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अमानत में खयानत, अर्थ, प्रयोग(Amanat mein khyanat)

“अमानत में खयानत” एक प्रसिद्ध हिंदी कहावत है, जिसका अर्थ है किसी के भरोसे का गलत फायदा उठाना या धोखाधड़ी करना। यह कहावत तब प्रयोग की जाती है जब कोई व्यक्ति जिस पर विश्वास किया गया हो, उस विश्वास के साथ विश्वासघात करता है।

परिचय: यह कहावत ईमानदारी और विश्वसनीयता के मूल्यों को उजागर करती है। यह हमें सिखाती है कि अमानत में खयानत करना न केवल नैतिक रूप से गलत है बल्कि यह सामाजिक सम्बन्धों को भी कमजोर करता है।

अर्थ: इस कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि जब किसी को कोई चीज अमानत के रूप में दी जाती है, और उस व्यक्ति द्वारा उसका दुरुपयोग किया जाता है, तो उसे ‘अमानत में खयानत’ कहते हैं।

उपयोग: इस कहावत का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति उस विश्वास को तोड़ता है जो उस पर किया गया हो। यह विशेष रूप से तब प्रयोग की जाती है जब कोई संपत्ति, धन या महत्वपूर्ण जानकारी के दुरुपयोग की बात आती है।

उदाहरण:

-> मान लीजिए, एक व्यक्ति ने अपने मित्र को कुछ पैसे भरोसे के साथ सौंपे और उस मित्र ने उन पैसों का गलत इस्तेमाल किया। यहाँ ‘अमानत में खयानत’ होने की बात है।

निष्कर्ष: ‘अमानत में खयानत’ से हमें यह सीखने को मिलता है कि विश्वास और ईमानदारी जीवन के महत्वपूर्ण मूल्य हैं। विश्वास के साथ धोखाधड़ी करना न केवल व्यक्तिगत संबंधों को नुकसान पहुँचाता है बल्कि समाज में भी अविश्वास की भावना को बढ़ाता है।

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अमानत में खयानत कहावत पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में विशाल नाम का एक ईमानदार और मेहनती किसान रहता था। विशाल की खेती बहुत ही उपजाऊ थी और उसके पास बहुत सा अनाज था। एक दिन विशाल को अपने पड़ोसी गांव में कुछ दिनों के लिए जाना पड़ा। उसने अपने पड़ोसी और दोस्त अभय को अपने अनाज की देखभाल करने का जिम्मा सौंपा।

विशाल ने अभय पर पूरा भरोसा किया और उसे अनाज की देखभाल के लिए सब कुछ सौंप दिया। अभय ने वादा किया कि वह अनाज का ध्यान रखेगा। लेकिन विशाल के जाने के बाद, अभय ने लालच में आकर अनाज का कुछ हिस्सा बाजार में बेच दिया और पैसे अपने लिए रख लिए।

जब विशाल वापस आया, तो उसने देखा कि अनाज की मात्रा कम है। उसने अभय से पूछताछ की और अंत में सच्चाई सामने आ गई। विशाल को अपने दोस्त पर भरोसा करने का पछतावा हुआ और अभय को भी अपनी गलती का अहसास हुआ।

इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि “अमानत में खयानत” करना न केवल विश्वास के साथ धोखाधड़ी है, बल्कि यह रिश्तों में दरार भी पैदा करता है। भरोसा और ईमानदारी जीवन के मूलभूत मूल्य हैं, और इन्हें हमेशा बनाए रखना चाहिए।

शायरी:

अमानत में खयानत की ये दास्तान है पुरानी,
विश्वास का कच्चा धागा, टूट जाता है आसानी।

जो भरोसा तोड़ दे, वो कैसा साथी, कैसा यार,
दिल में बसा विश्वास, बन जाता है तार-तार।

अमानत के नाम पर, जब खयानत हो जाए,
तो दिलों की गलियों में, दर्द की सुर्खी छा जाए।

ईमान की बाज़ी लगी, जब लालच का खेल हो,
टूटता है भरोसा, जब अपना ही मेल हो।

विश्वास की राह में, जब खयानत का पत्थर आए,
दोस्ती का आँगन भी, सूना और वीरान हो जाए।

इस जीवन की राह में, सच्चाई का दामन थामे रखना,
अमानत में खयानत से, हर कदम पर खुद को बचाना।

 

अमानत में खयानत शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of अमानत में खयानत – Amanat mein khyanat Proverb:

“Amanat mein khyanat” is a famous Hindi proverb, meaning to misuse someone’s trust or to commit fraud. This proverb is used when a person, who has been trusted, betrays that trust.

Introduction: This proverb highlights the values of honesty and reliability. It teaches us that betraying trust, especially when holding something in safekeeping, is not only morally wrong but also weakens social bonds.

Meaning: The literal meaning of this proverb is that when someone is given something to safeguard (as a trust) and they misuse it, it is referred to as ‘Amanat mein khyanat’.

Usage: This proverb is used when someone breaks the trust placed in them. It is particularly used in contexts involving misuse of property, money, or important information.

Examples:

-> Suppose a person entrusted some money to his friend and the friend misused those funds. This situation is an example of ‘Amanat mein khyanat’.

Conclusion: From ‘Amanat mein khyanat,’ we learn that trust and honesty are fundamental values in life. Betraying trust not only damages personal relationships but also fosters a sense of distrust in society.

Story of Amanat mein khyanat Proverb in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a hardworking and honest farmer named Vishal. Vishal had fertile land and a large quantity of grain. One day, Vishal had to go to a neighboring village for a few days. He entrusted the care of his grain to his neighbor and friend, Abhay.

Vishal completely trusted Abhay and handed over everything needed for the care of the grain. Abhay promised to look after it. However, after Vishal left, Abhay, succumbing to greed, sold a portion of the grain in the market and kept the money for himself.

When Vishal returned, he noticed that the quantity of grain was reduced. He questioned Abhay, and eventually, the truth came out. Vishal regretted trusting his friend, and Abhay realized his mistake.

This story teaches us that “Amanat mein khyanat” is not only an act of deceiving trust but also creates rifts in relationships. Trust and honesty are fundamental values in life, and they should always be maintained.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

क्या इस कहावत का कोई विरोधाभास है?

नहीं, यह कहावत विश्वास और ईमानदारी के महत्वपूर्णता को सार्थक रूप से बताती है और किसी भी प्रकार के विशेष विरोध के खिलाफ नहीं है।

क्या इस कहावत का अनुसरण करना हमें कैसे फायदेमंद हो सकता है?

इस कहावत का पालन करने से हम अपने संबंधों में विश्वास बनाए रख सकते हैं और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

क्या यह कहावत किसी ऐतिहासिक कथा से जुड़ी है?

इसका कोई निश्चित ऐतिहासिक स्रोत नहीं है, लेकिन यह भारतीय साहित्य और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत को बयान करती है।

क्या इस कहावत का कोई उपयोगात्मक उदाहरण है?

हां, ऐतिहासिक और साहित्यिक क्षेत्र में कई घटनाएं हैं जो इस कहावत की पुष्टि करती हैं, जहां अमानत में खयानत के परिणाम स्वरूप घटित हुए हैं।

इस कहावत का आधार क्या है?

इस कहावत का आधार भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों, नैतिकता, और समाज में विश्वास करने की अद्भुतता पर है।

हिंदी कहावतों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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