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आया है जो जायेगा, राजा रंक फकीर, अर्थ, प्रयोग(Aaya hai jo jayega, Raja rank fakir)

परिचय: “आया है जो जायेगा, राजा रंक फकीर” यह हिंदी की एक प्राचीन कहावत है, जो जीवन के अनित्य और अस्थायी स्वभाव को दर्शाती है।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि जो भी इस दुनिया में आया है, वह एक दिन जाएगा, चाहे वह राजा हो या रंक, या फिर फकीर। यह सिखाती है कि जीवन में हर चीज अस्थायी है और हर किसी को एक दिन इस दुनिया को छोड़ना पड़ता है।

उपयोग: यह कहावत तब प्रयोग की जाती है जब हमें यह दर्शाना होता है कि जीवन की अनित्यता और सामाजिक या आर्थिक स्थिति का कोई भी अंतिम महत्व नहीं है।

उदाहरण:

-> एक समय की बात है, एक राजा था जो अपनी शक्ति और सम्पत्ति पर बहुत इतराता था। लेकिन जब उसका अंत समय आया, तो उसे समझ आया कि उसकी राजसी शक्ति और धन उसके किसी काम नहीं आ सकते। तब उसे इस कहावत का महत्व समझ आया।

समापन: “आया है जो जायेगा, राजा रंक फकीर” कहावत हमें यह सिखाती है कि जीवन की अस्थिरता और अनित्यता को स्वीकार करना चाहिए। यह हमें यह भी बताती है कि हमें जीवन में अपने अहंकार और लगाव को त्याग कर विनम्रता और सादगी का मार्ग अपनाना चाहिए।

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आया है जो जायेगा, राजा रंक फकीर कहावत पर कहानी:

बहुत समय पहले की बात है, एक राज्य में राजा सुभाष नाम का एक राजा राज करता था। राजा सुभाष के पास अपार धन-संपदा थी, और वह अपने वैभव पर बहुत घमंड करता था। वह सोचता था कि उसकी संपत्ति और शक्ति अनंत हैं और वह हमेशा इसी प्रकार राज करता रहेगा।

राजा के महल के पास ही एक साधु रहते थे, जो हमेशा वैराग्य की बातें करते थे। वह अक्सर कहते, “आया है जो जायेगा, राजा रंक फकीर।” लेकिन राजा सुभाष उनकी बातों को अनसुना कर देता था।

एक दिन, राज्य में एक बड़ी आपदा आई, और राजा सुभाष की सारी संपत्ति और वैभव नष्ट हो गया। राजा सुभाष को अपना महल छोड़कर जंगल में जाना पड़ा। जब वह वन में भटक रहे थे, तो उन्हें वह साधु मिले।

साधु ने फिर से कहा, “राजा, देखो, ‘आया है जो जायेगा, राजा रंक फकीर।’ आपकी संपत्ति, आपका वैभव, सब कुछ नश्वर है।”

राजा सुभाष को तब जाकर समझ आया कि जीवन में सच्चा सुख और शांति संपत्ति और वैभव में नहीं, बल्कि संतोष और सादगी में है।

निष्कर्ष:

राजा सुभाष की कहानी हमें यह सिखाती है कि “आया है जो जायेगा, राजा रंक फकीर” कहावत का सार यह है कि जीवन में हर चीज अस्थायी है और हमें अपने घमंड और लगाव से मुक्त होकर जीवन जीना चाहिए। यह हमें विनम्रता और सादगी का महत्व समझाती है।

शायरी:

चाहे राजा हो या रंक, यहाँ सबकी एक कहानी,

“आया है जो जायेगा”, यही सबकी निशानी।

दुनिया की इस राह में, सब कुछ है आनी-जानी,

जो आज तेरा है, कल वो हो जाएगा बेगानी।

सिंहासनों की शान में, न खोना अपनी पहचान,

“आया है जो जायेगा”, यही है जिंदगी का फरमान।

जो आज फकीर है, कल वो राजा हो सकता है,

जीवन के इस खेल में, हर कोई बदल सकता है।

राजा हो या फकीर, सबका एक ही अंजाम,

“आया है जो जायेगा”, यही है जीवन का पैगाम।

 

आया है जो जायेगा, राजा रंक फकीर शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of आया है जो जायेगा, राजा रंक फकीर – Aaya hai jo jayega, Raja rank fakir Proverb:

Introduction: The ancient Hindi proverb “Aaya hai jo jayega, Raja rank fakir” reflects on the impermanent and transient nature of life.

Meaning: This proverb means that everyone who comes to this world will one day leave, be they a king, a pauper, or a sage. It teaches that everything in life is temporary, and everyone must eventually leave this world.

Usage: This proverb is used to illustrate the impermanence of life and the ultimate insignificance of social or economic status.

Examples:

-> Once, there was a king who prided himself on his power and wealth. But when his end came, he realized that his royal power and wealth were of no use to him. That’s when he understood the significance of this proverb.

Conclusion: The proverb “Aaya hai jo jayega, Raja rank fakir” teaches us to accept the instability and impermanence of life. It also suggests that we should abandon ego and attachment in life and embrace humility and simplicity.

Story of Aaya hai jo jayega, Raja rank fakir Proverb in English:

Long ago, in a kingdom, there was a king named Subhash who ruled with immense wealth and pride. King Subhash believed his riches and power to be infinite, thinking he would reign forever.

Near the king’s palace lived a sage, who always spoke of detachment. He often said, “What comes will go, be it a king, a pauper, or a sage.” However, King Subhash ignored his words.

One day, a great calamity struck the kingdom, and all of King Subhash’s wealth and glory were destroyed. He had to leave his palace and venture into the forest. Lost in the woods, he encountered the sage again.

The sage repeated, “King, see, ‘What comes will go, be it a king, a pauper, or a sage.’ Your wealth, your splendor, everything is transient.”

Only then did King Subhash realize that true happiness and peace in life do not lie in wealth and luxury, but in contentment and simplicity.

Conclusion:

The story of King Subhash teaches us the essence of the proverb “What comes will go, be it a king, a pauper, or a sage.” It shows that everything in life is temporary, and we should live free from arrogance and attachment, understanding the importance of humility and simplicity.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस कहावत का उपयोग आम जीवन में हो सकता है?

हाँ, यह कहावत बताती है कि हमें जीवन की उच्चाईयों और नीचाईयों को स्वीकार करना चाहिए क्योंकि सब कुछ अनिश्चित है।

कैसे यह कहावत व्यक्ति को संजीवनी हैंसी में कर सकती है?

इसके माध्यम से, व्यक्ति को यह याद दिलाया जा सकता है कि जीवन में सफलता और पराजय से गुजरना हिस्सा है।

क्या इसमें ईमानदारी और निष्कलंकता का संकेत है?

हाँ, यह कहावत ईमानदारी और निष्कलंकता की महत्वपूर्णता को बताती है, क्योंकि यह सब कुछ अनिश्चित होने का आभास कराती है।

क्या इस कहावत में संतुलन का संकेत है?

हाँ, यह कहावत जीवन में संतुलन की महत्वपूर्णता को बताती है और सफलता और हानि को समान दृष्टिकोण से देखती है।

कैसे यह कहावत समय की महत्वपूर्णता को बताती है?

इसके माध्यम से, हमें यह याद दिलाया जा सकता है कि समय निरंतर बदलता है और हमें उसके साथ चलना होता है।

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