खुद की आँखें खो बैठे, जब अंधे के आगे खोया।

जिसको न समझ हो दर्द की, उसके आगे क्या रोना,

अपने आंसू बचा ले तू, उनके आगे क्या खोना।

अंधे के आगे जो रोए, अपना ही सब कुछ खो बैठे,

दर्द बयां करने से पहले, सोच ले, दिल को क्या बोले।

बेसमझों की दुनिया में, अपना दर्द क्यों सुनाना,

अंधे के आगे न रोये, अपनी आँखें बचा जाना।

 

अंधे के आगे रोवे, अपना दीदा खोवे शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of अंधे के आगे रोवे, अपना दीदा खोवे – Andhe ke aage rove, Apna dida khove Proverb:

Introduction: “Andhe ke aage rove, Apna dida khove” is an old proverb prevalent in Indian society, often used in situations where a person expresses their problems or emotions in front of those who cannot comprehend them.

Meaning: The literal meaning of this proverb is that if someone cries in front of a blind person, they essentially lose their own eyes, meaning they gain no benefit. It indicates that expressing one’s emotions or problems in front of people who cannot understand them is futile.

Usage: This proverb is used when a person needs to realize that their words or emotions are meaningless to the person they are speaking to.

Examples:

-> If a person shares their troubles with someone who has no understanding of their struggles, it can be said in this situation that they are “Andhe ke aage rove, Apna dida khove.”

Conclusion: This proverb teaches us that we should express our feelings or problems only in front of appropriate and understanding people who can comprehend and provide proper guidance. Otherwise, it is just a waste of one’s own time and energy.

Story of Andhe ke aage rove, Apna dida khove Proverb in English:

Once upon a time in a small village, there lived a young man named Surendra. Surendra was a farmer, and his life was filled with numerous struggles. His crops would often fail, and he repeatedly found himself in financial troubles.

One day, Surendra took his problems to a wealthy merchant of the village, hoping that the merchant would understand his troubles and help him. However, the merchant did not listen to a single word of Surendra’s problems and ignored him completely.

Surendra felt very disappointed and realized that he had shared his problems with someone who had no understanding of his struggles. That evening, he met with an old friend of his and shared all his issues. His friend, also a farmer, understood Surendra’s problems and gave him some useful advice.

It was then that Surendra realized the true meaning of the proverb “Crying in front of the blind, losing one’s own sight.” He understood the importance of sharing his problems with those who could understand and help, not with those who were indifferent.

This story teaches us that we should carefully express our feelings and problems in front of people who have the ability to understand and solve them.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

इस कहावत का उपयोग किस परिस्थिति में हो सकता है?

यह कहावत उस स्थिति को व्यक्त करती है जब कोई अपनी गलतीयों को स्वीकारने में असमर्थ हो और उसका आत्मविश्वास कमजोर हो जाए।

इसका उपयोग किसी को सच्चाई दिखाने में कैसे किया जा सकता है?

यदि कोई व्यक्ति अपनी गलती को नहीं मानता और सच्चाई से बचता है, तो यह कहावत उसके अपने दोषों को स्वीकारने की अहमता को बताती है।

अंधे के आगे रोवे, अपना दीदा खोवे” का इतिहास क्या है?

इस कहावत का इतिहास विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं में है, और यह विभिन्न रूपों में बदलता है, लेकिन मुख्य भाव यही रहता है।

इस कहावत का उपयोग शिक्षा क्षेत्र में कैसे किया जा सकता है?

शिक्षा में, यह कहावत छात्रों को अपनी गलतियों को स्वीकारने और सुधारने की महत्वपूर्णता को समझाने के लिए उपयोगी हो सकती है।

इस कहावत का उपयोग सामाजिक संदेश के लिए कैसे किया जा सकता है?

सामाजिक संदेश में, यह कहावत लोगों को सोचने और अपने कृतियों को समीक्षा करने के लिए प्रेरित कर सकती है, ताकि वे सही मार्ग पर चल सकें।

हिंदी कहावतों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

टिप्पणी करे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Budhimaan Team

Budhimaan Team

हर एक लेख बुधिमान की अनुभवी और समर्पित टीम द्वारा सोख समझकर और विस्तार से लिखा और समीक्षित किया जाता है। हमारी टीम में शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ और अनुभवी शिक्षक शामिल हैं, जिन्होंने विद्यार्थियों को शिक्षा देने में वर्षों का समय बिताया है। हम सुनिश्चित करते हैं कि आपको हमेशा सटीक, विश्वसनीय और उपयोगी जानकारी मिले।

संबंधित पोस्ट

"गुरु और शिष्य की अद्भुत कहानी", "गुरु गुड़ से चेला शक्कर की यात्रा", "Budhimaan.com पर गुरु-शिष्य की प्रेरणादायक कहानी", "हिन्दी मुहावरे का विश्लेषण और अर्थ"
Hindi Muhavare

गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया अर्थ, प्रयोग (Guru gud hi raha, chela shakkar ho gya)

परिचय: “गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया” यह हिन्दी मुहावरा शिक्षा और गुरु-शिष्य के संबंधों की गहराई को दर्शाता है। यह बताता है

Read More »
"गुड़ और मक्खियों का चित्रण", "सफलता के प्रतीक के रूप में गुड़", "Budhimaan.com पर मुहावरे का सार", "ईर्ष्या को दर्शाती तस्वीर"
Hindi Muhavare

गुड़ होगा तो मक्खियाँ भी आएँगी अर्थ, प्रयोग (Gud hoga to makkhiyan bhi aayengi)

परिचय: “गुड़ होगा तो मक्खियाँ भी आएँगी” यह हिन्दी मुहावरा जीवन के एक महत्वपूर्ण सत्य को उजागर करता है। यह व्यक्त करता है कि जहाँ

Read More »
"गुरु से कपट मित्र से चोरी मुहावरे का चित्रण", "नैतिकता और चरित्र की शुद्धता की कहानी", "Budhimaan.com पर नैतिकता की महत्वता", "हिन्दी साहित्य में नैतिक शिक्षा"
Hindi Muhavare

गुरु से कपट मित्र से चोरी या हो निर्धन या हो कोढ़ी अर्थ, प्रयोग (Guru se kapat mitra se chori ya ho nirdhan ya ho kodhi)

परिचय: “गुरु से कपट, मित्र से चोरी, या हो निर्धन, या हो कोढ़ी” यह हिन्दी मुहावरा नैतिकता और चरित्र की शुद्धता पर जोर देता है।

Read More »
"गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे मुहावरे का चित्रण", "मानवीय संवेदनशीलता को दर्शाती छवि", "Budhimaan.com पर सहयोग की भावना", "हिन्दी मुहावरे का विश्लेषण"
Hindi Muhavare

गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे अर्थ, प्रयोग (Gud na de to gud ki-si baat to kare)

परिचय: “गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे” यह हिन्दी मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करता है जब कोई व्यक्ति यदि किसी चीज़

Read More »
"गुड़ खाय गुलगुले से परहेज मुहावरे का चित्रण", "हिन्दी विरोधाभासी व्यवहार इमेज", "Budhimaan.com पर मुहावरे की समझ", "जीवन से सीखने के लिए मुहावरे का उपयोग"
Hindi Muhavare

गुड़ खाय गुलगुले से परहेज अर्थ, प्रयोग (Gud khaye gulgule se parhej)

परिचय: “गुड़ खाय गुलगुले से परहेज” यह हिन्दी मुहावरा उन परिस्थितियों का वर्णन करता है जहां व्यक्ति एक विशेष प्रकार की चीज़ का सेवन करता

Read More »
"खूब मिलाई जोड़ी इडियम का चित्रण", "हिन्दी मुहावरे एक अंधा एक कोढ़ी का अर्थ", "जीवन की शिक्षा देते मुहावरे", "Budhimaan.com पर प्रकाशित मुहावरे की व्याख्या"
Hindi Muhavare

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी अर्थ, प्रयोग (Khoob milai jodi, Ek andha ek kodhi)

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी, यह एक प्रसिद्ध हिन्दी मुहावरा है जिसका प्रयोग अक्सर उन परिस्थितियों में किया जाता है जहां दो व्यक्ति

Read More »

आजमाएं अपना ज्ञान!​

बुद्धिमान की इंटरैक्टिव क्विज़ श्रृंखला, शैक्षिक विशेषज्ञों के सहयोग से बनाई गई, आपको भारत के इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने ज्ञान को जांचने का अवसर देती है। पता लगाएं कि आप भारत की विविधता और समृद्धि को कितना समझते हैं।