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अंबा झोर चलै पुरवाई तब जानौ बरतवा ऋतु आई अर्थ, प्रयोग (Amba jhor chalai puravai tab jaanau baratava ritu aaee)

“अंबा झोर चलै पुरवाई तब जानौ बरतवा ऋतु आई” एक प्राचीन हिंदी कहावत है जो प्रकृति के बदलावों और ऋतुओं के आगमन की सूचना देता है।

परिचय: यह कहावत मौसम के बदलाव को दर्शाता है, खासकर बसंत ऋतु के आगमन को। “अंबा” का अर्थ होता है आम का पेड़ और “झोर चलै पुरवाई” से तात्पर्य है पूर्व दिशा से आने वाली तेज हवा। इसलिए, जब आम के पेड़ों पर हवा चलती है, तो यह संकेत देता है कि वसंत ऋतु आ गई है।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि प्रकृति के संकेतों के माध्यम से हम ऋतुओं के बदलाव को समझ सकते हैं। यह हमें बताता है कि कैसे प्राकृतिक घटनाएँ हमें आसन्न परिवर्तनों की जानकारी देती हैं।

प्रयोग: इस कहावत का प्रयोग प्राकृतिक परिवर्तनों या ऋतुओं के आगमन की बात करते समय किया जाता है। यह अक्सर कविता या साहित्य में प्रकृति की सुंदरता और उसके चक्र को व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल होता है।

उदाहरण:

-> जब गाँव में अंबा झोर चलने लगा, तो सब समझ गए कि बसंत ऋतु आ गई है।

-> कवि ने अपनी कविता में लिखा, “अंबा झोर चलै पुरवाई, लगा बसंत का संदेशा आई।”

निष्कर्ष: “अंबा झोर चलै पुरवाई तब जानौ बरतवा ऋतु आई” कहावत हमें यह सिखाता है कि प्रकृति के संकेत हमें बहुत कुछ बता सकते हैं। यह हमें प्राकृतिक चक्रों के प्रति सजग और संवेदनशील बनाता है। इस कहावत के माध्यम से हम प्रकृति के साथ एक गहरा संबंध महसूस कर सकते हैं और उसकी सुंदरता का आनंद उठा सकते हैं।

Hindi Muhavare Quiz

अंबा झोर चलै पुरवाई तब जानौ बरतवा ऋतु आई कहावत पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था, जिसका नाम था विनीत। विनीत का एक बहुत बड़ा आम का बाग था, जिसमें वह बहुत मेहनत से काम करता था। गाँव के लोग उसे आम के बागान का जादूगर कहते थे क्योंकि वह आमों की कई किस्में उगाता था।

हर साल जब सर्दियाँ समाप्त होतीं और बसंत की ऋतु आने वाली होती, तो विनीत अपने बागान में घूमता और आम के पेड़ों को देखता। वह जानता था कि जब “अंबा झोर चलै पुरवाई,” यानी जब पूर्व दिशा से हल्की ठंडी हवा चलने लगती है और आम के पेड़ों पर हल्की हलचल होती है, तो समझो बसंत ऋतु आ गई है।

एक साल ऐसा हुआ कि सर्दियों के बाद मौसम में बदलाव आने में देरी हो गई। गाँव के लोग चिंतित हो गए कि शायद इस बार बसंत न आए। लेकिन विनीत निश्चिंत था। उसने कहा, “जब तक ‘अंबा झोर चलै पुरवाई’ नहीं होती, तब तक बसंत का इंतज़ार करो।”

और फिर एक दिन ऐसा हुआ कि पूर्व दिशा से हल्की ठंडी हवा चली और आम के पेड़ों पर हल्की हलचल हुई। विनीत मुस्कुराया और गाँव वालों को बताया कि देखो, बसंत आ गई है।

गाँव के लोग खुश हो गए और उन्होंने बसंत का स्वागत किया। विनीत के इस ज्ञान ने गाँव वालों को यह सिखाया कि प्रकृति के संकेतों को समझना और उनका सम्मान करना कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने सीखा कि “अंबा झोर चलै पुरवाई तब जानौ बरतवा ऋतु आई” का अर्थ है कि प्रकृति हमेशा हमें सही समय पर सही संकेत देती है।

शायरी:

अंबा की डाली पर जब पुरवाई चले,

बसंत की बहार में दिल खिल उठे जैसे कले।

सर्दी की विदाई में बिखरे हैं रंग नए,

आमों की महक में घुली, बसंत की ये हवाएँ।

जीवन के सफर में हर मौसम की बात है निराली,

अंबा झोर की तरह, हर बदलाव में छुपी है कोई कहानी।

हर पल में छुपा एक संदेश, हर बदलाव में छुपा एक सपना,

जैसे बसंत में चलती है पुरवाई, वैसे ही जिंदगी में चलती है नई हवा।

खुशबू से महके हर एक पल, जब बसंत रुत आई,

अंबा झोर की याद में, दिल से दिल की बात कह जाई।

बदलते मौसम का ये पैगाम, जिंदगी की इस राह में,

अंबा झोर चलै पुरवाई, बताती हर बार, नई कहानी की शुरुआत है।

 

अंबा झोर चलै पुरवाई तब जानौ बरतवा ऋतु आई शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of अंबा झोर चलै पुरवाई तब जानौ बरतवा ऋतु आई – Amba jhor chalai puravai tab jaanau baratava ritu aaee Proverb:

“अंबा झोर चलै पुरवाई तब जानौ बरतवा ऋतु आई” is an ancient Hindi idiom that signifies the changes in nature and the arrival of seasons.

Introduction: This idiom represents the change in weather, especially the arrival of the spring season. “अंबा” means mango tree, and “झोर चलै पुरवाई” refers to the strong wind coming from the east. Therefore, when the wind blows through the mango trees, it indicates the arrival of spring.

Meaning: The idiom means that we can understand the change of seasons through the signs of nature. It tells us how natural phenomena provide us information about impending changes.

Usage: This idiom is used when talking about natural changes or the arrival of seasons. It is often used in poetry or literature to express the beauty of nature and its cycles.

Example:

-> When the village experienced the blowing of winds through the mango trees, everyone understood that spring had arrived.

-> A poet wrote in his poem, “अंबा झोर चलै पुरवाई, लगा बसंत का संदेशा आई।” (As the wind blew through the mango trees, it felt like the message of spring had arrived.)

Conclusion: The idiom “अंबा झोर चलै पुरवाई तब जानौ बरतवा ऋतु आई” teaches us that the signs of nature can tell us a lot. It makes us aware and sensitive to natural cycles. Through this idiom, we can feel a deep connection with nature and enjoy its beauty.

Story of ‌‌Amba jhor chalai puravai tab jaanau baratava ritu aaee Proverb in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a farmer named Vineet. Vineet had a vast mango orchard where he worked diligently. The villagers called him the magician of the mango orchard because he grew many varieties of mangoes.

Every year, as winter ended and the spring season approached, Vineet would stroll through his orchard, observing the mango trees. He knew that when “Amba Jhor Chalai Purvai,” meaning when a cool breeze started blowing from the east and the mango trees began to rustle slightly, it signaled the arrival of spring.

One year, there was a delay in the seasonal change after winter. The villagers grew anxious, fearing that spring might not come that year. But Vineet remained calm. He said, “Wait for ‘Amba Jhor Chalai Purvai’; only then will spring arrive.”

Then one day, it happened. A gentle cool breeze blew from the east, causing a light stir in the mango trees. Vineet smiled and informed the villagers that spring had arrived.

The villagers rejoiced and welcomed the spring. Vineet’s wisdom taught them the importance of understanding and respecting nature’s signals. They learned that “Amba Jhor Chalai Purvai Tab Jano Bartava Ritu Aai” means nature always gives us the right signs at the right time.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

क्या यह कहावत केवल वसंत ऋतु के संदर्भ में है?

यद्यपि यह कहावत वसंत ऋतु के आगमन का वर्णन करती है, इसका उपयोग आमतौर पर नई शुरुआत और बदलाव के संकेतों को समझने के संदर्भ में होता है।

क्या इस कहावत का कोई साहित्यिक संदर्भ है?

हाँ, इस कहावत का उपयोग भारतीय साहित्य और कविताओं में होता है, जहां इसका इस्तेमाल प्रकृति के बदलावों को दर्शाने और जीवन के परिवर्तनों को समझाने के लिए किया जाता है।

क्या इस कहावत का कोई साहित्यिक संदर्भ है?

हाँ, इस कहावत का उपयोग भारतीय साहित्य और कविताओं में होता है, जहां इसका इस्तेमाल प्रकृति के बदलावों को दर्शाने और जीवन के परिवर्तनों को समझाने के लिए किया जाता है।

इस कहावत को व्यावहारिक जीवन में कैसे लागू किया जा सकता है?

इसे व्यावहारिक जीवन में लागू करने के लिए, हमें अपने आसपास के परिवर्तनों को समझना चाहिए और उनके संकेतों को पहचानना चाहिए, जैसे कि नए अवसरों या चुनौतियों की पहचान।

इस कहावत का विद्यालय और शिक्षा में क्या योगदान है?

विद्यालय और शिक्षा में यह कहावत छात्रों को नए विचारों और बदलावों के प्रति खुले रहने की शिक्षा देती है, जिससे वे बदलती दुनिया में अधिक समर्थ बन सकें।

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